नमस्कार, आज बसंत पंचमी है, गत वर्ष बसंत पंचमी से ही ब्लॉग जगत में होली का धमाल शुरु हो गया था, एक से बढकर एक रचनाएं और व्यंग्य प्रकाशित हो रहे थे। खूब मौज मस्ती हुई और मजा आया। आशा है कि ऐसा ही कुछ इस वर्ष भी पढने एवं गढने को मिलेगा। ब्लॉग4वार्ता दल के वार्ताकार शिवम् मिश्रा जी की वैवाहिक वर्षगाँठ थी एवं देव बाबू का जन्मदिन भी। इन्हे ब्लॉग4वार्ता की ओर से ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं। तीन दिन पूर्व चिट्ठा जगत पुन: सक्रिय हुआ तो परसों ललित डॉट कॉम सक्रियता क्रमांक 1 दिखाई दिया और कल भी एक नम्बर पर ही था। समीर भाई छुट्टी में हैं तभी दो दिन एक नम्बर पर रहने का आनंद ले लिया। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर....
स्वराज्य करुण लिखते हैं कि दो तरह के किसान होते हैं। खेती प्रति चिंता करते हुए कहते हैं ---पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री ने कभी 'जय जवान-जय किसान ' का प्रेरणादायक नारा देकर वीर जवानों के साथ-साथ मेहनतकश किसानों का भी हौसला और गौरव बढ़ाया था , लेकिन आज हमारे कृषि -प्रधान देश में ऐसा लगता है कि खेती को सर्वोत्तम व्यवसाय मानने की अवधारणा भौतिकता की चकाचौंध में कहीं विलुप्त होती जा रही है. पढ़-लिख कर और कॉलेज की डिग्री लेकर हमारे कृषक-पुत्र भी खेती से विमुख होते जा रहे हैं. फिर भी इंसान के ज़िंदा रहने के लिए अनाज की और अनाज के लिए खेती की अनिवार्यता कभी खत्म नहीं होगी . युगों -युगों से खेती होती आयी है और होती रहेगी .यह अलग बात है कि बढ़ती आबादी और घटती कृषि ज़मीन के बीच भविष्य में खेती का स्वरुप क्या होगा ?
दिनेश राय द्विवेदी जी प्रश्न उठा रहे हैं --दिनकर जी के परिवार के साथ न्याय कैसे हो?यह समाचार भारतवर्ष की कानून और व्यवस्था की दुर्दशा की कहानी कहता है। हेमन्त देवी का कहना है कि वे मुख्यमंत्री तक से मिल चुकी हैं लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। मुख्यमंत्री क्या करें? वे एक व्यक्ति, जो कानूनी रूप से किसी संपत्ति के कब्जे में आया था, जिस का कब्जा अब लीज अवधि समाप्त होने के बाद अवैध हो गया है और जो अतिक्रमी हो गया है, से मकान कैसे खाली करवा सकते हैं?
गिरीश पंकज जी की गजल का एक शेर पढ कर मुझे मीर तकी मीर का एक स्लोमोशन शेर याद आ गया। "मुख सिती तुम उलटो नकाब आहिस्ता आहिस्ता, जिस तरह गुल से निकसता है गुलाब आहिस्ता आहिस्ता। आईए उनकी गजल के कुछ शेर पढते हैं.----
सामने जो भी गलत है तुम इसे बदलो तुरत
युग यहाँ पर बीत जाते हैं किसी अवतार में
युग यहाँ पर बीत जाते हैं किसी अवतार में
दौड़ना अच्छा है लेकिन हादसों का डर भी हो
कुछ तो काबू रख सकेंगे हर घड़ी रफ़्तार में
कुछ तो काबू रख सकेंगे हर घड़ी रफ़्तार में
ज़िंदगी में हर घड़ी बस एक गुंजाइश रहे
इसलिये तो जीत भी हम खोज लेते हार में
इसलिये तो जीत भी हम खोज लेते हार में
रोज़ हम देखा-सुना करते हैं वो भी चल बसे
क्यों किसी से हम करें नफ़रत यहाँ बेकार में
क्यों किसी से हम करें नफ़रत यहाँ बेकार में
तुम संभल कर के चलो क्योंकि समय बलवान है
कब कहाँ आवाज़ होती है समय की मार में
कब कहाँ आवाज़ होती है समय की मार में
खुद असल में चीज़ क्या है वो सभी को है पता
खोजता रहता है फिर भी गलतियाँ दो-चार में
खोजता रहता है फिर भी गलतियाँ दो-चार में
मर्द हो तो सामने आओ लड़ो कुछ बात है
कायरों को ही मज़ा आता है छिप कर वार में
कायरों को ही मज़ा आता है छिप कर वार में
नफरतो की आड़ पंकज एक दिन गिर जायेंगी
छेद इतने कर दिए है प्रेम से दीवार में
आरंभ में संजीव तिवारी जी लिख रहे हैं राजघाट से गाजा तक कारवां-1राजघाट से गाजा तक के कारवां में साथ रहे दैनिक छत्तीसगढ़ समाचार पत्र के संपादक श्री सुनील कुमार जी के इस संस्मरण के संपादित अंश बीबीसी हिन्दी में क्रमश: प्रकाशित किए गए हैं. हम अपने पाठकों के लिए सुनील.----खुशदीप भाई कह रहे हैं ब्लॉगर मिले, तस्वीरों की भी एक ज़ुबान होती है, सच है मित्र---ये कोई मीट-वीट नहीं थी...समीर जी से मिलने का बस बहाना था...लेकिन जो मौका-ए-दस्तूर था, वहां सीमित जगह और व्यवस्था का कसूर था कि चाह कर भी हर किसी को न बुला पाने के लिए मेजबान मंडल मजबूर था...खैर छोड़िए,
राजकुमार सोनी लिख रहे हैं -- तो क्या इन्हें तुम्हारा बाप गिरफ्तार करेगा--अभी दो रोज पहले अखबारों में एक खबर छपी है. एक नाबालिग को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि वह किसी महिला पुलिसकर्मी को उसकी मीठी आवाज के कारण फोन किया करता था. इस खबर को पढ़ने के बाद मुझे हैरत इसलिए...मनीषा पांडे लिख रही हैं अवसाद का काला रंग और ओरहान पामुक जयपुर से लौटकर* *दूसरा हिस्सा* जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जाने के प्रस्ताव के साथ मैंने जो सबसे पहला काम किया था, वह था उनकी वेबसाइट पर जाकर ये पता करने का कि वहां कौन-कौन आ रहा है और ओरहान पामुक, जेए...
ब्लागिंग बनाम न्यू मीडिया पढिए पद्मावलि पर--मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अभिव्यक्ति की क्षमता ही इसे अन्य जीवों से अलग और उन्नत स्थान दिलाती है। किसी भी सृजनात्मक और कला विषय के तीन मुख्य पहलू होते हैं। पहला है अनुभूति(observation), जहाँ हम पांचों ज...मिसिर जी लघु प्रसंग में कह रहे हैं शिल्पी और कला और पत्थर एक दूसरे के पूरक हैं ...एक बार चलते चलते शिल्पी और कला की आपस में ठन गई और आपस में वे एक दूसरे से विवाद करने लगे की इन दोनों में श्रेष्ठ कौन है . कला ने शिल्पी से कहा - तुम्हारा नाम मेरे कारण ही सारे संसार में प्रसिद्द होता है मै...
के्वल राम कविता कर रहे हैं कितना मुश्किल है.? -- बहुत मुस्किल है इस सवाल हो हल करना--खुशी अपने लिए सोचते हैं सब करते हैं कोशिश दुसरे की भावनाओं को ठेस लगाकर , खुद खुश होने की पर.... किसी की भावनाओं को समझकर खुद खुश होना ,कितना मुश्किल है राह चलते , दिख जाते हैं, कई दृश्य ह्रदय विदारक हर द...राहूल सिंह जी का आलेख पढिए पर्यावरण पर ---राहुल सिंह रायपुर छत्तीसगढ ब्लॉग सिंहावलोकन सभ्यता का आरंभ उस दिन हुआ, जिस दिन पहला पेड़ कटा (छत्तीसगढ़ी में बसाहट की शुरुआत के लिए 'भरुहा' काटना मुहावरा है) और यह भी कहा जाता है कि पर्यावरण का संकट...
मधु चूसे मीठा लगे, भंवरा उडि उडि जाय. चूसकर जो छांडि दे, भव सागर तरि जाय प्रिय भक्तजनों, इस नश्वर ब्लाग संसार का उद्धार करने के लिये हम आजकल तपस्या में लीन हैं. हमने भक्तों के कल्याण के लिये श्री ताऊ दोहावली की रचना की है. श्री ताऊ दोहावली का गायन करने से समस्त पाप ताप मिट जात...क्या करूँ कि तुम बहुत याद आती हो पढिए --जीवन में कभी कभी कुछ दिन ऐसे आ जाते है जब आप यह तय नहीं कर पाते कि खुश हो या दुखी ... ऐसा ही एक दिन मेरे जीवन में आज से ठीक ५ साल पहले आया था | * *७ फरवरी २००६ के दिन यूँ तो तय था कि मेरे विवाह का योग है ...
मैं,मेरी श्रीमतीजी औरइधर साला एक अजीब योजना पर कार्य कर रहा था. योजना क्या मैं तो कहता हूं साजिश रच रहा था कि किस तरह मेरी बची-खुची इज्जत को सुपुर्दे खाक किया जाये. मैंने उसके आने के साथ ही उसे बता दिया था कि चोरी, डकैती, अ...'इंदिरा शेट्टी' की यादों में बसा....तालेगांवएक शाम अपनी सहेली इंदिरा शेट्टी के घर पर, हम सब चाय के लिए इकट्ठे हुए थे. पुट्टू...अप्पम...इश्टू, वडा साम्भर का स्वाद...इंदिरा के अनुभवों के खजाने में से निकलते यादों के मोतियों के आलोक में कुछ और बढ़ गया...
बाप की अस्थिया यह कहानी नही एक हकीक़त है . हमारे शहर के पास रामगंगा नाम की नदी बहती है . जो की गंगा में जा कर मिल जाती है . हमारे यहाँ उसे गंगा का ही दर्जा प्राप्त है . पड़ोस के शहर के एक सर्राफा व्यापारी के सगे बाप म...ब्रह्मकमल "देखिए--ब्रह्मकमल का अर्थ है ‘ब्रह्मा का कमल’। यह माँ नन्दा का प्रिय पुष्प है । तालाबों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन पर होता है। ब्रह्मकमल 3000-5000 मीटर की ऊँचाई में पाया जाता है। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य...
चलते चलते MASTAN TOONS वाले मस्तान सिंग जी का एक कैरिकेचर
सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं, मिलते हैं ब्रेक के बाद-- राम रम...........................
11 टिप्पणियाँ:
अच्छे लिनक्स समेटे वार्ता ....बसंत पंचमी की शुभकामनायें आपको भी.....
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं |वार्ता के अच्छे लिंक्स |दोपहर के लिए बहुत सा पढ़ने की सामिग्री देने के लिए आभार |
आशा
अच्छे लिंक्स समेट लिए हैं .. वसंतपंचमी की शुभकामनाएं !!
बहुत ही धांसू फ़ांसू चर्चा ललित भाई । वसंत के आगमन पर आप सबको बधाई और शुभकामनाएं
बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
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सादर
हर साल इस दिन ( ७ फरवरी को ) मैं काफी परेशान हो जाया करता था ... पर इस साल आप सब के इस स्नेह लेप से काफी राहत मिली है ! आपकी सब की मंगलकामनायों सर माथे ... मेरे जीवन के इस ख़ास दिन को आप सब ने और भी खास बना दिया ... बस ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखें ! आशा है कभी भी ऐसा कोई पल नहीं आएगा जब मेरे कारण आपको शर्मिंदा होना पड़े ! सादर !
दादा मस्त वार्ता लगाई है आज ... आपको, पूरे वार्ता दल को और सभी पाठको को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत अच्छी चर्चा ...
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
mujhen ho to ........ yaa fir hmare llit bhyya ji ki . akhtar khan akela kota rajsthan
आप सब को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
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