रविवार, 19 जून 2011

पिछले 20 घटों में प्रकाशित कुछ पोस्‍टें .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी


  • posted by निवेदिता at झरोख़ा - 12 minutes ago
    * * *बताओ तो ज़रा .......* *मुझको क्यों किया * *हमेशा यूँ ही अनदेखा* ***फूलों को तो तुमने * *देखा भी सराहा भी * *तेज चलती हवाओं औ * ***कीटों से संरक्षित किया * *पर ज़रा सोच कर देखो * *अगर पत्ते न होते ,तब *...
  • posted by वन्दना at नयी-पुरानी हलचल - 43 minutes ago
    *दोस्तों आ गयी है* *आज की हलचल * *कुछ नयी कुछ पुरानी * * * * * *संगीता जी का * इंतज़ार * ब्रिजेन्द्र सिंह जी घोंसला पर * *कल मरना मुझे गंवारा है** * * वीनस जोया कहती है * *रात ना कटे तो तुम ऐसा करना ....** ...
  • posted by मनोज कुमार at चर्चा मंच - 1 hour ago
    नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ। कोलकाता में पिछले चालीस घंटों से बारिश हो रही है। मौसम काफ़ी खुशगवार और सुहाना हो गया है। आइए इसी माहौल में आज की चर्च...
  • posted by नवगीत-पाठशाला at नवगीत की पाठशाला - 3 hours ago
    ढाक के तीन पात थे वो भी अब खो गये पसई के चाउर से सपने हम बो गये । जंगल का बिरवा था बस्ती ने खा लिया आग को पानी की मस्ती ने पा लिया उजड़े वीराने तो शहरों के वंश बढ़े पेड़ों में नव पलाश जागे थे, सो गये । ...
  • posted by अजय कुमार झा at कुछ भी...कभी भी.. - 4 hours ago
    पिछली पोस्ट में मैंने ज़िक्र किया था कि सरकार b--feedback@nic.in मेल पते पर आम आदमी के विचार मांग रही है भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो संक्षेप में फ़िलहाल सरकार को ईशारा कर दिया है कि आम आदमी ,...
  • posted by अविनाश वाचस्पति at पिताजी - 4 hours ago
    आप स्‍वयं पढ़ लीजिए फिर अपनी प्रतिक्रिया दीजिए न पढ़ पाएं तो इमेज पर फिर से क्लिक कर लीजिए क्लिक करने में न हिचकिचाइये एक बार फिर से माउस से क्लिक करने का कष्‍ट ऊंगली से दबाइये न कि उठाइये।
  • posted by sks_the_warrior at भड़ास blog - 6 hours ago
    Welcome to Team IAC and thank you for joining this movement! fill the farm nd add with movement- http://news.indiaagainstcorruption.org/form_volunteer.php click here for form By registering with IAC you ...
  • posted by डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर at रायटोक्रेट कुमारेन्द्र - 6 hours ago
    इतने सारे मुद्दों के बाद भी कुछ न लिखा जाना दर्शाता है कि मन में कुछ खिन्नता है। यह बात अपने एक मित्र से आज कही जिसने कई दिनों से कुछ भी न लिखने पर सवाल किया था। कई बार होता है ऐसा कि बहुत कुछ दिखाई देन...
  • posted by डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन - 6 hours ago
    हर छै महीने में दो सप्ताह का अर्जित अवकाश । यह सबसे बड़ा फायदा है निस्वार्थ भावना से सरकारी नौकरी करने का । हालाँकि स्वार्थी और भ्रष्ट सरकारी नौकरों को भी यह सुविधा उतनी ही उपलब्ध है । रोजमर्रा के काम से...
  • posted by 'उदय' at कडुवा सच - 7 hours ago
    न जाने कब तलक खुद को, तुम यूं ही सताओगे जो हैं सामने उनसे, कब तलक नजरें चुराओगे ! ... दिल, दिमाग, ख्याल, खामोशियां, जज्बात, तुम हमको है खबर, ख्यालों में भी तुम गुनगुनाते हो ! ... क्यों सुनते-सुनाते हो, खुदी ...
  • posted by अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़ - 7 hours ago
    *मैं हिन्दी का एक गरीब लेखक हूँ, रोटी के लिए पत्रकारिता करता हूँ|* भारतीय ज्ञानपीठ से एक कविता संकलन प्रकाशित है| वे मेरे सहयोगी भी हैं और जनसंदेश टाइम्स के फीचर संपादक के रूप में काम कर रहे हैं| मेरे सपन...
  • posted by मानसी की दुनिया at मानसी की दुनिया - 7 hours ago
  • posted by veerubhai at कबीरा खडा़ बाज़ार में - 7 hours ago
    प्रस्तुत दोहावली जो आगे भी ज़ारी रहेगी "सोनिया गांधी एंड कोंग्रेस सीक्रेट्स बिलियंस "का दोहानुवाद है ,भावानुवाद है कृपया इसके साथ संलग्न दो किश्तें इस भंडा फोड़ की भी पढ़िए ,पुरानी पोस्ट को क्लिक करके .मेहरब...
  • posted by udaya veer singh at उन्नयन (UNNAYANA) - 8 hours ago
    { पुराने पन्ने से ---} पीहर से मेरे प्यार का पैगाम भेज देना , जीता हूँ या हारा, परिणाम भेज देना -- मेरा नसीब आप हैं , बेबे ने लिख ...
  • posted by Vivek Jain at मेरे सपने - 8 hours ago
    आ रही हिमालय से पुकार है उदधि गजरता बार-बार प्राची पश्चिम भू नभ अपार सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत- वीरों का कैसा हो बसंत फूली सरसों ने दिया रंग मधु लेकर आ पहुँचा अनंग वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग है वीर देश में कि...
  • posted by राजीव थेपड़ा at रांचीहल्ला - 8 hours ago
    * एक बार फिर चारों तरफ बरसात का आलम है.....कुछ लोगों के लिए बेशक यह रोमांचक शमां हो सकता है,किन्तु झारखंड नाम के एक राज्य में यह मौसम इस वक्त एक लोमहर्षक-दर्दनाक-विकराल और दिल को दहला देने वाला...
  • posted by राजीव थेपड़ा at भड़ास blog - 8 hours ago
    * एक बार फिर चारों तरफ बरसात का आलम है.....कुछ लोगों के लिए बेशक यह रोमांचक शमां हो सकता है,किन्तु झारखंड नाम के एक राज्य में यह मौसम इस वक्त एक लोमहर्षक-दर्दनाक-विकराल और दिल को दहला देने वाला...
  • posted by रावेंद्रकुमार रवि at सरस पायस - 8 hours ago
    ♥♥ बहुत मज़े में ♥♥ आसमान में नन्हे बादल बहुत मज़े में घूम रहे हैं! पर्वत इन्हें बुलाएगा जब, एक साथ वे उधर मुड़ेंगे! पर्वत से टकरा-टकराकर, एक साथ फिर इधर मुड़ेंगे! मस्त हवा के संग-संग वे बहुत मज़...
  • posted by अरुण चन्द्र रॉय at सरोकार - 8 hours ago
    १. पत्तों की थाली कंकडों से भरा लाल मोटा भात करेले का अचार नदी का मटमैला पानी और बन्दूक साथ महुआ मेरा नाम, खबर है कि सरकार बना रही है हमसे युद्ध की नीति २. महीनो में एक बार माथे में तेल चोटी में लाल...
  • posted by Dr. Subhash Rai at साखी - 8 hours ago
    हरे प्रकाश उपाध्याय को साखी पर प्रस्तुत करते हुए मुझे संतोष और गर्व दोनों का अनुभव हो रहा है| वे एक ऐसे युवा कवि हैं, जिन्होंने अपनी और अपने पहले और बाद की पीढ़ियों को एक साथ आकर्षित और प्रभावित किया है| ...
  • posted by Avinash Chandra at मेरी कलम से..... - 8 hours ago
    हे तात! आज के दिव ही, ऐसे ही किसी क्षण, पुण्य मन, उछाह भर, ले आए थे तुम, सैकत कण भर अंजुरी, ध्रुवनंदा के किनारे से। हे जननी! नक्षत्रों के ठीक नीचे, ऐसी ही किसी वेला, ढुलका दिया था तुमने, स्नेह-वात्सल्य स...
  • posted by noreply@blogger.com (Ratan Singh Shekhawat) at ज्ञान दर्पण- 8 hours ago
    राव चंद्रसेन जोधपुर के राव मालदेव के छटे नंबर के पुत्र थे | उनका जन्म वि.स.१५९८ श्रावण शुक्ला अष्टमी (३० जुलाई १५४१ई.) को हुआ था | हालंकि इन्हें मारवाड़ राज्य की सिवाना जागीर दे दी गयी थी पर राव मालदेव ...
  • आसमान में एक तारा होता है ध्रुव तारा .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी
    आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , सुबह सवेरे ही अजय जी के चैट स्‍टेटस से मालूम हो गया कि आज मातृ दिवस है , उन्‍होने लिखा था आज मेरे पास बंग्ला नहीं है , गाडी नहीं है , बैंक बैंलेंस भी नहीं है ..और मां ....
  • posted by anu at Apno ka saath - 9 hours ago
    *प्रेम दीवानी * *सूरज की गरमी ,चन्दा की ठंडक इसमें छिपे अनंत बसंत अपनी बानी प्रेम की बानी इसकी सियाई आँखों का पानी जिसको ना घर समझे ना समझे गली दीवानी जिसकी हर अदा पर मर गई ये मीरा दीवानी .... मै तो हू...
  • posted by brajkiduniya at भड़ास blog - 10 hours ago
    [image: A R. Rajput075] मित्रों,एक बार डॉ. बशीर बद्र के मुखारविंद से दूरदर्शन पर उनकी ही पंक्तियाँ सुनीं.पंक्तियाँ कुछ इस तरह से थीं-जबसे मैं चला हूँ मंजिल पर मेरी नजर है,रस्ते में मील का पत्थर मैंने नह...
  • posted by पुष्कर at नुक्कड़ - 10 hours ago
    पत्रकारों पर हुए हमले के खिलाफ काला दिवस मनाया गया: "नईं दिल्ली। पत्रकार संगठन प्रेस फ्रीडम ने मुंबई में मिड डे के पत्रकार जे डे के हत्यारों को गिरफ्तार करने और देश भर में पत्रकारों पर बढ़ रहे हमलों के प्र...
  • posted by अजय कुमार झा at झा जी कहिन - 10 hours ago
    तस्वीर , गूगल से साभार सरकार ने आम जनता को भरपूर आश्वासन देते हुए आश्वस्त किया है कि वो सिर्फ़ लट्ठ नहीं चला रही है और काबिल मंत्री (*सरकार के काबिल मंत्री वो हैं जो खूब बोलते हैं , उनका म्यूट बट...
  • posted by Vikram at भड़ास blog - 11 hours ago
    जब से अन्ना हजारे और बाबा रामदेव का अनशन , सत्याग्रह शुरू हुआ , तब से सारा देश एक अजीब सी उथल पुथल का सामना कर रहा है . सभी पक्षों के नेता , कार्यकर्त्ता खेमों में बंटे नज़र आ रहे हैं , अख़बारों , ...
  • posted by Manish Kr. Khedawat at भड़ास blog - 11 hours ago
    राजनेता , जैसे कि नाम से ही प्रतीत होता होता हैं | जन पे जबरन राज़ करने वाला राजनेता होता हैं || राजनेताओं की करतूतों पे एक बारगी , काला कौवा भी शरमा जायें | लगा दे इनके इल्ज़ाम इस धरती पे, तो ये फट जा...
  • posted by Vikram at भड़ास blog - 11 hours ago
    *जरूरत है मानसिकता में बदलाव की* * * * * * * *पत्रकारों पर अत्याचार , उनकी हत्या करवा देना , या फिर मार पीट कर हाथ पैर तुडवा देना , धमकिया देना . फर्जी मुकदमा दर्ज करा कर उनका उत्पीडन करना भारत में एक सा...
  • posted by Sunil Kumar at दिल की बातें - 11 hours ago
    मेरी पिछली पोस्ट यह कैसा रिश्ता ? (लघु कथा) जिसमें एक बेटे ने पिता को दूर का रिश्तेदार बता दिया |टिप्पणियों के रूप में कुछ लोगों ने इसे एक सामान्य घटना मान कर , बदलते हुए वक्त को कसूरवार ठहरा दिया | अब...
  • posted by श्यामल सुमन at मनोरमा - 12 hours ago
    बहुत दिनों के बाद सुहानी रात हुई दिन गरमी खतम हुए बरसात हुई रिमझिम की धुन में कोई संगीत बजे शादी मौसम की बूँदें बारात हुई इस मौसम में दूर से प्रीतम आ जाये मानो सच ये विरहन की सौगात हुई नव-जीवन संकेत फुहार...
  • posted by रेखा श्रीवास्तव at नारी , NAARI - 12 hours ago
    इतना बड़ा जनसख्या में अनुपात का अंतर होने के बाद भी हम अपनी किस सोच के तहत कन्या भ्रूण की हत्या करते जा रहे हैं। सब ये दिलासा देते हैं कि अब समय बदल रहा है लोगों की सोच बदल रही है लेकिन फिर एकाएक कुछ ऐसा घ...
  • posted by गिरिजेश राव Girijesh Rao at एक आलसी का चिठ्ठा - 12 hours ago
    [image: image]*पूर्ववर्ती:* तिब्बत - चीखते अक्षर : अपनी बात तिब्बत - चीखते अक्षर : प्राक्कथन तिब्बत – क्षेपक तिब्बत - चीखते अक्षर (1), (2), (3), (4), (5), (6)*अब आगे ...**सांस्कृतिक क्रांति * * * जैसा क...
  • posted by Manish at अधूरा सपना - 12 hours ago
    इस बड़ी सी दुनिया में हम छोटी छोटी बातों को नज़रअन्दाज कर देते हैं और वही छोटी बातें हमारी बड़ी सी दुनिया को कुरूप बना देती हैं. एक खुशहाल राज्य की परिकल्पना मात्र विचारों के माध्यम से की जा सकती है. उसे ...
  • posted by noreply@blogger.com (सतीश पंचम) at सफ़ेद घर - 12 hours ago
    बासु चटर्जी की कुछ फिल्में बड़ा अलहदा विषय लेकर बनी हैं जिनके बारे में अक्सर समीक्षकों और फिल्म प्रशंसकों के बीच चर्चा रही है। ऐसी ही एक फिल्म थी 1982 में बनी 'शौकीन' जिसके मुख्य किरदार थे अशोक कुमार...
  • posted by गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा - 12 hours ago
    'माया' महा ठगिनी। कब किसी की हुई है। आज फिर एक कुटिया ने मनों आभूषण और ढेरों नगदी उगली। परिवर्तन समय की मांग है। सब समय के साथ बदलता रहता है। चाहे अच्छा हो या बुरा स्थायी कहां रह पाता है कुछ भी। राम-राज ...
  • posted by शकील "जमशेदपुरी" at भड़ास blog - 12 hours ago
    *शकील जमशेद्पुरी* * * *एक* चैंपियन टीम कौन होती है? पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान एलन बोर्डर ने एक बार कहा था कि चैंपियन टीम वह होती है जो जीत के हालात न होने के बाद भी जीत के आसार पैदा कर दे। भारतीय टीम स...
  • posted by आचार्य उदय at आचार्य जी - 13 hours ago
    "दोस्तों तुम खुद से बाहर कब आओगे।" आचार्य उदय
  • posted by Alpana Verma at Vyom ke Paar...व्योम के पार - 13 hours ago
    जब भी गर्मियाँ आती हैं तो याद आते हैं वे दिन … स्कूल के दिनों में गर्मी की छुट्टियाँ मई और जून में पड़ा करती थीं ..जुलाई में स्कूल खुला करते थे. छुट्टियाँ शुरू क्या होती थीं उससे पहले ही छुट्टियों के ...
  • posted by Dr.J.P.Tiwari at pragyan-vigyan - 13 hours ago
    मंदिर में देखो भक्तों ने नैवेद्य चढ़ाये फूल चढ़ाये दीप जलाये. अपने सुगंध की मादकता में, हर्षित सब फूल बहुत इठलाये. मंद पवन के झोंकों से, सुगंध यह दूर दूर तक फैला. लेकिन जब हुयी हवा प्रतिकूल, सारा सुगन्ध उड़...
  • posted by sks_the_warrior at भड़ास blog - 13 hours ago
    लोकपाल-भ्रष्टाचार, अन्ना-बाबा और सत्ता के प्यादों के बीच जनता This Fine Life: A Novel प्रख्यात समाजसेवी और गांधीवादी अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आमरण अनशन से हलकान सरकार द्वारा लो...
  • posted by Ek ziddi dhun at एक ज़िद्दी धुन - 13 hours ago
    जनवादी लेखक संघ, सहमत, जनम और एक्ट-1 के तत्वावधान में 15 जून 2011 को दिल्ली में नागार्जुन जन्मशती उत्सव का आयोजन किया गया. इस मौके पर `नया पथ` के नागार्जुन विशेषांक का विमोचन भी हुआ. सहमत, जनम, एक्ट-1 , बि...
  • posted by Er. सत्यम शिवम at *गद्य-सर्जना* - 13 hours ago
    हार कर आज आ बैठा मै अकेला छत पर।कितना पुकारा तुमको और तुम्हारे नाम को।अब तो शायद मेरे चारों ओर हर पल गूँजता रहता है नाम तुम्हारा प्रतिध्वनि बन कर।पर पता नहीं वो प्रतिध्वनि क्या तुमसे टकरा कर लौटती है या बस...
  • posted by Dwijendra at भड़ास blog - 14 hours ago
    * * *Uk**;h isa”ku O;oLFkk o ljdkjh joS;k** fnukad 18-06-2011* * * * * *dsUnz ljdkj }kjk iqjkuh isa”ku ;kstuk ls rax vkdj ,d u;h va”knku isa”ku ;kstuk lu~ 2004 ls ykxw dh gS ftls mRrjk[k.M ljdkj us Hk...
  • posted by sks_the_warrior at भड़ास blog - 14 hours ago
    abhishek anand: सुशासन का एडीएम मेरा गला दबाता है, रूम बंद करता है, और दिवार से टकराता है: क्योंकि मैंने सच बताया यह जो कुछ हुआ बेहद चौकाने वाला है ... अगर दो लड़के आपस में किसी बात पर गुस्सा होकर लड़ लिए...
  • posted by Dwijendra at भड़ास blog - 14 hours ago
    *Lokeh fuxekuan ] jktuhfr vkSj ge* fnukad 18-06-11 Lokeh fuxekuan A ugha A cfynkuh fuxekuan A ugha A cspkjk fuxekuan A ugha A okg fuxekuan A D;k dgwa A esjk uk;d fuxekuan A gka ] esjk uk;d fuxekuan A e...
  • मै एक सोशल वर्कर हूँ समाज की सेवा करना मेरा' पेशन' है आज की हाई सोसायटी में ये ही फेशन है गरीब बच्चों को पढाना, ब्लड डोनेशन केम्प लगवाना, अनाथालय में खाना और कपडे बटवाना, और ये सब करते हुए फोटो खिंचवाना, ये...
  • posted by बी एस पाबला at हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन- 14 hours ago
    आज, 18 जून को टूटी हुई बिखरी हुई वाले इरफ़ान की वैवाहिक वर्षगांठ है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।* *अपने मोबाईल फोन पर SMS के द्व...
  • posted by नवीन प्रकाश at Hindi Tech - तकनीक हिंदी में - 14 hours ago
    गूगल आप तक हिंदी में लिखने के ज्यादा से ज्यादा से विकल्प उपलब्ध करा रहा हैं ऐसा ही विकल्प जिसमें आप बिना किसी वेबसाइट या सॉफ्टवेयर के भी इंटरनेट ब्राउजर में हिंदी में टाइप कर सकते हैं सिर्फ एक बुकमार्क क...
  • posted by जनोक्ति डेस्क at JANOKTI : जनोक्ति : राज-समाज और जन की आवाज - 15 hours ago
    बाबा रामदेव को बदनाम करने के लिए 5 दिनों में टेलीविजन मीडिया पर खर्च की गई राशि श्री बाबा रामदेव की 17 साल की संपूर्ण संपत्ति से भी अधिक है... Read more »
  • posted by चंद्रमौलेश्वर प्रसाद at कलम - 15 hours ago
    *आपत्तिकाल परखिए चारी...* हमारे देश के सबसे वरिष्ठ हिंदी कवि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा था- आपत्तिकाल परखिए चारी... तो हमें समझ में नहीं आया कि वे किस चारी की बात कर रहे हैं! वैसे, देश में कई चारी रहते है...
  • posted by Dr Om Prakash Pandey at भड़ास blog - 15 hours ago
    सज्जनों की दोस्ती सात क़दमों तक साथ चलने से हो जाती है ............................ ? क्या मेरे जैसे दुर्जन के लिए अट्ठाईस कदम भी काफी नहीं ? पखेरू की तरह उड़े दिनों के साए में एक अनिर्वचनीय उदासी साँसें ले ...
  • फ़ैज़ पर कुछ नोट्स : दूसरी और अंतिम किस्त
    फ़ैज़ अपने उस्ताद के साथ शतरंज खेलना नहीं भूलते. बल्कि यह भी उनका प्रिय व्यसन है. ग़ालिब कहते हैं : 'बुलबुल के कारोबार पे है खंदा-हाए गुल / कहते हैं जिसे इश्क ख़लल है दिमाग़ का'. फ़ैज़ की बाज़ी कुछ और है :...
  • posted by pratibha at भगवान भरोसे - 15 hours ago
    कहने को तलाक एक छोटा सा शब्द है, लेकिन अगर इसके अंदर झांक कर देखें तो यह व्याथाओं का पुंज है। तलाक के बारे में लोग बड़ी सहजता से यह कहते हुए अपनी राय व्यक्त कर देते हैं कि अरे आजकल तो यह बड़ी आम बात है...
  • posted by babul at babulgwalior - 15 hours ago
    *-रविकुमार बाबुल* न जानें क्यूं आज घड़ी की सुई रेंगती हुयी-सी लग रही थी, ऐसा लग रहा था कि वक्त के पैरों में किसी ने कुछ भारी चीज बांध दी है, और वह धीरे-धीरे सरक रहा हो? उसको मेरे साथ कहीं जाना था, कुछ क...
  • posted by अनिल अत्री at नुक्कड़ - 15 hours ago
    *नई दिल्ली : मुंबई में कार्यरत पत्रकार ज्योतिर्मय डे की नृशंस हत्या को लेकर मिडिया जगत में जबरदस्त रोष है ..डे की हत्या की निंदा व हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी के लिए बाहरी दिल्ली के अलीपुर में पत्रकारों स...
  • posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) atउच्चारण - 16 hours ago
    *अमलताश के झूमर की, आभा-शोभा न्यारी है।* *मनमोहक मुस्कान तुम्हारी, सबको लगती प्यारी है।।* *लू के गरम थपेड़े खाकर, रंग बसन्ती पाया है।* *पीले फूलों के गजरों से, सबका मन भरमाया है।।* *तपती गरमी में तुमने, अ...
  • posted by रचना at नारी , NAARI - 16 hours ago
    आज कोई विश्लेषण नहीं महज कुछ प्रश्न छोटे छोटे 1. क्या आप को लगता हैं शिक्षा ने लड़कियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक कर दिया हैं ?? 2. क्या आप को लगता हैं हर शिक्षित लड़की जागरूक होती हैं अपने ...
  • posted by Suman at लो क सं घ र्ष ! - 16 hours ago
    [image: dog.jpg] येरुशलम।। आपने कभी सुना है कि किसी कुत्ते को अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। लेकिन इस्राइल में ऐसा हुआ है। वहां की एक धार्मिक अदालत ने एक कुत्ते को मौत की सजा सुनाई है। कुत्ते को ये सजा इस...
  • posted by Khushdeep Sehgal at देशनामा - 17 hours ago
    लंदन के कूल कूल माहौल से *शिखा वार्ष्णेय* ने बड़ी कूल पोस्ट लिखी है...वरना जून की गर्मी में क्या ब्लॉग और क्या देश, हर जगह पारा ऐसा चढ़ा हुआ है कि *नवरत्न कूल तेल* भी कोई काम नहीं कर रहा...दिमाग भन्नौट ह...
  • posted by देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा - 17 hours ago
    एक नायाब *ललित निबंध* हाथ लगा। इस्पात भाषा भारती के अगस्त-सितम्बर 2010 के अंक में प्रकाशित इस निबंध के लेखक हैं प्रसिद्ध साहित्याकार* डा0 उदय प्रताप सिंह*। इस निबंध ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैं सब का...
  • posted by संजय भास्कर at *साहित्य प्रेमी संघ* - 17 hours ago
    रात दीवानी... .................................... होश में आए नही ये रात नही आए किसी के लव पे, सुबह की बात ये बात अधूरी रह न जाए ये रात अधूरी रह न जाए .. वक्त को भी पिला दो साथिया ये रात को लम्बी, हो ...
  • posted by अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़ - 18 hours ago
    बगीची का बनना बनाना उसमें बनाना का आना बगीची में फूलों का मुस्‍काना पौधों का अंकुरित होना फिर गति पाना खुद में सिमटना फिर खिलखिलाना अंकुर बनता है पौधा और फिर पेड़ देता ही देता है बगीची का हर सितार...
  • posted by Raviratlami at रचनाकार - 18 hours ago
    [image: कैस जौनपुरी की लघुकथा मस्त चाल] -“अरे यार...! देख जरा...क्या मस्त चाल है...!” -“हां यार...! लेकिन कुछ ज्यादा ही मटक रही है...” -“देख-देख...अरे वाह...ये तो मटक भी रही है...” -“अबे अंधे...वो ...
  • posted by Raviratlami at रचनाकार - 19 hours ago
    [image: तुम भूल गई हो - पुरुषोत्तम व्यास] तुम भूल गई हो- तुम भूल गई हो- जब-तुमने प्रथम-बार मेरी कविता पढ़ी अधरों पर-कंच जैसी मुस्कान-भर अपने-अधरों को अधरों से दबाकर मधु-सी मुस्कान भर-कहा कि तुम बहुत-प्...
  • posted by लविज़ा | Laviza at लविज़ा | Laviza - 19 hours ago
    हर पिता चाहता है कि उसके बच्चे अच्छे इंसान बने. पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की भी यही इच्छा थी. लिंकन ने सालों पहले अपने बेटे विली के स्कूल प्रिंसिपल को एक खत लिखा था. उसमें उन्होंने उन बातों क...
  • posted by नवगीत-पाठशाला at नवगीत की पाठशाला - 19 hours ago
    हँसी तुम्हारी चंदा जैसी, चितवन फूल पलाश बातें झरना यथा ओसकण तारों भरा उजास गुन-गुन भौंरों जैसे गाना, और शरारत से मुस्काना हौले-से, ही हमें चिढ़ाना वादा कर फिर हाथ न आना चमकाती लेकिन फिर भी हो एक कि...
  • posted by Slogan Murugan aka M S Gopal atMumbai Paused - 19 hours ago
    The videokaaran is actually a photokaaran. This is his work space. * * Sagaai, aka Videokaaran and the star of Videokaaran (trailer above) owns a studio in Lallubhai Compound, a city within a city that...
  • posted by वन्दना at एक प्रयास - 20 hours ago
    ना जाने कैसा सवेरा है किसने घेरा है कौन पथिक है कहाँ जाना है क्या करना है आगत विगत में उलझा है मोह निशा में भटका है मन ने मचाया हल्ला है दिखता ना कोई अपना है कभी लगता जहाँ अपना है कभी लगता सब सपना है कैसी अब...
  • posted by आचार्य उदय at आचार्य जी - 20 hours ago
    "आत्मा मन का भोग करती है, मन तन का भोग करता है, तन प्रकृति का भोग करता है, प्रकृति ब्रम्हांड का भोग करती है, और ये ब्रम्हांड ही परमात्मा का साकार रूप है !" आचार्य उदय
  • posted by Kirtish Bhatt, Cartoonist at Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA - 20 hours ago
    [image: police cartoon, corruption cartoon, corruption in india, baba ramdev cartoon, indian political cartoon] Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
  • posted by सदा at SADA - 20 hours ago
    यादों की गलियों में लम्‍हा - लम्‍हा मेरा जाता है बस आपकी आशीषों तक पापा । मैं बड़ी होकर भी तो नहीं बड़ी हुई कभी, आपकी नजरों में रही हूं छोटी सदा पापा । मां की डांट से बचाते चुपके से समझाते, मेरे...
  • posted by Ugranath Nagrik at भड़ास blog - 20 hours ago
    * मैं भारत में भाषा विवाद समाप्त करने के लिए संस्कृत को प्रतीक के तौर पर राष्ट्रभाषा बनाने का पक्षधर हूँ | अब भी वह संकल्प डस्टबिन में नहीं फेंक रहा हूँ | पर कल के में छपे एक समाचार से मुझे पर्याप्त धक...
  • posted by रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष - 20 hours ago
    मैं तख्तो ताज को ठुकरा के तुझको ले लूँगा दावे से कहा था सलीम ने ....... ले न सका इंग्लैण्ड के भावी राजा ने ठुकरा दिया इंग्लैण्ड का राज्य बिना कुछ कहे ...... प्यार आँखों की ज़ुबान है .........

    मिलती हूं कल फिर से .. तबतक के लिए राम राम .....

4 टिप्पणियाँ:

बढिया लिंक है
आभार संगीता जी।

वाह बेहतरीन इश्टाईल है जी ..भईया जी तो इश्माईल हो गए कसम से ..एक पोस्ट एक एग्रीगेटर के बराबर हुई गई ई तो जी

बढिया लिंक आभार !

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