शनिवार, 3 नवंबर 2012

चलो अपनी कुटिया जगमगाएँ .... ब्लॉग4 वार्ता ---- संगीता स्वरूप


आज की वार्ता में   संगीता स्वरूप   का नमस्कार ..... आइये  चलते हैं आज के लिंक्स पर -----

स्टेट्स अपडेट्स के दौर में पारिवारिक संवादहीनता-----तकनीक ने जीवन को जितना सरल किया है उतना ही उलझाया भी है। यंत्रवत हो चले  जीवन से संवेदनाएं कुछ यूं गुम हुई हैं कि हम अपने मन की कहने और अपनों के मन की सुनने के बजाय मात्र एक आभासी उपस्थिति दर्ज करवाने के आदी हो रहे हैं। आपाधपी भरे आज के जीवन में यूँ  तो सभी की दिनचर्या व्यस्त है ही ।  अ

हिमांचल प्रदेश : बंदर हैं धूमल के दुश्मन नंबर 1---हिमांचल प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की कुर्सी बंदरों की वजह से जा सकती है। सप्ताह भर हिमांचल प्रदेश के कई शहरों की खाक छानने के बाद मुझे लगता है कि इस बार यहां हो रहे विधान सभा चुनाव में बीजेपी की सरकार को सबसे बड़ी चुनौती लगभग पांच लाख बंदरों से मिल रही है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये बंदर किसी चुनाव को कैसे प्रभावित कर सकते हैं ? चलिए मैं बताता हूं कि इन बंदरों से हिमांचल प्रदेश को कितना नुकसान हो रहा है।

बहारें फिर से आयेगीं----शाम हुई हम धीरे-धीरे /चले नदी के तीरे-तीरे /आसमान के माथे देखो /कितनी गहरी पड़ीं लकीरें

चलो अपनी कुटिया जगमगायें-----------सतर्कता सप्ताह चल रहा था, समापन के समय विशिष्ट अतिथि बुलाये जाते हैं जो अधिकारियों और कर्मचारियों की बड़ी बैठक को सम्बोधित करते हैं, सब ध्यानमग्न हो सुनते हैं। यथासंभव उस बैठक में उपस्थित रहना होता है, कि कहीं ऐसा न हो कि अनुपस्थिति का अर्थ सतर्कता की अवहेलना के रूप में ले लिया जाये।

ऐसे चरण धरो दीवाली---- भीतर बाहर हो उजियाली/ ऐसे चरण / धरो दीवाली। / बिम्ब हुए जो मैले मैले / जितने भी सम्बन्ध कसैले / बनें बताशों की ज्यों थाली

ज़िन्दगी भर मुसर्रतों की तलाश में भटकता रहा ---- ज़िन्दगी भर / मुसर्रतों की तलाश में / भटकता रहा / मुसर्रतें तो मिली नहीं / ग़मों से / दोस्ती ज़रूर हो गयी

करवा चौथ ----    आज मैंने मांगी है / सलामती की दुआ / तुम्हारे लिए नहीं / उन करोड़ों के लिए / जिनके लिए तुम्हारा हर दिन / करवा चौथ है

बा और बापू की दृढ़ता-----बा के बारे में गांधी जी लिखते हैं, “… उनमें एक गुण बहुत बड़े परिमाण में है, जो दूसरी कितनी ही हिन्दू-स्त्रियों में थोड़ी-बहुत मात्रा में पाया जाता है। मन से हो या बेमन से, जान में हो या अनजान में, मेरे पीछे-पीछे चलने में उन्होंने अपने जीवन की सार्थकता मानी है और स्वच्छ जीवन बिताने के मेरे प्रयत्न में उन्होंने कभी बाधा नहीं डाली।”

औसत लोग-----  जो होते हैं / औसत / उनका कुछ भी नहीं / न धरती, न आसमान, / न  हवा न पानी / न होते हैं वे वोट ही

नागार्जुन एवं राजमहल ............... ललित शर्मा----------सिरपुर में उत्खनित सभी पुरा धरोहरों को एक गलियारा बना कर जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। इसके बाद कहीं से भी रास्ता पकड़ लीजिये, आप सिरपुर की धरोहरों का दर्शन किसी से रास्ता बिना पूछे कर सकते हैं। सिरपुर में आज हमारा अंतिम दिन था, दोपहर तक हमें यहाँ से रवानगी डालनी थी।

कभी नाकाम न होवोगे.....!!!मिलन की आरजू करना... / सफ़र की जुस्तजू करना.... / जो तुम मायूस हो जाओ  / तो मुझ से गुफ्तगू करना....

हित-चिन्तक बन कर हमें, लूट रही सरकार - सत्यनारायण सिंह

ठेस-टीस

मुँह पर ताला, मन व्यथित, नयनन अँसुअन धार

हित-चिन्तक बन कर हमें, लूट रही सरकार

अल्फाज हो खुदा के .   कदम   हलचल मचाते  हैं / जब     अपने    बुलाते  हैं / नसीहत   भूल    जाती  है , / घर    काँटों    के  जाते  हैं -

तेरी याद  ----गिरी असमान से / फंसी टहनियों पर  / फिसल कर न जाने  / कहाँ गिर पड़ी है

मुस्कुराहट का रंग   ----मुस्कुराहटों की उंगली थामे / दर्द को मिश्री सा घोलकर पी लिया / थोड़ा खिलखिला दोगे अगर / तो ख़्वाबों के मेरे कारवां पर / खुशियाँ बरस ही पड़ेंगी / ताज़ादम हो के चलना अच्छा लगेगा न ..

खोह, वीराने और सन्नाटे    ----जिंदगी की खोह में चलते हुए वर्षों बीत चुके हैं, कभी इस नीरव से वातावरण में उत्सव आते हैं तो कभी दुख आते हैं और कभी नीरवता होती है जो कहीं खत्म होती नजर नहीं आती। कहीं दूर से थोड़ी सी रोशनी दिखते ही लपककर उसे रोशनी की और बढ़ता हूँ, परंतु वह रोशनी पता नहीं अपने तीव्र वेग से फ़िर पीछे कहीं चली जाती है।

किशोर डायरी के पन्ने     ------बाल्यवस्था से  युवावस्था तक पहुंचने की एक कड़ी है । किशोर अपनी अलग पहचान बनाने  की कोशिश इसी अवस्था से शूरू करते हैं ।उनमें शारीरिक -मानसिक परिवर्तन परिलक्षित होने लगते हैं ।उलझन में फंसे ,दुविधा में पड़े किशोरे अपने माँ -बाप से प्रथम सहयोग ,मार्गदर्शन व् प्यार की उम्मीद करते हैं 

उफ़................. उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली . / इधर पास आने लगी  है दिवाली .

तान---    कान्हा, कब से खामोश है तुम्हारी बांसुरी, / कोई मीठी तान छेड़ो ना, / वन-उपवन,नदी-तालाब छोड़ो, / अब बस्तियों में आओ ना.

क्षणिकाएँ ...  क्षणों की लहरों ने तो  / विभीषिकाओं का पाठ पढ़ाया है / पर मैंने भी हर लहर के लिए / डांड तोड़ कर डोंगा बनाया है

बैठे रहे तस्सवुर-ए-जाना किये हुए .....एक कहानी----यादों में एक ख़ास बात होती है...वो खट्टी-मीठी तार से जुडी होती है...एक याद को याद करो तो दूसरी ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाती, मानो कहती हो, मुझे भी याद करो, मुझे भी याद करो...मेघा के साथ भी यही हो रहा था...आज उसने फिर एक फैसला लिया है, पिछले दो हफ्ते से उसके पास दो ऑफर आ चुके दो कम्पनियों से, एक दवाइयों की कंपनी में सी.ई.ओ. की पोजीशन के लिए और दूसरी मीडिया कंपनी से वाईस प्रेसिडेंट के लिए..

बेदर्द शाम हो जाए---

हवाएं सर्द जहाँ बेदर्द शाम हो जाए
मेरी वो शाम तुम्हारे ही नाम हो जाए

एक दिन का देवता ..   कल वर्ष भर के  / सारे सुप्त सुख  / लौट आये थे
एक दिन में, / आल्हादित हुआ  / था मन अपने इस

कटु सत्य-----   मैं कोई ज्योतिषी या भविष्यवक्ता नहीं हूँ, पर इतना जानता हूँ कि यदि कोई अनाड़ी तैराक किसी गहरी नदी के भंवर में नहाने लगे तो अवश्य ही डूबेगा. 

मैं इंदिरा गाँधी के आपद्काल का प्रत्यक्षदर्शी और भुक्तभोगी रहा हूँ. उस काल में अनेक विचारकों व सभ्य नागरिकों ने उसकी तारीफ़ में यह भी कहा था कि “यह अनुशासन पर्व है.” ऐसे नारे भी जगह ज

रहम-ओ-करम --   आजकल ............... /मुझे लफ़्ज़ों की ज़रुरत कम पड़ने लगी है / क्यूंकि स्पर्शों की नयी दुनिया जगने लगी है

गुलाब की तरह थे करवा चौथ पर पतियों के चेहरे-----श्रीगंगानगर-दोस्त की मैडम 24 घंटे में से कुछ घंटे ही बिना मेकअप के रहती है। सजी संवरी गुड़िया सी लगभग हरसमय। दोस्त घर में हो या ना हो, उसने तो बनी ठनी रहना है। बीस सालों में आज तक दोस्त को ये नहीं पता कि वो अधिक सुंदर कैसे दिखती है। मेक अप के या बिना मेक अप के

उन महान बेनामी टिप्पणीकारों को शत शत नमन-----    अब बात उन बेनामी टिप्पणीकारों की 

जो अपनी बेनामी टिप्पणी से ब्लॉग लिखने वालों के दिलों दिमाग को विचलित करते हैं |
व अपनी टिप्पणी के माध्यम से ये सलाह दे डालते है कि आपको तो लिखना ही नहीं आता | आपको अपना ब्लॉग बंद कर देना चाहिए |
ऐसा आपके साथ भी हुआ होगा | मेरे साथ भी ऐसा हुआ है |

क्‍या करें क्‍या न करें 3 , 4 और 5 नवंबर 2012 को ??-मेष लग्नवालों के लिए 3 , 4 और 5 नवंबर 2012 के कार्यक्रमों में भाई.बहन , बंधु बांधव सहयोगी बनेंगे , इनकी मदद लेने की कोशिश करें!  कुछ झंझट उपस्थित हो सकते हैं , पर घबराए नहीं , प्रभाव की मजबूत स्थिति से उन्हें दूर किया जा सकता है


अब आज्ञा दीजिये ----- नमस्कार

19 टिप्पणियाँ:

बढिया वार्ता, एक से बढ़कर एक लिंक्स
मुझे भी यहां स्थान देने के लिए संगीता मेम आपका बहुत बहुत आभार

अच्छी लिंक्स से सजी वाता |
आशा

्बहुत प्यारे लिंक्स संजोये हैं।

बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स ..
सुंदर वार्ता के लिए आपका आभार

एक से बढ़कर एक लिंक्स.
मुझे स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.

मुझे शायद पहली बार इस जगह स्थान मिला है | दिल से शुक्रिया |

मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए कलिक करें टिप्स हिंदी में

आज की वार्ता में किशोर की डायरी को स्थान देने के लिए आभार ।डायरी के पन्ने क्रमश :प्रकाशित किये जाएंगे ।

बहुत बढिया वार्ता, सुन्दर लिंक्स संयोजन के लिए आपका आभार...

sundar links,meree rachnaa ko charcha mein sthaan dene ke liye dhanywaad

बहुत बढ़िया वार्ता....
बहुत सुन्दर लिंक्स हैं दी.........

सादर
अनु

बहुत बढ़िया वार्ता....
आपका आभार

बहुत बढ़िया वार्ता ....शामिल करने का आभार

पठनीय सूत्रों से सजी वार्ता के लिए आपको हार्दिक बधाई..

बहुत बहुत आभार ....मुझे भी स्थान दिया है !

बहुत शुक्रिया संगीता जी
अभी आयी हूँ.... लिंक्स देखती हूँ

सुंदर लिंक्स हैं आभार

सुन्दर सूत्र समेटकर पढ़वाने का आभार...

अच्छे लिंक्स पढने में आनन्द आया

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