भोपाल को हिला गया था वो हादसा . हम सबको रुला गया वो समाचार जो चार दिन बाद बाबूजी को मिला तबसे अब तक कोरें भर आतीं हैं बूढ़े बाबूजी की आंखें भी नम हो जातीं है बरसों से हम तिल तिल मरते देख रहे हैं बुआ को यूं लगता है कि कि क्यों मेरी बुआ से ज़्यादा ज़रूरी तो न था यूनियन कार्बाईट का कर्ता धर्ता क्रोध से भर जाता हं जब भी बुआ को देखता हूं बुआ वाला भोपाल
को देखता हूं आज़ फ़िर एक बार वो रात याद आ गई बारास्त अजित भैया के ब्लाग जहां ये लिका है:-सत्ता के शिखरों पर चलनेवाली धोखेबाजी, सौदेबाजी, साजिशो और बईमानी की अंतहीन कहानी का यह एक नमूना भर है। इसमें एक हाईप्रोफाइल सनसनीखेज धारावाहिक का पूरा पक्का मसाल है। गैस त्रासदी आज़ाद भारत का अकेला ऐसा मामला है, जिसने लोकतंत्र के तीनो स्तंभों को सरे बाज़ार नंगा किया है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कई अहम ओहदेदार एक ही हमाम के निर्लज्ज नंगों की क़तार में खड़े साफ़ नज़र आए।"
4 टिप्पणियाँ:
आपका शुक्रिया इन लिनक्स के लिए ......सुबह तक सब पढ़ डालूँगा ...
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
बढिया वार्ता दादा
आभार
गिरीश दादा ... आभार इन लिंकों के लिए !
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