सोमवार, 13 जून 2011

मुम्बई की सैर-इश्क चला है हुस्न से मिलने-ब्लागजगत से अवकाश--ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध आन्दोलन की फ़ूंक निकालने में सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी। जितने भी मायावी उपकरण थे सभी का इस्तेमाल किया। बाबा और अन्ना सरकार के लिए सबसे बड़े खलनायक बन गए। बिना दिमाग का सरकारी भोंपू कुछ न कुछ फ़ुलझड़ियाँ छोड़ते रहा। इन्हे इतना जान लेना चाहिए कि देश की जनता अब जाग चुकी है और गांधी टोपी लगाकर अधिक दिनों तक बेवकूफ़ नहीं बना सकती। इन्हे देश की जनता माकूल जवाब देगी। वह दिन भी आना है, समय की मार से बड़े बड़े महारथी नहीं बचे तो फ़िर ये कौन से खेत की मूली हैं। अब चलते हैं आज की वार्ता पर और पढते हैं कुछ उम्दा चिट्ठे.....

भाई अख्तर खान"अकेला" कह रहे हैं कि बाबा रामदेव के साथ देश भी हार गया वर्तमान कोंग्रेस अंग्रेजों से भी जालिमाना हरकतों और लूटपाट पर उतर रही है ऐसे में बाबा के लोकहित और राष्ट्र हित में सरकार से टकराना जनता को और मुझे भी बहुत अच्छा लगा था ...लेकिन अनशन के दोरान जनता को बाबा से पहले सिम्पेथी हुई और फिर सिम्पेथी के साथ सरकार से नफरत होने लगी थोड़े बहुत क्षण में ही कुछ कमाल होने वाला था जनता जीतती और सरकार हारती लेकिन अचानक एक नाटकीय परिवर्तन हुआ और बाबा सिर्फ बाबा रह गये जो बाबा जनता के सामने मरते दम तक अनशन रखने और देश की जायज़ मांगों को मनवाने के लियें लड़ी गयी इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने की बात कर रहे थे आज वही बाबा अपनी लड़ाई हर गए। 

ग्राम चौपाल में पढिए--25 साल बाद समुद्र से निकला शहर दुनिया में एक शहर ऐसा है,  जो पूरे 25  साल तक समुद्र के खारे पानी में सड़ता रहा.  अब वो शहर समुद्र की लहरों से उबरकर बाहर आया है तो उसका पूरा नक्शा बदल चुका है.  ये शहर है अर्जेंटीना में लेकिन 25 साल बाद ही इस शहर के मिल जाने से लोगों की दिलचस्पी इस बात में भी बढ़ रही है कि क्या हजारों साल पहले समुद्र में डूबी द्वारका नगरी भी किसी दिन मिल सकती है.यह जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है कि समुद्र का जल-स्तर तेजी से बढ़ रहा है ,  इसी का नतीजा है कि 25  साल पहले यानी सन  1985  में अर्जेंटीना का यह  शहर पूरी तरह पानी में डूब गया था लेकिन समुद्र की लहरों ने ऐसा गोता खाया कि यह शहर अब दृष्टिगोचर होने लगा है 

उत्तमार्ध को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएँ! ३६ वर्ष का साथ कम नहीं होता, आपसी समझ विकसित करने के लिए। लेकिन पता नहीं क्यों? जैसे जैसे समय गुजरता जाता है, वैसे वैसे मतभेद के मुद्दे बदलते रहते हैं। साथ का ये ३६वाँ वर्ष तो बिलकुल वैसा ही था जैसे इन अंक...क्यों रामलीला मैदान जलियाँवाला बाग नहीं है रामलीला मैदान की घटना की तुलना जलियाँ वाला बाग गोलीकांड से करना अनुचित नहीं है। दोनों घटनाओं में बहुत साम्य है। कुछ महत्वपूर्ण फर्क भी हैं। जलियाँवाला बाग म...चिदम्बरम जी नक्सलियों ने फ़िर 5 जवानो को शहीद कर दिया,कब निपटोगे उनसे?के सारी सख्ती सिर्फ़ बाबा रामदेव के लिये ही है?छत्तीसगढ मे एक बार फ़िर नक्सलियों का कहर टूटा है और इस बार उन्होने पांच जवानो को शहीद कर दिया है।वे बार-बार वारदात कर सरकार को चुनौती दे रहे हैं मगर इससे दिल्ली के दिग्गज़ों को कोई खास फ़र्क़ पड़ता नज़र नह...

उदयवीर जी की कलम से

बहनों  का सिंदूर ,माताओं  का लल्ला ,
   कलाई  की  राखी ,  बुढ़ापे   का   साया ,
     नौनिहालों की रोटी ,साजन का  कंगना ,
      न्योछावर किया, अपने भारत  को पाया --

वो लहू है रगों में ,वो दम  भी अभी ,
    गुनाहगारों   वतन  के   विसारो नहीं -

नव निर्माण की धुन मिटाओ नहीं ,
   आवाज    हक़   की   दबाओ     नहीं ,
      जानवर   भी   वफादार   होते     रहे ,
       दाग दामन पर माँ  की  लगाओ  नहीं
पढिए पुण्य प्रसून बाजपेयी. को क्या देश में पहली बार संसदीय राजनीति चूक रही है। क्या पहली बार सामाजिक आंदोलन की पीठ पर सवार होकर संसदीय राजनीति अपनी महत्ता तलाश रही है। क्या प्रधानमंत्री महत्ता बनाने के रास्ते टटोल रहे हैं। क्या विपक्ष ...अन्तर्द्वन्दपिछले चार घंटों से कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ… मन में बातों का अथाह समुन्द्र है जिसे शब्दों के हवाले कर देना चाहता हूँ. लेकिन न जाने क्यों, मन की बातों को कोई शब्द नही मिल पा रहे.. ऐसा लगता है जैसे विचार ...

प्रिय मित्रों आज से मै ब्लागजगत से अवकाश ले रहा हूँ प्रिय मित्रों आज से मै ब्लागजगत से अवकाश ले रहा हूँ. मुझे लगता है कि इस समय देश में जो हालात बन रहे है उस पर आभासी दुनिया में लिखने की बजाय वास्तविक दुनिया में कार्य करूँ तो मेरी प्रवृत्ति के ज्यादा अनुकूल होगा. भाइयो बहनों आज तक मैंने ब्लागिंग को सामाजिक  परिवर्तन, सम्बन्ध  साहित्य साधना, नकारात्मकता का प्रतिरोध और सौहार्द्रता के साधन के रूप में प्रयोग करता रहा. ब्लागिंग के सहारे कानपुर यूनिवर्सिटी में नक़ल और भ्रष्टाचार के खात्मे का जो कार्य किया गया शायद उसकी मिसाल दूसरी मिले.मैंने गंगा पर वर्क किया नतीजा सामने रखा. पर्यावरण के पहलुओं पर बारीक अध्ययन आप लोगो के सामने रखा. 

शेक्सपियर के शहर के अनपढ़ बच्चे लन्दन - पुस्तकों की दुकानों, पुस्तकालयों , प्रकाशकों , लेखकों का शहर .लेकिनइस शहर में तीन में से एक बच्चा बिना अपनी एक भी किताब के बड़ा होता है.जहाँ ८५% बच्चों के पास उसका अपना एक्स बॉक्स ३६० है , टीवी पर अपना कण्ट्रोल है, पूरा कमरा खिलोनो से भरा पडा है, ८१ % के पास अपना मोबाइल फ़ोन है. परन्तु कहने को भी,अपनी खुद की एक भी पुस्तक नहीं है . ब्राज़ील डायरी (2)पिछले दिनों मुझे ब्राज़ील के *गोयास* और *परा* प्रदेशों में यात्रा का मौका मिला. उसी यात्रा से मेरी डायरी के कुछ पन्ने प्रस्तुत हैं. *कल इस डायरी का पहला भाग* प्रस्तुत किया था. आज प्रस्तुत है दूसरा और अंतिम...

राजनीतिक मैदान में महिलाओं का दबदबाहर बार का चुनाव कुछ नए प्रतिमान सामने रख जाता है। इस बार के विधान सभा चुनावों ने जता दिया भारतीय राजनीति देश में ही नहीं वरन वैश्विक पटल पर नए प्रतिमान गढ़ रही है। इस बार ...जहां चाह है वहां राह है मनुष्य प्रकृति का वह अजूबा है जिसे कोई भी रुकावट रोक नहीं सकती। उसके धड़ के ऊपर स्थित कारखाने में छोटी से छोटी अड़चनों से लेकर बड़ी से बड़ी मुश्किलों के हल निरंतर निकलते रहते हैं। विश्वास ना हो तो देख ले..

बाँध लो कर्म की डोरियों से इसेओ भ्रमित मानवों जा रहा है समय , बाँध लो कर्म की डोरियों से इसे ! क्या पता चाँदनी यूँ खिलेगी सदा , क्या पता यामिनी यूँ मिलेगी सदा , क्या पता सूर्य की ये प्रखर रश्मियाँ यूँ तपाने धरा को चलेंगी सदा ! फिर मलय .उसकी जेब में तो जिंदगी का पता था बचपन से उसे शाम के मुकाबले धूल के बगूले उठाते गर्मियों के दिन और ठिठुरती, कंपकंपाती रातें ज्यादा पसंद थीं. वो कलाई पर बंधी टिकटिक करती सुइयों की चौबीस घंटों की कदमताल में से शाम को आजाद कर देना चाहती थी.... 

मिंटो पार्क, चन्द्रशेखर आजाद पार्क, प्रयागलो जी आ गये इलाहाबाद यानी प्रयाग केदारनाथ से वापस आते समय ही बनारस का कार्यक्रम बना लिया था। कुल छ: बंदे जाने के लिये तैयार थे। बस यह रह गया था कि जाना कब है, अब शिव का घर हो और महाशिवरात्रि का मौका हो,...स्वप्न-चिन्तन, द्वन्द-जीवनलेटने के बाद और नींद आने तक किया गया चिन्तन न तो चिन्तन की श्रेणी में आता है और न ही स्वप्न की श्रेणी में। दिन भर के एकत्र अनुभव से उपजे विचारों की ऊर्जा शरीर की थकान के साथ ही ढलने लगती है, मन स्थिर हो जा..

अ..अ..अनुलोम कर रहे थे, बस जरा सा व..वि..विलोम हो गया अ..अ..अनुलोम कर रहे थे, बस जरा सा व..वि..विलोम हो गया कई दिनों तक उल्टेलाल जी नहीं दिखे, हमें उनकी चिंता हुई कि कहीं काली रात के हंगामे में उनके साथ कुछ ज़्यादा ही बुरा न गुजर गया हो. सलाह हमारी थी, तो हम ए. ए भाई कोई तो बाबा को जूस पिला दो भाईभाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ पर दीदार फ़िल्म मे दिलीप कुमार की तर्ज पर "ए भाई कोई तो बाबा को जूस पिला दो भाई " कहते घूम रहे थे उनकी हंसी रोके नही रुक रही थी । दूसरी ओर दीपक भाजपाई हाथ मे ग्लूकोस की बो...

मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में ( 2 )ये है बाम्बे मेरी जान " * गेट -वे -आफ-इंडिया ** * * * *( चलिए आज आपको मैं एलिफेंटा की गुफाओं की सैर करवाती हूँ )* * * *मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में भाग (1)पढने के लिए यहाँ क्लिक करे ..* * * *२9 म...इश्क चला है हुस्न से मिलने इश्क चला है हुस्न से मिलने*......... चांदनी रात के साये में चाँद की भीगी चांदनी में इश्क बोला हुस्न से ले कर हाथो में हाथ चलो यूँ ही चलते चलते उम्र भर साथ चलो मेरी आस से...

थैंक्स, राम ......(5)थैंक्स राम भाग एक , भाग दो , भाग तीन , भाग चार से आगे दूसरे दिन सुबह जल्दी ही हलचल शुरू हो गयी ...दिन भर मंगल गीतों के साथ कई तरह की रस्में होती रही ...हल्दी लगाना , बताशे पर घी लगा कर खिलाना , फिर चाक़ ...इतिहास के गौरव ठा. सुरजनसिंह शेखावत एक परिचयझाझड ग्राम के प्रथम वीर प्रतापी नर-रत्न ठा.श्री पृथ्वीसिंह शेखावत के कुल में जन्मे (दिनांक 23 दिसम्बर,1910) श्री सुरजनसिंह ने बाल्यकाल से ही अपने धर्मनिष्ठ पिताश्री ठा.गाढसिंहजी के श्री चरणों में बैठकर ...

यार ने ही लूट लिया घर यार का-राजीव तनेजा समझ में नहीं आ रहा मुझे कि आखिर!…हो क्या गया है हमारे देश को…इसकी भोली-भाली जनता को?…. *कभी जनता के जनार्दन को सरेआम जूता दिखा दिया जाता है तो कभी जूता दिखाने वाले को दिग्गी द्वारा भरी भीड़ में बेदर्दी ...कर्तव्यों के बोझ तले, दोनों ही गिरवी हैं देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आप सभी के ब्लॉग पर नहीं जा सकी ,काफी दिन तक ब्लॉग परिवार से दूर रही परीक्षाएं चल रही थीं .अब धीरे धीरे सबके ब्लॉग पर जाना हो पायेगा ... कर्तव्यों की डोर से बंधी सांस...

वार्ता को देते हैं विराम--मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम
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13 टिप्पणियाँ:

अच्छी चर्चा बधाई |
आशा

अच्छी चर्चा,अच्छे लिंक्स; बधाई .

बढ़िया लिंक्स...सुन्दर चर्चा

ाच्छे लिन्क मिले। धन्यवाद।

अच्‍छे लिंक्सों से सज्जित सुंदर वार्ता .. आभार !!

hamesha ki tarah badhiya charcha lalit ji ...ram ram

बहुत ही ज़बरद्स्त वार्ता की है।

बहुत दिनों बाद आपके रंग में दिखी वार्ता.अच्छा लगा.
काफी जगह जाना शेष है.
आभार.

अच्‍छे लिंक्सों से सज्जित सुंदर वार्ता .. आभार !!

बढ़िया लिंक्स...सुन्दर चर्चा...
मेरे लेख को शामिल करने के लिए आभार.

मेरे अलेखों को ना शामिल करने के लिए आभार :)

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