हमेशा की तरह रविवार को पोस्ट की गयी महत्वपूर्ण आलेखों की खबर अपनी सोमवारीय वार्ता में।
कल सुबह सुबह आयी अपनत्व की सौंवी पोस्ट से मैं इस वार्ता की शुरूआत करती हूं ..
मेरी रचित कविताए
मेरी सोच का है दर्पण
जो अनुभवों ने सिखाया
किया है वो ही अर्पण ।
अपना पूरा जीवन जिसने अपनी घर गृहस्थी को दिया वो एक आम नारी हूँ मै । जो संस्कार मुझे मिले उन्ही की छाया मे अपनी बेटियों की परवरिश की । मेरी दो बेटियाँ अब अपनी गृहस्थी मे व्यस्त है ।एक समय ऐसा था दिन हाथ से फिसल जाते थे तब बच्चे छोटे थे । जीवन की सार्थकता इसी मे है कि हर समय को भरपूर जीना चाहिए । बस ये ही मैंने किया ।
श्याम कोरी 'जी' नक्सली समस्या लैंड लाइन्स से बचने की सलाह दे रहे हैं ....
नक्सलियों के कारगर हथियार "लैंड माईंस"जिसके इस्तमाल से विस्फ़ोट, धमाका, मौतें, गाडियों के परखच्चे ... वगैरह वगैरह ..... "लैंड माईंस" एक ऎसा हथियार जिसके हमले से सामने वाली पूरी-की-पूरी टीम धवस्त और अपनी टीम पूरी तरह सुरक्षित ..... आज तक लगभग सभी नक्सली हमले "लैंड माईंस" के कारण ही सफ़ल हुये और पुलिस असफ़ल ......... नक्सली अक्सर "लैंड माईंस" के लिये कच्ची अथवा टूटी-फ़ूटी पक्की सडक का चयन करते हैं .... साथ ही साथ उस सडक के "जिग-जैक"... "यू" आकार ... या फ़िर उतार-चढाव वाले सडक के हिस्से का चयन खासतौर पर किया जाता है ..... ये कार्य अत्यंत गोपनीय तौर पर कुछ विशेष नक्सलियों की टुकडी द्वारा ही संपादित किया जाता है !
कस्तूरबा गांधी की जयंती पर आकांक्षा जी का यह आलेख देखें ...
कहते हैं हर पुरुष की सफलता के पीछे एक नारी का हाथ होता है. एक तरफ वह घर की जिम्मेदारियां उठाकर पुरुष को छोटी-छोटी बातों से सेफ करती है, वहीँ वह एक निष्पक्ष सलाहकार के साथ-साथ हर गतिविधि को संबल देती है. महात्मा गाँधी के नाम से भला कौन अपरिचित होगा. उनकी जयंती से लेकर पुण्यतिथि तक बड़े धूम धाम से मनाई जाती है, पर जिस महिला ने उन्हें जीवन भर संबल दिया, उन्हें कोई नहीं याद करता. तो आज बात करते हैं गाँधी जी की धर्म पत्नी कस्तूरबा गाँधी की, जिनकी आज जयंती है.
ललित जी के ब्लॉगिंग से विदाई के दर्द से भरी पंक्तियों पर एक नजर ....
दर्द तेरे जाने का, कैसे सहूँगा मैं
ओ जाने वाले इतना कहूँगा मैं
कभी दिल कहे तो लौट आना,
ओ तेरे इंतजार में रहूँगा मैं
छोड़ चला है जिस घर को
वहाँ कैसे अकेला रहूँगा मैं
संजीव तिवारी जी अपना नाम गलत लिखे जाने से परेशान हैं ....
ये सागर नाहर जी के साथ्ी ही क्यूं होता है ......
वक्त के महत्व पर खुशदीप सहगल जी लिखते हैं ....
वक्त बदलते देर नहीं लगती...जो आज है वो कल नहीं था...जो आज है वो कल नहीं रहेगा...
अमेरिका...दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र...
भारत...दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र...
अमेरिका को विश्व में सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है...भारत विकसित देश बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है...ये स्थिति उलट भी सकती है...कैसे भला...वो ऐसे..
रविश कुमार जी की पोस्टों के माध्यम से अजीबोगरीब गलियों में घुम आइए ....
पहाड़गंज पर रिपोर्ट करने के सिलसिले में कटरा राम गली गया था। एक के ऊपर एक बने कमरे। २७ कमरों में पांच सौ लोग रहते हैं। एक कमरे में तीन शिफ्ट में परिवार सोता है। जीवन का ग़ज़ब का उत्सव दिखता है। लोगों ने जगह की तंगी के बाद भी कुत्ते पाल रखे हैं,मुर्गे हैं और छत पर सैंकड़ों कबूतर। आंगन की पूरी दीवार कपड़ों से ढंकी हुई है। एक सज्जन ने कहा कि पैंतीस रुपया किराया है। कोई वसूलने भी नहीं आता। किसी ने यह भी कहा कि मामला अदालत में है इसलिए ऐसा हाल है। लेकिन कटरों की ज़िंदगी की ख़ूबसूरती को नए सिरे से देखना चाहिए। इन तंग घरों की इतनी बेहतरीन सजावट की गई है कि क्या कहें। कोई जगह को लेकर रोता हुआ नहीं आया।
सभी पाठको को संगीता पुरी का राम राम ... फिर मिलेंगे अगले सोमवार !!
6 टिप्पणियाँ:
nice
बहुत बढ़िया चर्चा, बधाई.
सबसे अच्छी चर्चाओं में से एक यह लेख, अछे लिनक्स के साथ साथ आपका अपना प्रभाव भी छोड़ता है ! शुभकामनायें !
चर्चा बढ़िया रही...बधाई
संगीता जी, बहुत ही बढ़िया चर्चा की आपने...अनेकों बधाई..
Adaraneeya Sangeeta ji,
bahut achchhee aur sargarbhit charcha kee hai apane blogs kee hardik badhai.
Poonam
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