इस आईकान को गौर से देखिये कम ही लोग देख पाए होंगे
स्वभाविक है नया प्रयास है पंडित जी यानी श्री राजीव कुलश्रेष्ट ने खूब सारे लोगों को शामिल किया है अपने ब्लॉग बनाम एग्रीगेटर पर यानी ब्लॉग वर्ल्ड पर उनके इस ब्लाग के ढेरों लिनक्स के ज़रिये हो जाए एक टूर
- DAY 1165 - Sopaan , New Delhi June 27, 2011 Mon 11:47 PM May I express my utmost gratitude and thanks to th...
2 hours ago - नमक तो यहां हमेशा फ्री मिलता है -सरकार के हर निर्णय को जनता के जले पर नमक छिडकने की तरह देख रही हैं आरती अग्रवाल लगता है आजकल लोगों के पास कुछ काम नहीं बचा है जिसे देखो हर कोई हमारी प्या...
2 hours ago - राष्ट्रीय सर्वेक्षण बताएगा उच्च शिक्षा की सही तस्वीर -सरकार देश में उच्च शिक्षा की मौजूदा स्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय सव्रेक्षण करा रही है। इसके तहत शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों, पाठ्यक्र मों, संस...
3 hours ago - सम्बन्धों के रंग . - जंगल जानवर और आदमी एक उत्तरोत्तर विकास यात्रा है .आपके आसपास भी कुछ लोग ऐसे होंगें आदमी की शक्ल में जिनके पास अस्तित्व कोष तो है ,लेकिन अभी आदमियत का समंध ...
3 hours ago - चलती हुई सड़के..... - चलती हुई सड़के..... * * * * *चलती हुई सड़के* *बोलता हुआ पास-पड़ोस* *लड़के के निधन पर आज* *शोक-ग्रस्त है श्री बोस* *लिली ने समाप्त किया* *कामिक्स का एक और पन्...
5 hours ago - यह ‘न्याय’ नहीं न्याय का ढकोसला है श्रीमान ओबामा!- इसे इतिहास की एक भारी विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि जो अमरीकी ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद न्यूयार्क के ‘ग्राउंड जीरो’ पर एकत्रित होकर ‘थैंक यू ओबाम...
7 hours ago - "कासे कहूँ मन की बात..." - रंगमंच पर आने को आतुर ठुमरी - ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 687/2011/127 फिल्मों में ठुमरी विषयक श्रृंखला "रस के भरे तोरे नैन" में इन दिनों हम ठुमरी शैली के विकास- क्रम पर चर्चा कर रहे हैं| ब...
8 hours ago - खोया बचपन - कंचे,लट्टू,गुल्ली-डंडा,पुराना बक्सा खोल रहा हूँ। खोया बचपन ढूंढ रहा हूँ,मैं बचपन ढूंढ रहा हूँ॥ राजा-रानी, परियों की, कहानी खूब सुनाती थी। खोयी ममता ढूंढ रहा...
9 hours ago - साहित्य सागर का जून अंक - पत्रिका: साहित्य सागर, अंक: जून 2011, स्वरूप: मासिक, संपादक: कमलकांत सक्सेना, पृष्ठ: 52, मूल्य: 20रू (वार्षिक: 240 रू.), ई मेल: , ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फो...
9 hours ago - गर्मियों की छुट्टियाँ और अपना बचपन (१८) - सफर चल रहा है धीरे धीरे लेकिन सुहाना है, कितना अच्छा लगता है कि हम दूसरों के बचपन को जीनेकि कल्पना करने लगते हैं और अपना जी चुके बचपन को उसमें खोजने लगते ह...
9 hours ago - तू और मैं ... - तेरी मेरी जिन्दगी उस रसीली जलेबी की तरह है जिसे देख ललचाता है हर कोई कि काश ये मेरे पास होती नहीं देख पाता वो उसके गोल गोल चक्करों को उस घी की तपन को जि...
9 hours ago - अंडमान में 'सरस्वती सुमन' का लोकार्पण और संगोष्ठी : चित्रमय झलकियाँ - (कृष्ण कुमार यादव के अतिथि संपादन में जारी 'सरस्वती-सुमन' पत्रिका के 'लघु-कथा' विशेषांक (जुलाई-सितम्बर-2011) का पोर्टब्लेयर (अंडमान) में 26 जून को विमोचन क...
9 hours ago - "टर्र-टर्र चिल्लाने वाला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") - *टर्र-टर्र चिल्लाने वाला!* *मेंढक लाला बहुत निराला!!* ** *कभी कुमुद के नीचे छिपता,* *और कभी ऊपर आ जाता,* *जल-थल दोनों में ही रहता,* *तभी उभयचर है कहलाता,* *...
9 hours ago - भारतीय टैबलेट आपके सामने "साक्षात" - टैबलेट का भारतीय संस्करण "साक्षात" जिसे भारत सरकार के लिए आइआइटी राजस्थान में बनाया गया है इसका इंतज़ार अब ख़त्म हो गया है जून माह के अंत से यानि कुछ दिनों...
11 hours ago - प्रकृति की मनुष्य के लिए भेंट --- -पृथ्वी पर प्रकृति ने मनुष्य को बहुत बड़ा खज़ाना दिया है --पहाड़ , पेड़ और पानी के रूप में । इनकी रक्षा करना हमारा काम है । आइये देखते हैं प्रकृति के कुछ मनभा...
11 hours ago - सुबह का तारा - सुबह का तारा ,अरसे बाद दिखा , उम्मीदों की खुली खिडकी से ना जाने कितने प्रकाश वर्ष दूर एक अंधेर से कोने में ,टिमटिमाता हुआ अपने हिस्से के आकाश को हौले स...
12 hours ago - आत्मसंयमयोग षष्ठोऽध्यायः (अंतिम भाग) -*आत्मसंयमयोग *** *षष्ठोऽध्यायः* *(अंतिम भाग) *** परम सत्य को पाने हित जो, कर्म किया करता है जग में नाश नहीं होता है उसका, इहलोक या परलोक में योगभ्रष्ट हुआ...
13 hours ago - "चूस मकरन्द भँवरे किनारे हुए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") - * * ** *उनके आने से दिलकश नज़ारे हुए* * मिल गई जब नज़र तो इशारे हुए आँखों-आँखों में बातें सभी हो गईं हो गये उनके हम वो हमारे हुए रस्मों-दस्तूर की बेड़िय...
13 hours ago - हरीश नवल की तीन व्यंग्य रचनाएँ -त्रिकोणीय [image: harish naval] न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी बचपन में एक गाना सुनते थे, ‘मधुवन में राधिका नाची रे।' कितनी भली थी तब राधिका जो बिना क...
14 hours ago - एक ही समय में मैं सुकृत्य भी करता हूँ साथ ही साथ कुकृत्य भी - मैं सुन्दरकाण्ड का पाठ शुरू करता हूँ पर पाठ शुरू करने के बाद पाठ करते करते ही मैं यह भी सोच रहा हूँ कि कॉलेज में जब मैं पढ़ता था तो वह मेरी सहपाठिनी.... क्य...
15 hours ago - मैं भूल जाऊं खुला आसमान, पिंजरे में - *मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उडूँगी * *परों को आज़माना आ गया है * तालियों की गड़गड़ाहटों के बीच जोश में सुनाया गया हिन्दुस्तान की मशहूर शायरा *"लता हया"* का य...
16 hours ago - पदकवीरों पर बरसते हैं पैसे - हमारे राज्य उप्र में टीम खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर सरकार पैसों की बारिश करती है। उप्र में स्टार खिलाड़ियों को रोजगार भी आसानी ...
आज पूर्णिमा वर्मन का जनमदिन है -आज, 27 जून को चोंच में आकाश, शुक्रवार चौपाल, चौपाल की कार्यशाला, एक आँगन धूप, साहित्य समाचार वालीं पूर्णिमा वर्मन का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने व...
श्री रमेश जोशी की दो व्यंग्य पुस्तकों का विमोचन - साहित्य समाचार श्री रमेश जोशी की दो व्यंग्य पुस्तकों का विमोचन ‘बेगाने मौसम’ का विमोचन - (बाएँ से ) शायर श्री शेख हबीब ; लेखक व कवि रमेश जोशी ;विदेह स्वरूप सार शब्द - कबीर साहब बोले - हे धर्मदास ! मोक्ष प्रदान करने वाला सार शब्द विदेह स्वरूप वाला है । और उसका वह अनुपम रूप निःअक्षर है । 5 तत्व और 25 प्रकृति को मिलाकर सभी शर...
- द्वारका स्पोर्ट्स कोम्प्लेक्स - २ -द्वारका स्पोर्ट्स कोम्प्लेक्स में मस्ती का अगला भाग... तस्वीरें खूद ही सारी कहानी बयान कर देगी.... शरारत स्पेशल सब्जी बनाने के ल...1 day ago
- दृष्टिपात: थोथा है आराधना का बालश्रम समाप्त करने का संकल्प - दृष्टिपात: थोथा है आराधना का बालश्रम समाप्त करने का संकल्प1 day ago
- करे कभी न लाज - प्रायः गैस के रोग से आम लोग मजबूर। कीमत कुछ ऐसे बढ़ी गैस किचन से दूर।। आमलोग खाते कहाँ अब मौसम में आम। जनमत की सरकार है रोज बढ़ाये दाम।। जीवन जीना है अगर क...1 day ago
- Sunday splendour: 26 June 2011 - Source Ah, my friends! Just a quickie tonight after a long and topsy-turvy week. Thanks all so much for your gorgeous words of encouragement and support -...1 day ago
- ज़िन्दगी से.......... - ज़िन्दगी से बस यूं ही चन्द बातें हुई चमन में आये बहार से एक मुलाकात हुई जलते चिरागों तले रोशनी नहीं होती चिराग तले अँधेरे में ज़िन्दगी दीदार हुई ...1 day ago
- नरेश मेहन की कविताएँ - *1. पत्ता* दूर से उडता हुआ एक पत्ता आ कर मेरे कन्धे पर बैठ गया मैंने पूछा कहाँ से आए हो इस कदर अनायास गुमसुम से। वह सकपकाया मायूस हुआ फिर बोला शहर से आय...1 day ago
- कई कंटक भी वहाँ होते हैं - ना तो जानती थी ना ही जानना चाहती थी वह क्या चाहती थी थी दुनिया से दूर बहुत अपने में खोई रहती थी | कल क्या खोया ओर कल क्या होगा तनिक भी न सोचती थी वर्त्तमान ...1 day ago
- Fez-se Justiça em Portugal, Finalmente!!! - *A justiça portuguesa está de parabéns!!! Depois de anos e anos a batalhar, eis que surgem os primeiros resultados.* · Desde a morte de Francisco Sá Carne...1 day ago
- कतरने ख़्वाबों की - ख्वाब मेरे कपड़े की कतरनों के माफिक कटे फटे जब भी सहेजना चाहा कतरनों की तरह ही बिखर जाते हैं फिर भी मैं उन्हें सहेज रख लेती हूँ दिल के लिफ़ाफ़े मे...1 day ago
8 टिप्पणियाँ:
ये स्टाइल भी अच्छा लगा।
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विलुप्त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?
nayi jankari badhiya hainayi jankari badhiya hai
बहुत बढ़िया चर्चा!
नन्हे सुमन और उच्चारण की पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार!
ब्लाग वर्ड से जुडने के लिए फोलोवर तो बन गए हैं, कुछ और भी करना पड़ेगा क्या?
अच्छी जानकारी देती चर्चा ... मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आभार
links achchhe lage.....mere blog ko sthan dene ke liye shukrya
सुधार कि प्रतिपल कोशिश है |
कभी हम भी होंगे महफ़िल में |
आज की चर्चा वाकई कुछ अलग हट कर है और चयन तो लाजवाब...
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