आज की वार्ता में संगीता स्वरूप का नमस्कार ..... वार्ता4 ब्लॉग पर मेरी पहली वार्ता ........ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वह प्राईवेट कंपनियों को प्राकृतिक संसाधन देने के लिए नीलामी की प्रक्रिया ही अपनाएं । अब प्रक्रिया कोई भी हो घोटाला तो होना ही है .... चलिये घोटालों के बीच ही हम चलते हैं आज की वार्ता पर --
सब कुछ गूगलमय ---
रात लगभग आधी बीत ही चुकी। लेकिन बात कुछ ऐसी है कि 'रह न जाए बात आधी।' घड़ी का काँटा १२ के डिजिट को विजिट कर उस पार की यात्रा पर निकल गया। अब तो डेट भी बिना लेट किए करवट बदल ली। २७ की अठ्ठाइस हो चुकी। लेकिन बात तो आज ही की है; आज ही की शाम की है.....ये शाम कुछ अजीब थी....
आज शाम एक ताना सुनने को मिला कि मैं बहुत 'कर्री' और लगभग 'गद्द नुमा कवितायें' लिखने लग पड़ा हूँ।
रचना जब विध्वंसक हो
जब चुप्पी इतनी क़ातिल है,
लब खोलेंगे तब क्या होगा ?
जब छूछे नैन बरसते हैं,
भर आएँगे तब क्या होगा ?
व्यस्तता नहीं, अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है
यूँ तो आजकल हर कोई व्यस्त है । जीवन की गति से तालमेल बनाये रखने को आतुर । जीवन से भी अधिक तेज़ी से दौड़ने को बाध्य । आपाधापी इतनी कि हम यह विचार करना भी भूल ही गए कि जितना व्यस्त हैं , इस व्यस्तता के चलते जितना लस्त-पस्त हैं, उसकी आवश्यकता है भी या नहीं।
ख्वाब तुम पलो पलो
तन्हा कदम उठते नहीं
साथ तुम चलो चलो
नींद आ रही मुझे
ख्वाब तुम पलो पलो
कमला बाई की कहानी उसकी जुबानी
नागपुर से ट्रेन में सवार हुआ, आरक्षण था नहीं, इसलिए रायपुर तक का जनरल बोगी का ही सफ़र लिखा था। फिर अधिक दूरी भी नहीं है, सिर्फ 5 घंटे का सफ़र यूँ ही कट जाता है। बड़ी मशक्कत के बाद बोगी में घुसने मिला, शर्मा जी ने बालकनी में सीट देख ली थी, चलने की जगह पर भी लोगों का सामान रखा हुआ था।
राधा को ही क्यों चलना पड़ता है, हर युग में अंगारों में !
राष्ट्र-संपदा की लूट-खसौट,
बंदर बांट लुंठक-बटमारों में,
नग्न घूमता वतनपरस्त,
डाकू-लुटेरे बड़ी-बड़ी कारों में !
ज़रूरी नहीं कि हर सीने का दर्द दिल का दौरा ही हो
सीने का दर्द कई कारणों से हो सकता है लेकिन इसे हमेशा दिल के दौरे से जोड़ कर देखा जाता है। लोगों में दिल के दौरे का खौफ इस कदर समाया हुआ है कि जरा सा छाती में खिंचाव, दर्द या जलन की शिकायत हुई नहीं कि दौड़ पड़े निकट के डॉक्टर के पास। तुरंत ईसीजी और खून की कई जाँचें तत्काल करा ली जाती हैं पर नतीजा कुछ नहीं निकलता। इसके बाद भी संतोष नहीं हुआ तो पास के किसी नर्सिंग होम या छोटे अस्पताल में जाकर भर्ती हो गए और वहाँ के आईसीयू में चार-पाँच दिन गुजारने के बाद तसल्ली मिली।
साधना शब्दों की ... !!!
साधना शब्दों की
तुम्हारे शब्दों को जब भी मैं अपनी
झोली में लेती वे तुम्हारी खुश्बू से
मुझे पहले ही सम्मोहित कर लेते
तुम्हारे कहे का अर्थ
मैं पूछती जब भी चुपके से
‘रेणु’ से ‘दलित’ तक
एक था ‘रेणु’ और दूसरा था ‘दलित’ | दोनों का सम्बंध जमीन से था | रेणु का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिम्गना गाँव में हुआ | दलित का जन्म छत्तीसगढ़ के अर्जुंदा टिकरी गाँव में हुआ | दोनों ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े | रेणु कथाकार र्हा और दलित कवि |
बाहरी (लघु कथा)
गरीबा समुद्र के किनारे बैठा देख रहा था, कि लोग बारी-बारी से गणेश जी की विभिन्न आकर की प्रतिमाएँ लाते और उन्हें समुद्र मैं विसर्जित करके नाचते-गाते वहाँ से चले जाते. गरीबा बहुत देर तक यह सब देखता रहा.बरसात के बाद शिशिर के आगमन से पहले
बरसात के बादजब मौसम करवट लेता है
शिशिर के आगमन से पहले
और बरसात के बाद की अवस्था
मौसम की अंगडाई का दर्शन ही तो होती है
"स्वास्थ्यवर्धक के नाम पर लूट!"
आदरणीय स्वामी जी!आपकी बात मानकर मैं स्थानीय पतंजलि क्रयकेन्द्र पर गया तो वहाँ 5 अनाजों से निर्मित स्वास्थ्यवर्धक आटे का दाम पचास रुपये किलो था।...
विचलन
चारों और घना अन्धकारमन होता विचलित फँस कर
इस माया जाल में
विचार आते भिन्न भिन्न
कभी शांत उदधि की तरंगों से
" १९ जुलाई से २८ सितम्बर तक ....
वर्ष में १२ माह होते हैं परन्तु हमारे यहाँ तीन माहों में ही हम सब के जन्म दिन हो जाते हैं | पार्टियां करो तो लोग कहते हैं , यार इनके यहाँ तो रोज ही जन्म दिन होता है | जब बच्चे छोटे थे तब दोनों का जन्म दिन हमलोग अक्सर किसी एक की ही तिथि पर मना लिया करते थे | पर उस दशा में दोनों में गिफ्ट के लिए बहुत लड़ाई होती थी |बेहतर
वेदना संवेदना हैक्रोध है और कामना है
मोह है और भावना है
मद है कुछ अवमानना है
प्रेम है सद्भावना है
इनके चलते मै सिरफ
इन्सान हूँ यह मानना है ।
आंच-120 : चांद और ढिबरी
दीपिका जी के ब्लॉग ‘एक कली दो पत्तियां’ पर पोस्ट की गई कविताएं पढ़ते हुए मैंने महसूस किया है कि कविता के प्रति दीपिका जी की प्रतिबद्धता असंदिग्ध है और उनकी लेखनी से जो निकलता है वह दिल और दिमाग के बीच कशमकश पैदा करता हैएकताल
केलो-कूल पर कला की कलदार चमक रही है। यह आदिम कूंची की चित्रकारी के नमूनों, कोसा और कत्थक के लिए जाना गया है। यहां रायगढ़ जिले की छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा से लगा गांव है- एकतालपरिंदे ऐसे आते हैं
आज सुबह जब आंख खुलीरात की आलस धुली
मैंने पाया
मैं चिड़िया बन गया हूँ
सूर्य पुत्र
एक समय की बात है जब बेल्ला कूला नदी से कुछ ही दूरी पर रहने वाली युवती अपने ही कबीले के नवयुवकों की ओर से आने वाले सारे विवाह प्रस्तावों को ठुकरा रही थी क्योंकि वह स्वयं सूर्य से विवाह करने की इच्छुक थी , अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए उसने अपना गांव छोड़ा और सूर्य की खोज में चल पड़ीहीरोइन नहीं थी वो
हिरोइन नहीं थी वो,
हिरोइन नहीं थी वो,
और न ही किसी मॉडल एजेंसी की मॉडल
फिर भी,
जाने कैसा आकर्षण था उसमे
जो भी देखता, बस, देखता रह जाता,
अपनी कहानी, आपके साथ
ये वक्त भी कट जाएगा और वक्त की तरह। बस इंतजार है हमें अपनी किस्मत का।तो क्या? हम कोई लेखक हैं जो लिख कर रखते हैं। अपनी तो अदा ही निराली है, बस एक नजर देखा और लिख डाला सब कुछ।
इतने दिनों बात उनसे हमारी मुलाकात हुई। कब देखत-देखते सुबह से शाम हो गई ये पता ही ना चला।
रेखा जोशी की लघुकथा - एक कप चाय और सौगंध बाप की
शर्मा जी ने हाल ही में सरकारी नौकरी का कार्यभार संभाला था,अपनी प्रभावशाली लेखन शैली के कारण वह बहुत जल्दी अपने ऑफ़िस में प्रसिद्ध हो गए।आज के लिए इतना ही ..... मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
18 टिप्पणियाँ:
पहली वार्ता ..जबरदस्त ..स्वागत है आपका .
बहुत-बहुत स्वागत है आपका संगीताजी... बढ़िया वार्ता और बेहतरीन लिंक्स के लिए आभार...
आपका स्वागत है संगीता जी यहाँ |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
संगीता जी,इनमें से कई पोस्टें पढ़ चुका हुँ,सब बेहतरीन हैं,मेरी को छोड़कर!
आपके विशेष स्नेह का आभारी हूँ ।
आपकी प्रथम वार्ता बहुत ही अच्छी लगी हमें शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार
सादर
वाह ..
बहुत अच्छी वार्ता ..
ब्लॉग4वार्ता में स्वागत है आपका !!
आभार संगीता जी, इस अर्थपूर्ण ब्लॉग- वार्ता के लिए !
आपका हार्दिक आभार, संगीता जी।
रोचक सूत्र पिरोये हैं।
सुन्दर लिंक्स !
लिंक शामिल करने के लिए आभार.
शुक्रिया...
बहुत सुन्दर लिंकों से सजी हलचल!
आभार आपका!
बढिया लिंक्स हैं ब्लॉगवार्ता 4 पर । जाती हूँ और आनंद उठाती हूँ । मेरी रचना भी इन के साथ रख ली बहुत आभार ।
सार्थक लिंकों के साथ ब्लॉग वार्ता ४ में पहली प्रस्तुति के लिये बहुत२ बधाई शुभकामनाये,,,,,
बढ़िया लिनक्स ...आभार संगीताजी
प्रायः हर किसी की रूचि का कुछ न कुछ चुना आपने।
वाह.....
बधाई दी....
पहली वार्ता...
इतनी सुन्दर...और हमारी रचना को भी स्थान दिया आपने...
आभार..
विलम्ब हेतु क्षमा.
सादर
अनु
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