शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

आखिर थक कर सो जाओगे -- ब्लॉग4वार्ता - ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, कहीं आप इन 22 लोगों में से तो नहीं हैं? जानने के लिए देशनामा पर जाएं, अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान कई विवादित टिप्पणियां कर उनके समर्थकों की नजर में खलनायक बने कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अब फेसबुक, यू-ट्यूब, ऑर्कुट व ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किग वेबसाइटों के खिलाफ मानहानि की कार्रवाई शुरू की है... सिंह ने इन वेबसाइटों के साथ-साथ इनके जरिए टिप्पणी करने वाले 22 लोगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया है...

प्रयोग की वस्तु -महापुरुषों के नाम से परे उनके मर्म को समझना होगा। बिना मर्म समझे महापुरुषों के नाम का महिमामंडन और उनका अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिये समुचित बटवारा। पता नहीं कि हम उनके बताये हुये मार्ग पर चलना चाह रहे हैं या उनके नामों को सीढ़ी की तरह प्रयोग कर ऊपर बढ़ना चाह रहे हैं। यदि कहीं वे ऊपर बैठे हमारे कर्मों को देख रहे होंगे तो निश्चय ही अपने नाम का प्रयोग देख विक्षुब्ध हो गये होंगे। उनके अपने जीवनों में भी सिद्धान्त सर्वोपरि थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे।

इंजन पर शैतान का साया -D326 यह नम्बर है एक इंजिन का। जो शायद दुनिया का सबसे 'कुख्यात' रेलवे इंजिन है। आज भी इंग्लैंड के लोगों का मानना है कि इस पर किसी शैतान का साया था। यह धारणा ऐसे ही नहीं बन गयी थी, इसके पीछे बहुत सारे ठोस कारण थे।कोलकाता यात्रा- कालीघाट मन्दिर, मेट्रो और ट्रामकलकत्ता यात्रा- दिल्ली से हावडा 22 अगस्त को सुबह सवेरे साढे छह बजे जैसे ही नई दिल्ली-हावडा एक्सप्रेस (12324)हावडा स्टेशन पर पहुंची और जाट महाराज ने कदम जमीन पर रखे तो पश्चिमी बंगाल भारत का ऐसा महसूस करने...साथी शिवराम की स्मृति मेंआज फिर एक अक्टूबर का दिन है, मेरे लिए और श्रमजीवी वर्ग के बहुत से साथियों के लिए एक काला दिन। पिछले वर्ष इसी दिन ने प्रिय साथी, मार्गदर्शक, नाट्यकार, कवि, आलोचक, सिद्धान्तकार, संगठन कर्ता और नेता *शिवर...

शतश: प्रणामओ आज़ादी के दीवानों , ओ स्वातंत्र्य युद्ध के वीरों , ओ रणचण्डी के खप्पर को भरने वाले रणवीरों ! देकर तन मन धन की आहुति जीवन यज्ञ रचाने वालों , अपने दृढ़ निश्चय के दीपक जला पंथ दिखलाने वालों ! बने नींव के पत्..ताऊ आज ताई के हाथों पिटेगा या बचेगा?ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की जान खतरे में डालकर किसी ने जबरदस्त साजिश करके बदला लेने की कोशीश की है. महाशरीफ़ और निहायत ही नेक इंसान, धर्मपूर्वक ब्लाग प्रजा पालक ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र के साथ जिसने भी ऐसा किया ..मेरे गुरु की नगरी~श्री हजूर साहेबतख़्त श्री सचखंड साहेब 'नांदेड ' * * * *गुरुद्वारा --सचखंड * * * *"किसी भी कौम का इतिहास उस कौम का आधार होता हैं अतीत में खो चुकी अहम धटनाओ को इतिहास अपने आप में समेटे हुए रहता हें --इसी इतिहास में से ...

झोला छाप ही नहीं , सड़क छाप डॉक्टर भी होते हैं यह तो हम सभी जानते हैं कि जिनके पास मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं होती, लेकिन फिर भी मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं , उन्हें *झोला छाप डॉक्टर *कहते हैं । लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके पास न तो डिग्री होती है , ..वहां चलती होगी तुम्हारे आस-पास.जयपुर के 'गेस्ट-हाउस' से लिखी हुई........एक पुरानी चिठ्ठी मिली तो मन हुआ पोस्ट करने का ............ वहां चलती होगी तुम्हारे आस-पास......... आश्विनी बताश और हवा मिलती नहीं यहाँ, लेने को सांस. खिड़कियों..यात्रा संस्मरण : यात्रा करना भी अब भगवान भरोसे है ...रविवार की अलसुबह मुझे आवश्यक कार्य से सागर जाना था . दो दिन तक आवश्यक कार्य निपटाने के बाद मुझे भोपाल जाना था और उसके उपरांत उज्जैन की यात्रा पर निकलना था . किसी ने मुझे बताया की सागर सड़क मार्ग से भोपाल पह..

आखिर थक कर सो जाओगेअँधेरे में दीवार का रंग साफ़ नहीं दिख रहा था. पच्चीस कदम दूर, उस दीवार की ईंटें बायीं तरफ से गिरी हुई थी. फ्रिल वाली स्कर्ट पहनी हुई नवयौवना उस लड़के तक जाना चाहती थी. लड़के का मुंह पूरब दिशा में था औ..अगंभीर घटनाओं का गंभीर लेखककृति विमर्श कार्यक्रम के अंतर्गत बीते दिनों लघुकथाकार आलोक कुमार सातपुते की अब तक प्रकाशित चार कृतियों पर विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम जनता स्कूल, भिलाई-3 में हुआ। इस अवसर पर मराठी अनुवादक भीमराव ग...२जी विवाद और कानूनी पेंचजिस तरह से २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में रोज़ ही नयी बातें सामने आती जा रही हैं उनसे यही लगता है कि राजस्व से जुड़े इतने बड़े मसले को वर्तमान सरकार के साथ पिछली कई सरकारों ने बहुत हलके से लिया जिस कारण से ...
राम राम, अब मिलते हैं ब्रेक के बाद

5 टिप्पणियाँ:

अच्छे लेखों और लिंक्स का संकलन |
आशा

बहुत सार्थक वार्ता है ललित जी ! 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना का आपने चयन किया आभारी हूँ ! नवरात्रि की सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनायें !

भाई जब आज आँख खुली तो जबलपुरिया ठंडी हवाओं का सामना करना पड़ा ... अच्छा लगा की आज जबलपुर में सुख चैन से हूँ ..यात्रा संस्मरण को स्थान देने के लिए धन्यवाद...आभार

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