मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

विक्रम वेताल और अंधेर नगरी चौपट राजा...ब्लॉग 4 वार्ता---ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, यु पी ए सरकार ने महंगाई की सभी  पार कर दी। आम मध्यमवर्गीय के गले में फांसी का फंदा डालना बस बचा है। सारी योजनायें गरीब और अमीर को ध्यान में रख कर बनाई जाती हैं। शोषण सिर्फ मध्यमवर्ग का होता है। सीधे की लुगाई सब की भौजाई। यही हाल मध्यमवर्ग का है, जो भी आता है इसके पिछवाड़े पर हंटर जड़ जाता है। आज का समाचार है कि खुले बाजार में 7 वां सिलेंडर 1073 रूपये का मिलेगा। नंगाई की हद हो गयी है। मध्यमवर्ग भी ऐसा है कि दिन भर दाल रोटी के चक्कर में उलझा रहता है, अपनी बात उठाने तक की उसे फुर्सत नहीं हैं। मूल्य वृद्धि का पुरजोर विरोध होना चाहिए। जब तक यह मध्यमवर्ग सोया रहेगा इसका भला नहीं होना है। जागो सोने वालों जागो ........अब चलते हैं आज की  वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक्स  ....

नौटंकी ... - अब इनसे तो 'उदय', कोई नंगा ही जीत सकता है शंका है हमें, कहीं 'खुदा' भी न हार गया हो इनसे ? ... दो-चार दांव-पेंच सीखने में हर्ज ही क्या है 'उदय' सुनत.मानसिक रूप से दिवालिया ..? - मार्च के अंत तक अगर आपने चौथा सिलंडर लिया तो आपको 1200 रूपए तक देने पड़ सकते हैं ! तेल कम्पनियाँ मनमाना रेट तय कर रही हैं ! कांगेस शासित राज्य अपने प्रदेश ... ..नमस्कार को टाटा खाया, नूडल को आंटा !! - " अज़ब - गज़ब " नमस्कार को टाटा खाया, नूडल को आंटा !! अंग्रेजी के चक्कर में हुआ बडा ही घाटा !! बोलो धत्त तेरे की !! माताजी को मम्मी खा ...

प्राकृतिक संसाधन आवंटन या नीलामी ? - देश के प्राकृतिक संसाधनों को किस तरह से उपयोग में लाया जाये इस बात पर देश के नेता एकमत नहीं हैं और जिस तरह से केंद्र सरकार ने २जी विवाद के... शरीर का जायज़ा लेती बेहद की प्रोद्योगिकीय दखल - *शरीर का जायज़ा लेती बेहद की प्रोद्योगिकीय दखल * * * *उसके फ्रिज में स्टूल(मल /टट्टी ) का एक साम्पिल रखा हुआ है जिसे लेब को जांच के लिए जल्दी से जल्दी ...चर्खी हुई चाकरी - *चर्खी हुई चाकरी* *श्यामनारायण मिश्र* ** *छूटे खेत खाद* *सावन के मेह* *चर्खी हुई चाकरी निचुड़ी गन्ने जैसी देह।* ** *लापरवाही वाले लमहे* *ओसारे की ख...

उरई में बर्तन व्यवसायी की दुकान से मिले ताम्र युगीन पिंड व उपकरण - * देश के प्रागैतिहासिक काल के मानचित्र में उरई का नाम अंकित* भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटैक) के उरई चैप्टर की ओर से बुंदेलखंड संग्रहालय के सभागार में उरई ... अतीत से जुदा या जुड़ा वर्तमान ...फिर भविष्य भी ? - अतीत से जुदा या जुड़ा वर्तमान ...फिर भविष्य भी ? by Suman Mishra on Monday, 20 August 2012 at 13:42 · *आज श्री प्रतुल मिश्र जी ने एक विचार दिया....."सूछम चिं... मेहनत और हिम्मत से विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाया जा सकता है . - इससे पहले कि हम आपको यह बताएं कि दुबई से हमने क्या सीखा, थोड़ी और मस्ती हो जाये . इनडोर एक्वेरियम में नाव की सवारी करने से पहले हमने पूजा अर्चना करना सह... 

तब होगा भगत सिंह का सच्‍चा सम्‍मान पाकिस्तान ने बड़े समय बाद एक अच्छा काम किया है। शहीदे आजम भगत सिंह को हमारे देश में आदर्श की तरह पूजा जाता है और पाकिस्तान का आवाम भी उनको उतनी ही इज्जत देता है। वहां भी उनको अंग्रेजों के शासन के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाला नायक माना जाता है। शहीद भगत सिंह... विक्रम वेताल 5  राजन मैं मरकर भी समझता हूँ और ये अपनी जानें ये हरसिंगार के फूल और झिलमिल करती रोशनी ये तेज, ये प्रदीप्ति वर्ष में एक बार ही? हर बरस पोंछ दी जाती हैं मूर्तियां पुरे बरस धूल ज़मने के लिये? जन्मदिन पर ही? धो देते हैं पखेरुओं के बीट अगले साल तक भू... अंधी नगरी चौपट राजा रख ले बासी फेंक दे ताज़ा. अंधी नगरी चौपट राजा. वो देखो लब चाट रहा है खून मिला है ताज़ा-ताज़ा. फटे बांस के बोल सुनाये कोई राग न कोई बाजा. अंदर-अंदर सुलग रही है इक चिंगारी, आ! भड़का जा. बूढा बरगद बोल रहा है धूप कड़ी है छावं में आ जा. जाने किस हिकमत से खुलेगा अपनी किस्मत का दरवाज़ा. हम और उनके शीशमहल में? पैदल से पिट जाये राजा? वक़्त से पहले हो जाता है वक़्त की करवट का अंदाज़ा...

मेरा आलस , आपका प्रेम और यह 100 - *इन पोस्टों के लिए सबसे ज्यादा पेज देखे गए* सृजन मानव जीवन का स्वभाव है . मानव ही नहीं प्रकृति के कण - कण में सृजन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है . एक ...बेमेल विवाह ……एक त्रासदी - बेमेल विवाह ………एक त्रासदी जो समाज को अभिशापित करती रही स्त्री भोग्या है……इसी को इंगित करती रही यूँ तो सदियों से समाज में बेमेल विवाह होते आये जो हमारे ...क्षितिज की ओर.... - (On World Elders day) सोचा नहीं था ज़िंदगी में कभी यह दिन भी आयेगा, जिन्हें समझा था अपना, वह पराया नज़र आयेगा. नहीं था... 

छत पर अटके ख्याल.... - लन्दन का मौसम आजकल अजीब सा है या फिर मेरे ही मन की परछाई पड़ गई है उसपर.यूँ ग्रीष्म के बाद पतझड़ आने का असर भी हो सकता है.पत्ते गिरना अभी शुरू नहीं हुए ह... हम देख न सके,,, - *हम देख न सके,,,* *रोज पढते रहे अखबार हम देख न सके, आप कब हो गए सरकार हम देख न सके,! हमने तो आपको अपने करीब देखा था, बीच में कांच की दीवार हम देख न सके,! ...टूटता सितारा - देख रही हूँ मैं आकाश.. अविराम . ढूंढ रही है नज़र .. कि कोई तो सितारा टूटे जिससे इतने सालों बाद खुद से भी छुपाई दिल की वो मुराद मैं..मांग सकूँ. वो जो कहीं....

चलते - चलते  कार्टून ...

 

... 

 

अब लेते हैं विराम राम - राम......   

9 टिप्पणियाँ:

अंधेर नगरी चौपट राजा कभी बचपन में पढ़ी थी आपने उसकी याद आज दिला दी |
आशा

एक नया स्तर छू लेगी मँहगाई..

अगर इन लिंक्स में से किसी भाई ने ये भी आकलन लगाया होता कि साल भर में एक आम आदमी को कितने की चोट दे दी है सरकार ने तो और बढिया रहता ।

बढ़िया चर्चा! मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!

मध्यमवर्गीय बेचारा हमेशा से घुन की तरह पिसता आया है, लेकिन अब पानी सर से ऊपर चला गया है उसे जागना ही होगा. बढ़िया लिंक्स के लिए आभार...

कार्टून बढ़िया हैं..अच्छी चर्चा.

बहुत बढ़िया वार्ता

बढिया वार्ता
अच्छे लिंक्स
जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..

http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb

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