ललित शर्मा का नमस्कार, वार्ता लिखने का समय नहीं मिल पा रहा है, वार्ता दल के साथी ही सहयोग कर रहे हैं। साथियों के सहयोग से निरंतर प्रकाशित हो रही वार्ता एक मुकाम को हासिल कर चुकी है। 150823 pageviews - 838 posts, last published on Nov 3, 2012 - 362 followers के साथ वार्ता भी दस हजारी क्लब में शामिल हो चुकी है। पहले ललित डॉट कॉम दस हजारी को स्थान प्राप्त हो चुका है। समस्त वार्ता दल के सहयोगी सदस्यों एवं पाठकों को मेरी हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई। अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ चिट्ठों के लिंक ...........
‘अनु, अब उठ जाओ, आठ बज गए हैं।’ मां की आवाज कानों में पड़ी तो अनुप्रिया तुरंत उठ बैठी। उसे याद आया आज तो उसकी ड्यूटी रामलीला मैदान में लगी है और उसे दस बजे हर हाल में पहुंचना होगा, क्योंकि आज धनतेरस है। खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ इस दिन से लेकर दीपावली तक जमकर रहेगी। ऐसे में हम पुलिसवालों को अपनी तरफ से बिना किसी दिन छुट्टी किए अलग अलग जगह बारह बारह घंटे ड्यूटी के लिए तैयार रहना होगा। क्या पुरुष और क्या महिला कांस्टेबल, सभी की खाट खड़ी रहेगी। जैसे त्योहार के दिन हमारे लिए बने ही न हों। हर समय खड़े रहो आम जनता की चौकसी में। लोग लोग और लोग, हर जगह लोग। उस समय जनसंख्या वृद्... more »
बहुत दिनों से ब्लॉग के* हैडर* की तस्वीर को बदलने की सोच रहा था. आखिर यह तस्वीर पसंद आई और लगा दी. *श्री देवेन्द्र पाण्डेय *जी ने पसंद का चटका भी लगा दिया. लेकिन उनका कमेन्ट पढ़कर हमने इस तस्वीर को ध्यान से देखा और जो समझ आया , वह इस प्रकार है : * जिंदगी एक सफ़र है. * इन्सान राहगीर हैं. * जिंदगी के सफ़र की डगर भिन्न भिन्न हैं. * कोई राह ऊबड़ खाबड़ है तो कोई इस सड़क की तरह साफ और चिकनी सतह वाली. * कहीं काँटों भरी राह मिलती है तो कहीं फूलों भरी. * कोई राह सीधी होती है , कोई टेढ़ी मेढ़ी . * किसी राह पर हमसफ़र मिल जाते हैं , कभी अकेले ही चलना पड़ता है. *अब सवाल यह उठता है -- हम किस र... more »
पारद विग्रहों की अद्भुतता उनकी उपयोगिता न केबल आधाय्त्मिक रूप से बल्कि भौतिक जीवन मे भी अब हम सभी बखूबी जानते हैं . और यह भी अच्छी तरहसे समझते हैं की अगर सच मे जीवन की उस अद्वतीय उचाईया की स्पर्श करना हैं तो बिना पारद के यह संभव ही नही ..अगर सिर्फ सूंठ रख कर वैद्य बने रहना हैं तो कोई बात नही ..पर जब बात परम हँस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के शिष्य की हो तो ...तब कैसे हम सभी दूसरे नम्बर पर संतुष्ठ हो जाये . पर हर बार एक नया विग्रह ...??? ऐसा इसलिए की पहली बात तो यह हैं की यह कोई व्यवासयिकता वाली बात नही भले की कई कई के दिमाग मे यह बात आये.. इसे ऐ... more »
२८ सालों से न्याय ........... सत्य को खोज रहा है नामालूम क्यों अब ऐसा लगनें लगा है- शायद सत्य की भी हत्या हो चुकी है या फिर वह किसी कालकोठरी में अंनजान जगह बन्दी बना दिया गया है... कहीं कोई आवाज नही उठती... कहीं कोई अकुलाहट नही होती... अब तो आँखों के आँसू भी सूख चुके हैं.... लेकिन बहुत भीतर अभी भी रह -रह कर एक टीस-सी उठती रहती है जो दुस्वप्न बन रातों को जगा देती है.. भटकती रूहें आज भी वैसे ही चीत्कार कर रही हैं.. शायद कोई उनकी की आवाज सुन ले... लेकिन शायद वे जानती नही हैं... यहाँ अधिकतर बहरे रहते हैं और जो सुन सकते हैं वो गूंगे हो चुके हैं ......................................... .... more »
*प्रताप कुंवरी भटियानी* यह महाराजा मानसिंह जोधपुर की भार्या और देवावर ठिकाने के ठाकुर गोविन्ददास भाटी की पुत्री थी| इनका विवाह आषाढ़ सुदी 9वि.स.1889 में हुआ था| इन्होंने कुल 15 ग्रंथो की रचना कर सरस्वती के भण्डार की अभिवृद्धि की थी| उपलब्ध कृतियों की नामावली इस प्रकार है- ज्ञान सागर, ज्ञान प्रकाश, प्रताप पच्चीसी, रघुनाथ जी के कवित्त, प्रताप विनय, श्री रामचंद्र विनय, हरिजस गायन, भजन पद, हरिजस, पत्रिका आदि| यह सुशिक्षित नारी रत्न थी| महाराजा मानसिंह के निधन के बाद अहोराम प्रभु की आराधना, वंदना और पूजा में सलंग्न रहती थी| अपने पति के निधन के पश्चात इनका मानसिक संतुलन बिगड गया था| महार... more »
आप बता सकते थे कि कार के अगले पहिये में क्या हुआ था? लेकिन कोई नहीं बता पाया इससे साबित हुआ कि लोग अंदाजा भी नहीं लगाना चाहते है। मैं आज आपको बता रहा हूँ कि कार के अगले पहिये में चालक वाली साइड में नहीं बल्कि दूसरी तरफ़ वाले पहिये में आवाज आ रही थी। जैसे ही मैंने कार रोक कर नीचे उतर कर पहिया देखने गया तो सबसे पहले मेरी नजर टायर पर नहीं गयी थी मैंने पहले तो टायर के पीछे लटकने वाली रबर को देखा कि कही यह तो टायर में रगड नहीं खा रही है। लेकिन वह टायर से काफ़ी दूरी पर थी। जैसे ही मेरी नजर टायर पर गयी तो एक बार को सिर चकरा गया क्योंकि टायर में पेंचर होने के कारण हवा बिल्कुल नहीं बची थी। क... more »
राजमहल का दृश्य सिरपुर में उत्खनित सभी पुरा धरोहरों को एक गलियारा बना कर जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। इसके बाद कहीं से भी रास्ता पकड़ लीजिये, आप सिरपुर की धरोहरों का दर्शन किसी से रास्ता बिना पूछे कर सकते हैं। सिरपुर में आज हमारा अंतिम दिन था, दोपहर तक हमें यहाँ से रवानगी डालनी थी। इसलिए सुबह ही तैयार होकर राजमहल परिसर के अवलोकनार्थ चल पड़े। जब सिरपुर दक्षिण कोसल के पांडूवंशियों की राजधानी थी तो राजप्रसाद भी होना अत्यावश्यक है तभी राजधानी होने का दावा पुख्ता होता है। महानदी के तट पर पूर्वाभिमुख राजप्रसाद के अवशेष प्राप्त हुए हैं। अरुण कुमार शर्मा के निर्देशन में 2000-2001 में यह विशाल... more
‘अनु, अब उठ जाओ, आठ बज गए हैं।’ मां की आवाज कानों में पड़ी तो अनुप्रिया तुरंत उठ बैठी। उसे याद आया आज तो उसकी ड्यूटी रामलीला मैदान में लगी है और उसे दस बजे हर हाल में पहुंचना होगा, क्योंकि आज धनतेरस है। खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ इस दिन से लेकर दीपावली तक जमकर रहेगी। ऐसे में हम पुलिसवालों को अपनी तरफ से बिना किसी दिन छुट्टी किए अलग अलग जगह बारह बारह घंटे ड्यूटी के लिए तैयार रहना होगा। क्या पुरुष और क्या महिला कांस्टेबल, सभी की खाट खड़ी रहेगी। जैसे त्योहार के दिन हमारे लिए बने ही न हों। हर समय खड़े रहो आम जनता की चौकसी में। लोग लोग और लोग, हर जगह लोग। उस समय जनसंख्या वृद्... more »
बहुत दिनों से ब्लॉग के* हैडर* की तस्वीर को बदलने की सोच रहा था. आखिर यह तस्वीर पसंद आई और लगा दी. *श्री देवेन्द्र पाण्डेय *जी ने पसंद का चटका भी लगा दिया. लेकिन उनका कमेन्ट पढ़कर हमने इस तस्वीर को ध्यान से देखा और जो समझ आया , वह इस प्रकार है : * जिंदगी एक सफ़र है. * इन्सान राहगीर हैं. * जिंदगी के सफ़र की डगर भिन्न भिन्न हैं. * कोई राह ऊबड़ खाबड़ है तो कोई इस सड़क की तरह साफ और चिकनी सतह वाली. * कहीं काँटों भरी राह मिलती है तो कहीं फूलों भरी. * कोई राह सीधी होती है , कोई टेढ़ी मेढ़ी . * किसी राह पर हमसफ़र मिल जाते हैं , कभी अकेले ही चलना पड़ता है. *अब सवाल यह उठता है -- हम किस र... more »
पारद विग्रहों की अद्भुतता उनकी उपयोगिता न केबल आधाय्त्मिक रूप से बल्कि भौतिक जीवन मे भी अब हम सभी बखूबी जानते हैं . और यह भी अच्छी तरहसे समझते हैं की अगर सच मे जीवन की उस अद्वतीय उचाईया की स्पर्श करना हैं तो बिना पारद के यह संभव ही नही ..अगर सिर्फ सूंठ रख कर वैद्य बने रहना हैं तो कोई बात नही ..पर जब बात परम हँस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के शिष्य की हो तो ...तब कैसे हम सभी दूसरे नम्बर पर संतुष्ठ हो जाये . पर हर बार एक नया विग्रह ...??? ऐसा इसलिए की पहली बात तो यह हैं की यह कोई व्यवासयिकता वाली बात नही भले की कई कई के दिमाग मे यह बात आये.. इसे ऐ... more »
२८ सालों से न्याय ........... सत्य को खोज रहा है नामालूम क्यों अब ऐसा लगनें लगा है- शायद सत्य की भी हत्या हो चुकी है या फिर वह किसी कालकोठरी में अंनजान जगह बन्दी बना दिया गया है... कहीं कोई आवाज नही उठती... कहीं कोई अकुलाहट नही होती... अब तो आँखों के आँसू भी सूख चुके हैं.... लेकिन बहुत भीतर अभी भी रह -रह कर एक टीस-सी उठती रहती है जो दुस्वप्न बन रातों को जगा देती है.. भटकती रूहें आज भी वैसे ही चीत्कार कर रही हैं.. शायद कोई उनकी की आवाज सुन ले... लेकिन शायद वे जानती नही हैं... यहाँ अधिकतर बहरे रहते हैं और जो सुन सकते हैं वो गूंगे हो चुके हैं ......................................... .... more »
*प्रताप कुंवरी भटियानी* यह महाराजा मानसिंह जोधपुर की भार्या और देवावर ठिकाने के ठाकुर गोविन्ददास भाटी की पुत्री थी| इनका विवाह आषाढ़ सुदी 9वि.स.1889 में हुआ था| इन्होंने कुल 15 ग्रंथो की रचना कर सरस्वती के भण्डार की अभिवृद्धि की थी| उपलब्ध कृतियों की नामावली इस प्रकार है- ज्ञान सागर, ज्ञान प्रकाश, प्रताप पच्चीसी, रघुनाथ जी के कवित्त, प्रताप विनय, श्री रामचंद्र विनय, हरिजस गायन, भजन पद, हरिजस, पत्रिका आदि| यह सुशिक्षित नारी रत्न थी| महाराजा मानसिंह के निधन के बाद अहोराम प्रभु की आराधना, वंदना और पूजा में सलंग्न रहती थी| अपने पति के निधन के पश्चात इनका मानसिक संतुलन बिगड गया था| महार... more »
आप बता सकते थे कि कार के अगले पहिये में क्या हुआ था? लेकिन कोई नहीं बता पाया इससे साबित हुआ कि लोग अंदाजा भी नहीं लगाना चाहते है। मैं आज आपको बता रहा हूँ कि कार के अगले पहिये में चालक वाली साइड में नहीं बल्कि दूसरी तरफ़ वाले पहिये में आवाज आ रही थी। जैसे ही मैंने कार रोक कर नीचे उतर कर पहिया देखने गया तो सबसे पहले मेरी नजर टायर पर नहीं गयी थी मैंने पहले तो टायर के पीछे लटकने वाली रबर को देखा कि कही यह तो टायर में रगड नहीं खा रही है। लेकिन वह टायर से काफ़ी दूरी पर थी। जैसे ही मेरी नजर टायर पर गयी तो एक बार को सिर चकरा गया क्योंकि टायर में पेंचर होने के कारण हवा बिल्कुल नहीं बची थी। क... more »
राजमहल का दृश्य सिरपुर में उत्खनित सभी पुरा धरोहरों को एक गलियारा बना कर जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। इसके बाद कहीं से भी रास्ता पकड़ लीजिये, आप सिरपुर की धरोहरों का दर्शन किसी से रास्ता बिना पूछे कर सकते हैं। सिरपुर में आज हमारा अंतिम दिन था, दोपहर तक हमें यहाँ से रवानगी डालनी थी। इसलिए सुबह ही तैयार होकर राजमहल परिसर के अवलोकनार्थ चल पड़े। जब सिरपुर दक्षिण कोसल के पांडूवंशियों की राजधानी थी तो राजप्रसाद भी होना अत्यावश्यक है तभी राजधानी होने का दावा पुख्ता होता है। महानदी के तट पर पूर्वाभिमुख राजप्रसाद के अवशेष प्राप्त हुए हैं। अरुण कुमार शर्मा के निर्देशन में 2000-2001 में यह विशाल... more
( 'पूर्णस्य पूर्णमादाय ' कहने से तात्पर्य यह है की यदि तुम स्वयं इस सत्य की
अनुभूति कर सको कि वही ' पूर्ण ' तुम्हारे साथ साथ इस विश्व ब्रह्माण्ड के कण
कण में भी प्रविष्ट है तो फिर उस ' पूर्ण ' के बाहर शेष बचा क्या ? इसी को कहा
गया - ' पूर्णमेवावशिष्यते '.... ! 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक
शुभकामनायें ....)
[image:
http://festivals.iloveindia.com/karwa-chauth/pics/karwa-chauth-puja.jpg]खूब
तुलना हो रही थी
अपने चाँद से ऊपर वाले चाँद की,
सबकी बातें सुनकर
खुद को सँवारने की खातिर
ऊपर वाला चाँद कल रात से
अभी तक नहा रहा है
पूरा निखर के आएगा रात को
लेकिन उसे क्या पता कि
कि... more »
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं छोटे से ब्रेक के बाद .... राम राम
11 टिप्पणियाँ:
आपके प्रयासों और कड़ी मेहनत से वार्ता निरंतर आगे बढ़ रही है ...!
सुंदर वार्ता ..
बधाई
बहुत सुंदर वार्ता
सुन्दर वार्ता
बढिया वार्ता
रोचक सूत्र श्रंखला..
बढ़िया लिंक्स... वार्ता की सफलता के लिए आपको भी बधाई और शुभकामनायें...
varta achhi lagi
वार्ता यूं ही आगे बढ़ती रहे........
भाई ललित! "ब्लॉग फॉर वार्ता" दस हजारी में शामिल हुआ
आप जैसे वार्ताकारों के परिश्रम से ही .....बहुत बहुत बधाई।
आज अपुन भी सभिच पोस्ट पढ़ लिए ला हूँ। शायद काफी
दिनों के बाद पहली बार, क्योंकि सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किये गए
सुन्दर सीमित पोस्ट .....पुनः आभार एवं बधाई ....जय जोहार।
सुन्दर वार्ता । लिंक्स अच्छे लगे
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