बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा .. चांदनी में नहाने के दिन आ गए..ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , विवाह के बाद पहली बार नवरात्र में गांव जाने का कार्यक्रम बना , पहली बार गांव के दुर्गापूजा को देखने और और कुलदेवी की पूजा करने का मौका मिला। जीवन में पहली बार बाढ के दर्शन भी हुए । दूर दूर तक खेतों में धान की फसलों को नुकसान पहुंचाता पानी ही पानी देखने को मिला।  ऐसे दृश्‍य देखकर रास्‍तेभर सशंकित रही ,  आसपास घूमने फिरने का सारा कार्यक्रम रद्द करना पडा , पर सकुशल गांव पहुंच जाने से ही काफी राहत मिली। दरभंगा जिला स्थित हमारे गांव जाले में बाढ का बिल्‍कुल भी प्रभाव नहीं था , पर रास्‍ते में यत्र तत्र ऐसे भयावह दृश्‍य थे .......



 दशहरे के बाद घर से लौटने पर कंप्‍यूटर की समस्‍या से ही परेशान हूं , कुछ समस्‍याएं सुलझी हैं , कुछ अबतक बनी हुई हैं। फिर भी किसी न किसी उपाय से ब्‍लॉग जगत का भ्रमण जारी है , आज आपको लिए चलती हूं शरद पूर्णिमा के अवसर पर कुछ महत्‍वपूर्ण पोस्‍टों की वार्ता पर ....

हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में बारह पूर्णिमा आती हैं। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा का अनुपम सौंदर्य देखते ही बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्ण चंद्रमा के कारण वर्ष में आने वाली सभी 12 पूर्णिमा पर्व के समान ही हैं लेकिन इन सभी में आश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। यह पूर्णिमा शरद ऋतु में आती है इसलिए इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद ऋतु की इस पूर्णिमा को पूर्ण चंद्र अश्विनी नक्षत्र से संयोग करता है। अश्विनी जो नक्षत्र क्रम में पहला है और जिसके स्वामी अश्विनीकुमार है।


ज  शरद पूर्णिमा की रात है  , आसमान साफ होने के कारण पूर्णिमा की चन्द्रमा का सुहावना दर्शन हो रहा है . कहते है की आज की रात चन्द्रमा की  किरणों से अमृत की बूंदें टपकती है . कोई कैसे इस सुनहरे अवसर को चुकोना चाहेगा अतः सबने आसमान के नीचे छींकें में खीर का कटोरा टांग रखा है .


रात्रि में शीतलता का सुखद अनुभव तथा दिवस में भगवान भास्कर के किरणों की प्रखरता में ह्रास इस बात का द्योतक है कि पावस के पंक से मुक्ति प्राप्त हुए पर्याप्त समय व्यतीत हो चुका है। सरिता एवं सरोवरों का यौवन, उनके जल के सूखने से, क्षीण होते जा रहा है। असंख्य उड्गनों से युक्त घनविहीन निर्मल नभ सुशोभित होने लगा है। वाटिकाएँ अनेक प्रकार के पुष्पों से सुसज्जित होने लगी हैं तथा मधुकरों के गुंजन से गुंजायमान होने लगी हैं। यद्यपि शीत ऋतु की शुरुवात अभी नहीं हुई है किन्तु प्रातः काल की बेला में पुष्प-पल्लवों एवं तृणपत्रों पर तुषार के कण मोती के सदृश दृष्टिगत होने लगे हैं। 

अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इसे रास पूर्णिमा भी कहते है. शरद ऋतु में आमतौर मौसम साफ़ रहता है. आकाश में न तो बादल होते है और नहि धूल के गुब्बार. सम्पूर्ण वर्ष में केवल अश्विन मास की पूर्णिमा का चंद्रमा ही षोडस कलाओं का होता है. कहा जाता है कि इस पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है. इस रात्रि में भ्रमण करना और चन्द्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है. शरद पूर्णिमा की रात को ही भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज -बालाओं के साथ वृन्दावन में महारास किया था.रास-लीला की कथा इस प्रकार है:-

धन और पुण्य का गहरा संबंध है, यानी धनवान बनने का सकारात्मक पक्ष विद्या, शील व कुलीनता के रूप में सामने आता है। वहीं धनहीन होने पर ये तीनों गुण नष्ट हो सकते हैं।  धर्मशास्त्र भी पिछले जन्म के सद्कर्म वर्तमान में धन प्राप्ति का कारण बताते हैं और ऐसा धन ही पुण्य कर्मों की प्रेरणा भी। इस तरह जीवन में सारे कर्म-धर्म और कलाओं में दक्षता के पीछे धन की भूमिका अहम होती है। जीवन में धन की इसी अहमियत को जानते हुए धर्मशास्त्रों में अच्छे कर्म से धन संचय के उद्देश्य से कुछ खास घडिय़ों पर विशेष देव उपासना का महत्व बताया गया है। इसी कड़ी में शरद पूर्णिमा (आज रात) पर चंद्रदर्शन व देवी लक्ष्मी की उपासना का महत्व है।



आज शरद पूर्णिमा है मतलब क्वार (आश्विन ) माह की पूर्णिमा -स्निग्ध खिली खिली चांदनी पूरी रात ....गुलाबी जाड़े का संस्पर्श और खिली चांदनी आखिर क्यों न श्रृंगारिकता का उद्रेक करे ...फिर तो यही महारास भी होना था कृष्ण का ..दुग्ध धवल चांदनी में  काले गिरधारी का चेहरा निश्चय ही गोपियों को साफ़ शफ्फाक दिखता होगा और प्रेम आसक्ति का भाव गाढ़ा होता होगा ..कहते हैं इसी दिन ही रास नहीं कृष्ण महारास रचाते थे -रास में तो वे केवल राधा के साथ होते, महारास समस्त प्रेम विह्वल गोपियों का आह्वान था ....आज की चांदनी देखिये तो आपको खुद लग जाएगा कि महारास की यही तिथि क्यों चुनी गयी होगी -यह प्रेम का स्फुरण और उत्प्रेरण है ..मिलन का आमंत्रण है!

प्रकाशमय जीवन !!
सही निर्णय करनेवाली त्वरित मति का जीवन…
दृढ़ निश्चय करनेवाली मति का धन कमानेवाला जीवन …..
संयम , दृढ़ता और त्वरित निर्णय करने की मति वाला व्यक्ति हसते खेलते परमात्मा सुख, परमात्मा शांति , परमात्मा ज्ञान को पा लेता है…
नानक जी कहेते : नानक वो मोहे सदगुरु भावे- मुझे वो सदगुरु प्यारा लगता है ..कौन सा?
हसंदियाँ, खेलंदियाँ, खावंदियाँ, पहेंनंदियाँ विच कर दे मुगत…हसते खेलते, खाते पहेनते , लेते देते हमें मोक्ष का मार्ग दिखा दे, हमें मुक्त कर देवे..हमें बंधनों से रहीत कर देवे …बंधन क्या है? नहीं जानते तब तक सताए जाते है बंधनों से…जान लिया तो बंधन का कोई अस्तित्व ही नही था…नहीं जाना था तब तक प्याज ठोस थी..परते हटाई तो उस का कोई अस्तित्व ही नहीं था..नहीं जाना था तब केले के पेड़ का महत्व था…परतें हटाई तो उस का कोई महत्व ही नहीं…

कामदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि "हे वासुदेव ! मैं बड़े-बड़े ऋषियों, मुनियों तपस्वियों और ब्रह्मचारियों को हरा चुका हूँ। मैंने ब्रह्माजी को भी आकर्षित कर दिया। शिवजी की भी समाधि विक्षिप्त कर दी। भगवान नारायण ! अब आपकी बारी है। आपके साथ भी मुझे खिलवाड़ करना है तो हो जाय दो-दो हाथ ?"
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।

आज शरद पूर्णिमा का चाँद है ...गोल चमकता हुआ ..और कुछ दिन बाद यह चाँद करवाचौथ का चाँद होगा ............इन्तजार करवाता ..प्रेम के एहसास में डूबा हुआ .........आसमान पर निकला चाँद ,हर लिखने वाली की प्रेरणा है ,बचपन में वह बच्चो का मामा है ,और एक कल्पना जिस में बैठी बूढी नानी चरखा कात रही है और वही चाँद जवानी में एक प्रेमी /प्रेमिका कि हर बात को कहने का जरिया ...


चाँद कुछ कहता है
कहा था उसने
चाँदनी रात के साए में
तनिक रुको,
अभी मुड कर आता हूँ मैं ..
तब से
भोर के तारे को
मैंने उसके इन्तजार में
रोक कर रखा है ....



सुनहरे रुपहले प्यारे से पल 
रात रानी, बेला और मल्लिका
इठलाने लगीं रूप यौवन पर ।


ये नदिया का जल, कल कल कल

बलखाती मछलियां चंचल चंचल
मदमाती सुगंध, सर सर सर
हवा की रुनझुनी बजती पायल


अपने देश में सदियों से आश्विन पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। इस दिन मंदिरों में देव विग्रहों को धवल वस्त्र धारण कराए जाते हैं तथा श्वेत पुष्पों से शृंगार किया जाता है। अमृतमयी चंद्र-किरणों से अभिसिक्त खीर प्रसादस्वरूप वितरित की जाती है। तरुण समाज गुलाबी नगर में पिछले 40 वर्षों से शरद पूर्णिमा से ठीक पहले आने वाले शनिवार की रात गीतों के कार्यक्रम 'गीत चांदनीÓ का आयोजन कर रही है। इसी कड़ी में गत 8 अक्टूबर को जय क्लब लॉन में गीतों की महफिल सजाई गई। इसमें कवियों-कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी। सहारनपुर से आईं वरिष्ठ कवयित्री इंदिरा गौड़ ने जब यह रचना सुनाई तो श्रोता जैसे मंत्रमुग्ध हो उठे। उनकी रचना की इस चांदनी में आप भी करें अवगाहन.....


चांदनी में नहाने के दिन आ गए...
कतरा कतरा झड़े चांद आकाश से,
है कठिन छूटना जादुई पाश से,
रात के मुसकुराने के दिन आ गए।
चांदनी में नहाने के ...
प्यार के साज पर नेह भीगी छुअन,
यामिनी भर झड़ी हारसिंगार बन,
डूबकर पार जाने के दिन आ गए।
चांदनी में नहाने के...


निबन्ध के बन्ध लिखना शैशव में
शरद-पूर्णिमा पर, भावातीत ना भी हो
पितृतुल्य अध्यापक के सन्तोष को
आज मन के बन्धों में निबन्धों की छटा
श्रावण की घटा सी छलकती, ना थमती थामे.
किशलय कपोलों के स्पर्श-बन्धों का अमिय सुख
पर खिंचाव दूरी का चाँद से चकोर को.
प्रिय! प्रतिदिन पूर्णिमा होती शरद की पावन,
तुम पास होते निर्मल निबन्धों के अम्बार होते.

शरद ऋतू की इस भव्य एवं पावन पूर्णिमा के दिन ही मैंने इस भू-लोक पर जन्म लिया था....... और समय ने आज फिर से उस दिन को मुझसे मिलाया...... शुक्रिया करता हूँ... माता-पिता का.... गुरुओ का.... ईश्वर का... मित्रो का.... परिवारजनो का.... और उन सभी लोगो का..... जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर... आज सफलता के नए सोपानो पर ला खड़ा किया......

आप सभी का कोटि कोटि धन्यवाद.....

आपका चेतन.....
.

ब्‍लॉग4वार्ता कर पूरी टीम की ओर से इनको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ...


7 टिप्पणियाँ:

लिन्क्स तो अभी नहीं देखे मगर वार्ता रोचक लगी ,समय मिलने पर लिन्क्स भी ...

शरद पूर्णिमा का जादू है रोचक वार्ता में !

ये तो बहुत ही रोचक वार्ता रही।आपको भी शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !

शरद पूर्णिमा विशेषांक बढ़िया लग रहा है.शुभकामनाये.

यह जानकारी बहुत अच्छी लगी आपके लेख बहुत ज्ञानवर्धक होते हें |

आशा

कुछ ढूँढते-ढूँढते अचानक आपके ब्लॉग पर आ गयी. बड़ा अच्छा लिखा है आपने . बहुत रोचक लेख है शरद पूर्णिमा के बारे में. बचपन में दादी माँ शरद पूर्णिमा की रत खीर बनाकर आँगन में रख देती थी ..... आपका लेख पढ़कर सारी पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं.....

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