भारत सरकार ने संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों में से अभिव्यक्ति के अधिकार पर अपना कुठार चला दिया है। 10 करोड़ नेट युजर्स की जबान पर लगाम लगाने का इंतजाम हो गया। आई टी एक्ट में गुपचुप संशोधन करके 11 अप्रेल 2011 से उसे लागु कर दिया गया है। न्यु मी्डिया से घबराई सरकार डेमोक्रेसी से डंडाक्रेसी की ओर बढ रही है।
आऊटलुक में इस विषय पर मनीषा भल्ला ने एक रिपोर्ट लगाई है। ब्लागर्स के लिए वह रिपोर्ट ब्लॉग4वार्ता पर प्रस्तुत की जा रही है। पढने के लिए चित्र पर चटका लगाएं एवं पढें, अपने बहुमुल्य सुझाव प्रगट करें।
8 टिप्पणियाँ:
बढिया जानकारी, देने के लिये आभार
नेट-वर्करों के लिये बुरी खबर है , ब्लोगिंग की स्वतंत्रता खतरे में है .
सरकार बौरा गई है , बार बार कभी अन्ना से तो कभी बाबा के हाथों गिर रही है , लगता है अब इसके घिरने नहीं गिरने का समय नजदीक आ रहा है , फ़ेसबुक , ट्विट्टर और ब्लॉगिंग जैसे माध्यमओं पर अंकुश लगाने से सरकार सच को नहीं दबा सकेगी । वो और भी ज्यादा तीव्र होगा और एक दिन सरकार के सभी नियम कायदे धरे रह जाएंगे ...जल्दी ही लिखता हूं इस विषय पर
इसका आगाह तो मैंने दस मार्च को ही अपनी पोस्ट में कर दिया था...
छिनने वाली है ब्लॉगरों की आज़ादी...
जय हिंद...
विनाश काले विपरीत बुद्धि !
भारत मे सत्य बोलना, चोर को चोर कहना जुर्म हे?
क़ानून बनाने वालों को भी इस विषय के हर पक्ष पर सोचना होगा...और काश वे सोचें....
bekar ke kanun roj bante hai aur agle din band ho jate hai
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