शनिवार, 10 अप्रैल 2010

अलविदा ब्लोगिंग....मोहि कपट छल छिद्र न भावा.......सूर्यकान्त गुप्ता

आपको सूर्यकान्त गुप्ता का नमस्कार, ब्लॉग जगत क्या प्रतिद्वंदिता वैमनस्यता कायम करने के लिए है कि आपसी सौहाद्र को और सुन्दर और सुद्रढ़ बनाने के लिए ? मैंने ब्लॉग जगत इसलिए आय कि अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकूं. लोगों ने प्रोत्साहित भी किया. आज देखता हूँ कि इस जगत में सक्रिय सेवाएँ देने वाले श्री ललित शर्मा जी  अलविदा कह रहे हैं.  बड़े अफ़सोस की बात है. भाई! ईश्वर ने तो अपने भक्तों के गुणों का बखान इस तरह किया है "निर्मल मन जन सो मोहि पावा" हम ईश्वर तो हैं नहीं इसलिए हमारे लिए यह लागू हो नहीं सकता पर इस चौपाई की दूसरी पांति "मोहि कपट छल छिद्र न भावा" इसका मैं भरपूर अनुयायी हूँ.  यदि किसी को कोई  समस्या हो तो ज्यादा अच्छा होता है आमने सामने बैठकर सुलझा लिया जावे बनिस्बत उलझाने के, सभी पद एवं प्रतिष्ठा के भूखे हैं. ईश्वर ने सभी को बुद्धि व विवेक रुपी उपहार प्रदान किया है.  लेकिन बड़प्पन इसी में है कि दंभ या अभिमान को स्थान न दें, अब आज की वार्ता प्रारंभ करता हुँ...... 

अलविदा ब्लोगिंग........हैप्पी ब्लोगिंग.....मेरी अंतिम पोस्ट........ललित शर्मा मित्रों, ब्लोगिंग में आए हुए एक वर्ष होने को जा रहा है................ और समय भी सरकता जा रहा है............. अब समय के साथ हमारा भी सरकने का समय आ गया है........... आए थे अपनी मर्जी से और जा भी रहे हैं अपनी मर्जी से........... इसे आप यह ना समझना कि टंकी.......

तथाकथित मानवाधिकार वादियों बस्‍तर के आदिवासियों को मुहरा बनाना बंद करो पिछले दिनों छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के गलियारों से एवं समाचार पत्रों से प्राप्‍त जानकारी छत्‍तीसगढ़ के लिए तो चौंकाने वाला नहीं है किन्‍तु यह उन तथाकथित वनवासियों के शुभचिंतकों के लिए अवश्‍य चौंकाने वाला है. इस समाचार से यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि तथाकथित......

सबके दिलों के सरदार माननीय ललित शर्मा जी ने हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को अलविदा कहा यह सच हैमैं तेताला हूंमेरे से जुड़े रहे हैं ललित शर्मा जीअब यहां भी नहीं हैंअपनी ब्‍लॉग पोस्‍ट पर टिप्‍पणी भी बंद कर दी हैंजिसका अर्थ हैदरवाजे से घंटी का बटन ही हटा लिया हैजिससे आप यह न समझेंकि वे टंकी पर चढ़े हैंवैसे मुझे तो लग रहा हैऐसा ही होना है हम............

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगातेरे दिल में जब वफ़ा का नाम नहीं है फिर तुझे गैरो से वफ़ा क्यों मिलेगी. मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा करतुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.क्या खता हुई मुझसे मुंह मोड़ लेते हो खुशियाँ देने आये बदले में गम मिले.मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा मेरे जैसा .........

फकीरा चल चला चल अनूठा व्यक्तित्व, सहज, सरल,नित रहत तत्पर पर हितकिसने डाला आपके काज मे खललहो गया व्यग्र व्यथित तव चित्त''ईर्ष्या केवल विनाश ही नही, विकास का भी कारक''जब जब मन व्यथित हो, कर चिन्तन,बना इसे शत्रु के लिये मारकजारी रख ब्लाग लेखन, हँसते हँसाते पल हर पलफकीरा चल ..........

एक मार्मिक अपील ललित शर्मा से...मैं ये क्या देख-सुन रहा हूँ ललित..?  कई बार तुम मज़ाक करते हो, इसलिए समझ में नहीं आ रहा कि तुम इस बार मज़ाक कर रहे हो या गंभीर हो.. तुम्हारे जैसा जिंदादिल और भविष्य का प्रतिभाशाली ब्लागर अगर ब्लागिंग को अलविदा कह देगा तो यहाँ बचेगा ही क्या..?

ब्लोगिंग बंद कर बहुत बड़ा सन्देश दिया ललित जी ने - समझदार को इशारा काफी ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग से किया किनारा।दीपक मशाल ने भी अपनी अरुचि सी दिखाई।हमें भी कुछ ऐसा ही अंदेशा अपने बारे में होता है।=============================फिर भी ललित जी का इस तरह से ब्लोगिंग को छोड़ देना उन ब्लोगरों के लिए सबक है जो बिना बात के कुछ भी ........

नक्सली हिंसा की पूरी जिम्मेदारी स्वीकार कर पी. चिदंबरम ने सही नेतृत्व का परिचय दिया केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम को सलाम। जीत का श्रेय लेने के लिए तो हर कोई लालायित रहता है लेकिन हार की जिम्मेदारी कोई स्वीकार नहीं करना चाहता लेकिन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री के समक्ष नक्सलियों की गोली का शिकार हुए 76 जवानों की पूरी ..............

नमस्कार, मित्रों यह हमारी पहली चर्चा है...... आगे और अच्छी वार्ता लिखने की कोशिश करेंगे...


12 टिप्पणियाँ:

आभार इस चर्चा का. ललित जी का इस तरह ब्लॉग बंद कर जाना उचित नहीं है.

ललित जी को पुनर्विचार करना ही चाहिये

अगर ब्लागीरी का कोई कारण नहीं रहा है तो कोई जरूरी नहीं कि इसे किया ही जाए। पर ललित भाई ने तो यह भी नहीं बताया।

hmmm....waise Suman ji hamesha "nice" hi kyun kehte hain...

बहुत दुखद निर्णय है. इतने सक्रिय ब्लागर का यों रातों रात पलायन करना कुछ गंभीर बात की तरफ़ इशारा हो सकता है. लौटने की अपील करते हैं.

रामराम.

अच्छे लिंक देने के लिए शुभकामनायें !

बढ़िया चर्चा!
नेट के सम्बन्ध!
एक क्लिक में शुरू
एक केलिक में बन्द!

लौट कर आने का विश्‍वास कायम है। यम नहीं रहेगा।

एक बहुत अच्छी चर्चा!

यह आपकी पहली चर्चा है जानकर प्रसन्नता हुई ।
वैसे भी ब्लॉगजगत में चर्चा ही चर्चा होता है ।
फिर चर्चे का चर्चा होता है ।
फिर चर्चे के चर्चे का चर्चा होता है ।
इन सबके बीच कहीं गुम हो जाता है रचनात्मक लेखन ।
उम्मीद है इस दिशा में भी कुछ सोचेंगे ।

ललित भाई के प्रकरण में प्रयास जारी हैं...अभी कुछ नहीं कह सकता...लेकिन हो सकता है आपको जल्दी ही अच्छी खबर मिले...

जय हिंद...

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