नमस्कार, हमारी संस्कृति में उत्सव का अधिक महत्व है। जन्म से मृत्यु तक हम उत्सव मनाने के अवसर ही ढूंढते रहते हैं। जब भी अवसर मिलता है, उत्सव मना ही लेते हैं। प्रत्येक दिन कोई न कोई उत्सव होता है। मृत्यु को भी हमने उत्सव में सम्मिलित कर लिया। राजा राम के कोसल आने की खुशी में सदियों से छत्तीसगढ में छेरछेरा पुन्नी का त्यौहार मनाया जाता रहा है। वह तिथि आज थी और आज के दिन छेरछेरा पुन्नी का उत्सव मनाया गया। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, आपके लिए लाए हैं कु्छ लिंक......
प्राइव्हेसी की जबरदस्त डिमांड तो है, आखिर क्यों ?अकसर आज कल दिख ही रहा है कि घर के सदस्यों की संख्या से ज़्यादा मोबाईल फोन और लगभग उस से भी ज़्यादा सिमकार्ड होते हैं। लेकिन एक तो पंगा अभी भी है – अब बेवजह किस बात का पंगा? – प्राइवेसी का। एक स्कूल जाने वाले...उसकी आँखेंउसकी आँखें गहरी आँखें दरवाजे पे ठहरी आँखे बरस बीते अबतक सीली तारो सी रुपहली आँखें दिलतक आई मैंने पाई प्यार भरी रसीली आँखें आँखों में अबतक ज़िंदा है दर्द पगी पनीली आँखें ..
जाने क्यों???आज इन पलकों में नमी जाने क्यों है रवानगी भी इतनी थकी सी जाने क्यों है जाने क्या लाई है पवन ये बहा के सिकुड़ी सिकुड़ी सी ये हंसी जाने क्यों है. खोले बैठे हैं दरीचे हम नज़रों के आती है रोशनी भी उन गव...उजला आसमां ( काव्य - संग्रह )पिछले अप्रैल माह की एक शाम थी... यूँ ही बैठी अपने ब्लॉग की कविताएँ उलट पलट कर रही थी .कि पीछे से बेटे ने आकर कहा - अरे इतना शौक है कविता लिखने का , अब तो एक संकलन आ ही जाना चाहिए .पता करो बाकी मैं संभाल..
पैमाना लबालब न भरा हो तो कैसी तृप्ति?मन लागो मेरो यार फ़कीरी में” – फ़कीरी का आनंद अलमस्ती में है। शाम के धुंधलके में एक-एक कर प्रकाशित होती दीप मालिकाएं तम हरण की भरपूर कोशिश में है। कार में बजता हुआ स्टिरियो ले जा रहा है मुझे फ़कीरी की ओर। शब...बिना पानी के काटे गए वो घंटे मुझसे भूले नहीं जा रहे !!2011 की पहली जनवरी को भले ही पूरी दुनिया नववर्ष का स्वागत करने और आनंद मनाने में व्यस्त हो , हमलोग खुशियां नहीं मना सकें। सुबह नाश्ता बनाते वक्त रसोई में प्रेशर कुकर के सेफ्टी वाल्व ने तो हमें एक दुर...
पाक शास्त्र की एक नयी विधि -निर्वात पाक -क्रिया यानि 'सौस वाईड' ...खाने पीने के शौकीनों के लिए पाक विद्या की एक और विधि प्रचलन में है जिसे फ्रेंच शब्द *सौस वाईड* का नाम दिया गया है जिसका मतलब है निर्वात में पकाना -व्यंजनों के पकाने के लिए ब्रायलर सरीखी पारंपरिक विधियों मे...आग को न छेड़ोयूं साँस लम्बी ले कर इस घाव को न छेड़ो दिल और जल रहा है इस आग को न छेड़ो मुरझा गई है अब वो यूं ताप सहते सहते दिल दुःख रहा है इस का इस पाँख को न छेड़ो दर्पण की भांति टूटा ये दिल चटख चटख कर टूटा है जिस से...
भ्रटाचार का जमाना , महाधिवक्ता है सुरानासुराना परिवार पर मंदिर की जमीं हडपने का आरोप है हमने इसे छपा था याददाश्त के लिए फिर पढिये ... यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संस्कार है या भारतीय जनता पार्टी का कारनामा है यह तो आम जनता तय करेगी लेकिन प्रदेश ...हर व्यक्ति के लिए मज़दूरी लाज़िमी क्यों होनी चाहियेलोग कभी कभी पूछते हैं, "हर व्यक्ति के लिए मज़दूरी लाज़िमी क्यों होनी चाहिये ?" मैं पूछता हूँ, "हर एक के लिए खाना क्यों ज़रूरी होना चाहिए ?" पूछा जाता है कि ज्ञानी मज़दूरी क्यों करे ? व्याख्यान क्यों न दे ? ...
"लिपटी हैं तन पर आपकी यादें चाशनी होकर"उफन रहे हैं आज अश्क फिर,पी गया जो कभी खामोश होकर। फिर किसने क़तर डाले पर यहाँ,खौफजदा परिंदे उड़ान में शामिल होकर। गुनगुनाती हैं ये सर्द हवाएँ,चले थे हम किसी के साथ होकर। हाल-ए-बयां कैसे हो जमाने से,फूल भी...शिव के गीतगीत-१, वह तेरी कहानी कहती है. शिव तेरी जटा से गंगा की जो धारा बहती है, वह तेरी कहानी कहती है. गिर पर्वत से सागर की लहरों से जो मिलती है वह तेरी कहानी कहती है. कलकल धारा के शब्द नहीं वह भाव हृदय के है...
नरहर पुर में प्रजातंत्र की हत्या एक जूट आदिवासी समाज के सामने अपने आदिवासी नेताओ के बौने साबित होने के बाद भी बेशर्मी में उतर आये भाजपा ने उपाध्यक्ष पद के लिये पिठासीन अधिकारी पर सत्ता का रोब दिखाकर अपनी मनमानी कर ली। पहले तो उन्होने निर्...उठो जागो और आगे बढ़ोसमस्त आत्मीय जन मुझ अकिंचन की ओर से शत शत वंदन एवं नववर्ष की अशेष शुभकामनायें स्वीकार करें | *आजकल देश की स्थिति को देखकर मन बड़ा खिन्न है | भय, भूख, भ्रष्टाचार और महंगाई सर्वत्र विराजमान ...
इस को क्या कहेंगे ....................... ममता या बलिदानअभी अभी मैं एक नामकरण संस्कार की दावत खा कर लौटा हूँ . यह कोई ख़ास बात नही और ना ही ब्लॉग में लिखने वाली बात है लेकिन मुझे लगा कि इस दावत के बारे में बताना ही चाहिए . इसलिए मैं बता रहा हूँ . करीब दस साल प...हिंडोळा , ऐ आळीहिंडोळा , ऐ आळी चांदणी पकड़ आगळी चांद री नर्तन करै आंगणे सांवळी चदरिया लुक गी कठेइ... ओळा में, आंख्यां टमकावती रात बैठी चुपचाप बातां करे ज्यां आपूंआप, रुनझुण म्हारी पायल ओरुं चंचल हूंगी , झिलमिल ...
चलते चलते
वार्ता को देते हैं विराम, सभी को राम राम -- मिलते हैं ब्रेक के बाद
10 टिप्पणियाँ:
ललित जी ब्लोगर सम्मान के लिये बधाई |
समीर जी को भी बधाई |
आशा
lailt ji badhai !
अच्छे लिंक्सों को समेटती सुंदर वार्ता .. आभार !!
बहुत बढ़िया वार्ता दादा ... अखबारों में तो आप छाये हुए है ! बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
बहुत बढ़िया वार्ता है ..सम्मान के लिए एक बार फिर बधाई ललित जी !
झकास लिंक, और हॉं ललित जी, फोटो में आप बड़े स्मार्ट दिख रहे हैं।
सम्मान के लिए बधाई।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
ब्लॉगर सम्मान के लिए आपको और समीर जी को बधाई ...अच्छी वार्ता
badhaai sweekarein ,badhiyaa charcha
बधावन हो भैया बधावन
चर्चा अच्छी रही जी, आप को राम राम -- मिलते हैं ब्रेक के बाद
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