रविवार, 23 जनवरी 2011

कैसे प्रीत सीखाऊँ? थोड़ी मिला दे तू सोडा में ---- ललित शर्मा

नमस्कार, पत्रिका ने खबर अपने मुख्य पृष्ठ पर मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ के संस्करणों में प्रमुखता से प्रकाशित की है। जिसकी ओर बरबस ही ध्यान चला गया। खबर छापने की धमकी देकर 85 हजार वसूलने वाले एक कर्मचारी के खिलाफ़ पत्रिका ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है। पत्रिका रतलाम के वितरण विभाग में काम करने वाले इस कर्मचारी के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जा रही है। ऐसा समाचार मैंने कभी नहीं पढा था कि अखबार ही अपने कर्मचारी के खिलाफ़ धमकी-चमकी लगाकर रुपए वसुलने वाले कर्मचारी के खिलाफ़ जुर्म दर्ज कराए। एक अच्छी शुरुवात है, खबरों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर....

अलबेला खत्री पहुंच रहे हैं सिंगापुर, क्यों जा रहे हैं, उन्ही से पुछिए। राज भाटिया जी ने फ़रमाया है आओ फ़िर से मिल बेठे...भुले पुराने गिले शिकवे हमारी तरफ़ से मुबारकां कबूल कीजिए और जरुर बैठिए।यादों में खुश रहता दिल एक चित्र देख हो गया दुखी रायटोक्रेट कुमारेन्द्र कह रहे  हैं। दुख न करें देव, हर पुरानी इमारत का यही हाल होता है। रानी विशाल की कविता पढें मृग मरिचिकायथार्थ और परिकल्पनाओं के अधर भावनाओं के सागर में उठती लहर सत्य समझ छद्म आभासों को पाने को लालायित हुआ ह्रदय समक्ष यथार्थ के आते ही आभास क्षणभर में हुआ विलय

हमारी बैंकिंग प्रणाली भी नेताओं की तरह काम करती है यार इतना लिख कर यात्रा पर चल पड़े देव बाबु, थोड़ी मिला दे तू सोडा में फ़िर बुलबुले देख ले, एक गाना सुनिए, शायद पसंद आ जाए।दलाल स्‍ट्रीट में अगले सप्‍ताह रौनक  होने वाली है, संगीता ने कहा है।बकर बकर कहां हुई,जरा दौरा कीजिए और जानिए।परदेशी की प्रीत-देहाती की प्रेम कथा प्रवचन सुनिए यहाँ पर।भैंस पसरी पगुराय वाणी जी ने लिखा है। स्वराज्य करुण जी कह रहे हैं सूरज उगेगा परदे के पीछे ! कहीं से भी उगे, लेकिन उगना चाहिए, हमने कहा। श्यामल सुमन जी कहते हैं कैसे प्रीत सिखाऊँ?, जैसे भी बने सिखाईए, नफ़रत भरी दुनिया में इसी की जरुरत है।

अब चलते हैं धान के देश में, जहाँ अवधिया जी एक ज्ञानवर्धक पोस्ट लगाई प्रसिद्ध व्यक्ति तथा उनके उपनाम , हमें भी लगा कि भारत के महापुरुषों की तुलना विदेशियों के  उपमानों से करते हैं। विदेशियों की तुलना भारतीय उपमानों से क्यों नहीं करते, विषय विचारणीय है।कब तक गोरों को लादे फ़िरते रहेंगे हम।
 
ललित शर्मा said... | January 22, 2011 12:23 PM
कुछ ऐसे नहीं हो सकता क्या? इंग्लैंड का कालीदास- शेक्सपीयर फ़्रांस का समुद्रगुप्त - नेपोलियन इत्यादि, जरा विचार करें :)
जी.के. अवधिया said... | January 22, 2011 12:54 PM
@ ललित शर्मा होना तो यही चाहिए किन्तु दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा नहीं है। जिस दिन इस देश का प्रत्येक व्यक्ति स्वाभिमानी और अपनी सभ्यता तथा संस्कृति का सम्मान करने वाला हो जाएगा, उस दिन ऐसा ही हो जाएगा।
प्रवीण पाण्डेय said... | January 22, 2011 1:32 PM
बाहर के उपमानों से तुलना अस्वीकार हो हमें, हमारे अपने मानक हों। मैं ललित जी से सहमत हूँ पूर्णरूपेण।
संगीता पुरी said... | January 22, 2011 1:48 PM
बढिया संग्रह .. वैसे ललित जी की बात में भी दम है .. काश हम भारतीय इतने स्‍वाभिमानी होते !!
Rahul Singh said... | January 22, 2011 2:44 PM
सामान्‍य ज्ञान की खुली किताब - जीके अवधिया.
सिंहावलोकन पर मोती कुत्‍ता की चर्चा हो रही है। राहुल सिंग कहते हैं ''मैं तो कुत्ता राम का, मोतिया मेरा नाम।''राम की कौन कहे, सबकी खबर ले लेने वाले कबीर ने क्यों कहा होगा ऐसा? 'मैं', कबीर अपने लिए कह रहे हैं या कुत्ते की ओर से बात, उनके द्वारा कही जा रही है। पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी होते तो जवाब मिल जाता, अब नामवर जी और पुरुषोत्तम जी के ही बस का है, यह।

मुझे लगता है, यह कबीर की भविष्यवाणी है। वे यहां बता रहे हैं कि सात सौ साल बाद एक 'राम' (विलास पासवान, रेल मंत्री) होंगे और उनका एक कुत्ता 'मोती' होगा।दस्तावेजी सबूत ?, चलिए आगे देखेंगे। दस्तावेजी सबूत देखने के लिए यहाँ जाएं।

विनीता यशस्वी के साथ  पिथौरागढ़ सैर कीजिए।900 वी पोस्ट और एक खुशखबरी आई है,एक जरूरी सूचना के साथ फ़ेस बुक से चोरी का माल आप सब के लिये आया है गौर फ़रमाएं , इधर इनर सोईल पर चिंतन है "तुच्छ" लोगों की कमी नहीं है। गोदियाल जी कविता कर रहे हैं अग्नि-पथ ! अख्तर खान अकेला भले ही हैं पर शुभकामनाएं भरपुर बांटते हैं शुक्रिया शुक्रिया भाई दिनेश जी द्विवेदी को, अके्ला जी के ब्लॉग ने चोला बदल डाला है। अब पोस्ट फ़्रिक्वेंसी और भी बढ सकती है। 98वीं भारतीय विज्ञान कोंग्रेस चेन्नई की झलकियां देखिए।

चलते-चलते व्यंग्य चित्र



अखबारों में चर्चा है आम सो अब वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

9 टिप्पणियाँ:

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