आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार .. आज महात्मा गांधी के पुण्य तिथि पर ब्लॉगर भाइयों ने बहुत लिखा है। ब्लॉग4 वार्ता की ओर से उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फटाफट आप सबों को लिए चलती हूं आज की वार्ता में ...
आज 30 जनवरी के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है । 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में जन्मे और भारतीय जनसमुदाय में बापू के नाम से पुकारे जाने वालेमोहनदास करमचंद गांधी की नृशंस हत्या इसी दिन देश के स्वातंत्र्य-प्राप्ति के चंद महीनों के भीतर १९४८ में हुयी थी । तब नाथूराम गोडसे ने भारत विभाजन के नाम पर उत्पन्न आक्रोश के वशीभूत होकर उन पर जानलेवा गोली चलाई थी ।
पूरा पढें ..योगेन्द्र जोशी जी की प्रस्तुति ..महात्मा गांधी की हत्या तो हर रोज हो रही है।
बापू आज तुम्हारी पुण्यतिथि है.आज तुम हमें बहुत याद आ रहे हो.मैं तुम्हें याद करने का कोई दिखावा नहीं करूंगा क्योंकि तुम हमें सचमुच याद आ रहे हो.तुम्हारे जाने के बाद हमने बहुत-से पाप किए हैं.अगर सूची बनाने बैठ जाएँ तो शायद दुनिया में कागज की कमी पैदा हो जाए.
आज 30 जनवरी के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है । 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में जन्मे और भारतीय जनसमुदाय में बापू के नाम से पुकारे जाने वालेमोहनदास करमचंद गांधी की नृशंस हत्या इसी दिन देश के स्वातंत्र्य-प्राप्ति के चंद महीनों के भीतर १९४८ में हुयी थी । तब नाथूराम गोडसे ने भारत विभाजन के नाम पर उत्पन्न आक्रोश के वशीभूत होकर उन पर जानलेवा गोली चलाई थी ।
पूरा पढें ..योगेन्द्र जोशी जी की प्रस्तुति ..महात्मा गांधी की हत्या तो हर रोज हो रही है।
बापू आज तुम्हारी पुण्यतिथि है.आज तुम हमें बहुत याद आ रहे हो.मैं तुम्हें याद करने का कोई दिखावा नहीं करूंगा क्योंकि तुम हमें सचमुच याद आ रहे हो.तुम्हारे जाने के बाद हमने बहुत-से पाप किए हैं.अगर सूची बनाने बैठ जाएँ तो शायद दुनिया में कागज की कमी पैदा हो जाए.
बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बंदर बापू के
ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के
जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बंदर बापू के
लीला के गिरधारी निकले तीनों बंदर बापू के।
आदरणीय बापू
सप्रेम चरण स्पर्श
बहुत सालो से आपको चिट्ठी लिखने का मन था . यह बता दू मैं आपका ५०% प्रशंसक हूँ और ५०% आलोचक .
बापू अफ्रीका से जब आप आये थे तब भी आज़ादी का आन्दोलन उसी गति चल रहा था लेकिन सितारे आपके साथ थे और १८५७ से सतत लड़ने वालो को भूल कर सब आप पर फ़िदा हो गए . आप के कुशल नेतृत्व में आज़ादी की लड़ने वाली लडाइयां टेबिल पर आ गई .खैर बापू आपको चोरा चोरी की हिंसा तो दिखी लेकिन भगत सिंह और उनके साथियो की फासी हिंसा नही दिखी .
पूरा पढें .. धीरू सिंह जी की प्रसतुति .. बापू को एक पत्र ।
आज गाँधीजी की पुण्य तिथि है..... राष्ट्रपिता को पूरा राष्ट्र नमन कर रहा है – याद कर रहा है. पर मेरे जैसे बुरबक को बापू की बकरी याद आ रही है. सुना है, बापू बकरी को बादाम खिलाते थे. बकरी की बहुत सेवा करते थे. और बकरी भी बापू से उतना ही प्यार करती थी. ये बात आश्रम में सभी को पता थी.... अत: जब भी कोई नेता या भक्त बापू से मिलने आता तो बकरी के सर पर हाथ जरूर फेर कर जाया करता था. पंडित नेहरु को भी बकरी में विशेष दिलचस्पी थी. वो बापू को खुश रखने के लिए अधिकतर बकरी को अपने हाथ से बादाम खिलाते.
देशवासियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पुण्यतिथि पर याद किया, प्रतिवर्ष यही हैडिंग होती है अखबार में। पिछले कुछ वर्षों से युवाओं को शहीद दिवस भूल जाने के लिए दोषी ठहराया जाने लगा है। महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों की कतार में प्रायः वे ही होते हैं जिन्हें या तो कुर्सी की चाह या नेतृत्व की आस लगी रहती है। बडी संख्या में स्कूली बच्चे हाथ में फूल लिए खडे रहते हैं जिन्हें दुनिया की दोरंगी चाल का अंदाजा नहीं होता।
पूरा पढें .. जया केतकी की प्रस्तुति .. एक बार फिर बापू याद आए।
पूरे जगत में सत्य, अहिंसा और भाईचारे का संदेश देते हुए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले बापू ने जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर को भी अहिंसा का पाठ पढ़ाया था और उनसे युद्ध का रास्ता छोड़ने का आग्रह किया था।
पूरा पढें ... रमेश मिश्रा जी की प्रस्तुति .. हिटलर के नाम बापू की पाती।
तुम
एक दिव्य चेतना
जो तन मन को सचेत कर गयी है
जैसे एक चिंगारी भड़की हो
अनुप्राणित कर दिया हो जिसने
तुम्हारा अनूठा व्यक्तित्व, अनोखे बोल
प्राणोत्सर्ग और वह सब
जिसके लिये तुम लड़े...
खुद से जुड़ा मालूम होता है,
तुम्हारी आँखों में छिपा दर्द
और निर्भयता की चादर
सत्य के प्रति प्रेम
आज पुकारते हैं
जब देश खड़ा है दोराहे पर
गांधी ने आखिरी समय में कहा था हे राम...शायद उनके जाते ही देश की हालत यह हो गई है। देखा जाए तो इस देश में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का भूत सता रहा है, इसमें खास लोग शामिल हैं। वहीं महंगाई देश में चरम पर है। बड़े नेता देश को अंधेरी गर्त में डाल रहे हैं। देखा जाए तो हर कोई नेता अपनी अपनी तिजौरियां भरने में जुटा हुआ है। वहीं मीडिया, न्यायपालिका और संसद। हर कोई भ्रष्टाचार की गाड़ी पर सवार है, ऐसे में देश कहां जाएगा।
64 साल पहले
यानि 30 जनवरी सन 1948.
नव-स्वाधीन भारत का वह काला दिन
उग्र हिन्दुत्ववादी
दक्षिणपंथी
विचारधारा से
ताल्लुक रखने वाले
एक दिग्भ्रमित युवक ने
(मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता)
बापू को
हमसे छीन लिया था.
पूरा पढें .. डॉ शशिकांत की प्रस्तुति .. बापू के आखिरी क्षण ..
यानि 30 जनवरी सन 1948.
नव-स्वाधीन भारत का वह काला दिन
उग्र हिन्दुत्ववादी
दक्षिणपंथी
विचारधारा से
ताल्लुक रखने वाले
एक दिग्भ्रमित युवक ने
(मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता)
बापू को
हमसे छीन लिया था.
पूरा पढें .. डॉ शशिकांत की प्रस्तुति .. बापू के आखिरी क्षण ..
बापू ! तुम्हारी ऐनक !
बहुत पहले ही चढ़ गई थी शायद
तुम्हारी आँखों पर
इतिहास के काल की
जटिल सँभावनाओं के बहुत पहले
तुम बन गए थे इसका अटूट हिस्सा...
बापू ! तुम्हारी ऐनक !
जिसके गोल शीशे तुम्हारी एक निश्चित पहचान बनाते हैं
कई देशों की राजनीति से तुम्हारा परिचय
इन्हें पार करके ही हुआ था
जिन पर कभी धुंध नहीं जमी...
पूरा पढें .. रविन्द्र कात्यायन जी की प्रस्तुति .. बापू तुम्हारी ऐनक ..
आज से ठीक तिरसठ साल पहले एक धार्मिक आतंकवादी की गोलियों से महात्मा गाँधी की मृत्यु हो गयी थी. कुछ लोगों को उनकी हत्या के आरोप में सज़ा भी हुई लेकिन साज़िश की परतों से पर्दा कभी नहीं उठ सका . खुद महात्मा जी अपनी हत्या से लापरवाह थे. जब २० जनवरी को उसी गिरोह ने उन्हें मारने की कोशिश की जिसने ३० जनवरी को असल में मारा तो सरकार चौकन्नी हो गयी थी लेकिन महत्मा गाँधी ने सुरक्षा का कोई भारी बंदोबस्त नहीं होने दिया .
आज से ठीक तिरसठ साल पहले एक धार्मिक आतंकवादी की गोलियों से महात्मा गाँधी की मृत्यु हो गयी थी. कुछ लोगों को उनकी हत्या के आरोप में सज़ा भी हुई लेकिन साज़िश की परतों से पर्दा कभी नहीं उठ सका . खुद महात्मा जी अपनी हत्या से लापरवाह थे. जब २० जनवरी को उसी गिरोह ने उन्हें मारने की कोशिश की जिसने ३० जनवरी को असल में मारा तो सरकार चौकन्नी हो गयी थी लेकिन महत्मा गाँधी ने सुरक्षा का कोई भारी बंदोबस्त नहीं होने दिया .
शान्ति का उपदेशक
सत्य-अहिंसा में आस्था रखना छोड़ दिया है
और जम्हूरियत
बन गयी है खानदानी वसीयत का पर्चा
सिपहसलार-
कर गया है सरकारी खजाना
सगे-संवंधियों के नाम..
बापू ये क्या हो रहा है...निकल पड़े दो डग जिधर...भारत गावों में बसता है ...सत्य और अहिंसा ... ये सब बापू के है ...इसका उल्लेख बड़े.बड़े मंचों से नेता बड़े श्रद्धा से करते है...लेकिन जब घोटला करना होता है तब महात्मा गांधी को भूल जाते है। पूरे विश्व में भारत की पहचान गांधी के नाम से होती हैं । पिछले दिनों एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी। आज बापू का निर्वाण दिवस है ।
" आज महान दुखद: घटना घटी है उसे आप सुन चुके हैं ! यह घटना हमारे इतिहास मैं अभूतपूर्व है ! महात्मा गाँधी अपनी प्रार्थना सभा मै जा रहें थे जबकि एक उन्मत्त व्यक्ति ने उन पर तीन गोलियां चलाई ! ये गोलियां गाँधी के हृदय के पार जा चुकी !" ये शब्द हमारे देश के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने जनता के सामने तब कहे जब गाँधी जी के सीने मै नत्थू राम गोडसे ........ तीन गोलियां उतार चुका था जिससे गाँधी जी की जान जा चुकी थी ! इस बात को हुए 63 साल हो चुके हैं !
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके शहीदी दिवस (30 जनवरी) पर जिला व कुमाऊं मंडल मुख्यालय नैनीताल में कैसे याद किया गया, यह चित्र इसकी बानगी हैं। यहाँ तल्लीताल डांठ पर स्थापित गांधीजी की आदमकद मूर्ति पर आज नए फूल चढ़ाने तो दूर गत 26 जनवरी से चढ़ाये गए सूखे फूलों को भी नहीं हटाया गया। मुख्यालय में आज शायद रविवार होने कि वजह से परंपरागत तौर पर ऐसे मौके पर सुबह 11 बजे बजने वाला साइरन बजाना भी प्रशासन भूल गया। गांधीजी के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले राजनीतिक दलों के बात-बात पर आसमान सर पर उठाने वाले कार्यकर्ताओं ने भी कहीं कोई सार्वजनिक आयोजन नहीं किया।
पूरा पढें ..नवीन जी की प्रसतुति ..राष्ट्रपिता को शहीदी दिवस पर सूखे श्रद्धा सुमन।
जो अलख जगाया था कभी , एक बार और जगाना बापू ,-------
जो अलख जगाया था कभी , एक बार और जगाना बापू ,-------
चमन से दूर मत जाना , लौट कर आना बापू ----------
गम - ज़दा हैं तेरे जाने से , हम इतना बापू ------
भूल जाएँ डगर अपनी , राह दिखाना बापू ----------
हाल - ए - वतन बयां , करें , तो करें कैसे ?
खुद देख लो आकर , यहाँ फ़साना बापू --------
बापू तुम क्या गये देश से सच्चाई चली गई
अब झूठ में ढुढ़ते हैं यहां सब सच
लेकर कइयों की जानें, बन रहे महात्मा
किसान होकर बेहाल, गला रहे मौत गले
करवा कर दंगे नेता, बन रहे हैं भले
बापू तुम क्या गये देश से सच्चाई चली गई।।
अब झूठ में ढुढ़ते हैं यहां सब सच
लेकर कइयों की जानें, बन रहे महात्मा
किसान होकर बेहाल, गला रहे मौत गले
करवा कर दंगे नेता, बन रहे हैं भले
बापू तुम क्या गये देश से सच्चाई चली गई।।
चलिए आज एक बार फिर बापू को याद कर लें और उनकी ही आत्मा को सोचने पर मजबूर करें कि क्यों उन्होंने अपने सीने पर गोली खाई, हम जैसे लोगों के लिए जिनके पास आत्मा है ही नहीं और संवेदनाएं रास्ता भूल गई हैं | आज बापू के चित्र को सबसे ज्यादा माला वही लोग पहनायेगे जिनको उनके आदर्श भूल गए है |
उन को सिर्फ इतना याद है कि साल में दो दिन --गांधी जयंती और शहीद दिवस --गांधीजी के चित्र पर माला डालना है ,पहनाना या चढ़ाना नहीं |
उन को सिर्फ इतना याद है कि साल में दो दिन --गांधी जयंती और शहीद दिवस --गांधीजी के चित्र पर माला डालना है ,पहनाना या चढ़ाना नहीं |
कहते हैं लोग कि
महान लोग अवतार लेते हैं
और तार देते हैं
बुझी हुई आशाओं को
एक नया दीप दिखा देते हैं
पर मैं तलाश में हूँ
आज एक अवतार की
जो यहीं कहीं हो शायद
हमारे बीच कहीं
आज महात्मा गाँधी कि पुण्यतिथि है। आइये उनको याद करते
हुए एक गीत सुनते हैं। सन १९४८ में एक गीत उनकी याद में रचा
गया था जिसे रफ़ी ने गाया है। काफी बड़ा गीत है ये। इसका एक
भाग आपको सुनवा रहे हैं।
गीत संगीत की प्रस्तुति .. सुनो सुनो ये दुनियावालों बापू की ये अमर कहानी।
गया था जिसे रफ़ी ने गाया है। काफी बड़ा गीत है ये। इसका एक
भाग आपको सुनवा रहे हैं।
गीत संगीत की प्रस्तुति .. सुनो सुनो ये दुनियावालों बापू की ये अमर कहानी।
11 टिप्पणियाँ:
bapu ji ke bahut logon ne likha kuchh ko padha bahut achha laga v v nice
धन्यवाद संगीताजी ....
बहुत अच्छे लिंक्स दिए!
बापू को नमन ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं! बापू के ऊपर लगभग सारी प्रस्तुति को एक जगह पर रख दिया है आपने। आपके श्रम को नमन। ठीक ही कहा था लॉर्ड माउंट बेटन ने,
“सारा संसार उनके जीवित रहने से सम्पन्न था और उनके निधन से वह दरिद्र हो गया।”
बहुत बढिया विस्तृत वार्ता है
आपका आभार संगीता जी।
बेहद उम्दा वार्ता ... संगीता दीदी !
बेहतरीन वार्ता, बहुत बढ़िया लिनक्स...
धन्यवाद् एक पोस्ट के लिए. लेकिन अफ़सोस अब बापू एक कहानी बन के रह गए..हमने उस से कुछ नहीं सीखा..यहाँ भी राजनीती
बहुत बढ़िया वार्ता संगीता जी.
बढ़िया वार्ता संगीता जी ! मगर मैं समझता हूँ कि यह सोचना गलत है कि महात्मा गांधी की ह्त्या रोज हो रही है , क्योंकि ऐसा होने के लिए न तो इस देश में कोई गांधी ही है और न ही नाथूराम गोडसे !
बहुत सुंदर, संगीता जी धन्यवाद
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