गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- तृतीया...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ... नवरात्री  के तीसरे दिन  देवी मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है जो परम शांति की वाहक हैं.चन्द्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के समान कांतिमय है. चेहरा शांत एवं सौम्य है और मुख पर सूर्यमंडल की आभा छिटक रही होती है. माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित हो रहा है जिसके कारण देवी का नाम चन्द्रघंटा हुआ. अपने इस रूप से माता देवगण, संतों एवं भक्त जन के मन को संतोष एवं प्रसन्न प्रदान करती हैं. मां चन्द्रघंटा अपने प्रिय वाहन सिंह पर आरूढ़ होकर अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र,धनुष, भरे हुए तरकश लिए मंद मंद मुस्कुरा रही हैं. माता का अदभुत रूप है...
” या देवी सर्वभूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता.
 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:” 

http://go.idreamseo.com/~indiahal/images/stories/chandraghanta-hindi.jpg 
वैसे तो इस श्रंखला में आने वाली ब्लॉग जगत की कोई भी देवी परिचय की मोहताज नहीं हैं, फिर भी नवदेवियों के साथ उनके स्मरण का एक प्रयास है यह. ब्लॉग जगत की नव देवियों के क्रम में आज मिलते हैं संगीता पुरी जी से... 


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बोकारो, झारखंड से ब्‍लॉगिंग कर रही संगीता पुरी (http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362) अपना परिचय देते हुए लिखती हैं कि मास्‍टर डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है। 7 सितंबर 2007 से वर्डप्रेस पर गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष नामक ब्‍लॉग पर ज्‍योतिष में प्रवेश नामक पहली पोस्‍ट से शुरूआत करने के बाद  7 अगस्‍त 2008 को  ब्‍लॉगस्‍पॉट (www.gatyatmakjyotish.com) पर लिखना आरंभ किया , इनके पोस्‍टों में जहां ज्‍योतिष से जुडे अंधविश्‍वासों पर चोट की गयी है , वहीं दूसरी इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी सामने लाया गया है...गत्यात्मक ज्योतिष इनका प्रमुख ब्लॉग है, साथ ही ब्लॉग 4 वार्ता के आधार स्तंभों में से एक हैं.

इनकी प्रथम पोस्ट:

ज्योतिष में प्रवेश

कोई व्यक्ति जन्म से ही मजबूत शरीर , व्यक्तित्व , धन , गुण , स्वभाव ,परिस्थितियॉ और साधन प्राप्त करता है और कोई जीवनभर यह सबप्राप्त करने के लिए आहें भरता है और कोई कई प्रकार की शारिरिक औरमानसिक विकृतियों को लेकर ही जन्म लेता है। जरा सोंचिए , इसकोकिसकाप्रभाव कहा जा सकता है ? जिसे वैज्ञानिक वर्ग सेयोग या दुर्योग कहते हैं , वह प्रकृति की एक सोंची समझी हुई चाल होती है। आज कृत्रिम उपग्रहों नेयह सिद्ध कर दिया है कि संपूर्ण ब्रह्मांड में स्थित आकाशीय पिंडों से अनंतप्रकाश की किरणें का जाल बिछा होता है , और पृथ्वी पर ऐसी कोई चीजनहीं , जो इसके प्रभाव से अछूती रह जाए। फिर ग्रहों के प्रभाव से कोईअछूता कैसे रह सकता है ? समुद्र में लहरो का उतार चढ़ाव और अन्य कईप्राकृतिक घटनाएं चंद्रबल के सापेक्ष हुआ करती है।

   

मनोवैज्ञानिकों का यह कहना कि ज्योतिष पर विश्वास एक अंधविश्वास है , जो मानसिक दुर्बलता का लक्षण है , बिल्कुल गलत है। मेहनत से कामकरनेवाला व्यक्ति अकस्मात् किसी दुर्घटना का fशकार क्यों हो जाता है ? कोई छोटा बालक क्यो अनाथ हो जाता है ? कोई व्यक्ति पागलपन या किसीअसाध्य रोग से क्यों ग्रस्त हो जाता है ?

मेरे हिसाब से इन सब प्रश्नों केउत्तर किसी मनोवैज्ञानिक के पास नहीं होंगे। हजारों वर्षों से विद्वानों द्वाराअध्ययन-मनन और चिंतन के फलस्वरुप मानव मन-मस्तिष्क एवं अन्यजड़-चेतनों पर ग्रहों के पड़नेवाले प्रभाव के रहस्य का खुलासा होता जा रहाहै , हॉ यह सत्य अवश्य है कि पूर्णता मनुष्य की नियति में नहीं है , लेकिनपूर्णता की खोज मनुष्य के स्वभाव का अंग है , नहीं तो इतिहास आदिमकाल से एक ही करवट बैठा होता।

आज जरुरत है , धर्म , कर्मकांड औरज्योतिष का गंभीर अध्ययन-मनन करके सही तत्वों को जनता के सम्मुखलाने की। केवल पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सारे नियमों को गलत मान लेनाबेवकूफी ही होगी। भविष्य की थोड़ी भी जानकारी देने के लिए फलितज्योतिष के सिवा दूसरी कोई विद्या सहायक नहीं हो सकती। अपने अनुसंधानको पूर्णता देने के क्रम में हमनें आप सबों से काफी दूरी बनाए रखी , परअब वह समय आ गया है कि हम अपने ज्ञान के प्रकाश को फैलाकर अपनेकर्तब्यों की इतिश्री कर सकें।


अद्यतन पोस्ट:

गत्यात्मक ज्योतिष के दिल्ली के पाठकों के लिए ख़ास मौका ----------

दिल्ली आये पंद्रह बीस दिन  हो गए  ...अब बोकारो लौटने का वक्त हो रहा है ...... आने के बाद से ही आप सबों के बहुत सारे लोगों के फ़ोन और मैसेज मिल रहे हैं --- मुझे भी आप सबसे मिलने की इच्छा है .. जिनसे नेट पर पिछले कितने वर्षों से विचारों का आदान प्रदान होता जा रहा है ... पर अलग अलग जगहों पर सबसे मिलना बहुत मुश्किल है ....... इसलिए इस सप्ताहांत में दिल्ली के सारे ब्लागरों , अपने ब्लॉग के पाठकों और फस्बुक दोस्तों से मिलने जुलने का कार्यक्रम बना रही हूँ ... इस बार मैं आप सबों का परिचय गत्यात्मक ज्योतिष के जनक अपने पिताजी से भी करवाउंगी ... गत्यात्मक ज्योतिष परंपरागत ज्योतिष से किस प्रकार भिन्न है ... और इसके द्वारा की जाने वाली सटीक भविष्यवानियों का वैज्ञानिक आधार क्या है .. इसके बारे में भी मेरे और पापाजी के द्वारा आप सबों को जानकारी दी जाएगी --- ताकि ज्योतिष के प्रति आपके दिलोदिमाग में बैठा अंध विश्वास या भ्रान्ति दूर हो ... और ज्योतिष के बारे में वैज्ञानिक सोंच विकसीत हो ... गत्यात्मक ज्योतिष के कितने पाठक , ब्लोग्गेर्स और फस्बुकिए मित्र तैयार् हैं इस कार्यक्रम के लिए ... उसी के हिसाब से शनिवार और रविवार में से कोई तिथि समय और वेन्यु तय की जाएगी ... दिल्ली में मेरा फ़ोन 918750680860 है .........

13 टिप्पणियाँ:

यह मन को अभिभूत कर देने वाला चिट्ठा चर्चा ब्लॉग है |आभार

आपके इस प्रयास एवं आदरणीय संगीता जी के लिये अनंत शुभकामनाएं

सादर

संगीता जी की तो बात ही निराली है सच मे हर देवी का अपना एक अलग ही रूप है जिसे आपकी पारखी नज़र ने परखा है ………आभार

कृपया ब्लोगोदय में मेरे ब्लॉग को शामिल करें |
मेरा काव्य-पिटारा- http://pradip13m.blogspot.in
काव्य का संसार- http://kavyasansaar.blogspot.in

लगता है "स" अक्षर से नाम शुरू होने वाली देवियाँ खास प्रतिभावान होती हैं.संगीता पूरी जी की ज्योतिष क्षमता प्रभावशाली है.

नमस्कार ..यहाँ आ कर बेहद अच्छा लगा ... काफी अच्छे लिंक्स मिले .... सादर

संगीता पुरी जी से मिलना सुखद लगा ...आभार

नवरात्रि की शुभकामनायें..

संगीता जी आपके आकाश को छूने के सपने साकार हों और आप अपने कार्य में सफलता पाएं यही कामना है ईश्वर से... शुभकामनायें

खूब अच्छा लग रहा है - शुभ कामनाएँ!

संगीता जी के विषय में कुछ कुछ तो ज्ञात था लेकिन उनके सम्पूर्ण परिचय और उनके विचारों से सहमत हूँ। कोई भी क्षेत्र निर्थक नहीं है और ज्योतिष अगर सही भविष्यवाणी करने की क्षमता न रखता तो शायद आज तक उसका अस्तित्व खत्म हो चूका होता जैसे वेद और पुराण महत्वपूर्ण है वैसे ही ज्योतिष शास्त्र का भी महत्व नाकारा नहीं जा सकता है।

संगीता जी जिस विषय पर महारत रखती हैं वह मेरे लिये बहुत दुरूह एवँ रहस्यमय है ! उनकी शख्सियत पहले से ही बहुत नामचीन है ! उनसे मिल कर बहुत खुशी हुई ! उनसे मिलवाने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

संगीता पुरी जी से मिलना सुखद ***आभार

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