गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

बस ये मत पूछना कि क्यूँ लिखा? -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

नमस्कार, अखबार के एक समाचार ने आज झकझोर डाला। नैतिक पतन की पराकाष्ठा नजर आई। केन्द्र सरकार ने एक घटिया प्रस्ताव राज्य सरकारों को भेजा था। जिसमें बच्चों के लिये सेक्स की कानूनन न्यूनतम उम्र को घटाकर मात्र 12 साल करने का उल्लेख था। अब यह तो पता नहीं किस घिनौने अफ़सर की करतूत प्रस्ताव के रुप में राज्य सरकारों के पास भेजी गयी। लेकिन इस प्रस्ताव से केन्द्रीय सचिवालयों  में बैठे विकृत मानसिकता के लोग होने का पता चल गया। यह दीमागी दिवालिएपन की इंतिहा है। इस तरह के लोगों की पहचान कर उन्हे पद मुक्त करना चाहिए। जिस मंत्रालय ने यह प्रस्ताव भेजा था उसके  मंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा देना चाहिए। अब चलिए ललित शर्मा के साथ आज की ब्लॉग4वार्ता पर...

इस मुद्दे पर अनिल पुसदकर कहते हैं कि अफ़सोस की बात तो ये है कि सड़ी-सड़ी बातों के लिये हंगामा कर देने वाले सभी राजनैतिक दल खामोश बैठे है।ऐसा घटिया प्रस्ताव बनाने वाले के खिलाफ़ तो जांच कर  कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये।सिर्फ़ ज़ल्दी बड़े होने के नाम पर बच्चों को सेक्सूयल रिलेशनशीप के लिये इतनी कम उम्र में ही अनुमति दे देना इस देश के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक अपराध है।कहने को ये ज़रूर कहा गया है कि 12 साल की उम्र मे सेक्स के दौरान इंटरकोर्स की अनुमति नही होगी या बिना इंटरकोर्स के वे अपनी उम्र के बच्चों के साथ सेक्स कर सकेंगे।पता नही कौन सा विद्वान अफ़सर य नेता था जो सेक्सूअल संबंधो के बीच इतनी बारीक लकीर खींच कर दिखा रहा है।

इसी मुद्दे पर एक खरी खरी पोस्ट पर के आर बारस्कर भी लिखते हैं कि जिस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से यह बिल भेजने की बात चल रही है उसके मुखिया का नाम मैंने ढूँढना चाह तो श्रीमती कृष्णा तीरथ का नाम सामने आया.. सोचकर हैरानी होती है कि एक महिला होकर वो इस प्रकार कि कलुषित सोच रखती है ... क्या यह कांग्रेसी संस्कृति का असर है? या वे पागल हो गयी है? या वे भी इटली या अमेरिका की अगेंट बन गयी है? इनके इस तरह के पागलपन को जनता कभी स्वीकार नहीं करने वाली है।

आगे कहते हैं -- सबसे पहले वे अपने १२-१३ साल के बच्चो-नाती, पोतो को इस बात की जानकारी दे और उन्हें सेक्स करने की छूट दे दे.. उनके लिए सेक्स पार्टनर तलासने में उनकी मदद करे.. जब मिल जाये तो उनसे अपने सामने सेक्स कराये.. उनकी मानसीकता जांचे, उनसे उनके अनुभव के बारे में पूछे.. अगर संभव हो तो सेक्स के समय वहा उपस्थित रहे.. अगर उनका अनुभव ठीक रहा तो ही इस कानून को देश पर धोपा जाये..

दिव्या जी का यहाँ सौ टका सही कहना है -- ये खबर तो समाचार में नहीं सुनाई दी । आपके ब्लॉग से ही पता लगा। पढने के बाद लगा की वास्तव में विकृत मानसिकता वाले ही सत्ता में बैठे हैं। जिसने भी ये योजना बनायी है पागल रोगी तो है ही साथ ही किसी आतंकवादी जैसा शातिर दिमाग भी रखता है । ऐसे पागलों के टुकड़े करके चील-कव्वों कों खिला देना चाहिए।

मीनाक्षी पन्त जी का कहना है -- वेसे तो समाज मै हर कोई अपने पैमाने से हर बात को आंकता है पर मेरे ख्याल से इस मुद्दे को रखने से पहले किसी ने भी सोचना वाजिब नहीं समझा जबकि ये बहुत ही गहन मुद्दा है जब देश के एसे बच्चों की बात हो रही हो जो अभी कुछ सीख ही रहें हों और जिन्हें अच्छे और बुरे का ठीक से ज्ञान भी न हो तो उनके हाथ मैं इतना बड़ा निर्णय सिर्फ प्रयोग करने के माध्यम से छोड़ दिया जाये मेरे ख्याल से बहुत गलत हो सकता है क्युकी इस उम्र मै तो उन्हें सहारे की और कुछ बेहतर कर सकने के लिए निर्णय देने की जरूरत होती है न की इतनी बड़ी जिम्मेदारी डाल देने की जिससे की वो सही और गलत का फ़ेसला ही न कर पाए ! इससे से तो साफ़ जाहिर है की जिसने भी ये निर्णय लिया है वो अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा ही नहीं पा रहा है ? 

केवल कृ्ष्ण एक अच्छे लेखक और रिपोर्टर हैं वर्तमान में नेशनल लुक रायपुर में सह सम्पादक के पद पर कार्यरत हैं वे मनोज ब्यास के आलेख जंगल का भगवान प्रकाशित करते हुए लिखते हैं --बार नवापारा से लगे देवपुर के जंगल का एक हिस्सा सागौन की खास किस्मों के लिए जाना जाता है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मनीराम नाम के एक बीटगार्ड ने सागौन का यह जंगल तैयार किया था, जिसकी उसे सजा दी गई। मध्यप्रदेश सरकार ने तो मनीराम के पोते को सम्मानित कर अपना हक अदा कर दिया पर छत्तीसगढ़ सरकार ने पूछा भी नहीं। मनीराम प्लांटेशन की अब इतनी दुर्गति हो गई कि कुछ साल में नामोनिशान खत्म हो जाएगा।पौने तीन मीटर की मोटाई और 28 मीटर तक ऊंचे मनीराम के सागौन देखकर लोग दांतों तले ऊंगली दबा लेते हैं। आज से 110 साल पहले मनीराम ने देवपुर के जंगल में सागौन के पौधे रोपे थे।

आगे लिखते हैं --पिथौरा ब्लाक के कुम्हारीमुड़ा निवासी मनीराम बीटगार्ड था, गिधपुरी गांव के लोगों का कहना है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद मनीराम पागलों की तरह भटकने लगा था, फिर उसकी मौत हो गई। मरने के बाद उसकी आत्मा जंगल और गांव में भटकती थी, जिसे बैगाओं ने मिलकर मनीराम प्लांटेशन के बीच ही एक बरगद के पेड़ में स्थापित किया। इसके बाद उसकी आत्मा शांत हुई और भटकना बंद किया। होली, दिवाली, हरेली सभी  त्योहारों में उसकी पूजा की जाती है।

"बस ये मत पूछना कि क्यूँ लिखा"जाने वाला तो चला गया वो किसी ने नही पूछा क्यूँ चला गया, क्या हुआ ऐसा! हाँ कई कविताएँ जरूर लिख दी अपनी अपनी समझ के साथ कोई कहता कि गाँधी जी के बाद भी देश चल रहा हे कोई न जाने कहा से किसी कि लिखी ह...कुतर्कियों के सिर पर चढा प्रोटीन का भूत इन्सान पर हावी होने वाले भूत-प्रेतों को उतारने के लिए तो ओझाओं-गुनियों, तान्त्रिक, पीर-फकीरों, बाबाओं वगैरह को बुलाना पडता है. लेकिन आज के इस वैज्ञानिक युग में कईं भूत ऎसे भी हैं जिनका किसी के पास कोई इलाज...

गलती मीडिया की नहीं है, गलती जनता की हैआज शेखर सुमन जी के ब्लॉग में यह पढकर आया कि किस तरह भारत के नेता, जो हजारों रुपये तनख्वाह पाते हैं, सस्ता खाना खाते हैं, और दूसरी तरफ हमारे देश में लाखों गरीब भूखे मर रहे हैं... पढकर दिमाग में कहीं कुछ जो...सपनों को दिखा दो सूरजस्वप्न सदियों से तुम्हारी आँखों में जो पल रहे हैं इतिहास होने से पहले उन्हें एक बार सूरज दिखा दो सपनो का होता है अपना भूगोल अपनी दिशाएं अपने मौसम जो निर्भर होते हैं मन के भीतर बहने वाली हवाओं पर धूप ...सजाखता जो तुमने की, सजा क्यूँ हमको दी... चुप से सह लेते हम सजा भी। फिर क्यूं तुमने शिकायत की , सह लेंगे सभी शिकवे भी पर जो सजा तुमने खुद को दी सह न सकेंगे ........ 

 अरे सब गुफायें कहाँ हैं ?एक पुरातत्ववेत्ता की डायरी – ग्यारहवाँ दिन – एक * * *सुबह आर्य साहब ने कहा “ क्या बात है कल तुम लोग काफी देर तक जागते रहे ? “ रवीन्द्र ने कहा “ हाँ सर , कल शरद अपनी टूर डायरी पढ़कर सु...बोस जीने नहीं देता गहलोत पीने नहीं देता ...दोस्तों मेने शराब माफिया के मटके में से ८१ लाकह रूपये बरामद होने की खबर सुबह अपने ब्लॉग पर लिखी थी कुछ ने पढ़ी कुछ ने तवज्जो नहीं दी लेकिन मेरे एक मित्र भाई अतुल श्रीवास्तव ने छत्तीस गढ़ में बेठे ही बेठे ए...

वो खौफ का मंजर, वो खतरों का सफर. न जाने क्यों लोग प्याज और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर इतना परेशान रहते हैं. जबकि इस देश में इंसान की जान की कीमत दो कौड़ी की नहीं है. बरेली से लौट रही हूं. ओह, बरेली पहुंच ही कहां पाई. शाहजहांपुर के ...असाधारणता को सदा अपने हाथ क्यों कटाने पड़ते हैं ?इंसान की एक सनातन इच्छा है कि वह अमर हो जाए। सशरीर ऐसा होना नामुमकिन होने की वजह से वह अपने नाम को ही ज्यादा से ज्यादा समय तक दुनिया में कायम रखने की जुगत करता रहता आया है। सदियों से राजा, महाराजा, बादशाह,...

चलते-चलते  एक व्यंग्य चित्र और यहाँ ब्लेक ऑउट



वार्ता को देते हैं विराम -- आप सभी को ललित शर्मा का राम राम - मिलते हैं ब्रेक के बाद

ब्रेकिंग न्यूज --  बच्चों के लिये सेक्स की कानूनन न्यूनतम उम्र को घटाकर मात्र 12 साल करने पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ का बयान आ गया है।

15 टिप्पणियाँ:

कई नए लिंक्स पहली बार पढ़े ...
आभार !

विकास के सतत क्रम में हम पशु से मनुष्‍य बनें .. विकास की अंधी दौड में हम मनुष्‍य से पशु बनने की ओर अग्रसर हैं .. बहुत अच्‍छी वार्ता रही !!

बहुत ही सशक्त विषय को उठाया आपने ललित जी । वार्ता तो हमेशा की तरह है ही बेहतरीन लिंक्स से सजी हुई । शुक्रिया

यदि १२ साल के बच्चों के लिए सेक्स की अनुमति जायज़ है तो फिल्म सेंसर बोर्ड को बनाए रखने की शायद ही आवश्यकता रहे.
डान्स के नाम पर जो 'मुद्र्राएं' शरीर के हाव-भाव, अंग-प्रदर्शन आदि बच्चों से भी करवाया जा रहा है, वह भी माता-पिता की स्वीकृति, सहमती एवं प्रोत्साहन से, उसके बाद तो यह सब होना कोई अनापेक्षित बात नहीं है.

बेहद उम्दा और सार्थक वार्ता के लिए आपको साधुवाद ... ललित दादा ... बढ़िया लिंक्स दिए ... आभार !

बढिया लिंक्स के साथ सुन्दर वार्ता।

कुछ नए लिंक्स भी मिले आज यहाँ ...सार्थक चर्चा.

sundar sharma ji kuch nhi puchhenge, ki ye sab kyun likham kai new link mile , uske liey shukriya,

स्वस्थ चर्चा ! कार्टून को स्थान देने के
लिए बहुत-बही शुक्रिया !

सारा भूत उतार दिया ....सबके साथ मिलकर ...
एक लिंक यह भी इसे भी शामिल कर लें
http://najariya.blogspot.com/

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