ललित शर्मा का नमस्कार .....सूना पड़ा पंडाल, पर्यटन के पंडे मालामाल। छत्तीसगढ पर्यटन विकास मंडल तीन दिवसीय (25 सितम्बर से 27 तक) विश्व पर्यटन दिवस मना रहा है। गुरु तेगबहादूर सभागृह रायपुर ( राजभवन के सामने) में आयोजन स्थल पर पहुंचने पर पर्यटन विकास मंडल का कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं मिला। न ही पर्यटन के जिज्ञासु, जिनके लिए आयोजन किया गया है। पर्यटन के विकास के नाम पर मंडल सिर्फ़ सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है। अगर पर्यटन विकास मंडल गंभीरता से कार्य करे तो भारत में छत्तीसगढ जैसा संस्कृति, पुरातात्विक धरोहरों एवं नैसर्गिक प्राकृतिक सम्पदा से मालामाल अन्य कोई प्रदेश नहीं। धन्य है छत्तीसगढ पर्यटन विकास मंडल...........अब चलते हैं आज की वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक।
रमाशंकर शुक्ल की 4 लघुकथाएं
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लघु कथा ०१ जंगल, रजनी और नेट. पैंतालीस के पार राघव इन दिनों अपने में खोए
रहते हैं. घंटों कम्प्यूटर के स्क्रीन पर घूरते हुए कभी खिसियाहट में किसी के
फेसबुक ...हल्का- फुल्का
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कुछ अंगों,शब्दों में सिमट गई
जैसे सहित्य की धार
कोई निरीह अबला कहे,
कोई मदमस्त कमाल. *******************
दीवारों ने इंकार कर दिया है
क...
हिंदी ब्लॉग जगत ' -- एग्रीगेटर , कपिल सिब्बल का है !
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"हिन्दिब्लौग्जगत" नामक एग्रीगेटर कपिल सब्बलों का है जो अभिव्यक्ति की
स्वतन्त्रता से घबराकर कभी फेसबुक बंद कराने की धमकी देते हैं तो कभी कुछ !
पूर्व में भी...
पुकार रही हूँ तुम्हें चातक की तरह नहीं अपनी तरह
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अजन्ता देव की एक कविता आप ने कल पढी थी. आज उसी क्रम में एक और कविता -
अर्द्धसमाप्त जीवन
क्या यही मृत्यु हैजबकि सब-कुछ रह गया पहले सामैं भी मेरा जीवन भीरह ... मत नफ़रत की राह सुझाओ
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मत नफ़रत की राह सुझाओ,
तुम्हें मिलाने दिल भेजा है.
मंदिर मस्ज़िद की दीवारें
क्यों इंसां के बीच खड़ी हो.
एक तत्व है सब प्राणी में,
राम रहीम में अंतर क्यों ...तुम जो नहीं हो तो... आ गए बताओ क्या कर लोगे...
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*कल रात देवांशु ने पूरे जोश में आकर एक नज़्म डाली अपने ब्लॉग पर, डालने से
पहले हमें पढाया भी, हमने भी हवा दी, कहा मियाँ मस्त है छाप डालो... और तभी
से उनकी...
बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
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घोटालों पर अब किसी का ध्यान नहीं जाता
हरेश कुमार
इस देश की जनता अपने नेताओं के द्वारा किए जा रहे घोटालों की अभ्यस्त हो गई
है। इसलिए अब लाखों-करोड़ों रु...मुखौटे
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कुछ लोग अभागे होते हैं
वो जिनके पास होते हैं
या जो इनके पास होते हैं
वो सब के सब
ओढ़े ही रहते हैं मुखौटे
ताउम्र.
उनके आवरणों के टाँके
कच्चे हो भले
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बच्चों का जीवन
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'ऐसी क्या चीज है, जो आपको तो नहीं मिलती है पर आपसे उसकी आशा सदैव की जाती
है', आलोक ने बच्चों से पूछा। इज्जत या आदर, उत्तर मिलने में अधिक देर नहीं
लगी, और ...
आधे सच का आधा झूठ
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*आधे सच का आधा झूठ *
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*ईस्ट इंडिया कम्पनी की नै अवतार सरकार की दलाली करने वाले हिन्दुस्तान
में बहुत से लोग हैं .ये आज भी वही कर रहे हैं जो तब करते थे ....
मेरे शिवा के गणपति!
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इन दिनों भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले १० दिवसीय
विद्या, बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि के दाता, मंगलकर्ता, विध्न विनाशक गणेश जी के
जन्मोत्सव ...
आसाम समस्या से मुहं मोडना कहाँ तक उचित !!
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आसाम में कोकराझार हिंसा के बाद पुरे आसाम में अवैध बंगलादेशी नागरिकों के
बारे में एक माहौल बन गया है वहाँ पर लगातार इन अवैध नागरिकों के प्रति
शांतिपूर्ण प्..
महेशपुर: भग्न मंदिरों का वैभव दर्शन
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बड़े देऊर मंदिर, के पी वर्मा,ललित शर्मा, राहुल सिंह
महेशपुर जाने के लिए उदयपुर रेस्टहाउस से आगे जाकर दायीं तरफ़ कच्चा रास्ता है। यह रास्ता आगे चलकर एक डब्लु...
....वर्ष का सर्वश्रेष्ठ घुमक्कड- नीरज जाट
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एक दिन सन्दीप भाई घूमते घूमते हमारे यहां आ गये। उनका जब भी कभी लोहे के पुल
से जाना होता है, वे अक्सर आ ही जाते हैं। बोले कि इस बार तू परिकल्पना द्वारा
आयोज..विविधा.....
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**बड़ी द्विविधा में हूँ आजकल......*
*किसे स्वीकार करूँ.....???*
*एक वो 'तुम' हो *
*जिसे मैं अब तक जानती थी,*
*पहचानती थी...!*
*आज वो कहीं गुम ह...
शायद ....गज़ल...
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कभी जो राह तकते थे वो अब नश्तर से चुभते हैं
किताबों में रखे हैं फ़ूल वो अब खंजर से दिखते हैं...
हुई ये आँख भी गीली और उदासी का समन्दर है
अगर कोई जाम भी छलके...
सच से हम डर जाते हैं
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रामायण गीता, कुरान,
सब हैं पास,
इन सब की झूठी कसमें खाते हैं,
जाने क्या चोर है मन में,
इस सच से हम डर जाते हैं,
दिल में नफरत,
तो लबो पे मुस्कान,
दिल में म....अक्षुण्ण है भारतीय संस्कृति की मौलिकता - पं. दीनदयाल उपाध्याय
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*पं. दीनदयाल उपाध्याय की जंयती 25 सितम्बर पर विशेष *
पं. दीनदयाल उपाध्याय एक महान राष्ट्र चिन्तक एवं एकात्ममानव दर्शन के प्रणेता
थे. उन्होने मा....
साकार होंगे नवस्वप्न...
बिलकुल नए अँधेरे में
आँखें मूंदकर देखे
नवस्वप्न....
क्या होगा इनका
साकार होंगे
या टूट जायेंगे
टूटना कोई नई बात नहीं
साध्य पीढ़ी नई
मेरी दृष्टी प्राचीन
तो ...पढ़ रहा है मंत्र कोई ....
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** पढ़ रहा है मंत्र , कोई
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* ...सवाल
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*कितने सवाल थे तुम्हारे *
*एक मैं ही क्यूँ *
*और भी तो कई है इस जहाँ में*
*क्यूँ चुना है तुमने मुझे*
*अपने लिए बताओ ना ???*
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*अब क्या कहूँ *
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देते हैं आज की वार्ता को विराम, राम-राम ............
11 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर सूत्र सजाये हैं, आज की वार्ता में।
शुभप्रभात ...सार्थक वार्ता ...
good morning .varta is very nice .
asha
ढेर सारे लिंकों से सुसज्जित..
अच्छी वार्ता !!
achhe links mile...sadar
बहुत सुन्दर सुसज्जित वार्ता...स्थान देने के लिए आपका आभार...
बहुत सुंदर वार्ता
काफी अच्छे लिंक्स मिले आज.
बढिया लिंक्स
अच्छी वार्ता
बहुत सारे लिंक्स मिले .... आभार
achchhi varta hai ..
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