प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
ब्लॉग4वार्ता का पूरा वार्ता दल इस काण्ड की घोर भत्संना करता है और सरकार से यह अपील करता है कि न्याय पालिका पर जनता के विश्वास को कायम रखते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए !
दोषियों को सजा मिलेगी.... इसी विश्वास के साथ अपनी वार्ता को आगे बढ़ाते हैं.....
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सबसे पहले कुछ अर्थ शास्त्र की बातें....
सामाजिक नियंत्रण बिना बाजार छुट्टा सांड होता है :- शिवराम का बहुत उम्दा आलेख
आओ पैसा कमायें “जटिलता की जगह सरलता को चुनें” - भाग १ :- जी बिल्कुल, भाग-२ की प्रतीक्षा है.
जीवन बीमा में समूह की छतरी बढ़ी, पर लोग हुए व्यक्तिगत बीमा से दूर :- बीमा आग्रह की विषय वस्तु है....
आगे भी देखिए भाई
अब आपदाओं में भी काम करेंगे फोन :- बहुत रोचक जानकारी...
गोविन्द शर्मा का व्यंग्य - मेरा गुस्सा मेरा है :- जी बिलकुल...
चिरयुवा :- सभी की यही उम्मीद है की चिर युवा रहें.....
श्री समीर-सलाह, डॉ दराल प्रेस्क्रिप्शन, अनवांटेड एडवाइज़...खुशदीप :- नैतिक चेतावनी...किसी को बिन मांगे सलाह देना भी कम ख़तरनाक नहीं...
आपकी लेखनी अबाध गति से चलती रहे :- आमीन
धन काला है या नहीं पहले इसकी जांच हो - बूटा सिंह :- फिर तो भैया सारे नेताओं का पैसा सफ़ेद हो गया.....
हाईप्रोफाइल लाईफ !! :- कडुवा सच
घुंघराले बालों वाली शाम :- आनंद लीजिये...
पनीर कोर्न मसाला :- अब खाने पीने की बातों के बिना कैसे काम चलेगा भाई....
यहाँ हैल्थ की मज़बूरी है, वहां वैल्थ की मज़बूरी है :- जीवन की विषमताओं से रूबरू कराती हुई
कुछ फ़िल्मी बातें भी हो जाएं.... तो फ़िर लीजिए फिल्म समीक्षा :दिल तो बच्चा है जी
चोला माटी के हे रे :- बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है....
इसी के साथ आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
देव कुमार झा
प्रणाम !
भारत.... दुनियां की दूसरी सबसे बडी आबादी... सबसे बड़ा लोकतंत्र... भारत की अर्थव्यवस्था मुद्रा स्थानांतरण की दर से विश्व में दसवें और क्रयशक्ति के अनुसार चौथी सबसे बडी अर्थ-व्यवस्था... दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी शक्ति... और यकीनन आज भारत एक विश्वव्यापक शक्ति है। आज़ादी के बाद धीरे धीरे ही सही भारत ने विकास किया.... और पिछले बीस वर्षों में यकीनन विकास दर बढ़ी है... आज के दौर की तमाम समस्याओं के बावजूद विश्व समुदाय की नज़र में भारत निवेश के लिहाज़ से एक बड़ा व्यापारिक केंद्र बन कर उभरा है। लोकतंत्र परिपक्व हुआ है की नहीं यह किसी चर्चा का मुद्दा हो सकता है मगर इतना ज़रूर है की बदलते दौर में लोग बदले हैं, लोगों की संवेदनाएं बदली हैं, लोगों की सामाजिक सोच बदली है। सोचिये वह दौर जब नेताओं के बोल स्कूलों की दीवारों पर लिखे होते थे, राजनीति में लोग सेवाभाव से आते थे... बदलते दौर में राजनीतिक सोच बदली है... तंत्र बदला है... कैसे कैसे इस तंत्र ने भ्रष्ट राजनीति और भष्ट तंत्र के इर्द गिर्द एक ऐसा कुचक्र लाकर खड़ा कर दिया जिसने भले और नेक अफसरों और नौकरशाहों के लिए दुविधा की स्थिति खड़ी कर दी.... जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ यशवंत सोनावणे की निर्मम हत्या.... और उसके बाद बने राजनीतिक उहा-पोह की स्थिति के बारे में....
समाचार चैनल चिल्लाते हैं.... प्रिंट मीडिया चिल्लाता है.... सरकार हरकत में आती है.... कार्यवाही होती है... सरकार आगे की कार्यवाही और दोषियों को सजा दिलाने की बात भी कहती है.... मगर प्रश्न अभी भी एकदम साफ़ है.... क्या ऐसा निर्मम कांड ऐसे ही हो सकता है, की सरकार को कानो-कान खबर ना हुई..... भाई माफिया के पीछे यकीनन कोई ना कोई बड़ा हाथ है.... यकीनन सरकारी तंत्र दोषी है.... जब एक अफसर की यह हालत है तो फिर एक आम इंसान के साथ क्या हो सकता है.... सोच कर ही रूह कांप जाती है....
वैसे इसकी चहुँ-ओर निंदा हुई.... कलम ने इसके बारे में अपना विरोध जताया.... ब्लॉग जगत से भी कई आवाजें उठी.... आज उन आवाजों को एक साथ एक मंच पर लाने का यह एक छोटा सा प्रयास है......
दोषियों को सजा मिलेगी.... इसी विश्वास के साथ अपनी वार्ता को आगे बढ़ाते हैं.....
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सबसे पहले कुछ अर्थ शास्त्र की बातें....
सामाजिक नियंत्रण बिना बाजार छुट्टा सांड होता है :- शिवराम का बहुत उम्दा आलेख
आओ पैसा कमायें “जटिलता की जगह सरलता को चुनें” - भाग १ :- जी बिल्कुल, भाग-२ की प्रतीक्षा है.
जीवन बीमा में समूह की छतरी बढ़ी, पर लोग हुए व्यक्तिगत बीमा से दूर :- बीमा आग्रह की विषय वस्तु है....
आगे भी देखिए भाई
अब आपदाओं में भी काम करेंगे फोन :- बहुत रोचक जानकारी...
गोविन्द शर्मा का व्यंग्य - मेरा गुस्सा मेरा है :- जी बिलकुल...
चिरयुवा :- सभी की यही उम्मीद है की चिर युवा रहें.....
श्री समीर-सलाह, डॉ दराल प्रेस्क्रिप्शन, अनवांटेड एडवाइज़...खुशदीप :- नैतिक चेतावनी...किसी को बिन मांगे सलाह देना भी कम ख़तरनाक नहीं...
आपकी लेखनी अबाध गति से चलती रहे :- आमीन
धन काला है या नहीं पहले इसकी जांच हो - बूटा सिंह :- फिर तो भैया सारे नेताओं का पैसा सफ़ेद हो गया.....
हाईप्रोफाइल लाईफ !! :- कडुवा सच
घुंघराले बालों वाली शाम :- आनंद लीजिये...
पनीर कोर्न मसाला :- अब खाने पीने की बातों के बिना कैसे काम चलेगा भाई....
यहाँ हैल्थ की मज़बूरी है, वहां वैल्थ की मज़बूरी है :- जीवन की विषमताओं से रूबरू कराती हुई
कुछ फ़िल्मी बातें भी हो जाएं.... तो फ़िर लीजिए फिल्म समीक्षा :दिल तो बच्चा है जी
चोला माटी के हे रे :- बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है....
इसी के साथ आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
देव कुमार झा
14 टिप्पणियाँ:
सुंदर वार्ता के लिए आभार देब बाबु।
एक उम्दा कहानी टिक-टिक-टिक
बढिया वार्ता .. अच्छे लिंक के लिए आभार !!
बहुत अच्छे लिंक लगाए हैं। बधाई!
बहुत अच्छी वार्ता रही ! आभार
अच्छी लिंक्स के लिए बधाई
आशा
बहुत खूब देव बाबा ...बहुत ही सुंदर वार्ता लगाई आपने । सोनवणे की शहादत ...काश कि वो रंग लाए कि ..एक एक ईमानदार ..लाखों बेइमानों और भ्रष्टाचारियों पर भारी पड सके । वैसे सच कहूं तो ये सब देख कर दिमाग सच में भन्नाया हुआ है ।
देव, क्या कहें ... देश में जो भी हो रहा है ... किसी से छुपा नहीं है ... पर कोरवों के राज्य में न्याय की बातें कौन करे ?? कोई पुत्र मोह में है ... कोई राज्य मोह में तो कोई राजा के मोह में ... कुल मिला कर यही कहा जा सकता है ... हर शाख पर उल्लू बैठा है ...
उम्दा वार्ता लगाई है ... काफी बढ़िया लिंक्स मिले ! मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार !
आम आदमी की प्रतिक्रिया स्वरूप लिखी गई पोस्टों को एक जगह समेटने के लिए बहुत बहुत आभार ..
देव जी ... आपकी पीढ़ा ... हर आम हिन्दुस्तानी की पीढ़ा है ... मैनपुरी जैसी छोटी जगह में भी इस काण्ड की चर्चा प्रबल है ... हर कोई देश की मौजूदा हालातो पर चिंतित है !
बढ़िया लिंक्स दिए आपने आज की वार्ता में ... आभार !
सुंदर चर्चा जी, धन्यवाद
bahut khoob
achhee varta lagai hai.abhaar.
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