बुधवार, 29 जून 2011

कसम खा लो जो खाई जाए--महँगे होने लगे रिस्ते--ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, बाबा को मिल गया अन्ना का जवाब, बाबा हैं लाजवाब। मतलब मामला पटरी पर नहीं बैठने वाला और इस पर भी सियासत चालु होने वाली है। भ्रष्ट्राचारियों की दाल गल रही है, आन्दोलनकारियों की नही गलने वाली। उन्हे दाल नहीं अब तरकारी से काम चलाना पड़ेगा। जो नहीं चलाएगा वो भूखों मर जाएगा। हंडिया से बिखरा रायता डोगी राजा चाट जाएगा। फ़िर मत कहना बताया नहीं, सुन रहे हो न बाबा जी, अन्ना जी। डोगी राजा का खुला हुआ मुंह बकबका रहा है, कषाय वस्त्रों पर दाग लगा रहा है, उधर अग्निवेश पिट लिए हैं, इसलिए पिटारे में बंद है। देश की जनता सब देख रही है, देश का फ़ैसला अभी मुहरबंद है। अब चलते हैं रफ़्तार के साथ ब्लॉग4वार्ता पर.......।

शैलेन्द्र नेगी बना रहे बनारस सरकार के हर निर्णय को जनता के जले पर नमक छिडकने की तरह देख रही हैं आरती अग्रवाल लगता है आजकल लोगों के पास कुछ काम नहीं बचा है जिसे देखो हर

शिक्षामित्र भाषा,शिक्षा और रोज़गार सरकार देश में उच्च शिक्षा की मौजूदा स्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय सव्रेक्षण करा रही है। इसके तहत शिक्षकों

हमारावतन-हमारासमाज क्या हाजमा ठीक नहीं रहता ये रहे बेहद सरल नुस्खे आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते
 
शब्द शक्ति कभी कभी मन में सवाल उठता है क्या वह जो महलों में शान से बस रही है या वह जो महफ़िल में नूर बनकर बरस रही है तन्हाई में सिसकती यादों का मंज़र है या मस्ती की मौज में

भारत एकता साथ मरने की कसम खा लो जो खाई जाए वन्दे मातरम बंधुओं प्यार सेहरा में रहे या की गुलिस्ताँ में रहे प्यार की तान ही सुननी है सुनाई जाए चार सू दिखती हैं लाशें यहाँ चलती फिरती जो पुर सुकून लगे
ये मन है हमेशा कुछ तलाश करता रहता है कभी तेज़ धूप में तो कभी शाम की हलकी सी छांव में बारिश की बूंदों में तो कभी ख़ाली सूनेपन में भीड़ में सफ़र में दरख्तों में या शहर में हर कहीं

जिस दिन कोई व्यक्ति जन्म लेता है वह उसके लिए बहुत विशेष दिन होता है। इसीलिए हर व्यक्ति को अपने जन्मदिन को लेकर मन में एक विशेष उत्साह रहता है।

जब केन्द्र सरकार ने गैस,डीज़ल व केरोसिन के दाम बड़े तब से चारों ओर सिर्फ़ महँगई का शोर सुनाई दे र्हा था आम आदमी की नींद उद गई है उसके सपनों में अब सिर्फ़ और

सूरज की सुनहरी धुप छूती है जो गालों को पर कुनकुनी नहीं लगती कुछ सर्द सा है. बारिश की रिमझिम बूँदें पड़ती जो तन पर पर मन को नहीं भिगोती कुछ सूखा सा है.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के ज़िक्रपुर गाँव के किसान अपनी फ़सलें उजाड़े जाने का ब्यौरा देते हैं. ग्रेटर नोएडा से आगरा तक जाने वाले यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बसा ये वो गाँव है

संकट में है जान हमारी, हे हनुमान बचालो ! पड़ी ज़रूरत आन तुम्हारी, हे हनुमान बचालो ! अवध धरा पर वध जारी है और तुम देख रहे हो मानवता पर बमबारी है

मुंबई जा कर पुलिस और प्रशासन की स्थिति देखने के बाद अपने शहर गाज़ियाबाद से बाहर अन्य शहरों में जाकर पुलिस की स्थिति और व्यवस्था को देखने समझने की मेरी इच्छा..

निशा, शायद यही नाम है, उस का। उस का नाम रजनी या सविता भी हो सकता है। पर नाम से क्या फर्क पड़ता है? नाम खुद का दिया तो होता नहीं, वह हमेशा नाम कोई और ही रखता है

गैस सिलेंडर के मुल्य में वृद्धि की खबर सुनकर सभी तरफ़ हाय-तौबा मच गया। अरे 2-4 रुपए बढाने की बात हो तो चल भी जाए, परन्तु यहां 50 रुपए बढा दिए गए।

सुरेश अग्रहरि छत्‍तीसगढ़ी भाषा भी अब धीरे-धीरे हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में अपने पाव पसार रही है। पिछले पोस्‍ट के बाद रविवार को पुन: छत्‍तीसगढि़या ब्‍लॉगों को टमड़ना चालू किया

अब वार्ता को देता हूँ विराम, कल मिलते हैं नए ब्लॉग पोस्टों के साथ, राम राम.............

17 टिप्पणियाँ:

अच्छे लिंक धन्यवाद

बढ़िया वार्ता ... धन्यवाद!

बेहतरीन प्रयास ललित भाई.
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/

ललित भैया मेरा ब्लाग सुधार के फ़िर वार्ता
गज़ब मेहनत करतें है जी
आभार
मित्रो ललित जी ने मेरे एक ब्लाग को नया रूप दे ही दिया वाह
http://voi-2.blogspot.com/

वाह ... बढ़िया प्रस्तावना के साथ मस्त मस्त लिंक ... आभार

ाच्छे लिन्क। धन्यवाद।

लिन्क्स की शानदार प्रस्तुति...

बहुत शानदार लिंक्स्।

अच्छी लिंक्स एक साथ |बधाई
आशा

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