सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

सुबह की शांति के देश में .. स्‍वास्‍थ्‍य और देशी नुस्‍खे .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमसकार, मैं प्रति सप्‍ताह नए चिट्ठों का सवागत करते हुए ही वार्ता लिखा करती थी , पर चिट्ठाजगत बंद होने के बाद नए चिट्ठों की सूचि नहीं मिल पाने से कुछ दिनों से यह संभव नहीं हो सका था। इतने दिनों से बंद चिट्ठा जगत दो तीन दिन पूर्व भले ही एक दिन खुलकर फिर बंद भी हो गया , पर झटके में ही एक साथ 49 नए चिट्ठे स्‍वागत करने के लिए छोड गया। मेरा नेट भी गडबड चल रहा है , अभी अचानक ठीक हुआ है तो जल्‍दी से उन्‍हीं में से कुछ चिट्ठे छांटकर आज आपके लिए ब्‍लॉग4वार्ता लेकर प्रसतुत हूं .....


इसमें सबसे पहला चिट्ठा सतीश्‍ चंद्र सत्‍यार्थी जी का सुबह की शांति के देश में है ,  इन्‍होने अपनी पहली पोस्‍ट 17 दिसंबर को ही लिखा था .. ब्‍लॉगिंग : यह रोग बडा है जालिम , जब मैं समझ भी नहीं सकी थी कि उन्‍होने पहली पोसट लिखी है , क्‍यूंकि मुझे याद था कि मैं पहले भी इनके पोस्‍ट पढ चुकी हूं , इसलिए उसपर मेरी टिप्‍पणी थी ..



संगीता पुरी said...
सारे ब्‍लॉगर की तरह आप भी गलतफहमी में हैं .. ब्‍लॉगिंग तो एक ऐसा रोग है .. जो कई रोगों का इलाज करता है !!
और जब ब्‍लॉग जगत के माध्‍यम से 18 दिसंबर की इनकी पोस्‍ट का लिंक मिला तो मैने इनका इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत भी किया और यहां के स्‍वागत पोस्‍ट में चर्चा भी कर रही हूं। अब ऐसे में कभी कभी गलतफहमी हो जाती है कि मैं बिना पढे ही स्‍वागत करती हूं तो इस विषय में कोई सफाई देना व्‍यर्थ है। दिल्‍ली से कोरिया तक और राष्‍ट्रीय अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय इन्‍होने बखूबी रखी है , आप लोग जरूर पढें। 

स्‍वागत के लिए आए चिट्ठों में दूसरे से लेकर दसवें नंबर तक किसी रौनक सैनी जी का चिट्ठा है , जिन्‍होने इतने चिट्ठे बनाकर हर जगह एक ही सामग्री पोसट की है , पहले चिट्ठे खानापूर्ति का  लिंक मैं दे देती हूं , बाकी की कोई आवश्‍यकता नहीं। इसके अलावे कुछ और चिट्ठों को देखिए ..

स्‍वास्‍थ्‍य और देशी नुस्‍खे लेकर आयी हैं मीनाक्षी जी .. लिंक दिया है शहद के गुण , दोष और प्रभाव का।
कमल शर्मा जी अघोर उपनिषद में लेकर आए हैं ... अपनी बात:गुरू कृपा केवलम।
कप्‍तान जी जानकारी दे रहे हैं .. अल्‍लाह की याद का माह है मुहर्रम ।
कुछ गम कुछ अल्‍फाज में अनुज पव्‍वार जी लिखते हैं .. मेरी ख्‍वाहिश है कि फिर से मैं फरिश्‍ता हो जाऊं।
सुनीता जी की रचना में पढिए ... तुम कब आओगे मैत्रिये ।
मनोज कुमार के दुआर में ... दो कविताएं बू और मेरा समय।
देहदान के बारे में जानकारी दे रहे हैं .. पीयूष बत्रा जी लायन्‍स क्‍लब मे।
जगदीश भागवत जी की एक सोंच ये भी ... कारपोरेट की रेस में खेल का मैदान।
अली सोहराब में लिखते हैं दीपक कुमार जी .. ऐसे तो ध्‍वस्‍त हो जाएगा गोलघर।
सर्वर फिर डाउन हो जाए , उससे पहले विदा लेती हूं .. मिलती हूं अगले सप्‍ताह फिर से कुछ नए चिट्ठों के साथ ..

10 टिप्पणियाँ:

आज की वार्ता में बहुत सारे नयें ब्लॉग पढ़ने के लिए मिल गये!

बहुत दिनों बाद ... पर चलो किसी को तो नए लोगो के स्वागत का ख्याल आया ... संगीता दीदी आपका बहुत बहुत आभार !

अच्छी लिंक्स देती वार्ता के लिए बधाई |
आशा

रोचक तरीके से ब्लॉग का परिचय, धन्यवाद.

धन्यवाद् संगीता जी मेरे "देहदान" पोस्ट को अपने ब्लॉग में जगह देने के लिए :)



आपका अपना
पीयूष बत्रा

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