एक नई जानकारी प्रदर्शित हुई है, जिसका शीर्षक है 'क्या है ब्लॉगिंग?: अमर उजाला में डिजिटल कॉर्नर का खुलासा'व्हाया नुक्कड़ देखिये ये पोस्ट जी इसके अलावा आज़ फ़िर गौरव सोलंकी की कहानी "चालीस" ओर यश भारत जबलपुर में खूब छपे ब्लोगर्स किन्ही सुशांत दुबे जी, का आभार जिनने खटीमा पर आलेख दिया. इसी ब्लाग में विष्णु बैरागी जी छपे राजा व्यापारी : प्रज़ा भिखारी,
रस्तोगी साहब की पोस्ट देखिये "ब्लॉगरी में भी विकृत मानसिकता" यह चिंता ज़ायज़ है हो भी क्यों न इसे नकारिये गा क्या:-""जितना समय दूसरे ब्लॉगर की टांग खींचने उनकी टिप्पणियों में अनर्गल पोस्ट लिखने में लगा रहे हैं उतना समय अगर किसी अच्छे विषय पर या अपनी दिनचर्या से कोई एक अच्छा सा पल लिखने में लगाते तो शायद उससे पाठक ज्यादा आकर्षित होते। परंतु कैसे स्टॉर ब्लॉगर बनें और कैसे ब्लॉगरों की टाँग खींचे ये सब प्रपंच कोई इन विकृत मानसिकता वाले ब्लॉगर्स से सीखें।"
रस्तोगी साहब की पोस्ट देखिये "ब्लॉगरी में भी विकृत मानसिकता" यह चिंता ज़ायज़ है हो भी क्यों न इसे नकारिये गा क्या:-""जितना समय दूसरे ब्लॉगर की टांग खींचने उनकी टिप्पणियों में अनर्गल पोस्ट लिखने में लगा रहे हैं उतना समय अगर किसी अच्छे विषय पर या अपनी दिनचर्या से कोई एक अच्छा सा पल लिखने में लगाते तो शायद उससे पाठक ज्यादा आकर्षित होते। परंतु कैसे स्टॉर ब्लॉगर बनें और कैसे ब्लॉगरों की टाँग खींचे ये सब प्रपंच कोई इन विकृत मानसिकता वाले ब्लॉगर्स से सीखें।"
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आज़ एक खास खबर ये है कि :-
खास ऐलान :-अब कमर कसके उठाना ही पड़ेगा...अन्यायियों के खिलाफ | | ||||||
चलते चलते .................दो गज़ल एक टूटे हुए दिल की है बस इतनी-सी कहानी शीशे के बदन को मिली पत्थर की निशानी टूटे हुए दिल की है बस इतनी-सी कहानी फिर कोई कबीले से कहीं दूर चला है बग़िया में किसी फूल पे आई है जवानी कुछ आँखें किसी दूर के मंज़र पर टिकी हैं कुछ आँखों से हटती नहीं तस्वीर पुरानी | |||||||
फिर भूलूं, क्यूं याद करूं..मैं तारे भी तोड़ लाता आसमां में जाकर, तुम ही छिटक के दूसरे का चांद हो गईं। घनघोर घटाटोप* से मुझको कहां था डर, तुम ही चमक के दूर की बरसात हो गईं। पंकज शुक्ल |
12 टिप्पणियाँ:
गिरीश बिल्लोरे जी आपने तो आज की वार्ता में बहुत उपयोगी चर्चा की है!
आपकी कल्पनाशीलता का भी जवाब नहीं गिरीश भाई । बहुत कमाल का अंदाज़ । और हां आपने सच कहा कि अखबार अब नहीं कर सकेंगे नज़रअंदाज़ हिंदी ब्लॉगिंग को । बढिया वार्ता ।
मेरा नया ठिकाना
Ajay bhai
Shukriya
अति हो गई ये तो उत्तम लिंक्स की याने के अति उत्तम :-)
अच्छी वार्ता .....आभार
जय हो ... जय हो ... गिरीश दादा की जय हो ... मस्त वार्ता लगे है आज आपने ! मज़ा आ गया !
बहुत ही सुन्दर और सार्थक वार्ता की है।
बहुत बढ़िया वार्ता ..
अच्छी वार्ता है.
यह अंक कुछ हट कर और अच्छा लगा.
बहुत अच्छी वार्ता
एक अलग अंदाज़, भा गया
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