नियमितता बनाए रखने के लिए आज सोमवार को एक छोटी सी चर्चा कर रही हूं ....
आज आदित्य की प्यारी बहना आकांक्षा का स्वागत करते हुए इस ब्लॉग वार्ता की शुरूआत करती हूं ....
एक छोटी सी गुडिया घर आई है.. "आकांक्षा".. आकांक्षा नीलकमल चाचा प्रिया चाची की प्यारी सी गुडिया है..
भाँग, भैया, भाटिन, भाभियाँ, गाजर घास ... तीन जोड़ी लबालब आँखें .. यानि मेरे ख्याल से कुल मिलाकर आठ या ग्यारह कडियां होनी चाहिए .. आज पांचवी को पढें ....
... मन में कचोट और वाणी पर उसे दबाती प्रगल्भता। भारी कदमों से मैं अपने जन्मस्थान से वापस होता हूँ। जाने फिर कब आना हो? जाने क्या रूप देखने को मिले? यह स्थान तो चिर जीवित रहेगा... या बस मेरी साँसों के जीवित रहने तक? ... इसका पुराना रूप बचपन सा खिलखिलाता रहेगा - जब तक मैं हूँ।
आर्यो के भारत आगमन पर क्या विचार हैं राम कुमार बंसलजी के ....
... विदा खंडहर! तुम्हारे आँगन फूलता अनार छोड़ जा रहा हूँ...जो अज्ञात आने वाला है, उसे मेरी कथा सुनाना।...
सिकंदर के भारत पर आक्रमण और उसके कृष्ण के सानिध्य में दक्षिण भारत में बस कर एक बड़े युद्ध की तैयारियों में जुट जाने से देवों में चिंता व्याप्त हो गयी. कृष्ण और पांडवों ने उन के योद्धाओं की एक-एक करके पहले ही हत्या कर दी थी इसलिए उनकी क्षीण हो चुकी थी, जिसके कारण वे स्वयं युद्ध करने में असमर्थ थे. उनमें से जो प्रमुख व्यक्ति जीवित थे उनमें विष्णु, जीसस ख्रीस्त, विश्वामित्र, भरत और कर्ण आदि सम्मिलित थे.
राजधानी रायपुर की सबसे पुरानी शेरा क्रीड़ा समिति ने एक और पहल करते हुए यहां पर हॉकी स्कूल प्रारंभ करने की योजना बनाई है। इस योजना को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इस योजना को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के जन्मदिन २९ अगस्त को खेल दिवस के दिन प्रारंभ करने की तैयारी है।
यह जानकारी देते हुए समिति के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश के साथ रायपुर में हॉकी की खबर स्थिति को देखते हुए हमारी समिति से फैसला किया है कि फुटबॉल स्कूल की तरह अब हम हॉकी स्कूल प्रारंभ करके राजधानी के कम से कम तीन दर्जन खिलाडिय़ों का प्रारंभिक तौर पर चयन करके उनको साल भर प्रशिक्षण देने का काम करेंगे।
यह जानकारी देते हुए समिति के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश के साथ रायपुर में हॉकी की खबर स्थिति को देखते हुए हमारी समिति से फैसला किया है कि फुटबॉल स्कूल की तरह अब हम हॉकी स्कूल प्रारंभ करके राजधानी के कम से कम तीन दर्जन खिलाडिय़ों का प्रारंभिक तौर पर चयन करके उनको साल भर प्रशिक्षण देने का काम करेंगे।
भारतीय डाक विभाग के 150 वर्ष पूरे होने पर ‘भारतीय डाक : सदियों का सफरनामा’ नामक पुस्तक लिखकर चर्चा में आए अरविंद कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं. अरविन्द जी से जब पहली बार मेरी बातचीत हुई थी तो वे हरिभूमि से जुड़े हुए थे, फ़िलहाल रेल मंत्रालय की मैग्जीन ‘भारतीय रेल’ के संपादकीय सलाहकार के रूप में दिल्ली में कार्यरत हैं। ‘भारतीय डाक : सदियों का सफरनामा’ पुस्तक में जिस आत्मीयता के साथ उन्होंने डाक से जुड़े विभिन्न पहलुओं की चर्चा की है, वह काबिले-तारीफ है. यहाँ तक कि दैनिक पत्र हिंदुस्तान में प्रत्येक रविवार को लिखे जाने वाले अपने स्तम्भ 'परख' में इसकी चर्चा मशहूर लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट महाश्वेता देवी ने "अविराम चलने वाली यात्रा'' शीर्षक से की. (2 अगस्त, 2009). इसे हम यहाँ साभार प्रस्तुत कर रहे हैं !!
(यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है कि महाश्वेता देवी ने भी अपने आरंभिक वर्षों में डाक विभाग में नौकरी की)
(यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है कि महाश्वेता देवी ने भी अपने आरंभिक वर्षों में डाक विभाग में नौकरी की)
दैनिक भास्कर के रविवारीय परिशिष्ट रसरंग में 18.04.2010 के अंक में कवर स्टोरी: विजयशंकर चतुर्वेदी साथ में विवेकरंजन श्रीवास्तव बिजली को लेकर छपी है........
भारत में बिजली ही एक ऐसी चीज़ है जिसमें मिलावट नहीं हो सकती. और अगर यह कहा जाए कि बिजली की शक्ति से ही विकास का पहिया घूम सकता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. भारत के ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय विद्युत् नीति के तहत २०१२ तक 'सबके लिए बिजली' का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह ने ४ अप्रैल २००५ को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का शुभारम्भ किया था ताकि भारत में ग्रामीण स्तर पर भी विद्युत् ढाँचे में सुधार हो सके और गाँवों के सभी घर, गलियाँ, चौबारे, मोहल्ले बिजली की रोशनी से जगमगाने लगें.
सबकुछ मेरी कल्पना से परे दिख रहा था। बिल्कुल निर्जन और दुर्गम पथरीले पहाड़ को तराशकर शिक्षा का केन्द्र बनाने की कोशिश विलक्षण लग रही थी। हिमालय की कन्दराओं में तपस्वी ऋषियों की साधना के बारे में तो पढ़ रखा था लेकिन उन हरे भरे जंगलों की शीतल छाया में मिलने वाले सुरम्य वातावरण की तुलना विदर्भ क्षेत्र के इस वनस्पति विहीन पत्थरो के पाँच टीलों पर उगायी जा रही शिक्षा की पौधशाला से कैसे की जा सकती है। मेरे मन में जिज्ञासा का ज्वार उठने लगा। आखिर इस स्थान का चयन ही क्यों हुआ? मौका मिलते ही पूछूंगा
क्या आपको नहीं लगता कि हिन्दी ब्लोगिंग सिर्फ संकलकों तक ही सिमट कर रह गई है? इंटरनेट यूजर्स के मामले में विश्व में आज भारत का स्थान चौथे नंबर पर है और हमारे देश में लगभग आठ करोड़ दस लाख इंटरनेट यूजर्स हैं (देखें:http://www.internetworldstats.com/top20.htm)। इनमें से कई करोड़ लोग हिन्दीभाषी हैं किन्तु इन हिन्दीभाषी इंटरनेट यूजर्स में से कितने लोग हमारे संकलकों और ब्लोग्स में आते हैं? सिर्फ नहीं के बराबर लोग।
और यह अंतिम पोस्ट देखें ... बढते तापमान में गेंदा , गुलदाऊदी और गुलाब का क्या हाल है .....
अब मिलते हैं अगले सोमवार को .. तबतक के लिए सबको संगीता पुरी का राम राम !!
8 टिप्पणियाँ:
राम राम संगीता जी
सुन्दर चर्चा!
बेहतरीन चर्चा!!
आपका प्रयास सराहनीय और प्रशसनीय है...
हार्दिक शुभकामनाएं
acchi lagi charcha..Aakansha se milna bahut sukhad laga..
aabhaar..
सुन्दर चर्चा!
thanks
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