संध्या शर्मा का नमस्कार.... कमरतोड़
महंगाई के बीच दिवाली का त्यौहार भी दरवाजे की कुण्डी खटखटा रहा है,
रंगाई-पुताई से लेकर कपड़े-लत्ते की भेंट चढ़ रही है सारी तनख्वाह और बोनस।
दीवाली का त्यौहार अपने साथ रौनक लेकर आता है। इसी बहाने बरसात के बाद घर
की सफाई के साथ रंग रोगन भी हो जाता है। दिवाली को कुछ ही दिन रह गए हैं,
बाजारों में रौनक नजर आने लगी है। कितनी भी महंगाई हो जाए, भले ही दिवाला
निकल जाए पर दिवाली तो मनानी पड़ती है। अबकि दिवाली में गैस सिलेंडर की
मारा-मारी चल रही है। गैस बचाएं और दिवाली मनाएं ........ प्रस्तुत हैं आज
की वार्ता में मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग लिंक्स ............
तेरे बाद......
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तेरे बाद
बेतरतीब सी ज़िन्दगी को
समेटा पहले...
अपने बिखरे वजूद को
करीने से लगाया ..
अब इकट्ठा कर रही हूँ
तेरी यादों की रद्दी,
गराज में पड़े एक
पुराने सीले
...तो ये है -
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सुबह-सुबह
आँख मलते हुए आप सैर को जाएँ
वहाँ दौड़ती-भागती , चक्कर लगाती
चेहरे पर ताज़ी लालिमा उगाये
कोई कविता दिख जाए तो
बेशक ! हैरानी की कोई बात नहीं होगी ... दोस्ती को मोहोब्बत बताते रहे...
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हर आने जाने वाले को हमसफ़र बताते रहे,
दोस्ती को हम मोहोब्बत बताते रहे,
घोड़ों की दौड में हम बस ख्याल ही दौडाते रहे,
सब खा गए पकवान सारे, हम ख्याली पुलाव पकात...
सोच नहीं पाती - भाव आतुर मुखर होने को दीखता वह सामने फिर भी शब्द नहीं मिलते अभिव्यक्ति को | कोइ बाधा या दीवार नहीं फिर भी हूँ उन्मना कहीं कोई अदृश्य रोकता कुछ कहने क...
मेरे कालिदास... - हर बार.......... जब भी कुछ लिखने बैठती हूँ बहुत कोशिश करती हूँ तुमको ना लिखूं फिर भी आ ही जाते हो तुम कहीं ना कहीं से तुम्हारे आते ही छाने लगते है भाव...
पंचकोसी ------ राजिम का त्रिवेणी संगम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर नगर से प्राचीन नगर एवं जमीदारी फिंगेश्वर 61 किलोमीटर पर 20058' 7.50"N 82002'48.56" E पर स्थित है। इस नगर ...
कहाँ छिपे ? - वही समय है वही मौसम है वही है तन्हाई छोड़ के मुझको यमुना के तीरे ........ कहाँ छिपे कन्हाई ? विरहाग्नि से दग्ध .... ह्रदय करे चित्कार यमुना तट पर .....
लादेन ने बनाया ओबामा को राष्ट्रपति ! - *मैं *अमेरिका की नीतियों से इत्तेफाक नहीं रखता हूं, खासतौर पर उसकी विदेश और आर्थिक नीतियों का तो मैं सख्त विरोधी हूं। इसके बाद भी मैं अमेरिकियों की देश के...
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भादवँ जातरा - क्षमा करें। प्रमाद वश यह पोस्ट अगस्त में नहीं जा सका था। बहरहाल, देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर नवम्बर में सही, लेकिन पोस्ट को तो जाना ही है। बुधवार, 15 अ...
बंगलोर, मेट्रो और साइकिल - अभी कुछ दिन पहले एक समाचार पढ़ा कि बंगलोर मेट्रो अपने प्रमुख स्टेशनों पर साइकिलें रखेगी। इन साइकिलों का उपयोग मेट्रो में यात्रा करने वाले लोग अपने स्थान ...
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की एक शाम और निदा फ़ाज़ली ... - कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता . बहुत छोटी थी मैं जब यह ग़ज़ल सुनी थी और शायद पहली यही ग़ज़ल ऐसी थी जो पसंद ...
मौन रतनपुर - इतिहास का रास्ता भूल-भुलैया का होता है और किसी ऐसे स्थल से संबंधित इतिहास, जो सुदीर्घ अवधि तक राजसत्ता का मुख्य केन्द्र, प्रशासनिक मुख्यालय के साथ-साथ धा...
कुछ कम कम सा ....
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कभी कभी पूरी बरसात से ,
पड़ने वाली कम कम सी बूंदे
इस तन और मन को
अधिक शांत करती है
वैसे ही ...
कम बोलने वाले शब्द
कम बाते ,और छोटे वाक्य
जो किताब के पन्..तुम मेरे सीने की साँस हो
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तुम मेरे सीने की साँस हो
तुम मेरा सच्चा अहसास हो
तुम ही जीवन का राग हो
तुम ही मेरी हर बात हो
तुम मेरे सीने की साँस हो
तुम दिल में हो मेरे रवां -रवां
तुम ह...
.मौत के बाद है असल जीवन
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मेरे घर में मेरा पसीना है
लगे हर ईंट में नगीना है
भले पानी टपक रहा छत से
जिन्दगी लड़के सुमन जीना है
मौत से प्यार करना सीख सुमन
और जीवन से लड़ना सीख सुमन
मौ...
अब इजाज़त दीजिये नमस्कार.............
7 टिप्पणियाँ:
बढ़िया वार्ता संध्या जी, काफी सारे लिंक है। आज की ब्लाग यात्रा यहीं से प्रारंभ करते हैं ......... आभार
बहुत से लिंक्स के साथ बहुआयामी चर्चा है संध्या जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बेहतरीन लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
बढिया लिंक्स, अच्छी वार्ता।
वार्ता पर एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती है कि सामयिक विषयों को प्रमुखता से शामिल किया जाता है। मुझे लगता है कि दुनिया भर के लिए कल की सबसे बड़ी खबर थी अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव। लेकिन आमतौर पर सभी जगह से ये विषय गायब है। आपने इसे शामिल किया, आपका बहुत बहुत आभार
बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।
बहुत ही सुन्दर सूत्र संकलन, रोचक प्रस्तुति।
सुन्दर सुन्दर वार्ता....
अपनी रचना यहाँ पाकर खुशी हुई....
शुक्रिया संध्या जी.
सस्नेह
अनु
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