ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉग4वार्ता सतत् ब्लॉग जगत में आने वाले चिट्ठों की जानकारी देती रही है। कुछ माह से हम निरंतर नहीं हो पा रहे थे। कोशिश रहेगी कि निरंतर रहें और उम्दा चिट्ठों के लिंक आप तक पहुंचाते रहें। आज ब्लॉग4वार्ता ने अपना चोला बदल लिया है और नए कलेवर में आपके सामने है। हमने इसमें पाठकोपयोगी बहुत सारी सामग्री उपलब्ध कराई है। जो पाठकों एवं ब्लागर्स के बहुत काम की है। जिसमें तकनीकि ब्लॉग, लाईव टीवी, फ़्री साफ़्टवेयर, राशिफ़ल, रेल एवं फ़्लाईट की जानकारी एवं ऑन लाईन पत्र-पत्रिकाएं भी शामिल हैं। जिसका लाभ अवश्य ही पाठकों को मिलेगा। अब चलते हैं ब्लॉग नगरिया की सैर पर वार्ता के नए कलेवर के साथ.....।
घूमते-फ़िरते पहुंच गए हम "उसने कहा था" पर। जब से चिट्ठा जगत बंद हुआ है नए ब्लॉगों की जानकारी विलंब से होती है। कुछ हम भी ब्लॉग नगरिया की अधिक सैर नहीं कर पाते। उसने कहा था ब्लॉग माधवी शर्मा "गुलेरी" जी का है। "गुलेरी" उपनाम से चंद्रधर शर्मा "गुलेरी" जी की याद आती है। आज ही राम पटवा जी ने अमृतसर के बाजार से दही लाने वाले लड़की का जिक्र किया है और प्रेम में दही की महत्ता का वर्णन किया। वे मुझे कई दिनों से कह रहे थे पोस्ट लिखने के लिए। माधवी युवा कवि के नाम खत में लिखती हैं कि "कोई भी व्यक्ति न तो तुम्हें सिखा सकता है, न तुम्हारी मदद कर सकता है- एक ही काम है जो तुम्हें करना चाहिए- अपने में लौट जाओ। उस कारण (केन्द्र) को ढूंढो जो तुम्हें लिखने का आदेश देता है। जांचने की कोशिश करो कि क्या इस बाध्यता ने अपनी जड़ें तुम्हारे भीतर फैला ली हैं?"
अब चलते हैं मुसाफ़िर मनीष कुमार जी के ब्लॉग पर, ब्लॉग जगत में कुछ आदतन घुमक्कड़ी लोग हैं, जो आपको घर बैठे दुनिया की सैर कराते रहते हैं। मनीष कुमार जी का ब्लॉग मुसाफ़िर हूँ यारों उम्दा ब्लॉग है, समय मिलने पर पढता अवश्य हूँ, वैसे भी मुझे यात्रा का बहुत शौक है। मनीष जी रामो जी फ़िल्म सिटी की सैर करा रहे हैं, जहाँ एक से एक अद्भुत सेट बने हुएं और फ़िल्मों की शुटिंग होते रहती है। रामोजी में कार्यरत कर्मचारी कहते हैं कि यहां एक बार में 20 विदेशी एवं 40 देशी फ़िल्मों की शुटिंग हो सकती है। धर्मपत्नी, अर्द्धांगिनी , उत्तमार्ध में किसे पसंद करेगें आप? एक शब्द चर्चा.चल रही है। जो प्रिय को सुटेबल लगे वह संबोधन किया जा सकता है। वैसे शब्दार्थ के लिए शास्त्रार्थ बढिया रहा।
अजीत गु्प्ता जी के ब्लॉग पर कई दिनों के बाद जाना हुआ, लेख दम्भ की दीवार पर कह रही हैं -कई विद्वानों से मिलना होता है, उनका लिखा पढ़ने को मिलता है। कुछ विद्वान ऐसे हैं जिनके शब्द सीधे हृदय में उतर जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके शब्द मस्तिष्क में उहापोह मचा देते हैं। ऐसे जटिल और नीरस शब्दों का ताना-बुना बुनते हैं कि कुछ देर दिमाग माथापच्ची करता है फिर झटककर दूर कर देता है। अहंकार और दम्भ उनके शब्द-शब्द में भरा रहता है। वे हर शब्द से यह सिद्ध करने पर तुले होते हैं कि मेरे जैसा विद्वान दूसरा कोई नहीं। विद्वानों का सान्निध्य कौन नहीं चाहता, मैं भी सदैव चाहती हूँ, इसलिए यहाँ ब्लाग पर भी उन्हें ढूंढती रहती हूँ। लेकिन कुछ विद्वान अपने सामने एक दम्भ की दीवार तान लेते हैं।
मेरे गाँव में आना......................
जहां नदी इठलाती हुई कहती है
आजा पानी में तर जा
ये अमृत सी बहती है
मेरे घर का पता ...............
मेरे घर का पता ...............
आम के पेड़ के नीचे
पुराने मंदिर के पीछे
जहां भगवान् बसते है
अनुराग शर्मा जी, पिट्सबर्ग में एक भारतीय के ब्लॉग पर सुंदर चित्रावलियाँ सजी हैं, अवलोकन करें। दीनदयाल के द्वार न जात सो और के द्वार पै दीन ह्वै बोलै।श्री जदुनाथ से जाके हितू सो तिपन क्यों कन माँगत डोलै॥-- रश्मि रविजा जी के ब्लॉग पर पढिए फिल्म 'स्टेनली का डब्बा' के बहाने - किसी भी बच्चे के लिए उसके टिफिन का डब्बा कितना महत्वपूर्ण होता है..शायद हम नहीं महसूस कर सकते. अक्सर माताएं बच्चों को टिफिन में क्या देना है.--विवेक रस्तोगी जी को आगरा के ताजमहल जूते खरीदने के लिये जाना.. (Purchased Shoes from Tajmahal, Agra) पड़ा- वृन्दावन से मथुरा होते हुए सीधे आगरा निकल पड़े और सोचा गया कि पहले ताजमहल पर अपनी खरीदारी कर फ़िर परिचित के घर मिलने जायेंगे।
राजीव तनेजा चढ गए हैं सूली पर---ज्ञान दर्पण - रतन सिंह शेखावत, सेकुलर दोगलापन - बाबा रामदेव के अनशन की घोषणा के बाद मिडिया से लेकर ब्लोग्स तक पर बाबा के समर्थन और विरोध में बहुत कुछ लिखा गया--कुछ औरों की, कुछ अपनी सुना रहे हैं अमरेन्द्र त्रिपाठी, गंगापुत्र संत निगमानंद को श्रद्धांजलि! - “ यूं तो जिन्दगी जिन्दगी से हार गयी लेकिन मौत मौत से बाजी मार गयी।” [ ~ शायर का नाम नहीं याद आ रहा L] काश हम लोकतंत्र के बिके हुये कई खम्भों की... व्यक्ति और परिवार निर्माण ... - समय चक्र पर सुख-शान्तिपूर्वक रहने और अपने साथियों को प्रसन्न संतुष्ट रखने के लिए बड़प्पन की नहीं, महानता की जरुरत होती है और उसी का उपार्जन मानव-जीवन की सबसे बड़ी अनमोल...
एक कविता पढिए कविता वर्मा जी की। मैं "मनाली" हूँमेरे परिवार हिमाचल में आपका स्वागत है। मेरे परिवार के सारे सदस्य बहुत सुंदर, शांत और आथित्य प्रेमी हैं। मेरे सबसे बड़े भाई शिमले को हिमाचल की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। हम भाई बहन एक से बढ़ कर एक खूब...दागी चेहरे ओझल होंगे सत्याग्रहों के सैलाब मेंबाबा ने नौ दिनों से जारी अपना अनशन जूस पी कर तोड़ दिया अन्ना भाऊ ने जन लोकपाल विधेयक तैयार करने के लिए १५ अगस्त तक का वक्त देते हुए राजघाट पर बापू की समाधि पर अपना एक दिन का ...चलें हिमालय ताऊ महाराज के दर्शन करने80 दिन हो गये हैं, ताऊ डाट इन पर कोई पोस्ट नहीं आयी है। 26 मार्च 2011 को रामप्यारे जी खबर दी थी कि ताऊ महाराज दंडकारण्य में रामप्यारी के साथ विश्राम के लिये गये हैं। जाट देवता सफ़र पर हैं। प्रवीण पांडे सोच रहे हैं कि लिखे या टाईप करें।
चलते-चलते व्यंग्य चित्र
15 टिप्पणियाँ:
बहुत दिनों के बाद एक अच्छी रोचक वार्ता देखने को मिली है। आभार!
बहुत सारे खूबसूरत लिंक्स मिले ...
आभार !
बढ़िया कलेवर...उम्दा लिंक्स...बेहतरीन चर्चा
चर्चा अच्छी रही, कडियाँ भी और कार्टून भी।
धन्यवाद!
एक लम्बे अरसे के बाद ब्लॉग-वार्ता की सक्रियता देख दिल खुश हो गया . सार्थक चर्चा और सराहनीय प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार.
अच्छी चर्चा
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है !
क्या बात है ..ब्लॉग वार्ता को नया फ्लेवर मुबारक हो.
वार्ता का कलेवर बहुत बढ़िया लगा ... अच्छी वार्ता ..
बहुत सुन्दर और सारगर्भित लिंक्स....
विभिन्न ब्लागों में घूमना और अपनी पसंदिदा सामग्री को इकठ्ठा करना और उसे फिर प्रस्तुत करना एक कठिन कार्य है। आशा है आपकी ये चर्चा इसी प्रकार चलती रहेगी। गुलेरी जी के ब्लॉग की जानकारी आपकी इसी पोस्ट से हो पाई।
अच्छी चर्चा...और बढ़िया लिंक्स...शुक्रिया
ताऊजी के Whereabouts का पता करते रहिएगा।
बेहतरीन वार्ता..मज आया पढ़कर.
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
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