शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

ब्लॉगिंग को ललकारिए मत , ब्लॉगिंग ललकारेगी तो आप चित्कार कर उठेंगे..!!



कौन सा जीवन याद करूँ...... -
 कहो आज मैं कैसा जीवन याद करूँ,
किससे अपने मन मंदिर की बात करूँ,
कौन है वो, जो समझेगा बातें मेरी,
कौन है जो कर दे उजली, राते मेरी, और

दो पाट्न के बीच में इस वसंत के बाद 
24 फरवरी को हिंदी का श्रृंगार , सरस पायस,
रवि मन वाले रावेंद्रकुमार रवि की
वैवाहिक वर्षगाँठ थी टीम की ओर से  बधाई व शुभकामनाएं
नजरिया
तरक्की का छौर - ब्लाग्स चहुँ और.  इस समय सब तरफ एक अंतहीन बहस 'साहित्य बनाम ब्लाग्स' पर लगातार चलते हुए दिख रही है । कहीं आमने-सामने की कुश्ति की लंगोटें कसी जा रही हैं तो कहीं ब्लाग्स के अस्तित्व को समाप्त करवा देने जैसी चेतावनीयुक्त  गीदडभभकी के दर्शन हो रहे हैं और कहीं तो ब्लागर्स V/s साहित्यकारों के बीच प्रथम विश्वयुद्ध छिडने जैसा रोमांचकारी माहौल भी बनते दिख रहा है । संभवतः ब्लाग माध्यम की चौतरफा बढ रही दिन दूनी-रात चौगुनी लोकप्रियता से कुढकर कुछ तथाकथित साहित्यकारों का एक वर्ग इस ब्लाग-विधा को निकृष्टतम श्रेणी में आंकने की कोशिशों में ही लगा दिख रहा है और लगभग सभी उल्लेखनीय ब्लाग्स व टिप्पणियों को पढते हुए जो कुछ मेरी समझ में आ रहा है मैं उसे यहाँ कलमबद्ध करने की कोशिश कर रहा हूँ...
मौत आती भी नहीं जां जाती भी नहीं
भंवर में फ़ंसे मांझी सी सांसें अटकी ही रहीं।
सात खून माफ फ‍िल्‍म से पूर्व मैंने फ‍िल्‍म निर्देशक विशाल भारद्वाज की शायद अब तक कोई फ‍िल्‍म नहीं देखी,
लेकिन फ‍िल्‍म समीक्षकों की समीक्षाएं अक्‍सर पढ़ी हैं, जो विशाल भारद्वाज की पीठ थपथपाती हुई ही मिली हैं।
ब्लॉगिंग को ललकारिए मत , ब्लॉगिंग ललकारेगी तो आप चित्कार कर उठेंगे -
ब्लॉगिंग को विशेषकर हिंदी ब्लॉगिंग को पांव पसारे
अभी ज्यादा समय बीता भी नहीं है कि उसे निशाने
पर लिया जाने लगा है ।
सटोरियों का वर्डकप
क्या हाऊस वाईफ का कोई अस्तित्व नहीं ? -
 *क्या हाऊस वाईफ का कोई अस्तित्व नहीं ?
 क्या उसे financial decision लेने का कोई अधिकार नहीं ?
क्या हाऊस वाईफ सिर्फ बच्चे पैदा करने और घर सँभालने के लिए हो..
मीत जी ने बजा फ़रमाया हज़ूर
अपने ब्लाग किससे कहें पर मखमली आवाज़ के निस्बत .
विवेक रस्तोगी जी लगा रहे हैं ताला - मेरी छोटी सी दुनिया
पर
बारास्ता बी एस पाबला 

नई दुनिया में ब्लॉगिंग पर एक फीचर
यश भारत में ‘उड़न तश्तरी’, ‘आपका पन्ना’, ‘एड़ी चोटी’
दैनिक जागरण में ‘प्रेम रस’, ‘निहितार्थ’, ‘सामाजिक मुद्दे’
दुनिया का डी.एन.ए.टेस्ट ज़रूरी: दैनिक जागरण में ‘ना जादू ना टोना’
कृष्ण बलदेव वैद का कथा आलोक: स्वाभिमान टाइम्स में ‘जानकी पुल’
हरिभूमि में ‘बस करो’, ‘दुनिया जहान’
व्यक्ति पूजा बहुत घातक: डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में ‘कुछ अलग सा’
परीक्षार्थियों की चांदी हो गई..रोहन परीक्षा दे रहा था, लेकिन हॉल में मौजूद परीक्षक लगातार घूम रही थी,और नकल कर पाने का मौका ही नहीं मिल रहा था...परेशान होकर रोहन ने एक चिट पर कुछ लिखकर परीक्षक के हाथ में थमा दिया...
परीक्षक ने चिट पढ़ी और चुपचाप जाकर कुर्सी पर शांत बैठ गई, परीक्षार्थियों की चांदी हो गई...सभी परीक्षार्थी हैरान हुए, लेकिन फटाफट एक-दूसरे की मदद से उत्तरपुस्तिका भरने लगे...
परीक्षा खत्म होने के बाहर निकलते ही बच्चों ने रोहन को घेर लिया, और पूछा,
"यार, तूने मैडम को क्या लिखकर दिया था पर्ची में...?"
रोहन ने शरारती मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया,
जवाब इधर है 

एक पगली- सुविधि

C9azrV7m2Ox8V8S6yIrHPQ
आप लोग जानते है ना इसे?अरे सुविधि है ये.जो इसे मालूम पड गया कि
मैंने इसका परिचय अपने स्टाफ मेंबर के रूप में कराया है तो समझिए ….
देवी को माना पडेगा.बेहद ईर्ष्यालु किस्म की है ये.
बधाई का ठेला भेजिये ललित जी को 

अविनाश वाचस्पति बाज़ नहीं आते 
प्रवासी साहित्यकार सम्मेलन के
फ़ोटो यहां लगाते हैं
कईयों के सीने पर "सांप" ( इसे ज़रूर क्लिक कीजिये )
लोट वाते हैं....
इस ब्लाग पर होली आ ही गई कवि गण पधारें
नवगीत की पाठशाला




    9 टिप्पणियाँ:

    अच्छे लिनक्स समेटे वार्ता .....

    महत्वपूर्ण लिंक देने के लिए आपका आभार गिरीश भाई !

    चुनिन्दा पठनीय लिंक्स के साथ ही ब्लाग4वार्ता में पहली बार 'नजरिया' की मेरी पोस्ट को भी स्थान देने के लिये आपको धन्यवाद ।

    बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    अच्छी रही चर्चा |
    बधाई |
    आशा

    बढ़िया लिंक्स मिले ... गिरीश दादा ... आभार !

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