संध्या शर्मा का नमस्कार... नए रेल व पेट्रोलियम मंत्रियों ने जल्द ही जनता पर बोझ बढ़ाए जाने के संकेत दिए हैं. वर्षों बाद रेलमंत्रालय को अपने हाथ में लेने के बाद कांग्रेस के पवन बंसल ने साफ कहा कि रेल किराया बढ़ाया जाएगा. वहीं मोइली ने सब्सिडी नीति पर विचार करने को कहा. उन्होंने यह भी कहा है कि मुझे रेल्वे की वित्तीय हालत सुधारनी है. किराया बढ़ाते समय सेवा सुधारनी होगी तभी जनता पसंद करेगी. ये तो वक़्त ही तय करेगा कि जनता बढ़ा हुआ किराया पसंद करती है या इनकी सेवा...मतलब नए बोझ कि तैयारी जारी है...प्रस्तुत है आज कि वार्ता कुछ रोचक लिंक्स के साथ
यह जाडे की धूप है या "तुम".
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अलसाये सकुचाये
गुलाबी ताप के टुकडे,
क्षोभमंडल पार से
उतरते है मुझ पर
और फैलते जाते है
सिंकते है रोम रोम,
पिघलती है उर्मियाँ
बिंधती है कोशिकायें
...
बन जाओ मेरी कविता का शीर्षक तुम!!
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बन जाओ मेरी
पुस्तक का शीर्षक....
जो है ३६५ पन्नों की...
वर्ष के दिन की गिनती
और
यह संख्या..
जाने क्यूँ एक से हैं...
लगे है ज्यूँ करती हों ...इल्जाम ...
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उनपे ... उनपे ... उनपे ...
लगे आरोप ... उनकी नजर में
साजिशें हैं !
पर, हकीकत में
लगते हमें ... इल्जाम सच्चे हैं !
पर, अब ...
करे तो करे ... क...
आनेवाले दो महीने में बुध ग्रह का आपपर पडने वाला प्रभाव क्या होगा ??
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भले ही अपने जन्मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख
प्राप्त कर पाते हैं , पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में देर सबेर करने की
भूमिका ..हेकड़ी,अहंकार और फेसबुक
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इस दौर में हेकड़ी बढ़ी है। भ्रष्टनेता से लेकर ईमानदार नौकरशाह तक सबमें
हेकड़ी का विकास हुआ है। सामान्य कारिंदे से लेकर भिखारी तक सब हेकड़ी में
बातें करते ह...
जिन्हें तकलीफ है किसी से ...
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भीखमंगा बनकर सबसे
मोती मांगने का चलन है
बोनस में मिलते दुत्कार का
करता कौन आकलन है...
अपने ही प्राणों में दौड़ती
कड़वाहटों का जलन है , पर
एक-दूसरे पर आरोप-...
ओ बंजारे - भवसागर के गहन भँवर में नश्वर जीवन के इस क्रम में प्रफुल्ल रहा करते हो ...... गठरी दौलत की नहीं है ...तभी ...... जहाँ -तहां विचरते हो ! नहीं चाह है ... इश्क - कल रात चाँद यूँ ठहरा मेरे पहलु में आकर जैसे आया हो कभी न जाने के लिए... मैं चाँद और मोहब्बत... बंद कर लिए किवाड़ हमने कभी न खोलने के लिए.... कसमें खायीं ...सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ शाम घनेरी हो चली है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ * * राह अंधेरी हो चली है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ चाँदनी* *बिखरने लगी है टूट कर रात की बाहों में शबनम अब गाने लगी है सूनी सूनी फिज़ाओं में मावस की आहट लगी है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ झुरमुटों में सरसराहट मची है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ...
4 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर वार्ता ..
अच्छे लिंक्स मिले ..
आभार
सुंदर वार्ता ..
सभी लिंक्स देखे...
बीच में यकायक अपनी रचना पाकर खुशी हुई :-)
शुक्रिया संध्या जी
सस्नेह
अनु
अच्छी लिंक्स से सजी वार्ता |जाड़े की धुप या तुम ,सुन्दर |
आशा
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