बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

जूते से हमला : ये तो होना ही था..कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है ..ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , एक कार्यक्रम के दौरान लखनऊ में एक युवक ने टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल पर चप्पल से हमला कर दिया। अरविंद केजरीवाल पहले ही आशंका जता चुके हैं कि उन पर भी प्रशांत भूषण की तरह हमला हो सकता है। कश्मीर पर विवादित बयान देने के बाद प्रशांत भूषण पर हमला हुआ था। किरन बेदी ने कहा कि केजरीवाल पर किया गया हमला निंदनीय है और इस तरह की सोच को बदलने की जरूरत है।  अन्ना ने यह  लिखा कि जनलोकपाल के लिए उनकी टीम लाठी क्या गोली भी खाने के लिए तैयार है। अन्ना हजारे ने लिखकर बयान देते हुए कहा कि यह अरविंद केजरीवाल नहीं लोकतंत्र पर हमला है। आगे देखना है कि यह आंदोलन क्‍या मोड लेता है , इस खबर के बाद आपको लिए चलते हैं , आज की वार्ता पर ....

जूते से हमला : ये तो होना ही था...टीम अन्ना को देश के युवाओं ने पहले सिर पर बैठाया, अब यही नौजवान अन्ना की टीम के अहम सहयोगियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन पर हमले किए जा रहे हैं और हमला करने वाले कोई और नही...
अन्ना टीम अब कुछ दिनों अपने सदस्यों का आकलन करे  प्रथम दृष्टया अरविन्द केजरीवाल पर हमले का कोई निष्कर्ष सामने नहीं दीखता है पर इस तरह की विरोधात्मक शैली का विश्लेषण करना जरूरी है...अन्ना टीम के सदस्य संयमित हो सकते हैं
कापी टू अन्‍ना हजारे, रालेगन सिद्धी आज दोपहर बाद नगर पालिक निगम, भिलाई के भवन अनुज्ञा शाखा कुछ काम से जाना हुआ। कार्यपालन अभियंता सह भवन अधिकारी महोदय के पास बैठा ही था कि एक व्‍यक्ति अंदर आया और अपना परिचय भवन अधिकारी को दिया। 
अन्ना कृष्ण हो सकते हैं पांडव कहां से लाएं...खुशदीप जिसका आगाह मैंने किया था, वही टीम अन्ना के साथ हो रहा है...सियासी तिकड़में अन्ना हज़ारे को घेरती जा रही हैं...मैंने बीच में आलोचना की कसौटी पर टीम अन्ना को रखकर कुछ लिखने की कोशिश की थी 

कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है .......*कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है .......* * * *जिसे चुप रहना चाहिए देश के सुकून की खातिर, अमन ओ चैन की खातिर, जिसकी चुप्पी से चारों ओर सुख और शांति होती है, वह हर बात पर बोलता क्यूँ है ?*
पचमढ़ी यात्रा ४ शरद पूर्णिमा आने वाली थी आसमान में चाँद बादलों के साथ अठखेलियाँ कर रहा था.ठंडी हवा के झोंके कह रहे थे की थोड़ी देर हमारे साथ भी बतकही कर लो. पचमढ़ी एक छोटा सा शहर है. यहाँ के मूल निवासी भोले भाले हैं .
२२. ऊँचे ऊँचे टँगे कंदील खुशियों से आँगन भरने को, छोटे छोटे दीप सजे, ऊँचे ऊँचे टँगे कंदील। द्वार सजाएँ बंदनवार चमके घर-आँगन चम-चम माँ लक्ष्मी के पाँव सजाएँ कुल्हिया भरे बताशे खील आसमान से लिपटे आतिश तारे आए धरणी पर दीवाली की...

यह जीवन की कहानी है! एक एहसास जिसने बांधे रखा है जीवन को उसकी जय गानी है! बीतते समय की भीड़ में दो चार पल जो याद रहे वही असल जिंदगानी है! जब तक साँसे हैं तब तक लिखी जाएँगी नए ढंग से कही गयी हर बार पर बात वही पुरानी है! 
तू, आप और आत्मीयता किसको "आप" लगाकर संबोधित करें और किसे "तू" ये तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। वैसे हिंदी भाषा में "आप" सम्माननीय व्यक्तियों के लगाया जाता है और "तू" को हम उस व्यक्ति को संबोधित करने के लिए लगाते है...
लम्हें... जो हसीन हैं...वो लम्हे भी खुश्बू-ए-इश्क में, तब्दील हो जाते है, तुमसे मिलकर, तुम्हे छूकर, जो मेरे करीब़ आते हैं. लम्हों का रूख़, अब बदल गया, इश्क के रंग, जिस्म-ए-रूह, पर उड़ाते है. उनकी ख़्वाइश थी कि, वो मेरा हमसफ़र बनें...
मथुरा यात्रा के संस्मरण ...विगत मई माह में मथुरा वृन्दावन और हरिद्वार की यात्रा करने के इस माह की सात तारीख को फिर से मथुरा और वृन्दावन की यात्रा करने निकल पड़ा . दूसरे दी श्रीधाम ट्रेन से मथुरा सुबह आठ बजे पहुँच गया 
एक पिता की चिंता .........कूद कर मेरी बेटी का गोद में बैठ जाना गलें में बाहें डाल कर , कुछ माँगना और हँसकर,मेरा उसकी , मांग को पूरी करना | मगर आज, माँगा है उसने , सलवार और कुर्ता, फ्राक के बदले | क्योंकि वह हो गयी है बड़ी| 
पत्नी और पति कल मैने एक कविता पोस्ट की थी...पापा। जिसको आप सब ने खूब पसंद किया। उसी मूड में, उसी दिन, मैने दो कविताएँ और लिखी थीं। जिन्हें आज पोस्ट कर रहा हूँ। 
बतियाते बोलते अक्षर हिंदी रेडियो सेवा की तरफ़ से एक स्नेहपत्र वक्त ने हमें भी ,इक बार बस प्यार से जो थामा , उस वक्त से इस वक्त तक , बस होता रहा हंगामा जब से नेता जी लगे खेलने , चिट्ट्ठी चिट्ठी 
मात्र 20 वर्ष व्‍यतीत हुए ... और इनका जमाना आ गया !! अभी कुछ दिन पूर्व ही एलबम देखते हुए 20 वर्ष पुराने इस चित्र पर नजर पडी , इसमें रोता हुआ बच्‍चा मेरा बडा सुपुत्र है , जो अभी इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष का छात्र है , 
यूँ न रह रह कर हमें तरसाइए .... आइए! आ जाइए!  आ जाइए|| यादें .... आज मैं आप के लिए ...अपनी यादों के खज़ाने से ढुंढ के लाया हूँ ! 
उदास न हो मेरे नदीम मेरे हमसफर, उदास न हो। कठिन सही तेरी मंज़िल, मगर उदास न हो। कदम कदम पे चट्टानें खड़ी रहें, लेकिन जो चल निकलते हैं दरिया तो फिर नहीं रुकते। हवाएँ कितना भी टकराएँ आंधियाँ बनकर, 
एक बार मिल तो लो क्यों बहम मन में रखते हो क्यों इतना डरते हो एक बार मिल तो लो चंद बातें कर तो लो भ्रम मन के मिट जायेंगे दिल के डर निकल जायेंगे चमकते सूरज से नज़र आयेंगे दिल-ओ-दिमाग पर छा जाएँगे 
सीमान्त प्रान्तों के विकास में जल संसाधनों की भूमिका देश के सीमान्त प्रदेश अपनी प्राकृतिक समृद्धि से ओत-प्रोत हैं, मगर विकास के मानकों से काफी पीछे भी. 
नामलेवा माँगा होगा ना कितनी मन्नतों से बेटा तुमने !! होने को नामलेवा कोई तुम्हारे बाद भी ! लेकिन..! देख लो माँ और बता देना पापा को भी .. किया था न्योछावर अपना सब कुछ , उस बेटे की जिस संतान पर , 
अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता--(१) जीती जदयू की नई, दुल्हन जब इस बार | पितर-पाख में व्याह का, सीधा सारोकार | सीधा सारोकार, जरूरत सब की माता | अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता | रविकर कहे विचार, रही कुर्सी से प्रीती | 

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' -- ललित शर्मा जीभ गई स्वाद गया, आँख गयी संसार गया। संसार को देखने के लिए आँखों की जरुरत है। जिसकी आँखें नहीं उसे लाचारी का जीवन जीते देखा है, वह कहीं न कहीं कि्सी और पर आश्रित होकर जीवन बिताता है।
बचो! फेसबुक है धोखाधड़ी वाली वेबसाईट!! Norton ने कहापिछले माह 20-21 सितंबर की आधी रात को जब मैंने अपनी इस वेबसाईट को ऑनलाइन किया तो कुछ ही मिनटों के अन्दर एक ब्लॉगर साथी की शिकायत मिली कि आपकी वेबसाईट को खतरनाक घोषित कर रहा है गूगल! 
मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .......

6 टिप्पणियाँ:

जोरदार बढ़िया चर्चा की है ... काफी अच्छे लिंक मिले हैं ... आभार

सामयिक विषय पर बेहतर चर्चा। सभी तरह के विचार यहां शामिल हैं।
अच्छे लिंक्स

बहुत खूब संगीता जी , बढिया संकलन और प्रस्तुति । मेरी पोस्ट को स्थान देने का शुक्रिया

ये चर्चा लाजवाब है ... जबरदस्त ... मज़ा आ गया ...

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