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4:46 am
ब्लॉ.ललित शर्मा
ललित शर्मा का नमस्कार
, ....राज्योत्सव बनाम राय-पुरोत्सव समझ नहीं आ रहा है के इस राज्योत्सव को क्या कहूं... मुझे तो ये राय-पुरोत्सव
ही ज्यादा लगता है... क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य का बस एक ही मतलब है.. रायपुर..
बाकी जिलों का क्या हाल है ये मेरे बाकी मित्र बहुत अच्छे से जानते ही होंगे
जो रायपुर में नहीं रहते.. कहीं और बसते हैं.... पूरा विकास.. पूरी उन्नति
सिर्फ और सिर्फ रायपुर की ही हो रही है... ऐसा लगता है मानो क छत्तीसगढ़ राज्य
में बस एक ही शहर है... रायपुर .... ... प्रस्तुत है आज की वार्ता ......
रहते थे वह परेशां मेरे बोलने के हुनर से वेदना दिल की आंखो से बरस के रह गई
दिल की बात फ़िर लफ्जों में ही रह गई
टूटती नही न जाने क्यों रात की खामोशी
सहर की बात भी बदगुमां सी रह गई
बन के बेबसी ,हर साँस धड़कन बनी
तन्हा यह ज़िंदगी, तन्हा ही रह गई
रहते थे वह परेशां मेरे बोलने के हुनर से
खामोशी भी मेरी उन्हें चुभ के रह
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !! संस्कारधानी जबलपुर के जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार मोहन शशि जी और उनके परिजन आमरण अनशन पर बैठे ... योवृद्ध 76 वर्षीय मोहन शशि जी संस्कारधानी जबलपुर के जाने माने वरिष्ठ
साहित्यकार, पत्रकार हैं . उनका पौत्र अमिय होनहार छात्र होने के साथ साथ एक
अच्छा खिलाडी भी है . वह सेंट जेवियर स्कूल शांति नगर जबलपुर में विद्या
अध्ययन करता है . खेल कूद में स्कूल में चयनित होने के पश्चात उसका जिलास्तर
पर संभागीय खेलकूद प्रतियोगिता में चयन किया गया था .
प्रबंधन द्वारा उसे एक किट की जिम्मेदारी दी गई थी और ट्रेन में नरसिहपुर
जाते समय किसी के द्वारा धक्का देने के करण उसका ट्रेन दुर्घटना में पैर कट
गया
आफ़्सपो से आफ़्सपा और इरोम शर्मिला जब कोई चीज़ चर्चा से बाहर होने लगे तो उसे सामान्यत: अप्रासंगिक मान लेना
चाहिए। कम से कम जिनके बीच होने लगे उस गलियारे से अप्रासंगिक मान लेना चाहिए।
4 तारीख़ राजनीतिक हलकों के लिए काफ़ी कसरती दिन था। दिल्ली के रामलीला मैदान
में कांग्रेस विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए तोरण द्वार खोलने के
कैबिनेट के फ़ैसले पर सफ़ाई दे रही थी और बता रही थी कि कांग्रेस देश के लिए
कितनी ज़रूरी है।जिंदगी के दो रंग. 1.धूल हर्फों से झड़े तो चमक उठे यादों के जुगनू
गर्द दीवारों से झड़े तो कुछ यादें बेलिबास हुई...
मन की किताब का जो खोला पीला पड़ा हुआ पन्ना
कैद अश्कों की बारिश आज तो बेहिसाब हुई....
2.कोई तहरीर मिटाए तो दिल में कसक होती है
कोई खत किसी का जलाए तो धुंआ उठता है...
जालिम..दिल वो भीगा कागज है कि जलता ही नहीं
सीली सी लकड़ी हो जैसे, बस जिसमें हर वक्त धुंआ उठता है....
खनकते सिक्के नारी और पुरुष को
एक ही सिक्के के
दो पहलू माना है
पुरुष को हैड और
स्त्री को टेल जाना है
पुरुष के दंभ ने
कब नारी का मौन
स्वीकारा है
उसके अहं के आगे
नारी का अहं हारा है ।
पुरुष ने
हर रिश्ते को
अपने ही तराजू पर
तोला है ,
जबकि
नारी ने हर रिश्ता
मिश्री सा घोला है ।
पुरुष अपने चारों ओर
एक वृत बना
घूमता रहता है
उसके अंदर ,
नारी धुरी बन
एक बूंद को भी
बना देती है समंदर । दीये बेचने वाली का बेटा बाहर से किसी ने पुकारा तो देखा
दीये बेचने वाली का बेटा खड़ा था ,
देख कर मुस्काया,
दीवे नहीं लेने क्या
बीबी जी ...........
मैंने भी उसकी भोली मुस्कान का
जवाब मुस्कान से दिया,
लेने है भई,
पर तेरी माँ क्यूँ नहीं आयी .....
माँ तो अस्पताल में भर्ती है बीबी जी ,
ओह ,मैंने कहा,
और साथ में तेरा भाई है ये ................
नहीं मेरी छोटी बहन है ये ......
जोधपुर किला (मेहरानगढ दुर्ग)राजस्थान यात्रा- पहला भाग जोधपुर आगमन यहाँ है।
पिछले लेख पर आपको नागौरी दरवाजे तक लाकर किले की एक झलक दिखाकर ईशारा सा कर
दिया गया था कि अगली लेख में आपको क्या दिखाया जायेगा? तो दोस्तों आज के लेख
में हम चलते है, मेहरानगढ दुर्ग की ओर........ आगे चलने से पहले आपको नागौरी
दरवाजे के बारे में भी थोडा सा बता दिया जाये तो बेहतर रहेगा। ऋषिकेश से नीलकण्ठ साइकिल यात्राहम ऋषिकेश में हैं और आज हमें सौ किलोमीटर दूर दुगड्डा जाना है साइकिल से।
इसके लिये हमने यमकेश्वर वाला रास्ता चुना है- पहाड वाला। दिन भर में सौ
किलोमीटर साइकिल चलाना वैसे तो ज्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन पूरा रास्ता
पहाडी होने के कारण यह काम चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कुछ दिनों पहले मैंने अपने एक दोस्त करण चौधरी का जिक्र किया था जो एमबीबीएस
डॉक्टर भी है। हमारी जान-पहचान साइकिल के कारण ही हुई। करण ने तब नई साइकिल ली
थी गियर वाली।
प्राचीन बंदरगाह प्राचीन बंदरगाह
महर्षि महेश योगी की जन्म भूमि पाण्डुका से आगे सिरकट्टी आश्रम से पहले मगरलोड़
और मेघा की ओर जाने वाले पुल के किनारे मुझे नदी में लेट्राईट को तोड़ कर बनाई
गयी कुछ संरचनाएं दिखाई थी। मैने कयास लगाया कि यह अवश्य ही बंदरगाह है। मैने
नदी में उतर कर बंदरगाह का निरीक्षण किया एवं कुछ चित्र लिए। बंदरगाह की
गोदियों में घूमते हुए कई तरह के विचार आ रहे थे। कौन लोग यहाँ से व्यापार
करते थे? यह बंदरगाह किस समय बना? किसने बनाया? सितारे की चमक ..वैसे तो सूरज को दीपक दिखाने वाली बात है पर एक प्रयास किया है पढ़ने का--*
*
आज सुनिये एक ऐसे सितारे की लिखी कहानियाँ जिसकी चमक बढ़ती जा रही है .... **
(बिना सुने पोस्ट करने की अनुमति देने के लिए आभार!)*
*
और पढ़ने को यहाँ है ...कहानियाँ *
*यहाँ आप इनकी किताब "चौराहे पर सीढ़ियाँ "लेने के लिये क्लिक कर सकते हैं*
कि मर जाना इकलौता सच है बयालीस साल... बयालीस साल कोई गुज़ारता है साथ-साथ। और फिर एक दिन दोनों में
से कोई एक चला जाता है चुपचाप। जो रह जाता है, उसकी तन्हाई और तकलीफ़ के बारे
में चाहे जितना चाह लें, कुछ भी लिखा नहीं जा सकता। सब दिखता है, फिर भी नहीं
दिखता। सब समझ में आता है, फिर भी समझना नहीं चाहते हम।
मृत्यु - ज़िन्दगी के इस सबसे बड़े, सबसे कठोर और इकलौते शाश्वत सत्य से क्यों
फिर भी स्वीकार नहीं कर पाते हम? सौदर्य की पीड़ासौन्दर्य के प्रति सहज आसक्ति मानवीय गुण है। लेकिन
सौन्दर्य प्राप्ति के लिए बर्बरता ही हद तक जाना अमानवीय प्रवृति। इसी जगत
में ऐसी कितनी ही परम्पराओं ने सिर्फ सौन्दर्य प्राप्ति के लिए जन्म लिया
है, जो न सिर्फ अप्राकृतिक हैं, बल्कि नृशंस और बर्बर भी हैं।
ध्यान रहे, ये सारे अमानवीय प्रयोग महिलाओं पर ही किये गए हैं।
फुटबाइंडिंग या पैर बंधन परंपरा:
चीनी मान्यताओं में महिलाओं के छोटे पैर ........
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद .......... राम राम
5 टिप्पणियाँ:
उम्दा वार्ता लगाई है |
आशा
hamesha ki tarah badhiya varta . pathaniy link mile...abhari hun sthaan dene ke liye ...
जीवन के हर रंग हैं इस वार्ता में. मोहन शशिजी के पौत्र अमिय के बारे में जानकर बहुत दुःख हुआ. शासन और प्रशासन को शीघ्र मानवीय आधार पर इस और ध्यान देना चाहिए और समस्या का सहानुभूति पूर्वक निराकरण करना चाहिए जिससे किसी होनहार खिलाडी का भविष्य ख़राब न हो ...
उम्दा वार्ता
सुन्दर सूत्र संकलन, रोचक वार्ता।
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