नमस्कार, नानापाटेकर का एक संवाद याद आ रहा है-"एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है।" मच्छर में इतनी ताकत होती है कि बड़े-बड़ों की खाट खड़ी कर देता है, वाट लगा देता है, एक गैंगस्टर जिससे लोग डरते हैं, उसे मच्छरों से डर लग रहा है, उसके वकील ने टाड़ा कोर्ट में याचिका दायर की है कि उसे मलेरिया होने का खतरा है इस लिए अन्यत्र स्थानान्तरित किया जाए। इससे मच्छर की ताकत का पता चलता है। अब चलते हैं आज की ब्लाग वार्ता पर--
आज सुनीता शानु जी का जन्मदिन था-वे एक बहुत बड़ा केक ब्लाग जगत के लिए लाई थी-गुगल की दुकान से, लेकिन खाया नहीं जा सकता, इसलिए उन्होने भाई साहब को अल्टिमेटम दे दिया है कि" मै मायके चली जाऊँगी, अगर असली केक ब्लाग जगत के लिए नहीं भेजा।" हो सकता है उनकी धमकी काम कर जाए और हमें भी केक खाने मिल जाए। थोड़ी सी इनकी कविता की झलकी भी देखिए--
पत्नी बोली पतिदेव जी तुम पर भारी पड़ जाँऊगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाऊँगी।
दफ़्तर की खींचा तानी से जब थककर घर को आओगे,
एक चाय की प्याली भी तुम अपने हाथ बनाओगे।
कौन पिलायेगा फ़िर तुमको चाय वो अदरक वाली,
एक हाथ से प्यारे मोहन नही बजती है ताली।
चुन्नू,मुन्नू बंटी को भी सौप तुम्हे ही जाँऊगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाँऊगी।
बाजार वाद और उपभोक्ता वाद ने किसी को नहीं छोड़ा, बेटियों की आड़ में धंधा चला रहे है, जहां भी जो भी मिले उसे भंजा लिया जाए। ऐसा ही एक झोला राजकुमार सोनी को मिला, जिस पर ब्रा पेंटी बेचने के लिए एक कविता लिखी हुई थी। अब ये तो राजकुमार ठहरे, झोला मिला और दुकानवाले सिंधी को गरियाना शुरु कर दिया, बड़ी मुस्किल से उसने जान बचाई लेकिन जान बचेगी कहाँ? जब राजकुमार सोनी पीछे हो----
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाऊँगी।
दफ़्तर की खींचा तानी से जब थककर घर को आओगे,
एक चाय की प्याली भी तुम अपने हाथ बनाओगे।
कौन पिलायेगा फ़िर तुमको चाय वो अदरक वाली,
एक हाथ से प्यारे मोहन नही बजती है ताली।
चुन्नू,मुन्नू बंटी को भी सौप तुम्हे ही जाँऊगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाँऊगी।
बाजार वाद और उपभोक्ता वाद ने किसी को नहीं छोड़ा, बेटियों की आड़ में धंधा चला रहे है, जहां भी जो भी मिले उसे भंजा लिया जाए। ऐसा ही एक झोला राजकुमार सोनी को मिला, जिस पर ब्रा पेंटी बेचने के लिए एक कविता लिखी हुई थी। अब ये तो राजकुमार ठहरे, झोला मिला और दुकानवाले सिंधी को गरियाना शुरु कर दिया, बड़ी मुस्किल से उसने जान बचाई लेकिन जान बचेगी कहाँ? जब राजकुमार सोनी पीछे हो----
एक प्रश्न पूछा जा रहा है कि क्या आप सेलफोन सही पकड़ते हैं --पकड़ते तो हैं भाई, अब क्या सही है और क्या गलत है,इसका पता नहीं, लेकिन आपने फ़ोटो ऐसी लगा दी है कि डर लगता ही कि सेलफ़ोन पकड़-पकड़कर हम भी इसी गति को प्राप्त न हो जाएं। कम्पनी ने भी नहीं बताया है कि कैसे पकड़ना है? अब फ़ोन पकड़ना सीखना भी जरुरी है,नहीं तो फ़ोटो देखिए--चुनाव आयोग और ई. व्ही.एम. की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं,प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए जनप्रतिनिधि और अधिकारी भारत में निर्वाचन आयोग की हीरक जयंती पर रायपुर के टाउन हाल में एक प्रदर्शनी लगी हैं । प्रदर्शनी में चुनाव आयोग की गतिविधियों को दर्शाने वाले विहंगम---
भारतीय लोकतंत्र के पांच खतरेभारतीय लोकतंत्र के जो पांच बड़े खतरे हैं, उनमें से प्रत्येक उसे पंगु बनाने के लिए काफी हैं। लोकतंत्र केवल जनता के मनोबल के कारण---क्या आप कुछ सोचने को तैयार हैं मेरे साथ …?
आज मैं आपका ध्यान एक छोटी सी बात की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ । क्या आप बता सकते हैं कि एक आदमी अपनी पूरी जिंदगी में कितना जल,फ़ल,फ़ूल और कितने पेड़ों की लकड़ी का उपयोग करता है ? शायद नहीं । जल,फ़ल और फ...
छिनाल का जन्मछिन्न का आमतौर पर इस्तेमाल *छिन्न-भिन्न *के अर्थ में होता है। ... हि न्दी में कुलटा, दुश्चरित्रा, व्यभिचारिणी या वेश्या के लिए एक शब्द है*छिनाल *। आमतौर पर हिन्दी की सभी बोलियों में यह शब्द है और इसी अर...आज विनय शर्मा का जनमदिन हैआज, 6 अगस्त को मेरे ब्लोग तथा स्नेह परिवार वाले विनय शर्मा का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें**।* *अपने मोबाईल फोन पर *...
हम वो हैं जो हम है नहीं ---हम हम वो हैं, जो खेल करवा सकते हैं, खेल कर सकते हैं, पर खेल सकते नहीं। दे सकते हैं पर मेडल, ले सकते नहीं। बन सकते हैं किरायेदार, पर खरीदार हो सकते नहीं। हम वो हैं, जो हम हैं नहीं, और हो सकते नहीं। मुश्किल का दूधदिनांक - 6 अगस्त 2010, प्रातः 5:15,* अभी-अभी दूध ले कर लौटे हैं। यूँ, छह माह पहले तक दूध घर पर आ जाया करता था। आधा किलोमीटर के दायरे में सात आठ दूध डेयरियाँ हैं। जिन में सरस दूध डेयरी के आउटलेट भी हैं, जि...
अपने कंप्यूटर में मिडिया विकी स्क्रिप्ट कैसे इन्स्टाल करें ?कल ही एक ब्लोगर मित्र ने फ़ोन पर एक साईट का नाम बताकर उसके जैसी साईट बनाने की इच्छा जाहिर कर जानना चाहा कि ऐसी साईट कैसे बनाई जा सकती है | उनके द्वारा बताई गयी साईट देखने पर पता चला कि वह वेब साईट मिडिया व..जाने कितनी यादों को जाने कितनी यादों को, अपने दिल के आंगन में , सजा रखा है , जब तुम छोटी सी परी थीं , प्रथम कदम उठाया था , आगे बढ़ना चाहा था , अपने नन्हें हाथों से तुमने , मेरी उंगली थामी थी , हल्का सा भय लिए हंसी थी , तुम्हारे ...
वर्ष के चर्चित उदीयमान ब्लोगर का सम्मान एक ऐसा चिट्ठाकार जिसके द्वारा एक वर्ष पूर्व एक चिटठा देशनामा…शुरू किया गया इस आशय के साथ कि देश का कोई धर्म नहीं, कोई जात नहीं, कोई नस्ल नहीं तो फिर यहां रहने वाले किसी पहचान के दायरे में क्यों बांधे जाए ...माँ के हाथों बने खाने का स्वाद ।रश्मि जी ने अपने ब्लॉग 'अपनी उनकी सबकी बातें' पर जब कहा कि " काश रोहन के द्वारा पढ़ी गई कविता की पंक्तियाँ मुझे याद रह जातीं " तो मुझे अपने हॉस्टल के दिनों में लिखी कवितायें याद आ गईं…और पढ़ाई के दिनों की ...
इतने निकट रहते हुए भी हमें मालूम न था .. बोकारो में मकान की इतनी किल्लत है !!पिछले अंक में आपने पढा कि कितनी माथापच्ची के बाद हमने आखिरकार बच्चों का बोकारो में एडमिशन करवा ही लिया। 1998 के फरवरी के अंत में बच्चों के दाखिले से लेकर स्कूल के लिए अन्य आवश्यक सामानों की खरीदारी ,...अगला पड़ाव ऋषिकेश ...........सुबह हरिद्वार में बारिश से भीगते हुए गंगा स्नान करने के बाद अगला पड़ाव था ऋषिकेश, गाड़ियों कि कमी थी बारिश कि वजह से दो ऑटो बदलकर ऋषिकेश पहुंचे । वहां पहुंचकर सबसे पहले जो आवाज़ सुनाई दी वो थी सेब बेचने वाल...
पहली बरसी पर विशेष - गीतकार गुलशन बावरामेरे देश की धरती जैसे लोकप्रिय गीतों के रचयिता और जाने माने गीतकार गुलशन बावरा का ०७/०८/२००९ को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया था । गीतकार की पड़ोसी मोनिका खन्ना ने बताया कि गुलशन बावरा की इच्छा थी...चले बाबा की नगरिया-हम पहुंच गए कलकत्ता--यात्रा 2ट्रेन आ चुकी थी, हमने अपनी-अपनी सीटें संभाल ली, देवी भैया इटली लेकर आए थे। बैठते ही सब की इच्छा से उनकी इटली पर हाथ साफ़ किया। क्योंकि इटली को ज्यादा देर रखना ठीक नहीं था। खराब हो सकती थी,आपस में हंसी मजाक.
11 टिप्पणियाँ:
मस्त वार्ता
अच्छे अच्छे लिंकों का बढिया संग्रह !!
बढ़िया वार्ता ...
बहुत बहुत आभार मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए ! बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता !
बढ़िया वार्ता .
अच्छी टिप्पणी करते भाई
किसी .... उसको पता चलेगा तो फिर सिंधी कढ़ी भेज देगा
बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता !
बहुत बेहतरीन वार्ता.
रामराम.
बढ़िया लिंक्स...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मुझे ब्लॉग वार्ता -४ पर आ कर बहुत अच्छा लग रहा है | बहुत बहुत धन्यवाद इस लिए की आपने प्रोत्साहित किया |वैसे भी मैं इस ब्लॉग पर अक्सर आने वाली लिंक्स को पढ़तीहूं |यहाँ आना मुझे बहुत अच्छा लगता है |आभार
आशा
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