आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार, कल महानायक के साथ साथ लोकनायक का भी जन्म दिन था , डॉ पुनीत अग्रवाल जी ने इन्हें याद करते हुए उनके जीवन के बारे में जानकारी देते हुए एक पोस्ट लिखा है ।
जयप्रकाश नारायण (जन्म- 11 अक्तूबर, 1902, सिताबदियारा, (बिहार), मृत्यु- 8 अक्तूबर, 1979, पटना, बिहार) राजनीतिज्ञ और सिद्धांतवादी नेता थे। मातृभूमि के वरदपुत्र जयप्रकाश नारायण ने हमारे देश की सराहनीय सेवा की है। लोकनायक जय प्रकाश नारायण त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। कहा गया है–
होनहार वीरवान के होत चीकने पात
जयप्रकाश विचार के पक्के और बुद्धि के सुलझे हुए व्यक्ति थे। जय प्रकाश जी देश के सच्चे सपूत थे। जयप्रकाश ने देश को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने का सच्चा प्रयास किया, जिसमें वह पूरी तरह से सफल रहे हैं। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारतीय जनमानस पर अपना अमिट छाप छोड़ी है। जयप्रकाश जी का समाजवाद का नारा आज भी गूँज रहा है। समाजवाद का सम्बन्ध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके सम्पूर्ण जीवन में समाया हुआ था।अब चलते हैं आज की वार्ता पर .....
प्रार्थना ! - *हे प्रभु मुझको पार लगा दो,इस जीवन के सागर से |माँ,,, - माँ हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ, और माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ! जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो, और बच्चों के लिये साया घना करती ...*मैं तो कब से आस लगाये बैठा हूँ,नट नागर से ||* ** *तेरी ही महिमा से जग का* *होता है सूरज ज़रा आ पास आ.. - सूरज ज़रा आ पास आ जीना इसी का नाम है - जीना इसी का नाम है अँधेरे कमरे में बंद आँखों से खाते हुए ठोकरें वे चल रहे हैं और इसे जीना कहते हैं... बाहर उजाला है सुंदर रास्ते हैं वे अनजा...सोलह में शादी की आजादी - देखिये साहब हमारा मुल्क रंगरंगीला परजातंतर है। इस बात को नित साबित करती खबरें हमारी मीडिया पेश करती रहती है। हालिया मामला है खाप पंचायत द्वारा लड़कियों क...
वक़्त वक़्त की बात - *पुरानी सदी के डाइलोग: शशि कपूर: मेरे पास माँ है! इस सदी के डाइलोग: रॉबर्ट वाड्रा: मेरे पास सासू माँ है!*बहू तो आखिर बहू है - बहू तो आखिर बहू है क्या हुआ जो नहीं तुमसे,ठीक से वो बात करती क्या हुआ घर पर न टिकती,करती रहती मटरगश्ती क्या हुआ जो उसे खाना बनाने से बहुत चिढ है क्या हु...रेणुकाजी! काश! आप मेरी बहन होती -काश! रेणुका चौधरी मेरी बहन होती। उन्होंने धापूबाई बैरागी के पेट से द्वारकादासजी बैरागी के घर में जन्म लिया होता। तब वे ऐसा नहीं कहतींबेचारे बगदी लाल जी - बेचारे बगदी लाल जी ,करन चले व्यापार | महंगाई की मार का ,सह न पाए वार || है लाभ क्या न जानते ,झुझलाते पा हार | होते विचलित हानि से ,जीवन लगता भार ||
बच्चे तो बस हो जाते हैं ............... -वो कहते हैं अब के बच्चों में संवेदना नहीं पनपती प्रेम प्यार के बीज ना पल्लवित होते हैं बेहद प्रैक्टिकल होते जा रहे हैं ना मान आदर सम्मान करते हैंचुहुल - ३४ - (१) एक समाजसेवी को उसके चाल-चरित्र से प्रसन्न होकर एक सिद्ध पुरुष ने एक ‘जादुई बोतल’ दी. बाद में जब समाजसेवी ने बोतल का ढक्कन खोला तो उसमें से एक ‘जिन्न’ ...आखिरी सफर - ये जानते हुए कि मैं छोड़ी जा चुकी हूँ फिर भी एक इंतज़ार है कि तुम ....खुद से अपनी गलती स्वीकार करो ताकि मैं लौट सकूँ जहाँ से मैं आई हूँ पर मैं जानती...शानदार व्यवसाय ! - लोकतंत्र में राजनीति अब शानदार व्यवसाय ! * ...
जीवन संध्या....संध्या शर्मा - सुबह से शाम चलते-चलते थक गया तन सुनते-सुनते ऊबा मन आँखें नम निर्जन आस भग्न अंतर उद्वेलित श्वास बहुत उदास कुछ निराश शब्द-शब्द रूठ रहे हैं मन प्राण छूट रहे ह...तरह तरह के डिजिटल कैमरे -*डिजिटल कैमरा* यानि कि *डिजिकैम,* साउंड, वीडियो और स्टिलफोटोग्राफ लेकर उन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक इमेज सेंसर के माध्यम से रिकॉर्ड कर लेता है |संस्कारों के ऊपर भारी मजबूरी एक .... (कुँवर जी) -*सौ संस्कारों के ऊपर भारी मजबूरी एक आचरण बुरा ही सही पर है इरादे नेक! खुद बोले खुद झुठलाये जो करे कह न पाए अजब चलन चला जग में चक्कर में विवेक भ्रष्टाचार ...होंठों पर तैरती मुस्कान! - हर शासकीय अवकाश के दिन सरकारी कामकाज के लिए दफ्तर पूरी तरह से बंद हों, इस बात का पता लगाना आम आदमी के लिए कोई हँसी खेल का काम तो कतई नहीं हो सकता। शासकीय ...
सचमुच घनचक्कर था मेघदूत -[image: cloudburst] नि दा फ़ाज़ली ने बादलों को उनकी आवारा सिफ़त के मद्देनज़र सिर्फ़ दीवाना क़रार देते हुए बरी कर दिया था क्योंकि वे नहीं जानते कि "किस राह ...फफूंदा मष्तिष्क शोथ (फंगल मैनिनजाइटइस )अगली किस्त . - फफूंदा मष्तिष्क शोथ (फंगल मैनिनजाइटइस )अगली किस्त . संतोष का विषय यही है की ये तमाम फफूंदा सुइयां निर्माता कम्पनी ने वापस मांग ली हैं जीमेल की छोटी पर उपयोगी नयी सुविधा -जीमेल पर अगर आप क्षेत्रीय भाषाओ और हिंदी में ज्यादा काम करते है तो आपके लिए जीमेल अब थोडा और बेहतर हो गया है . अगर आपने अपने जीमेल में हिंदी शुरू नही...थका हुआ सा एक ख्वाब..... -जाने कब से पल रहा है न जाने कब से चल रहा है..... एक ख्वाब मेरे ज़ेहन में, मेरे मन में..... एक ख्वाब जो थक गया है पलते पलते चलते चलते..... थक गया है ये म...
अब लेते हैं विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....
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11 टिप्पणियाँ:
वार्ता का सुन्दर संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
maine kal apne ladake se pucha aaj kisaka janamdian hai.btaya big b ka .sochane laga kiya nai pidi j p ko bhul gaye !
लोकनायक जयप्रकाश नारायण को हमारा शत-शत नमन... बहुत सुन्दर लिंक संयोजन, स्थान देने के लिए आपका आभार
नायकों को नमन, रोचक और पठनीय वार्ता।
सुन्दर चर्चा ! लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद !
जयप्रकाश जी को नमन ...सुंदर वार्ता
बढिया वार्ता
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन
sundar sanyojan evm prastuti
सुन्दर लिंक संयोजन
बहुत बढ़िया वार्ता में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने के लिए आभार!
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