ललित शर्मा का नमस्कार ..........नवरात्र के सातवें दिन आदि शक्ति मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना का
विधान है। व्यापार संबंधी समस्या, ऋण मुक्ति एवं अचल संपत्ति के लिए मां
कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है। देखने में मां का स्वरूप
विकराल है। परंतु मां सदैव ही शुभ फल प्रदान करती हैं। इस दिन साधकगण अपने
मन को सहस्रार चक्र में स्थित करते हैं और मां की अनुकंपा से उन्हें
ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां कालरात्रि की
पूजा-अर्चना एवं साधना द्वारा अकाल मृत्यु, भूत-प्रेत बाधा, व्यापार, नौक
री, अग्निभय, शत्रुभय आदि से छुटकारा प्राप्त होता है।
"कराल रूपा कालाब्जा समानाकृति विग्रहा।
कालरात्रि शुभ दधद् देवी चण्डाट्टहासिनी॥"
कालरात्रि शुभ दधद् देवी चण्डाट्टहासिनी॥"
ब्लॉग जगत की आज की देवी हैं सुशीला श्योराण जी है। मई 2011 से गुडगाँव से ब्लॉगिंग कर रही हैं,
इनकी प्रथम पोस्ट:
माँ
कोख में सहेज
रक्त से सींचा
स्वपनिल आँखों ने
मधुर स्वपन रचा
जन्म दिया सह दुस्तर पीड़ा
बलिहारी माँ देख मेरी बाल-क्रीड़ा !
गूँज उठा था घर आँगन
सुन मेरी किलकारी
मेरी तुतलाहट पर
माँ जाती थी वारी-वारी !
उसकी उँगली थाम
मैंने कदम बढ़ाना सीखा
हर बाधा, विपदा से
जीत जाना सीखा !
चोट लगती है मुझे
सिसकती है माँ
दूर जाने पर मेरे
खूब बिलखती है माँ !
ममता है, समर्पण है
दुर्गा-सी शक्ति है माँ
मेरी हर ख़ुशी के लिए
ईश की भक्ति है माँ !
माँ संजीवनी है
विधाता का वरदान है
जिंदगी के हर दुःख का
वह अवसान है
प्रभु का रूप
उस का नूर है माँ
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
-सुशीला शिवराण
अद्यतन पोस्ट:
बर्फ हुईं संवेदनाएँ
आज
’वीथी" पर सूरज प्रकाश जी जैसे साहित्यकार की सदस्यता ने १०० का आँकड़ा
पूरा कर शतक बनाया !बहुत प्रसन्नता हो रही है मित्रोके साथ यह खुशी साझा
करते हुए ! प्रभु के और आप सब के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मैं सुशीला
श्योराण "शील" यह कविता आप सब की नज़र करती हूँ -
ग्रीनपार्क की चौड़ी मगर संकरी पड़ती सड़क
ठीक गुरूद्वारे के सामने
ट्रैफ़िक की रेलम-पेल में
रेंगती-सी ए.सी. कार में
बेटे का साथ
निकट भविष्य की मधुर कल्पना
और राहत फ़तेह अली खान के सुरों में खोई
रेंगती-सी ए.सी. कार में
बेटे का साथ
निकट भविष्य की मधुर कल्पना
और राहत फ़तेह अली खान के सुरों में खोई
आँखें मूँदे आनंदमग्न मैं
ब्रेक के साथ बाहर दृष्टि पड़ती है
और जैसे मैं स्वप्नलोक से
ब्रेक के साथ बाहर दृष्टि पड़ती है
और जैसे मैं स्वप्नलोक से
दारुण यथार्थ में पटक दी गई !
तवे-सा काला वर्ण
चीथड़ों में लिपटा नर-कंकाल
सड़क के बीचों-बीचतवे-सा काला वर्ण
चीथड़ों में लिपटा नर-कंकाल
बायाँ हाथ दिल पर
चेहरे पर भस्म कर देने वाला क्रोध
दायें हाथ से बार-बार
हवा में 'नहीं' संकेतित करता
चारों दिशाओं में यंत्रवत घूमता
विक्षिप्त मानव
नहीं भूलता !
दिल ने पुकारा -
कहाँ हो दरिद्रनारायण ?
कितना आसान है
उसे पुकारना
और आँखें बन्द कर
आगे निकल जाना !
कल फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए राम-राम ......
13 टिप्पणियाँ:
बढिया वार्ता
सुशीला जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं
..
सुशीला जी से मिलना सार्थक रहा .... बहुत अच्छी रचनाएँ हैं । आभार
सुशीला जी की सुन्दर रचनाओं के साथ सुन्दर वार्ता प्रस्तुति ..आभार
स्तरीय वार्ता..
ललित जी अष्टमी पर आपका यह उपहार पा हम बहुत ही आनंदित और उपकृत हैं।
महेन्द्र श्रीवास्तव जी, संगीता स्वरूप (गीत) जी और कविता रावत जी - आप गुणीजनों का ह्रदय से आभार।
अष्टमी और नवरात्रि की शुभकामनाएँ !
ब्लॉगोदय में मेरे निम्न ब्लॉग जोड़ने का निवेदन ~
. काव्य-कोश (kavita) http://uvassociates.in/hindi-blogs-n-articles/kavya-kosh
2. अभिव्यक्त (general) http://www.uvassociates.in/hindi-blogs-n-articles/abhivyakt
3. ज्ञान-वर्धन (technical) http://uvassociates.in/hindi-blogs-n-articles/gyan-vardhan
4. कथा-सृजन (story) http://uvassociates.in/hindi-blogs-n-articles/katha-srijan
हर्ष हुआ पढ़ कर ---बहुत बहुत बधाई
शुभकामनाएं सुशीला जी को..
आपका शुक्रिया ललित जी.
सादर
अनु
सुशीला जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा...
परिचय देने के लिए शुक्रिया ललित जी....
सुशीला जी से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा...
शुभकामनाए...
:-) :-)
अभी तक पढ़ा नहीं था सुशीला जी को . आभार परिचय कराने का
सुशीला जी से परिचित करवाने के लिये आभार
सुशीला जी से मिलना सार्थक बहुत अच्छी रचनाएँ
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