ललित जी की यायावरी इत्ती हुई |
हमारा भारत इत्ता है |
इन दिनों स्वर्ग के देवता हां सब के सब देवता ब्लागिंग में मशगूल हो चुके हैं. इस बात पे यक़ीं कैसे न करें शिखा कोई गलत थोड़े न बताएंगी. हमको तो यकीन है आप खुद ही देख आएं. इस आलेख को सबसे बारीक़ी से बांचा खुशदीप भाई ने और पुरुष ब्लागरों को चेतावनी भी दी है. कि खतरा आसन्न है.
यायावर ने यायावरी कर के एक नक्शा जारी किया हैं अपने ब्लाग का उनसे एक भूल हो गई कि उनने इस पर ये नहीं दर्शाया कि वे कि जगहों पर वे नहीं जा सके. भारत सरकार का नक्शा मंत्रालय के अधिकारी चिंतित हो गये हैं. ललित जी से सम्पर्क करने पर पता चला कि उनने उतना ही नक्शा जारी किया जिन जिन जगहों पर वे नहीं गए हैं उसे नक्शे में शामिल नहीं किया. तब जाकर मामला सबको समझ में आया.पित्र दिवस पर वागर्थ पर "तुम्हारे वरद हस्त" ने भावुक कर दिया.आरम्भ पर एक आलेख बेहद प्रवावी बन पड़ा है अवश्य देखिये. संजीव तिवारी साहब कृपया शरद कोकास जी को एक खबर दे दीजिये कि "अपने भाग सबा अंजुम के जैसे कहां की जीजा श्री हम पे कविता लिखें " वैसे एक खिलाड़ी पर लिखी कविता एक अच्छा संदेश है. भाई शिवम मिश्रा जो मुद्दा उठा कर जगा रहे हैं विचारणीय है.
लिखने के पहले विषय विहीन ब्लागर की स्थिति उस किसान जैसी हो जाती है जिसे बादलों का इंतज़ार होता है जैसे ही जोरदार विषय मिल जाता है लेखक (यहां नेट के संदर्भ में ब्लागर ) खुशी से मयूर हो जाता है जैसे कि मानसून आ गया हो. अब देखिये अपने कुछ ब्लागर भाई आसमानी बादलों को मथ रहे हैं कि बारिश जल्दी हो झमाझम हो अरे हां ये बातें तो फ़िर होतीं रहेंगी अभी देखतें हैं कुहू ने क्या कहा :-"कुहू की दुनिया
मेरे प्यारे पापा.... -मेरी ड्राईंग मैं और मेरे पापा.. पिता दिवस के उपलक्ष में, मेरी दादी ने ये गीत मेरे लिए लिखा है । जिसे मैं अपने प्यारे-प्यारे पापा को समर्पित करती हूँ ।..."
कुहू की दुनिया में फ़ादर्स डे मनाया जा रहा है. सब मना रहे हैं. हम लोग रोज़ इसे ताकि वृद्धाश्रमों की ज़रूरत न पड़े.
तेताला पर इन कुछ चुने हुए खास चिट्ठे ..आपकी नज़र है . और इस सवाल को भी हल कीजिये जीवन एक संघर्ष ब्लाग पर पूछा जा रहा है.आप ही बताएं कुबेर तक ब्लागिंगरत हैं सुना है कुबेर की स्पर्द्धा सीधी "अर्थकाम" से है.वे अर्थसंहिता की बढ़्ती लोकप्रियता से जल भुन रहे हैं .इस बीच भारतीय नागरिक एक पुख़्ता खबर दियें है आप ही देख लीजिये जी .बहुत दिनों से ZEAL के ब्लाग पे तफ़रीह न की हो तो अवश्य कीजिये. आज़ ZEAL ने "चंचल" शीर्षक से पोस्ट लगाई है.खुशदीप भाई मे आज़ फ़िर फ़्रूफ़ किया ”ये सच है कि भगवान है" उधर तस्लीम पर एक रहस्य से पर्दा उठाया जा रहा है कि आग क्यों लगी.
सफ़ेद घर में फ़ादर्स डे को लेकर सतीष पंचम जी एक सवाल पूछ रहें है " जाने कौन सी रीत है जो प्राकृतिक, भावनात्मक जुड़ाव जैसी बातों पर भी एक डे मनवाती है"है कोई ज़वाब ?
ताज़ा लिंक जो मन भाए
लिखने के पहले विषय विहीन ब्लागर की स्थिति उस किसान जैसी हो जाती है जिसे बादलों का इंतज़ार होता है जैसे ही जोरदार विषय मिल जाता है लेखक (यहां नेट के संदर्भ में ब्लागर ) खुशी से मयूर हो जाता है जैसे कि मानसून आ गया हो. अब देखिये अपने कुछ ब्लागर भाई आसमानी बादलों को मथ रहे हैं कि बारिश जल्दी हो झमाझम हो अरे हां ये बातें तो फ़िर होतीं रहेंगी अभी देखतें हैं कुहू ने क्या कहा :-"कुहू की दुनिया
मेरे प्यारे पापा.... -मेरी ड्राईंग मैं और मेरे पापा.. पिता दिवस के उपलक्ष में, मेरी दादी ने ये गीत मेरे लिए लिखा है । जिसे मैं अपने प्यारे-प्यारे पापा को समर्पित करती हूँ ।..."
कुहू की दुनिया में फ़ादर्स डे मनाया जा रहा है. सब मना रहे हैं. हम लोग रोज़ इसे ताकि वृद्धाश्रमों की ज़रूरत न पड़े.
तेताला पर इन कुछ चुने हुए खास चिट्ठे ..आपकी नज़र है . और इस सवाल को भी हल कीजिये जीवन एक संघर्ष ब्लाग पर पूछा जा रहा है.आप ही बताएं कुबेर तक ब्लागिंगरत हैं सुना है कुबेर की स्पर्द्धा सीधी "अर्थकाम" से है.वे अर्थसंहिता की बढ़्ती लोकप्रियता से जल भुन रहे हैं .इस बीच भारतीय नागरिक एक पुख़्ता खबर दियें है आप ही देख लीजिये जी .बहुत दिनों से ZEAL के ब्लाग पे तफ़रीह न की हो तो अवश्य कीजिये. आज़ ZEAL ने "चंचल" शीर्षक से पोस्ट लगाई है.खुशदीप भाई मे आज़ फ़िर फ़्रूफ़ किया ”ये सच है कि भगवान है" उधर तस्लीम पर एक रहस्य से पर्दा उठाया जा रहा है कि आग क्यों लगी.
सफ़ेद घर में फ़ादर्स डे को लेकर सतीष पंचम जी एक सवाल पूछ रहें है " जाने कौन सी रीत है जो प्राकृतिक, भावनात्मक जुड़ाव जैसी बातों पर भी एक डे मनवाती है"है कोई ज़वाब ?
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और अंत में :-
शाम होते ही बादल गड़गड़ाने लगते हैं और बारिश की बौछार शुरु हो जाती है, नेशनल हाईवे 43 भी बारिश की बौछारों से अछूता नहीं है। इसे विगत 3 दशकों में पता नहीं कितनी बार नाप चुका हूँ। अगर आँख बंद कर के भी गाड़ी हांकू तो यह पता है कि कितनी देर में गतिअवरोधक आएगा और कितनी देर में गड्ढा। कहां पर रेल्वे क्रासिंग है तो कहाँ पर बस्ती? समझ लिजिए मेरे लिए गंगा ही है। प्रति दिन इसके आस-पास घटित की जानकारी ले ही लेता हूँ। कल इसी गंगा के किनारे हिमालय के वैद्य तम्बु लगाए दिखे। बड़े-बडे फ़्लैक्स लगा रखे हैं और सैकड़ों बीमारियों का नाम लिख कर शर्तिया इलाज का दावा ये कर रहे है। बरसात की कुछ बूंदे पड़ी तो मैने बाईक रोक दी, इनका प्रचार वाला टेप चल रह था। मुझे जिज्ञासा हुई, सोचा थोड़ी देर इनसे चर्चा कर ही ली जाए। हो सकता है चरक की परम्परा से कुछ असाध्य रोगों के रामबाण ईलाज का नुस्खा मिल जाए।
13 टिप्पणियाँ:
एक ही जगह कई अच्छे ब्लॉग्स से परिचय हुआ. आपको धन्यवाद.
आपका आभार अच्छे लिंक मिले।
बढ़िया लिंक्स
एक ही जगह कई अच्छे ब्लॉग्स से परिचय हुआ| धन्यवाद|
बढिया वार्ता लगाई दादा
लगता है रात भर जाग कर लिखी है।
साधुवाद
बहुत अच्छी वार्ता .. महत्वपूर्ण लिंक मिले .. आभार !!
तारीफ़ सुन के जमीन कुदेर रहा हूं
नाखूनों से
गिरीश जी !फिर एक दाद हमारी भी कबूल लें :).
आपका आभार अच्छे लिंक मिले।
ललितजी, जय रामजी की। एक आग्रह है, नक्शे मे देखने से बचे स्थानों का रंग अलग से दिखाएं। यानि पूरा नक्शा। पहुंचे हुए स्थल। अनपहुंची जगहें।
कैसा रहेगा ?
्बहुत ही सुन्दर वार्ता की है…………आभार्।
बहुत अच्छी वार्ता .. महत्वपूर्ण लिंक मिले .. आभार !! मेरी पोस्ट को शामिल कर मान देने के लिए विशेष आभार !
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