ब्लाग 4 वार्ता का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार,आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
छत्तीसगढ़ को नक्सली समस्या से निजात दिलाने का काम सरकार तो नहीं कर पा रही है, ऐसे में अपने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पोती तारा देवी गांधी अब नक्सलियों से चर्चा करने तैयार हैं। वैसे तो नक्सली किसी की बात सुनने वाले नहीं हैं, लेकिन कम से कम एक और गांधी को तो जरूर इस समस्या की चिंता है। तो चलिए चलते हैं आज की चर्चा की तरफ- ललित डाट काम पर लौटे ललित और कह रहे हैं- जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे!!!
अमीर धरती गरीब लोग में अनिल पुसदकर बता रहे हैं- हिंसा से दुःखी बापू की पोती मिलना चाहती है नक्सलियों से!
अमीर धरती गरीब लोग में अनिल पुसदकर बता रहे हैं- हिंसा से दुःखी बापू की पोती मिलना चाहती है नक्सलियों से!
बापू की पोती तारा देवी भट्टाचार्य छत्तीसगढ आई।वे यंहा बा के जीवन पर कस्तुरबा आश्रम मे लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आई थी।वे प्रेस क्लब भी आई और उन्होने समाज मे हो रहे बदलाव पर बेबाक राय व्यक्त की।
आज के जमाने में अगर जीना है तो जमाने के चलन को अपनाना ही पड़ेगा। आज आप आगे तभी बढ़ सकते हैं जब अपने घर में रोशनी करने के लिये दूसरे के घर को जला देने में आपको जरा भी झिझक न हो। अपने सौ रुपये के फायदे के लिये...
तेरी सूरत न दिखे वो मेरा नज़ारा नहीं काम के बिना यहाँ कोई गुज़ारा नहीं तू दूर खड़ा देखता ये तो सहारा नहीं हम तेरे हो गए हैं क्यूँ तू हमारा नहीं बात दिल की मान लें इतने नाकारा नहीं मौत से अब खौफ क्या
नया जमाना में पिछड़े समाज में श्रेष्ठ कलाओं का जन्म कैसे हुआ ?
मार्क्सवादी नजरिए से प्राचीन साहित्य की यह सार्वभौम विशेषता है कि इसमें मनुष्य के उच्चतर गुणों का सबसे सुंदर वर्णन मिलता है । उच्चतर गुणों के साथ ही साथ मानवीय धूर्तताओं,कांइयापन और वैचारिक कट्टरता
अब आएगा ऊँट पहाड़ के नीचे
आई0पी0एल0 के सेमीफाइनल और फाइनल के दिन पास में आने लग तो उससे जुड़े कुछ लोगों के लिए भी सेमीफाइनल और फाइनल जैसी स्थितियाँ सामने आने लगीं हैं। शशि थरूर को पैगाम मिला और अब ललित मोदी भी फंदे में आते दिख रह..
जनवादी कवि नासिर अहमद सिकंदर पन्द्रह वर्ष पूर्व कवियों पर एक स्तंभ लिखते थे । नवभारत में वे प्रति सप्ताह एक कवि से साक्षात्कार लेते थे । यह लोकप्रिय स्तंभ था । नासिर का सीना वैसे भी चौड़ा है मगर उन दिनों
4 अप्रैल 2010 को रायपुर से प्रकाशित दैनिक, अमृत संदेश में ललितडॉटकॉम की एक पोस्ट
गत्यात्मक ज्योतिष में संगीता पुरी बता रही हैं- आखिर 'वेद अमृत' जैसी स्वच्छ धार्मिक पत्रिकाएं क्यूं नहीं चलती हैं ??
वर्ष 2002 तक या उसके बाद भी मैं कुछ घरेलू पत्रिकाएं पढा करती थी। 2002 के दिसंबर माह में एक पत्रिका 'मेरी सहेली' के साथ 'वेद अमृत' नाम की पत्रिका का लघु संस्करण प्राप्त किया था। उस छोटे संस्करण में नाम
कब आयेगी बेला मिलन की ….?परम प्रिय परमात्मा से विलग जीव, जग-जंजाल में उलझा तो रहता है, किन्तु प्रियतम से मिलन के लिए आत्मा की आकुलता कभी कम नहीं होती! इसी भाव को संजोये प्रस्तुत है, एक सूफी गीत! आपकी प्रति...
सुबह परीक्षा ने तारे दिखा दिया, भला हो पानी पिलाने वाली आंटी का, तीन घंटे में ८-९ बार चक्कर लगाये और इतनी आत्मीयता से बच्चो को पानी पिला रही थी जैसे अपने बच्चे हो!! मुन्नाभाई ने सिखाया था --- सबको थैंक्यू ...
जब-जब भी आइने में खुद को देख लेती हूँ तो रातों की नींद उड़ जाती है। दूसरे दिन से ही मोर्निंग वाक शुरू हो जाता है। लेकिन फिर एकाध प्रवास और घूमना निरस्त। कम्प्यूटर छूटता नहीं और फेट बढ़ने का क्रम टूटता नही...
मद्रास प्रेसीडेंसी में थॉमस मनरो आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए अगले वर्ष 1816 में अनेक महत्वपूर्ण विनियम जारी किए गए। विनियम-4 के द्वारा गाँव के मुखिया को मुंसिफ नियुक्त कर उसे 10 रुपए मूल्य तक के दीवानी वादों को निर्णीत करने की शक्ति प्रदान की
प्रिय ब्लागर मित्रगणों,हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं
अब आपसे लेते हैं हम विदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
7 टिप्पणियाँ:
बढ़िया चर्चा..काफी नये लिंक मिल गये.
bahut acchi rahi aapki charcha....
lalit ji ko bahut badhai unki pravishthi ke chhapne ki...
aapka aabhar..
बढिया चर्चा की है आपने राजकुमार जी
आभार
बहुत बढिया चर्चा !!
अति सुंदर चर्चा.
रामराम.
बढ़िया चर्चा
अर्ध शतक+2 पर बधाई
ओपनिंग बैट्समेन यशवंत मेहता"फ़कीरा" को एवं ब्लाग वार्ता के समस्त सदस्यों को अर्ध शतक+2 पोस्ट होने की हार्दिक बधाई।
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