क्या ब्लॉग्स के माध्यम से हमारा योगदान समाज तक पहुँच रहा है ? वाकई एक अहम सवाल...
हम और आप कुछ सोचते हैं.. कभी कभार भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए कुछ लिख लेते हैं... मगर क्या हमारी सोच और हमारा योगदान समाज तक पहुँच रहा है? दिव्या बहन की यह सशक्त पोस्ट बहुत कुछ सोचनें पर विवश कर रही है...चलिए चिंतन मनन कीजिएगा और हमें भी अपने विचारों से अवगत कराईएगा... तब तक हम अपनी रेलगाडी आगे बढाते हैं।
अपनें शिवम भैया नेता बननें चले हैं.... यकीन नहीं आ रहा है ना? तो फ़िर लीजिए यह देखिए । चलिए नेता बनिए और मस्त मस्त घोटाला करिए.... वईसा ही जईसा लिखे हैं... ही ही..
अब लीजिए विदेश यात्रा पर जाने में डर -सतीश सक्सेना... चिन्ता तो वाज़िब ही है... सावधानी ज़रूरी है ।
अब लीजिए वाह लाइफ़ हो तो ऐसी...खुशदीप... चित्रों पर गौर कीजिएगा... गजब की कलाकारी है फ़ोटोग्राफ़र की, खुशदीप भैया
अब बात कुछ काव्य की तो पेश है प्रतुल भाई की एक प्रस्तुति.... सूर्यग्रहण... गजब, प्रतुल भाई
कुछ और भी कुछ विचार बिखरे बीखरे :- भई मजा आ गया... आप भी दाद खाज़ दीजिए....
बच्चन साहब की सदाबहार कविता को फ़िर से पढिये कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती भई वाह बच्चन साहब का ज़वाब नहीं....
और लीजिए भाई एक गज़ल भी हो जाए... सारा हिसाब मांगे है - जां निसार अख्तर
भई महफ़िल लगी की नहीं? लगी तो वाह वाह कीजिए भाई।
अब लीजिए भाई अलविदा दोस्तो!! अरे ई अलविदा नहीं है... पढिए तो फ़िर असलियत पता लगेगा ना....
इस फोन काल से सचेत रहें :- एक ज़रूरी जानकारी ।
अब लीजिए दिनेश राय जी लाए हैं मैं एक विस्फोट भी हूँ । शिवराम को नमन और उनकी ही एक कविता के अंश
कुचल दो मुझे
मैं उठा हुआ सिर हूँ
मैं तनी हुई भृकुटि हूँ
मैं उठा हुआ हाथ हूँ
मैं आग हूँ
बीज हूँ
आंधी हूँ
तूफान हूँ
और उन्हों ने
सचमुच कुचल दिया मुझे
एक जोरदार धमाका हुआ
चिथड़े-चिथड़े हो गए वे
उन्हें नहीं मालूम था
मैं एक विस्फोट भी हूँ।
चलते चलते आप लोगों का परिचय दुनियां के एक अमीर आदमी से कराऊं क्या ?
तो फ़िर लीजिए भाई आप भी क्या याद करेंगे.... लीजिए देखिए भाई एक अमीर आदमी
फ़ोटुआ हम यहीं दिखाएंगे... कितना अमीर आदमी है यार यह.....
लीजिए भाई एक अंतिम किस्सा और सुनते जाईए...
छोटा मुन्नू बोला:- पापा अपनें पडोसी सिन्हा अंकल बहुत अमीर हैं क्या?
पापा :- नहीं, बेटा ऐसा क्यों बोल रहे हो....
मुन्नू:- क्योंकि अभी सिन्हा आंटी नें बाहर प्याज़ के छिलके फ़ेंके और अभी दाल बीन रहीं हैं.....
कहिए भाई कैसी कहीं.....
जय हिन्द
देव कुमार झा
13 टिप्पणियाँ:
झा साहेब नव वर्ष आपको शुभ और मंगलमय हो |मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बढ़िया! कई लिंक्स ऐसे मिले जो देख नहीं पाया था
ाच्छे लिन्क मिले। आभार।
वाह... बेहतरीन ब्लॉग वार्ता...
बेहतरीन लिंक्स के साथ सार्थक वार्ता।
देव बाबु ... अब यह पार्ट टाइम वार्ता बहुत हुयी ... अब आ जाओ फुल टाइम मैदान में !
मस्त वार्ता लगाई है बन्धु ... अंदाज़ ऐ बयां ... बेहद उम्दा है ... मज़ा आ गया ... बढ़िया लिंक्स ... और उनको पेश करने का तरीका और भी बढ़िया !
बाकी नेता तो बाबु हम बन के रहेंगे ... अब लोगो को यकीन आये या ना आये !
बढ़िया वार्ता है और चुटकुला भी.
अछा संकलन ... मज़ा आया अंत पढ़ कर ..
बेहतरीन लिंक्स के साथ..बढ़िया वार्ता!
इस सार्थक संग्रह के लिए आपको बधाई ।
jha sahab meri post link jodne ke liye dhanyawad
फोन काल से भी
और ई मेल से भी
सतर्कता ही जिदगी है
लापरवाही है लूट तेरी
हिन्दी ब्लॉगरों और अन्य परिचितों कहानीकार श्री तेजेन्द्र शर्मा की ई मेल आई डी हैक हो गई है : सतर्क हो जायें
bahut achhi charcha
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