प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
आज आप सब के लिए इतिहास के पन्नों से कुछ रोचक जानकारी ले कर आया हूँ ... लीजिये देखिये किस तरह हम भारत वासियों के अनमोल रत्न बर्बाद किये गए ... अंग्रेजो के शासन काल में ... पर वह लोग यह भूल गए ...
है बात कुछ कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ...
सदियों रहा है दुश्मन अहेले जहाँ हमारा !!
और जिस जानकारी की बात मैं कर रहा था वो यह है ...
ताजमहल के शिखर पर लगा स्वर्ण कलश ठीक दो सौ वर्ष पूर्व 1810 में उतारा गया था। ठीक दो सदी पहले की यह घटना अपने समय का सबसे चर्चित और ऐसा वाकया थी जिसे अंग्रेज पूरी तरह गुपचुप रखना चाहते थे। बाद में 1811 में इस कलश की जगह तांबे का कलश लगवाया गया जिस पर सोने का पानी चढ़ा था।
हटाए गए सोने का कलश चालीस हजार तोले यानि लगभग चार सौ किलो सोने का था। यह कलश तीस फुट छह इंच ऊंचा था। इसके हटाए जाने का मुख्य कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के खजाने के लिए धन जुटाया जाना था। हालांकि ईस्ट इंडियाकंपनी के रिकार्ड में इस आय का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
इतिहासकार प्रो.रामनाथ के अनुसार उतारे गए स्वर्ण कलश का सोना लुट गया। स्वर्ण कलश को हटाये जाने के बाद लगाये गये कलश को अब तक 1876 और 1940 में दो बार और बदला गया। इस प्रकार वर्तमान में ताजमहल के गुंबद पर लगा हुआ कलश बदले जाने के क्रम में चौथा है। जो भी कलश ताजमहल की शोभा बना वह मूल कलश की ही प्रतिकृति है।
कलश की ऊंचाई और आकार के बारे में अक्सर होने वाली पूछताछ के चलते 1888 में ताजमहल के बायीं ओर बने मेहमान खाने के चबूतरे पर काला पत्थर इस्तेमाल कर मूल कलश की अनुकृति बनवा दी गई जो अब भी मौजूद है।
मध्यकालीन इतिहास के जानकार राज किशोर राजे के अनुसार मूल गुंबद से कलश उतरवाने का कार्य आर्थिक लोभ से जरूर किया गया किंतु ईस्ट इंडिया कंपनी के खजाने को इससे कोई लाभ नहीं हुआ। यह बात लोगों से गुंबद की मरम्मत के नाम पर छुपाई गई। राजे के मुताबिक दो सौ साल पहले सोने के कलश को उतरवाने का काम जहां कंपनी सेना में कार्यरत जोजेफ नाम के अधिकारी ने किया था वहीं इसकी काले पत्थर की अनुकृति आगरा के कलाकार नाथू राम ने बनाई।
चलिए अब बात करते है आज की ...
सुबह सुबह देखा तो पाया चिट्ठाजगत लौट आया है ... पर शाम होते होते फिर चला गया ... पर प्राप्त जानकारियों के अनुसार बहुत जल्द ही वापसी होने को है फिलहाल टेस्टिंग चल रही है ! आशा है हम सब का इंतज़ार जल्द ख़त्म होगा ! वैसे तब तक आपकी सेवा के वार्ता दल है ना ... आपको रोज़ पोस्टो के लिंक्स मिलते रहेंगे ... यह वादा है !
ब्लॉग 4 वार्ता के इस मंच पर प्रस्तुत है आज की ब्लॉग वार्ता ...
सादर आपका
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अविनाश जी बता रहे है कि एक बड़ी खबर आ रही है : आज महफूज भाई दिल्ली में हिन्दी ब्लॉगरों से मिले हैं :- वैसे इसमें इतना हल्ला मचाने जैसा क्या है यह वो ब्रेक के बाद बतायेगे !
कुमार राधारमण जी हमेशा की तरह हमारे लिए चिंतित है और बता रहे है कि कम उम्र में सेक्स और हार्मोनल दवाओं से कैंसर हो सकता है !
आज डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी का जन्मदिन है और वो "मेरे लिए उपहार" में अपने उपहारों के बारे में बता रहे है !
गीताश्री जी ने एक बेहद अहेम मुद्दे को अपने ब्लॉग पर उठाया है और बताया है कि यौन उत्पीडऩ विधेयक उम्मीदों पर खरा नहीं !
रश्मि रविजा जी आज उस चिंगारी से मिलवा रही है जो आज एक दहकती हुयी ज्वाला बन चुकी है और पूछ रही है मिस्र की क्रांति की आग को क्या 'आसमा महफूज़' के वीडियो ने चिंगारी दिखाई??
गगन शर्मा जी भी कुछ जरुरी तथ्य रखते हुए बता रहे है कि क्षीण होती जाती है स्पर्श शक्ति भी धूम्रपान से !
जब ब्लॉग जगत में इतनी हलचल हो तो अपने 'असरदार' सरदार पाबला जी भी कहाँ पीछे रहते ... बातों बातों में डरा दिया और बतया कि टिप्पणियों में लिंक देने वाले हो जाएं सावधान !!
आजकल हमारे कुछ भाइयों पर '१४ फरवरी' वाला भूत चढ़ा हुआ है ... उनमे से एक है हमारे छोटे भाई देव बाबु ... बहुत ही आशिकाना हो रहे है आजकल ... ब्लॉग पर तो जोड़े से मिलते है ही आज अन्दर की बातें भी बताने लगे ... बोले कि मिसेज कहती है कि ओह ! तुम कितनी अच्छी बातें करते हो!!! :-देव
अब इनको कौन समझाए कि यह सब बातें सब के सामने नहीं की जाती ... है कि नहीं ... लीजिये एक शेर मुलाहेज़ा फरमाइए दिल ले के चले हो तो लिए जाओ नजर भी- जिगर मुरादाबादी या पूरी नज़्म ही पढ़ लीजिये आप भी क्या याद करेंगे !
रुद्राक्ष पाठक कल तक कह रहे थे पढाई के मारे टाइम नहीं मिलता ... आज कह रहे है गेम खेलो और दुआएं लो !
जब कोई चाहने वाला मिलता है तो दिल खुश हो जाता है पर चलिए उपदेश सक्सेना जी से पूछते है कि अगर कुछ ब्लॉगर मिलें तो ब्लॉगर से ब्लॉगर मिले : शाम हो गई हसीन !
जब मिलने मिलाने की बात चल रही हो तो कुछ शेरो - शायरी जरुरी हो जाती है ... तो मैं दावत देता हूँ हरकीरत ' हीर' जी को कि वो आयें और अपनी रचनाएँ पत्थर हुई बूंद ....बैसाखियाँ.....और फफोला .... पेश करें !
जब इतना सब अच्छा अच्छा हो रहा हो तो दिल से यही दुआ निकलती है जो अन्तर सोहिल जी के दिल से निकली कि फिर से मिल जाये संयुक्त परिवार !
और जब ऐसी बात सुनने को मिले तो क्या हम क्या चीज़ है साहब बड़े बड़े कह उठे ... व्हाट एन आइडिया सर जी...खुशदीप
लीजिये यह देखिये रवि रतलामी साहब अपना जीवन सुधार रहे है और धार्मिक टीवी चैनलों के साथ एक दिन बिता रहे है !
'अदा' जी भी कब पीछे है ... गाना भी सुनवा रही हैं और बता रही हैं कि ये लो यादों का सहारा हाथों से फिसल गया......गीत ..तुम्हीं मेरे मंदिर..
संगीता दीदी ने भी सितारों से लम्बी बातें की है और सब को बता रही हैं कि कैसा रहेगा आपके लिए 4 , 5 और 6 फरवरी का दिन ??
अपने सतीश भाई साहब भी कभी कभी हद करते है ... पर जब करते है अपनी ही बात करते है ... और अपनेपन से करते है लीजिये आप भी देख लीजिये आज क्या कह रहे है नज़रिए हो गए छोटे हमारे -सतीश सक्सेना
अच्छा एक जरुरी बात ... मुफ्त एंटीवायरस तो नहीं चाहिए आप में से किसी को ... क्या कहा हाँ ... अरे तो यहाँ जाइये ना AntiVir Personal का नया संस्करण नवीन प्रकाश जी से ले लीजिये !
कुलवंत हैप्पी साहब भी काफी लम्बे समय तक ब्लॉग जगत से दूर रहे पर अब जब आये है तो देखिये 'मिस्त्र में जनाक्रोश जिम्मेदार कौन' विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित करवा दिए !
जब कहीं दूर देश में ऐसी घटना हो रही हो और अपना कोई वहाँ हो तो बहुत चिंता हो जाती है ... आजकल तो हाल हम लोग फोन कर लेते है पर पहले तो सिर्फ़ खतो से ही एक दुसरे के हाल चाल मिला करते थे ... क्या दिन थे वह भी ... है ना ! वैसे ख़त लिखते है आप आजकल ... अगर लिखते है तो जिसको लिखा उसको मिला या नहीं इसकी चिंता भी रहती होगी तो लीजिये फिर यह खबर खास आपके लिए ही है ... अब लीजिये अपने खतों की खबर - यूआईएडीआई से जुड़ा डाक विभाग |
जुगाड़,इंतज़ाम,व्यवस्था, कानून की ज़द में न हो तो भी क़ानून की ज़द में लाकर करो यही है सरकारी चाकरी का सूत्र हैं ...इन सूत्रों का प्रयोग करते जाइये नौकरी करते जाइये ... अब यह ज्ञान भरी बातें हम तो कर नहीं सकते ... यह तो वोही जाने जो सरकारी मुलाजिम हो या रहा हो ... तो सही समझे आप यह ज्ञान दे रहे है अपने गिरीश दादा जो कि निकल पड़े है ... खुली सड़क पर अपना सीना ताने एक पद-जात्रा पर !
जुगाड़,इंतज़ाम,व्यवस्था, कानून की ज़द में न हो तो भी क़ानून की ज़द में लाकर करो यही है सरकारी चाकरी का सूत्र हैं ...इन सूत्रों का प्रयोग करते जाइये नौकरी करते जाइये ... अब यह ज्ञान भरी बातें हम तो कर नहीं सकते ... यह तो वोही जाने जो सरकारी मुलाजिम हो या रहा हो ... तो सही समझे आप यह ज्ञान दे रहे है अपने गिरीश दादा जो कि निकल पड़े है ... खुली सड़क पर अपना सीना ताने एक पद-जात्रा पर !
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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
28 टिप्पणियाँ:
बहुत नया नवेला मिला
आभार अब सोने जाता हूं
बहुत अच्छी ब्लॉग वार्ता...
मेरी रचना शामिल करने के लिए हृदय से आभारी हूँ...
धन्यवाद..
अरे गिरीश दादा ... यह तो बता दीजिये ... अब आपको गुड नईट कहें ... या गुड मार्निंग !?
बहुत अच्छे लिनक्स लिए वार्ता ..... धन्यवाद
यह अपडेटेड चर्चा तो बहुत उपयोगी रही!
Thanks for giving us the wonderful links.
बहुत ही ख्होबसूरत वार्ता और दिलचस्प प्रयोग शिवम भाई ।
बहुत बढिया अंदाज रहा वार्ता का .. आभार !!
बहुत अच्छी ब्लॉग वार्ता
आभार अब सोने जाता हूं
बहुत अच्छी ब्लॉग वार्ता...
बहुत बढ़िया वार्ता ...
शु्क्रिया मिश्रा जी, आप सबका आभारी हूं
अच्छी लिंक्स के लिए बधाई |
आशा
बहुत अच्छी ब्लॉग वार्ता.
बढ़िया जानकारी के लिए व् हमें चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद ..
उपयोगी ब्लॉग वार्ता...
अच्छी रही वार्ता.
jai ho shubham jee
shanka nivaran ho gaya..?
वह तो कल ही हो गया था, गिरीश दादा ! ;-)
dhanywad aapka mera links jodne hetu
बहुत ख़ूबसूरत चर्चा.
बहुत अच्छी ब्लॉग वार्ता..
कई सारे लिंक्स मिले...शुक्रिया
जय हिंद
wah bahut sundar varta...
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जब मिलने मिलाने की बात चल रही हो तो कुछ शेरो - शायरी जरुरी हो जाती है ... तो मैं दावत देता हूँ हरकीरत ' हीर' जी को ....
आपकी दावत का इन्तजार रहेगा ......
वार्ता का यह प्रयोग बहुत अच्छा लगा...
बिल्कुल जी १४ फ़रवरी का खुमार कहिये या फ़िर कुछ और... वैसे मनीषा जी नें पढा नहीं... इसलिए बच गये.
:-)
बहुत अच्छी वार्ता... बधाई..
जब-जब टिप्पणी करने की कोशिश की,इंटरनेट के बेहद स्लो हो जाने की वजह से,कम्पोज्ड मैटर पोस्ट न हो सका। क्या पता,यह पहुंच जाए।
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