आज़ की चर्चा ब्लाग4वार्ता को साठ हज़ारी बनाएगी ?
इसके साथ ही मिसफ़िट वाले गिरीष बिल्लोरे को इज़ाज़त दीजिये
ललित जी बोले महर्षि ब्लागानंद महाराज़ ने जब से आश्रम में ब्राड बैण्ड कनेक्शन लिया है तबसे सम्पूर्ण तपोवन का वातावरण हायटेक हो गया है. ब्लागानंद महाराज ने आगे ऋषिओं को बताया कि :-कोसल-क्षेत्रस्य रायपुर नगरे एकस्मिन अशोक बजाज महाभागा वसिस्यामि .हे ऋषियों वे आम आदमींयों में डीपली घुस के रहते है.
ऋषिगण उत्सुकता से बोले :-"यानी नेता हैं ..?"
हां..! सही कहा !! वे जन नेता हैं ऋषियो पर वे ब्लागिंग के खेला में दोहरा शतक मार चुकें हैं.
यह सुन कर समवेत स्वरों में "अदभुत ! साधु ! साधु !! का कोलाहल गूंज उठा. शांत ऋषियों शांत भव: इस प्रकार ऋषियों को शांत कर ब्लागानंद जी महाराज बोले :-"हे सद शिष्यों, सच्चा लेखक वही होता है है जो कल्पनाओं की नहीं सच्चाई की बात ऐसे लिखता है जैसे कि वो कल कथानक या काव्य लिख रहा हो ! "
एक ऋषि बोल उठा :- सोदाहरण बताओ मेहराज ! सारी सभा महाराज को मेहराज ठिलठिला के हंस पड़ी.. ब्लागानंद भी मंद मंद मुस्कुराए बोले :- विदर्भ की विदुषी संध्या शर्मा की कविता देखिये
ये नन्ही सी चिड़िया, मेरे बचपन की साथी,
मुझसे बातें करती, मेरे संग थी गातीं .
इनका साथ मुझे खूब भाता,
पिछले जन्म का कुछ तो था नाता .
दिन भर इन्हें दाने थी चुगाती,
धूप में रहने पर माँ थी डांटती .
जैसे तैसे रात होती,
तो सपनों में मैं चिड़िया होती.
सुनहरे से पंखों वाली चिड़िया,
सुनहरी थी जिसकी दुनिया.
ज़ोर से दौड़ लगाती,
और दूर गगन में उड़ जाती.(आगे इधर से )
पिछले जन्म का कुछ तो था नाता .
दिन भर इन्हें दाने थी चुगाती,
धूप में रहने पर माँ थी डांटती .
जैसे तैसे रात होती,
तो सपनों में मैं चिड़िया होती.
सुनहरे से पंखों वाली चिड़िया,
सुनहरी थी जिसकी दुनिया.
ज़ोर से दौड़ लगाती,
और दूर गगन में उड़ जाती.(आगे इधर से )
ऋषिगण के मन में एक जिज्ञासा बार बार उछल कूद मचा रही थी बार बार अन चाहे पापअप सी उभर रही थी एक नहीं कईयों के मन में . ब्लागानंद की आंखों में लगे स्कैनर ने बांच लिया बोले :- डरो मत पूछो मुझे मालूम है कि क्या पूछना चाहते हो पूछो भाई पूछो ?
महाराज देवयुग के महर्षि नारद प्रथम पत्रकार कहा जाता है किंतु संजय को वेबकास्टर का दर्ज़ा क्यों न मिला ?
"हां, नारद को आदि पत्रकार आधुनिक लोग कह रहें हैं पर जबसे खटीमा प्रसंग हुआ तब से वेबकास्टर शब्द प्रचलन में आया किंतु किसी ने भी इस दिशा में नहीं सोचा वास्तव में महाभारत काल का संजय ही सर्वप्रथम वेबकास्टर है "
हे ऋषियों अब मुझे शारीरिक व्याधि घोर कष्ट दे रही है मुझे दिशा मैदान जाना होगा कल रात आहार अधिक हो गया था तब तक आप लोग इन ब्लागों का पाठ ऊँचे स्वरों में कीजिये
3. औरत की बोली.
14. बेढब फेन्टेसिज़
- लोभिया ला लबरा ठगे: जनसत्ता में ‘धान के देश में’
- सीखो कुछ तो इस भीषण कांड से: हिन्दुस्तान में ‘उड़न तश्तरी’
- पीपुल्स समाचार में ‘अगड़म बगड़म’, ‘मन के मनके’, ‘घुघूती बासूती’
- पेट्रोल 100 रुपए लीटर न हुआ: दैनिक जागरण में ‘अनवरत’
- आतंकवाद खत्म हो सकता है: डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में ‘जिंदगीनामा’
इसके साथ ही मिसफ़िट वाले गिरीष बिल्लोरे को इज़ाज़त दीजिये
9 टिप्पणियाँ:
बढ़िया लिंक्स ... आभार दादा !
jai ho shiwam bhaaI
अब लिखना शुरु करिये
बढ़िया लिंक्स ... आभार दादा !
जय हो नवयुग के संजय की.....
बहुत अच्छे लिंक्स गिरीश भाई । बढिया वार्ता
बढ़िया लिंक्स दादा !
" बिना एंपायर का मैच और डबल सेंचुरी " का लिंक देने के लिए आभार .
बढ़िया लिंक्स ... आभार
तपोवन ?
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