ललित शर्मा का नमस्कार, फ़ेसबुक पर पुष्कर पुष्प कह रहे हैं - चैनलों पर न्यूज़ की बजाये कई बार नॉनसेंस न्यूज़ ज्यादा हावी हो जाता है. किसी ज़माने में लालू यादव के उटपटांग बात को भी प्रमुखता से दिखाया जाता था. पूछने पर न्यूज़ चैनल वाले कहते थे कि लालू बिकते हैं. लालू को दर्शक देखना चाहते हैं. सो उनके नॉनसेंस को भी न्यूज़ बना दिया जाता था. यह सिलसिला अब भी नहीं थमा है. हाल में राज ठाकरे का बयान और उस पर न्यूज़ चैनलों की अँधाधुंध कवरेज इसका उदहारण है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ ब्लॉग लिंक्स …………
तुम कौन हो तुम कौन हो कि तुम्हारा होना भर मुकम्मल करता है मेरे न होने को कि जैसे मेरा वजूद सिर्फ एक हवा है न जाने कितना कुछ जला होगा तब कहीं जाकर आत्मा से उठा है हवनकुंड का यह धुआँ जिससे आती रहती है रह-रह .जहरीले सांप..बरसात होते ही जहरीले कीड़ों और सांप के दंश के खतरे बढ जाते हैं। इनके बिलों में पानी भरते ही ये बाहर निकल आते हैं सुरक्षित जगह की तलाश में और खुद शिकार हो जाते हैं मनुष्य के हाथों या फ़िर मनुष्य और मवेशी को ड..भारत परिक्रमा- छठां दिन13 अगस्त 2012 आंख खुली अण्डाल पहुंचकर। वैसे तो ट्रेन का यहां ठहराव नहीं है लेकिन दुर्गापुर जाने के लिये ट्रेन यहां सिग्नल का इंतजार कर रही थी। आसनसोल से जब हावड...
बेटी बचाओ,.ताकि लड़के उनको छेड़ सकें कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान”। “बेटी बचाओ आंदोलन”। “नारी शक्ति के लिए रैली”। और भी बहुत कुछ....ये....वो..... । किसलिए ताकि जब हमारी बेटी, बहिन,भतीजी...बड़ी हो जाए तो उनको समाज के बिगड़ैल ल...टीटीई, यात्री और रेल धीरे धीरे और देर से ही सही पर रेलवे बोर्ड ने अब क़दमों पर ध्यान देना शुरू कर ही दिया है जो सीधे उसके यात्रियों से जुड़े हुए होते हैं इस कड़ी में ताज़ा उदाहरण टीटीई पर की जाने वाली कार्यवाही के सम्ब...मेरी नैया छपाछप छैया ताल तलैया नाचूँ मैं और मेरा भैया बनी तो यह कागज की लेकिन मुझको प्यारी मेरी नैया बिन पानी तो चलती कैसे डूब डूब उतराती कैसे बिन मोटर और बिन पतवार ठुमक ठुमक इतराती ऐसे दूर देश की सैर ...
आवारा ख्याल गहरे नीले सफेद आसमान को चूमती यह मीनारें और पास में ओढ़ कर उसके पहलू में सिमटे हुए यह हरियाले रुपहले निशान वाजिब है समां और मौजूद हैं इश्क होने के सब सबब कोई बेदिल ही होगा जो इस से इश्क नहीं कर पायेग...एक दिन के वास्ते ही गांव आनाएक दिन के वास्ते ही गांव आना*** *श्यामनारायण मिश्र*** *ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में*** *एक दिन के वास्ते ही गांव आना** * *लोग कहते हैं तुम्हारे शहर में* *हो गये दंगे अचानक ईद को* *हाल कैसे है.जीवन के रंग ...! यह जीवन है गहरा गागर सुख औ दुःख गाड़ी के दो पहिये धूप औ छाँव सुख के दिन चार आँख के आँसू छलते हरबार जो पाँव तले खिसकती धरती अधूरी प्यास पहाड़ -सा ह्रदय शोक -विषाद अत्यंत मंथर हैं बोझिल पल
प्रेम की, गिनती अढ़ाई है नहीं पूरी प्रेम की, गिनती अढ़ाई है, तभी मुस्किल प्रीत की, इतनी पढ़ाई है, न जाना कोई न समझा, दिल्लगी दिल की, बड़ी टेढ़ी रीत, नम पथ की चढ़ाई है, तले पलकों के रखा, तुझको छुपा मैंने, पर्ते दिल पे चाँद सी, सूरत ...पति को पटाने के तीन नुस्खेअगर आप चाहती है कि आपके पति, आपमें अरुचि ना रखें, तो आप गरिष्ठ भोजन में अरुचि रखें ताकि आपका बदन छरहरा रहे और यौवन हरा भरा रहे अपने शरीर को फैलने का मौका मत दो और अपने पति को ,इधर उधर...अन्दाज अपना-अपनामानव जाति के **शौकीन** आधुनिक पूर्वज * दोस्तो नमस्कार काफी दिन बित गये कोई पोस्ट नहीं लिख सका कारण कि पहले तो खेत के काम में व्यस्त रहा निनाण वगैरह का कार्य था खेत में इसलिये उसको निपटाता रहा फिर बरसात ...
"अरमान"... संग तेरा पाने क्या क्या करना होगा मितवा, सूरज सा उगना होगा या चाँद सा ढलना होगा. खूब चले मखमली राहों पर हम तो मितवा, काटों भरी राह में भी हँसकर चलना होगा. तारीकी राहों की खूब बढ चुकी है मितवा, चिंगारी को ... हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है...विगत 27 अगस्त को परिकल्पना ने अपना दूसरा ब्लॉग उत्सव अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन के रूप में मनाया । विगत वर्ष यह कार्यक्रम नयी दिल्ली में 30 अप्रैल को हुआ था । जब-जब ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम होते ...मिलोगे बस मेरे दिल में इस कविता में इक खास बात है इसे लिखते समय पैराग्राफ की तरह लिखा गया फिर जाने क्यों लगा कविता सी हो गई तो बस कुछ पंक्तियों में शब्द कांटे छांटे एंटर मारा और बस ये कविता बन गई अब कितने लोगो को ये कविता लग...
पहलवान बच्चा पैदा करना है तो वन अंगारा हुआ खिले हैं जब से फूल पलाश के । यह गीत तो आप सभी ने पढ़ा ही होगा ,लेकिन जब पलाश के गुणों के बारे में जान जायेंगे तो सच में आपका मन अंगारा हो जाएगा . इसका अंग्रेजी में नाम है- Flame of the fores...वैयक्तिक लाभ और सामाजिक लाभ बोलते विचार 66 वैयक्तिक लाभ और सामाजिक लाभ आलेख व स्वर डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा टी. वी. बिगड़ गया था। दुकानदार को फोन कर दिया, उसका आदमी घर आया और सुधारकर चला गया। पैसे लेकर रसीद दे गया, सब बढि़या।...शिक्षा एक विचार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा का बहुत महत्व है |शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनवरत चलती रहती है जन्म से मृत्यु तक |जन्म से ही शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है |शिशु अवस्था में माता बच्चे की पहली ग...
चलते चलते व्यंग्य चित्र
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम
6 टिप्पणियाँ:
बहुत नये सूत्र, आज अधिक पढ़ना पड़ेगा...
सही अंदाज़ ...
बहुत अच्छी वार्ता, बढ़िया लिंक्स... स्थान देने के लिए आभार आपका
अच्छी लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
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