संध्या शर्मा का नमस्कार...मित्रों आज है रविवार मतलब आराम और फुर्सत का दिन, उसपर बरसात का मौसम तो बाहर आना - जाना कम ही होगा. हाँ फेस बुक पे आज खूब भीड़ होगी. ज्यादा भीड़-भाड़, शोर - शराबे से तो अच्छा है, कुछ सृजनात्मक कार्य किया जाये. देखिये ब्लॉग पोस्ट भी कम हो रही हैं, तो क्यों ना आज कुछ लिखा जाये. चलिए हम इन खूबसूरत लिंक्स के साथ एक बढ़िया माहौल तैयार कर देते हैं, लीजिये प्रस्तुत हैं आज की वार्ता.
बाबा का योग ना बाबा ना .... अब मुझे तो नहीं पता  कि ये कौन सा आसन है  यहां नलके भी प्यासे हैं                         * * * * ** * * * * * * *देखिए मेरे शहर का हाल कैसा है * * * *यूं तो मेरे शहर के मिज़ाज़ , अच्छे खासे हैं , तकलीफ़ है तो बस इतनी , यहां नलके भी प्यासे हैं ॥  उसके आंसू ...!                         -                        काजियादो जिले में मशुरु के पास इसेलेंकेई नाम की एक जगह है , जहां नदी तट पर  अकेशिया के दरख्तों का बहुत बड़ा झुरमुट और उस झुरमुट में एक विशाल दरख्त के  नीचे ....
अल्ला मेघ दे पानी दे . . .                         -                       कई दिनों से बारिस का इंतजार है, 20 -21 जून को अच्छी बारिस हुई थी सो किसानों  ने धान की बोनी शुरू कर दी. अब मौसम ने फिर यू टर्न ले लिया है यानी फिर वही  गर्मी...कहीं ना कहीं कोई ना कोई तो जरूर है......                         -                         श्रीगंगानगर-चमत्कार होते हैं और संयोग भी। इनके बारे में पढ़ा भी और सुना भी।  सृष्टि में कहीं न कहीं कुछ ना कुछ ऐसा जरूर है जो केवल अपनी मर्जी करता है।  उसकी...  .मेरे ही जैसा                         -                         एक शाम घुमने को मैं निकला.... एक शख्स मिला - जिसे मैं नहीं जनता था मगर उसके मिलने को जानता था...
क्षणिकायें                         -                          (१) वक़्त के पन्ने  हो गये पीले, जब भी पलटता हूँ होता है अहसास  तुम्हारे होने का.      (२) तोड़ कर आईना बिछा दीं किरचें फ़र्श पर, अब दिखाई देते  अपने चारो... बात तो दिमाग के खुलेपन की है ....                         -                        गत 25 माई को राजस्थान की एक * *दिलेर जांबाज सुपुत्री  दीपिका राठौर ने  एवरेस्ट पर फ़तेह हासिल कर इस स्थान पर झंडा फहराने वाली पहली राजस्थानी महिला  होने का ...छू सकते आसमान                         -                       छू सकते आसमान     जो मिला ही हुआ है   नहीं देखते आँख उठाकर भी  उसकी ओर..  बिछड़ने ही वाला है जो   थामना चाहते हैं उसे   जो है, स्वीकार करने में उसे   नहीं ...  
पहिये                         -                        रस्ते में दिखते हैं रोज ही कांपते/हाँफते/घिसटते/दौड़ते अपनी-अपनी क्षमता/स्वभाव के अनुरूप सड़कों पर भागते पहिये।  इक दूजे पर गुर्राते/गरियाते पीछे वाले के ...  वजूद ...........                         -                          *न मैं लैला,न मजनू तुम* *न मैं हीर, न ही फरहाद तुम * *जीवन की आपधापी में* *हमारा प्यार परवान न चढ़ सका,* *मोहताज़ हो गया खुद अपना....* *खुद अपना ही !!* ... अजनबी ,जो साथ चल रहा है....                         -                       *कहते हैं हर रिश्ता मोहब्बत पर टिका होता है .....मगर कुछ रिश्तों की आदत पड़  जाती है........फिर उनमे प्यार हो न हो वे टूटते नहीं.......एक दूसरे की कोई  खास ज..
मजबूरी...                         -                        बूँद... बड़ी उम्मीद से निकली थी घर से... सोचा था एक दिन कोई नदी ब्याह लेगी उसे... फिर एक सागर की हो जाएगी... उसे मालूम न था... शहर की सड़कों में गढ्ढे बड़े ... हिंदी ब्लॉगर को प्रताड़ित करता अंग्रेजी विकिपीडिया.                         -                       *भारत भूमि में कोई एक बिस्मिल नहीं पैदा हुआ। हर दिन एक भगत , एक अशफाक और  बिस्मिल पैदा होते हैं यहाँ। जिसकी जीती-जागती मिसाल हैं हमारे हिंदी ब्लॉगर -  डॉ एम्...  .तत्काल नियम और सख्त                         -                                       जिस तरह से तत्काल टिकट मिल पाना आम यात्रियों के लिए एक सपने  जैसा ही होता चला जा रहा था उस स्थिति में रेलवे ने एक बार फिर से इसके नियमों  में...  
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी                         -                          * * *शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....* *क्यूँ बेचैन है दिल तुम्हारे लिए* *तुम जो बहुत दूर हो मुझसे...* *शायद || तुम तक पहुँचना भी * *मेरे लिए..प्रदूषण ही प्रदूषण  .. 2  ..                         -                        हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि प्रकृति कभी किसी को दोष नहीं देती , लेकिन  वह बदला भी आसानी से ले लेती है . इस दिशा में यूरोप को तो यह बात नहीं भूलनी  चाहिए ...  अपने बच्चों के लिए थोडा और बलिदान करें....  .क्या आपको याद है थियेटर या सिनेमा हॉल में जब आपने पहली फिल्म देखी  थी तब आपकी उम्र क्या थी...  खैर छोडिये अगर याद नहीं है तो...  अक्सर मैं  देखता हूँ, कई लोग गोद में छोटे बच्चों को लेकर फिल्में दे....
पैचान कौन ...
 
 अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ........
 







 
   

 
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6 टिप्पणियाँ:
बहुत प्यारी वार्ता संध्या जी.....
हमारी रचना को स्थान देने के लिए आपका शुक्रिया.
सस्नेह
अनु
अच्छे लिंक्स से सजी,
अच्छी वार्ता
वाह, बहुत बढिया वार्ता, सप्ताहांत की शुभकामनाएं
रोचक वार्ता..
बहुत बढिया वार्ता.
बढ़िया लिंक्स के साथ अच्छी रही वार्ता.
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