शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

तुम्हारी याद ने पहुँचा दिया पनघट पर... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... प्रकृति में व्याप्त तत्व- झील, नदी, झरने, पहाड या पेड.. ईश्वर के ही रूप हैं। मनुष्य को ईश्वर की अनुभूति भी सबसे पहले इन्हीं रूपों में हुई है। पेडों-नदियों से लेकर अग्नि, सूरज, चांद जैसे प्राकृतिक शक्तियों की अर्चना और इनके प्रति आस्था इसका प्रमाण है। अगर हम सच्चे अर्थो में आस्तिक हैं तो हमें प्रकृति के विभिन्न तत्वों की सुरक्षा करनी चाहिए। ईश्वर ने हमें जो कुछ दिया है, हम उसे उसके मूल रूप में रहने दें, इससे बडी पूजा दूसरी नहीं हो सकती। इस सन्देश के बाद चलते हैं, जीवन  के विभिन्न रंगों से भरे ब्लॉग लिंक्स  पर ब्लॉग 4 वार्ता के साथ...   

जज्बा प्यार का * *** *भावनाएं हो तरंगित *** *लेती हिलोरें मन में *** *जल में उठती **लहरों सी *** *होती तरंगित दौनों ओर *** *सामान रूप से *** *जब होती आंदोलित * ***बांधती उन्हें *** *अगाध प्रेम के बंधन में *** *छोड़ती अमित... आस एक अनपली रह गयी आस एक अनपली रह गयी एक कथा अनकही रह गयी व्यथा एक अनसुनी रह गयी, जिसने कहना सुनना चाहा वाणी उसकी स्वयं सह गयी ! एक प्रश्न था सोया भीतर एक जश्न भी खोया भीतर, जिसने उसे जगाना चाहा ..मंज़िल के पार  -अनचाहे इस दुनिया मे आने के बाद अब धधक रहा है ज्वालामुखी 'उनकी' अपेक्षाओं का अरमानों का और मेरे अनगिने सपनों का वक़्त की बुलेट ट्रेन पर..

पत्थर मारकर, फोड़कर रख दूंगा किसी दिन, किसी के दमकते चाँद को ! .न कोई फितूर पालता हूँ, न ही बेवजह किसी चीज पर हाथ डालता हूँ, * *हाँ, नजर आये सामने कोई शीशा अगर, हर पत्थर तबियत से उछालता हूँ !* * * *सटीक हर निशाना साधते है मेरे हाथ, जो शीशे की परख जानते है,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही नहीं, विश्वसनीयता भी ज़रूरी हम सबका का देखा, जाना और माना एक सच यह है कि हर भारतीय को हर हाल में कुछ कहना होता है । हमारे विचार प्रवाह की तीव्रता इतनी अधिक है कि कभी किसी विषय को लेकर अधिवक्ता बन बहस करने लगते हैं तो कभी स्वयं ही... ..माँ छिन्नमस्तिके मंदिर (झारखण्ड )  आइये आपको ले चलते है झारखण्ड प्रान्त के रामगढ जिले के माँ छिन्नमस्तिके मंदिर में, यह मंदिर दामोदर और...

पी.एच.डी PhD की दुकान  कोयम्बटूर से ट्रेन में सवार हुआ, अपनी सीट संभाली। सामने की बर्थ पर सम्भ्रांत किस्म का एक जोड़ा बैठा था, जिसकी उमर 45 के आस पास होगी। उन्होने मुझसे पूछा कहां तक जा रहे हो? मैने कहा- विजयवाड़ा, तीन दिनों की..... बिन भक्ति ज्ञान अधूरा  * * * * *भक्ति और ज्ञान यूँ तो एक दूसरे के पूरक हैं मगर सिर्फ ज्ञान हो और भक्ति नहीं तो अधूरापन रह ही जाता है मगर यदि भक्ति हो तो ज्ञान खुद आ जाता है सिर्फ इतना ही फर्क है लेकिन दोनों के अस्तित्व की जरूरत... पहुँचा दिया पनघट पर  शीर्षक ही आप सबके लिए खुश खबर है। खुश खबर भी दोहरी। पहली तो यह कि आप सबकी भावनाओं ने यथेष्ठ प्रभाव डाला और ‘वे दोनों’ न केवल निर्णय पर पहुँच गए अपितु जैसा आपमें से अधिसंख्य ने चाहा था, उसी निर्णय पर पहुँ......

गैंग ऑफ वासेपुर गैंग ऑफ वासेपुर देखना अपने आपमें एक बड़ा रोमांचक अनुभव है। सिनेमा देखते हुए यद्यपि उसकी विवरणात्मकता में जाने की जहमत कोई उठाना नहीं चाहता और जिस तरह से एक सेकेण्ड में बत्तीस फ्रेम निगाहों से गुजर जाते ह...वे ट्रेन के सहयात्रीएक बार अदा से बात हो रही थी और अदा ने कहा...'तुम फिल्मो पर इतना लिखती हो..मेरी फेवरेट फिल्म पर भी लिखो ना"..और एक पल को मेरी सांस रुक गयी..'राम जाने किस फिल्म का नाम लेगी और अगर वो फिल्म मेरी पसंद की नही...‘मानसर’ की खोज मेंमा *नसर* का उल्लेख जायसी के पद्मावत में आता है । दरअसल यह* ‘मानसरोवर’* का लोकरूप है । ‘मानसरोवर’ ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर पढ़ा-लिखा भारतीय परिचित है । *मानसरोवर* सुनते ही हिमाच्छादित...

न्यू मीडिया अपने उत्तरदायित्वों को न भूले बालेन्दु शर्मा दाधीचनई दिल्‍ली। ब्लॉगिंग, सोशियल मार्केटिंग और न्यू मीडिया से जुड़े दूसरे माध्यमों का अपनी अभिव्यक्ति के लिए इस्तेमाल करते समय जिम्मेदारी से काम लेने की जरूरत है क्योंकि इंटरनेट हमें जितन...रोम की बांसुरी, फ्रांस का केक, भारत की आइसक्रीमसुनते आ रहे हैं कि जब रोम जल रहा था तो सम्राट नीरो बांसुरी बजा रहा था और जब फ्रांस की जनता को रोटी के लाले पडे हुए थे तो वहां कि रानी ने उन्हें केक या पेस्ट्री खाने की सलाह दे डाली थी। ऐसी बातें सुन, ऐसे ...दायरेजन्म से पूर्व माँ के गर्भ से आदत बन गया दायरे के भीतर जीना जीते रहे इसी दायरे में साथ-साथ जीते-जीते हिस्सा बन गया जीवन का जन्म के बाद भी मुक्त ना हो सके कई बार सोचा मुक्त हो जाऊं खुलकर सांस लू...

समलैंगिगता, बायोलोजिकल और साइकोलोजिकल इम्बैलेंसहर मनुष्य में स्त्रियोचित गुण और पुरुष के गुण होते हैं। पुरुषों में पुरुषत्व ज्यादा होता है और स्त्रियों में स्त्रीत्व की अधिकता होती है। लेकिन कुछ पुरुष जो शारीरिक रूप से तो पुरुष होते  हैं लेकिन उनमें स्त...नहीं भूलता वो दिन...12 जुलाई 2009। रविवार का दिन। रविवार होने के कारण देर तक सोने की चाह थी पर सुबह छह बजे फोन की घंटी ने उठा दिया। पहली खबर मिली मानपुर (राजनांदगांव जिले का नक्‍सल प्रभावित इलाका) के मदनवाडा में नक्‍सलियों न...सरेआम औरतों के कपड़े उघाड़ने पर तुला है सूचना तंत्रएक महिला के गर्भ में दो जुड़वां भ्रूण आपस में बात कर रहे हैं । देखो- देखो गुप्ताजी आए !’’ दूसरा कहता है, ‘‘धत्त, ये तो पापाजी हैं । गुप्ताजी तो बरसाती पहन कर आते हैं ।’’ अश्लीलता ...

इस बार संजीवनी न मिली हनुमान कोदारा सिंह (19 November 1928-12 July 2012)* बॉलीवुड के दिग्गज दारा सिंह जी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे 'रुस्तम ए हिंद' ने आखिरी सासे लीं। ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बा...फोटो खिंचवाना एक अदा हैफोटो खिंचवाने की अदा के बाद आइये अब जानते हैं , फोटो खींचने की कला के बारे में .* यूँ तो हम कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं . लेकिन लोग कहते हैं , हम फोटो अच्छे खींचते हैं . अब आपने कहा और हमने मान लिया . ...

कितना कम जानते हैं हम ज़िंदगी को...बच्चों की आवाज व अनुभवों को कक्षा में अभिव्यक्ति नहीं मिलती. प्रायः केवल शिक्षक का स्वर ही सुनाई देता है. बच्चे केवल अध्यापक के सवालों का जवाब देने के लिए या अध्यापक के शब्दों को दोहराने के लिए ही बोलत...और फिर तुम्हारी याद !और फिर तुम्हारी याद !* *एक छोटा सा धुप** **का** **टुकड़ा** **अचानक ही फटा हुआ आकाश** **बेहिसाब बरसती** **बारिश...अब के सावन*सोचा था*** *अब के*** *सावन का नज़ारा*** *कुछ और होगा*** *इस बारिश की*** *नन्ही बूंदों से*** *खेलूंगी मैं ....*** *इन पर्वतों पर*** *मचलते बादलों संग*** *झूमूंगी मैं ...*** *तेरे ...

चलते चलते व्यंग्य चित्र

मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार .........

17 टिप्पणियाँ:

आज दिन में क्‍या पढूँ - यह तय करने में आपने बडी मदद कर दी। मेरे लिए किए गए आपके परिश्रम को नमन।

मेरे ब्‍लॉग को शामिल करने और मान देने के लिए धन्‍यवाद और आभार।

'वार्ता' के नाम से आए मेल में आज मुझे श्री आभास जोशी का 'बायो डाटा' मिला है। शायद कहीं कोई चूक हो गई है। सूचनार्थ।

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अच्‍छे संदेश के साथ शुरूआत ..

बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स भी मिले ..

बढिया वार्ता के लिए आभार संध्‍याजी !!

बढिया वार्ता के लिए आभार संध्‍या जी, सुप्रभात

बहुत अच्छी वार्ता संध्या जी....
सभी लिंक्स बेहतरीन.

शुक्रिया
सस्नेह
अनु

आभार इस प्रस्तुति के लिए संध्या जी !

वाह ... बेहतरीन लिंक्‍स लिये अनुपम प्रस्‍तुति।

बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स .........सुंदर वार्ता

दिलचस्प वार्ता...बेहतरीन लिंक्स....धन्यवाद!

न्यू मीडिया अपने उत्तरदायित्वों को न भूले बालेन्दु शर्मा ने सही चेताया है

अब सोने जाता हूं शब्बा खैर

कोई बात नही कुछ ब्लाग कल देखूंगा

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More