शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- पंचमी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार .........माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है. भगवान स्कन्द कुमार (कार्तिकेय)की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवे स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है. भगवान स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं, इस दिन साधक का मन विशुध्द चक्र में अवस्थित होता है. स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए पूर्णतः शुभ्र वर्ण का होता है माँ कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं, स्कंदमाता को पद्मासना देवी तथा विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है.स्कंद माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज पाता है. यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है. एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है.

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0yJbfUgN_b_I5dYsYuaM0xviqa0HmAvD7P3LscjZ3QiL784c3tsVpeZYLNlWT-3QITMwxH1WsTbyBEDebvZcAI5UDkRQDdkuWIpzEaxUea2gDwgN8Mfr0-zKgHP6R0i3asm_-ndfsRfjy/s1600/Skanda-Mata.jpg
वैसे तो इस श्रंखला में आने वाली ब्लॉग जगत की कोई भी देवी परिचय की मोहताज नहीं हैं, फिर भी नवदेवियों के साथ उनके स्मरण का एक प्रयास है यह. ब्लॉग जगत की नव देवियों के क्रम में आज मिलते हैं सुनीता शानू जी से, बहुत सारे  ब्लॉग पर उनकी उपस्थिति दिखाइ देती है  मुख्य ब्लॉग मन पखेरू उड़ चला दिखाई देता है .


उनके ब्लॉग की अद्यतन पोस्ट है कविताई होती भी नही आजकल 

हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल
किसी की प्यारी बातों ने 
बाँधा है कुछ इस कदर 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ
कुछ शब्द कागज़ पर बस
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल…

साफ़गोई इतनी अच्छी तो नही
मगर पाकिजा सी तेरी मूरत 
टकटकी लगाये निहारती
मोह सा जगा देती है मुझमें 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ मै
कुछ शब्द कागज पर बस. 
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल

शानू जी साहित्य की कई विधाओं में हाथ आजमाती हैं, व्यंग्य भी अच्छा लिखती हैं,  अब मिलते हैं अगली वार्ता में तब  के लिए आज्ञा दीजिये, राम राम 

15 टिप्पणियाँ:

एक नया शोध ....! आपका भी जबाब नहीं ....!

आज कल गायब हैं सुनीता जी ... आभार इस परिचय के लिए

क्या बात है..इतना खूबसूरत परिचय...बहुत बहुत शुभकामनाएं!

परिचय के लिए आभार...........

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ.........माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के बारे में जानकारी हेतु आभार.......
http://pbhakuni.blogspot.in/

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...

सुनीता जी से मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई ! नि:संदेह रूप से उनका लेखन बहुत प्रभावित करता है ! आभार आपका !

'विद्या समस्तास् तब देवि भेदः स्त्रियः समस्ता सकल जगत्सु,,त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्...'
इस शृंखला मैं नवदेवियों के रूप में इन नव-रूपों और उनकी कला के प्रस्तुतीकरण से ऐसा लगा कि उपरोक्त कथ्य सम्मुख उपस्थित हो गया हो !
इनका का ब्लाग-मंच पर स्वागत और प्रस्तुतकर्ता को बधाई !

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