ललित शर्मा का नमस्कार, दर्शन लाल बवेजा फ़ेसबुक पर बता रहे हैं - किसी भी एक कैलेंडर माह के भीतर जब दो बार पूर्णिमा पड़ती है तो इस घटना को ब्लू मून कहा जाता है। इस घटना का ब्लू मून या चांद के नीले हो जाने से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं है। खगोलीय घटनाओं के क्रम में इस साल अगस्त माह में दो बार पूर्णिमा पड़ रही है। पहली पूर्णिमा दो अगस्त को पड़ी थी व दूसरी 31 अगस्त को पड़ेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार लूनर माह तथा कैलेंडर माह के दिनों में अंतर के चलते ब्लू मून का नजारा हर तीन साल में एक बार दिखाई देता है। इस वर्ष 31 अगस्त के बाद यह नजारा तीन साल बाद 2015 में देखने को मिलेगा। एक बार में पूरे चांद के बाद 29.5 दिन की अवधि के बाद दोबारा पूरे चांद के दीदार होते हैं। ब्लू मून का आशय यह कतई नहीं कि उस दिन चांद का रंग नीला दिखाई दे। उनके अनुसार जब पहली बार इस घटना की पुष्टि हुई थी तब संयोग वश इस घटना को ब्लू मून का नाम दे दिया गया था तब से आज तक यही नाम चला आ रहा है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर …………
'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा' या 'ज़िन्दगी मिल गयी दोबारा' जयपुर, होटल मोसाइक उर्सुला, मैं, माधुरी (उदयपुर) कुछ समय पहले एक फिल्म देखी थी, 'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा', बड़ी अच्छी लगी थी फिल्म। हालाँकि इस थेओरी से बहुतों को इत्तेफाक नहीं होगा । कारण हिन्दू सन...आज के परिवेश में कृष्ण,राधा और मीराआज के परिवेश में कृष्ण,राधा और मीरा*...... कई दिनों से सोच रही थी कि इस विषय पर कुछ लिखूं...अक्सर लोगों को उदाहरण देते सुनती हूँ, देखती हूँ या यूँ समझ...असोम और शांति असोम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने जिस तरह से राज्य में दोबारा से जातीय हिंसा शुरू करने के लिए कुछ सगठनों को ज़िम्मेदार ठहराया है उससे यही पता चलता है कि अभी भी राज्य सरकार के पास काम करने की उ...
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ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी प्यारे मित्रो ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण प्रक्रिया में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन ख़ुशनुमा एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . जिन लोगों क...ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे, ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे, उलझन है बेबसी, छाई है उदासी, मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे, मंजिल है दूर, मुस्किल है राह दोस्तों, अब नज़रों को, नहीं जंचते है न......ताकि कष्टप्रद ना हो अंतिम सफर जो आया है, वह एक दिन जाएगा। यही जिंदगी की कड़वी हकीकत है। बावजूद इसके लोग इस हकीकत को दरकिनार करने से बाज नहीं आते। स्वतंत्रता सेनानी बालाराम जोशी के अंतिम संस्कार से पहले जब उनकी अंतिम यात्रा दुर्ग की शिवन...
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एक अनोखी शख्सियत कितना अच्छा लग रहा है आज मै बता नही सकती। सम्मान किसी भी रूप में हो उसे पाकर इंसान खुद को महत्वपूर्ण समझने लगता है। यह एक ऎसा सच है जिसे नकारा नही जा सकता। लखनऊ से सम्मान पाकर आते ही मुझे अनोखी क्लब में...नीला उजास सत्य है वह या भ्रम था मयूर वर्णी उसका तन था वैजयंती में पिरो गया वह वंशीधुन में डुबो गया वह नयन भी मुंदने ना पाये अधर भी खुलने ना पाये मोह मंतर पढ़ गया वह नीला उजास भर गया वह चाँद उजला अ...अमृता प्रीतम और हरकीरत 'हीर' अमृता जी का जन्म दिन या कि 'हीर' का मेरे लिए दोनों एक ही हैं ...मेरे हाथ में 'रशीदी टिकट' भी है और 'दर्द की महक' भी इस मौके पर हरकीरत 'हीर' की ही एक नज़्म जो उन्होंने खास अमृता प्रीतम के जन्म दिन पर लिखी थ...
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चलते - चलते एक कार्टून :
अब लेते हैं, विराम अगली अगली वार्ता तक के लिए राम-राम.......
8 टिप्पणियाँ:
ब्लू मून की जानकारी पहली बार मिली |वार्ता में कई किंक्स हैं कुछ पढने के लिए कुछ जानकारी के लिए |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
ओह्ह हमे खबर भी नही और अनोखी मायके पहुंच गई...:)
बहुत ही स्तरीय सूत्र..
बढ़िया जानकारी के साथ बेहतरीन लिंक्स चयन के लिए शुक्रिया ललितजी...
बढिया वार्ता
बढिया वार्ता
bahut badhiya varta
Plz. Add our Blog with blog4varta
http://moomal.blogspot.com
Thank
Moomal
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