गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

इश्क जिस रोज हुस्न की मजबूरी समझ लेगा ---- ब्लॉग4वार्ता ---- ललित शर्मा

नमस्कार, मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ ब्लॉग4वार्ता पर। चलिए मेरे साथ दुचकिया वार्ता पर।

फ़ागुन में आई है सावन की फुहार,
अब रंगो से भीगने हो जाओ तैयार

एक खुशनुमा मौसम की हो गयी हत्या
सुनिए कटते हुए पेड़ों की दर्दनाक व्यथा

इश्क जिस रोज हुस्न की मजबूरी समझ लेगा
वेलेन्टाईन डे पर ड्राई डे की कहानी समझ लेगा

वो लगाता है ठहाके उनके साथ
कभी इधर भी आओ तो बने बात

अनूठा परिवर्तन्  क्या आप भी ऐसा सोचते हैं
जब कभी सोचने का मौका मिले तो सोचते हैं

हिया रा आळा म्हे दीया बाळो
हो जाए जगमग अंतर मै उजाळो

इन दिनों कुछ अजीब सा लगता रहता है
दरभगां नौटंकी देखने को जी मचलता है

कोई ज़ोर नहीं जिनका उन्हे लिखता देखिये
बिना कागज कलम के उन्हे रचता देखिए

माया की यह कैसी माया
माया ही माया बस माया

जिन्दा तो रहूँगा फ़िर तुझसे बात करुंगा
देखना मैं तुझसे कितने सवालत करुंगा

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
गुलगुल पांडे वेलेन्टाईन में बजाओ ढोल

रहने दे रंग लाल ! क्या पड़ा है इन बातों में
पास हुए गुजारा होगा फ़िर जागोगे रातो में

नेताओं की जगह खुद को बुरा-भला कहिये
क्यों जनाब नेताओं के क्या लगे हैं पहिए

नियति अपनी अपनी बात पते की है भाई
ताऊ जी ने भी आज सजाई है कविताई

बातचीत का लहजा आपकी पोल खोल सकता है
सही कहा है आपने, रंग में भंग भी घोल सकता है

नियति की बात चली तो चलती ही जाएगी
तभी यह लघु कथा आपकी समझ में आएगी


वार्ता को देते हैं विराम, सभी को राम राम-- मिलते हैं ब्रेक के बाद , तब तक पढे  रंगून से समाचार---

12 टिप्पणियाँ:

लगता है वार्ता माघ में ही फगुना गई है।
यहाँ तो आज सर्दी लौट कर आ गई है।

अलग से रंग में रंगी आज की वार्ता अच्छी लगी...... सुंदर लिनक्स

सुन्दर ...सार्थक ... वार्ता

दादा बढ़िया दोपहिया गाडी चलाई है ... आपकी इस कुशलता की वजह से ही ब्लॉग ४ वार्ता नंबर १ पर है ... जय हो !

बढ़िया दो लाइना लगाईं है आज तो ..बहुत बढ़िया.

राम राम जी की, आज तो घणी चोखी रही जी

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