संध्या शर्मा का नमस्कार...महंगाई का कहर बरपाना जारी ही था कि अचानक गैस सिलेंडर का रेट बढने की समाचार सुनकर हालत ऐसी हो गयी है, कि क्या कहें कुछ समझ में नहीं आ रहा है, भला 6 सिलेंडर में साल भर किसके घर में चूल्हा जल सकता है, ये कोई सरकारी योजना थोड़े न है कि कागजों में बन जाती है. सचमुच अब तो अति हो गयी है.... आइये थोड़ी देर के लिए इस महंगाई को भुलाकर ब्लॉग नगरी की सैर पर चलते हैं, वैसे भुलाना मुश्किल है , वहां भी शब्दों से इसीका दुःख छलक रहा है. प्रस्तुत है आज की ब्लॉग वार्ता, आज आपके लिए लाए हैं, कुछ खास लिंक्स, चित्र के रस्ते पहुँचिये ब्लॉग पोस्ट पर..........
भिन्न भिन्न बोली
भिन्न भिन्न भाषा
हर का पृथक पृथक परिवेश
हम खुद हमारे 'खुदा' हैं !
और तो और
हम तुम सब के भी 'खुदा' हैं !!
हमें
किसी की परवाह नहीं है
आज जगत में हिंसा और प्रतिहिंसा का बोलबाला है। इसका प्रमुख कारण है लोगों में अधैर्य, असहनशीलता और आक्रोश की बढ़ती दर। सुखी सम्पन्न बनने की प्रतिस्पर्धा हो या सुरक्षित......
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जहाँ जीवन बुलबुले सा हो जाता है, वहाँ सुख को तुरन्त ही भोग लेने की मानसिकता विकसित हो जाती है, वहाँ समाज का दीर्घकालिक स्वरूप क्षयमान होने लगता है। गैंग ऑफ वासेपुर बस वही कहानी चीख चीख कर बतला रहा है। कोयले से भी अधिक काली वहाँ की कहानी है। अथाह सम्पदा पड़ी है वहाँ, सबके लिये, पर वर्चस्व का युद्ध उसे भी शापित कर देता है।
होंठ खिल पड़े एक मुद्दत बाद
वही विश्वाश, वही अपनापन
आँखें फिर से शरारती हुईं
तुम्हारे झूले पर बैठे हम पल भर को
वही चिड़ियों की चहचहाहट ...
मेंहदी इस बार भी अच्छी चढ़ी है....
मेंहदी इस बार भी अच्छी चढ़ी है....
हमीरपुर जिले के बदनपुर गांव की फूलमती बुंदेलखंड की धरती पर वह कर रही हैं । जिसे देखकर पुरुष भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं । इतनी पढ़ी लिखी तो हैं नहीं कि - पायलट बन सकें ।
आजकल रोज समाचार पत्रों में छपने वाली कोई न कोई बड़ी घटना जैसे कहीं रेल का पटरी पर से उतर जाना, तो कहीं डब्बों में आग लग जाना, या फिर सड़क चलते वाहनों के द्वारा फुटपाथ पर सोते हुए गरीब और बेसहारा लोगों को कुचला जाना, या बड़े स्तर पर विमान दुर्घटनाएँ होना। यह सभी ऐसी ही स्वाभाविक या यूं ही...........
आग लगा कर जनजीवन में,
तुझे जरा भी शर्म न आई.
जगती आशा देख बजट से,
हौले से मुस्काई.
खुदा कहाँ तू , बचा ले अब तो,
तेरी कैसी है ये खुदाई.
हाय हाय महंगाई.. महंगाई - महंगाई ...............
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उसने कहा - हॉ जी अभी अभी कलुआ की अम्मा ने नोकिया मोबाईल के साथ चाय पिलाई है। मैं हड़बड़ाया। मैने कहा - ये क्या बक रहे हो? अरे बिस्किट के साथ चाय तो सुना था ‘‘ये मोबाईल के साथ चाय‘‘ समझ में नहीं आया। आप भी न! जानकर अनजान बनते है चन्द्रा बाबु। वो कैसे? मैने कहा। उसने कहा- अरे सर जी! जब सरकार मुफ्त में लोगों को रोटी नही बल्कि मोबाईल बॉटेगी तो बिस्किट....
मेरा मानना है कि सरकार ने पेट्रोल, डीजल, रसाई गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर आम आदमी को तो महंगाई की आग में झुलसाने का काम किया ही है, इस बहाने भारतीय परंपरा, भारतीय संस्कृति को भी चोट करने का काम किया गया है, जिसका असर आने वाले समय में दिखेगा। सरकार को यदि घाटे की ही चिंता है तो उसे सब्सिडी का खेल बंद कर देना चाहिए और पहला सिलेंडर ही सीधे 747 रूपए में मिले, यह आदेश जारी करना चाहिए, इससे उसकी नीयत में खोट भी नहीं नजर आएगी और भेदभाव का भाव भी लोगों में नहीं रहेगा। .....................
अभी एक आंदोलन सभीने ऐसा देखा जो आंदोलन कम और झण्डों और टोपियों जैसे प्रतीकों का जोड़ ज़्यादा था। पहले ये लोग राष्ट्रीय प्रतीकों की महामहिमा बताकर हीरो बनते रहे। फ़िर यही लोग राष्ट्रीय प्रतीकों पर वार करके हीरो बनने लगे। ‘चित्त भी मेरी, पट भी मेरी, चारों ओर ही भरे पड़े हैं मेरे जैसे’ वाली बात हुई। हे ऊपर-नीचे के कथित ख़ुदाओ और भगवानों, मेरे बाल, बाल हैं और नाख़ून, नाख़ून हैं। मगर मुझे और मेरे बालों को अपने हाल पर छोड़ दो।
पूरे इण्डिया में दिनांक 14 सितंबर को औपचारिक रूप से हिंदी दिवस मनाया गया. हमारा स्कूल इंगलिश मीडियम है तो क्या हुआ यहाँ भी हिंदी दिवस पर गोष्ठी का प्रोग्राम रखा गया. हमारे प्रिंसिपल मि. के. पी. नाथ ने हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा हिंदी की गरिमा बढ़ाने पर बल दिया..
आम आदमी पर आज फिर सरकार का कहर टूटा है ! डीज़ल और रसोई गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने देश भर में लोगों को सकते में डाल दिया है ! घोर आश्चर्य और क्षोभ होता है मुझे हमारे नेताओं की संवेदनशून्यता पर कि .....
सरकार ने आखिरकार डीजल के दाम बढ़ा दिए। संभवत: मई 2011 के बाद पहली बार डीजल के दाम बढे हैं। एक मुश्त पांच रूपए। इससे पहले पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते रहे हैं। इस सरकार के काबिज होने के बाद से करीब 13 दफा।...
चलते-चलते एक कार्टून...
आज के लिए बस इतना ही अगली वार्ता तक के लिए नमस्कार.....
6 टिप्पणियाँ:
बढ़िया लिंक्स से सजी आज की वार्ता |
आशा
रोचक और पठनीय सूत्र
बढिया वार्ता, मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए आभार
बढिया वार्ता,
थोड़ा अलग अंदाज
अच्छा है
यह टिप्पणी हमारे ब्लाग्स को ब्लागोदय और ब्लाग 4 वार्ता से जोडऩे के लिए है। हम कला, शिल्प, यात्रा आदि पर चार ब्लाग संचालित करते हैं। हमने लोगो लगा रखें हैं पर हमारी पोस्ट ब्लागोदय और ब्लाग 4 वार्ता पर कहीं नजर नहीं आती।
उनका पता निम्र है:
http://moomalnews.blogspot.com
http://moomalshilpi.blogspot.com
http://moomalyatra.blogspot.com
http://moomalgaliyara.blogspot.com
कृपया देखें और उचित लगे तो जोड़े।
धन्यवाद
मूमल
विलम्ब से आने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ संध्या जी ! कल कम्प्यूटर पर बैठ नहीं सकी इसलिए देख ही नहीं पाई कि आपने मेरे आलेख को भी सम्मिलित किया है वार्ता में ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार कि आपने मुझे याद रखा ! सभी सूत्र पठनीय हैं !
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