रविवार, 22 मई 2011

युवा डी एस पी समीर यादव की पोस्ट "गाँव कहाँ सोरियावत हे"


समीर यादव जिनका ब्लाग है : मनोरथ 
चेहरों वाली किताब पर समीर 
 युवा डी एस पी समीर यादव के दिल में एक कवि एक सृजन कर्ता का दिल धड़कता है. मेरे मित्र दीपेंद्र बिसेन ने काफ़ी कुछ बताया समीर भाई के बारे में. साथ साथ ट्रेनिंग पर थे अकादमी में दौनों साथ जो थे. खुशदीप की तरह   ब्लॉगिंग के दिलीप कुमार..., तो नहीं हैं पर सदाबहार तो अवश्य है सुकवि बुध रामजी के चिंतन का गहरा असर है इन पर . 
सबले गुरतुर गोठियाले तैं गोठ ला आनी बानी के
अंधरा ला कह सूरदास अउ नाव सुघर धर कानी के
बिना दाम के अमरित कस ये
मधुरस भाखा पाए
दू आखर कभू हिरदे के
नई बोले गोठियाये
थोरको नई सोचे अतको के दू दिन के जिनगानी हे
सबले गुरतुर गोठियाले तैं गोठ ला आनी बानी के
एक आखर दुरपती के बौरब
जब्बर घात कराइस
पापी दुर्योधन जिद करके
महभारत सिरजाइस


  मौन साधक को मेरी और चर्चाकार मंडली की और से हार्दिक शुभ कामनाएं 
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गोल गोल रानी कित्ता कित्ता पानी, एक दो तीन चार, अटकन-चटकन दही चटाकन जैसे बाल गीत युक्त खेल किधर और कब गुम हुए पता नहीं. बच्चे wwf,मारपीट युक्त कार्टून फ़िल्मों में मशरूफ़, या फ़िर प्ले स्टेशन के सामने , यानि कुल मिला के सब कुछ बदल गया. अब तो मुहल्ले से अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बों की सामूहिक मधुर आवाज़ भी नहीं सुनाई दे रही बुद्धू बक्से के सामने बैठी आर्ची एक दिन अचानक बोल पड़ी :- "अंकल, है न उसका मडर किया था खुद से नहीं मरा " मर्डर, खुद से मरना जैसे शब्द से परिचित कराता बुद्धू बक्से से ज़्यादा मूर्ख मुझे वो अभिभावक लगे जो बच्चों को क्रियेटिविटि से दूर रखते हैं. 
भगवान ऐसे अभिभावकों को सद बुद्धि दे .  

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  1. आज दर्शन बवेजा का जनमदिन है
  2. सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं .....
  3. फिर चोट ना खाएँगे
  4. प्रतिध्वनि ... The Echo
  5. छब्बीस घण्टे बीस मिनिट दिल्ली में part 02
  6. इन्द्रधुनष
  7. जीवन का मूल्य
  8. ब्रेकिंग न्यूज़-भंगेरी हैं केंद्र सरकार के मंत्री-ब्रज की दुनिया
  9. मै जिन्दा हूं
  10. मोगरे की महक... खुले आकाश में झिलमिलाते तारे... और आँगन में रात्रि विश्राम...
  11. फूलों सी बच्ची को जेल !
  12. जिंदगी पी डाली 
  13. बड़ी धीरे जली रैना: फिल्‍म इश्किया। रेखा भारद्वाज को नेशनल अवॉर्ड के बहाने
  14. "गाँव कहाँ सोरियावत हे"
  15. प्रलय.......... संध्या शर्मा

10 टिप्पणियाँ:

बुधराम जी की अनमोल कृति है यह, वार्ता टीम को भी बधाई. समीर जी के तो संस्‍कार ही 'अहर्निशं सेवामहे' के हैं.

Samir yadaw ji se milane ke liye aabhar

umda varta ke liye badhai.

ram ram

गिरीश जी सबसे पहले आपको शुक्रिया. आप किसी न किसी बहाने संपर्क बनाए रखते हैं. आपकी रचनात्मक ऊर्जा का मैं हमेशा प्रशंसक रहा हूँ. यहाँ मैं राहुल भैया के एक एक शब्द से सहमत हो कुछ और लिखने की जरुरत नहीं महसूस कर रहा हूँ. दीपेंद्र से हुई चर्चा में अकादमी के दिनों की बाते आई होंगी अब इन ७-८ सालों में बहुत कुछ वैचारिक बदलाव आया जिसने परिवार,समाज,वंचित,धर्म और स्त्री के सम्बन्ध में नयी सोच दी है. आपके जैसे गुणीजनों के सदैव संपर्क में रहने की आकांक्षा के साथ. समीर.

समीर भाई
आपकी क्रिएटिव सोच तक पहुंचा हूं बारास्ता दीपेंद्र जी.वो भी बहुत गम्भीर व्यक्ति हैं. फ़िर आप के गुणों का आभास आपके लेखन से हुआ

इन लिंक्स के लिए आपका आभार दादा !

समीर भाई नमस्कार उज्जैन के बाद से संपर्क नहीं हो पाया.आज आपकी एक नयी विधा की जानकारी लगी.

बहुत डर कर लिख रहा था.कहीं कोई और समीर न हों.मामला पुलिस का जो ठहरा,सुबह मोबाइल पर चर्चा करेंगे .

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