भूली बिसरी यादें (पहचान लीजिये) |
ललित शर्मा, आदित्य सिंह, सत्येन्द्र शर्मा, संध्या शर्मा |
डॉ अनीता कपूर, संध्या शर्मा, ललित शर्मा, अंजू चौधरी नागपुर में |
जाट देवता, जाट राम, संगीता पूरी, केवल राम, ललित शर्मा, अल्पना |
भूली बिसरी यादें (पहचान लीजिये) |
ललित शर्मा, आदित्य सिंह, सत्येन्द्र शर्मा, संध्या शर्मा |
डॉ अनीता कपूर, संध्या शर्मा, ललित शर्मा, अंजू चौधरी नागपुर में |
जाट देवता, जाट राम, संगीता पूरी, केवल राम, ललित शर्मा, अल्पना |
संध्या शर्मा का नमस्कार....कैसी सर्दी आई है ? .धुंध कोहरे की जमी दिन भर धूप छुपी शरमायी है मफ़लर, टोपी, शॉल और स्वेटर निकला कंबल, रज़ाई है देखो सर्दी आई है .... हीटर, गीजर दौढ़ता मीटर सुस्ती मे अब चलता फ्रीजर हाट मे सस्ती मिलती गाज़र हलवे की रुत आई है देखो सर्दी आई है ..... मूँगफली के दाने टूटते रेवड़ी- गज़क के पैकेट खुलते चाय -कॉफी की चुस्की लेते गुड़ देख चीनी लजाई है देखो सर्दी आई है ...... सिर से पैर तक खुद को ढ़क कर मौसम के अमृत को चख कर बाहर जब नज़र घुमाई है नंगे जिस्मों पर ओस की बूंदें मुझे कभी समझ न आई है कैसी सर्दी आई है ? प्रस्तुत है आज की वार्ता...
संध्या शर्मा का नमस्कार....कुछ कहूँ .....?? कह तो लूँ ..... पर कोयल की भांति कहने का ... अपना ही सुख है ... बह तो लूँ ...... पर नदिया की भांति बहने का ..... अपना ही सुख है ... सह तो लूँ .... पर सागर की भाँति सहने का .... अपना ही सुख है .... सुन तो लूँ .... पर विहगों के कलरव सुनने का ... अपना ही सुख है ... गुण तो लूँ ..... पर मौन दिव्यता गुनने का .... अपना ही सुख है .... हँस तो लूँ ... आँसू पी कर भी हंसने का .... अपना ही सुख है .... जी तो लूँ ..... पर रम कर के जीने का ... अपना ही सुख है ... रम तो लूँ ... हरि भक्ति मे रमने का .... अपना ही सुख है .... है न ...?? ...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता....
आज की वार्ता मे संगीता स्वरूप का नमस्कार ....
चलती बस में दुष्कर्म के मामले में एक मौत हो गई है। इस वारदात के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान घायल सिपाही सुभाष तोमर की मंगलवार सुबह मौत हो गई।.... और अब पुलिस वीडियो फुटेज देख कर दोषी को ढूँढने का प्रयास करेगी ....... सरकार चाहती है कि लोग मुख्य मुद्दे से भटक जाएँ .... चलिये देखते हैं आज के लिंक्स ...
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान...
नहीं उठते तेरे लिए कभी झंडे-बैनर,
नहीं सहता कोई पानी की तेज़ बौछार,
नहीं मोमबत्तियों के साथ निकलता मोर्चा,
नहीं जोड़ता तुझसे कोई अपना अभिमान,
इतनी लाठियाँ एक साथ ……नृशंसता की पराकाष्ठा………दोष सिर्फ़ इतना न्याय के लिये क्यों गुहार लगायी ?
बहुत हो चुका अत्याचार
बहुत हो चुका व्यभिचार
अब बन दुर्गा कर संहार
यदि बुखार हो जाये तो हम तुरंत दवा लेने लगते हैं। लेकिन जब लम्बे समय तक दवा लेने के बाद भी बुखार न उतरे और सारे टेस्ट भी सामान्य आयें तो डॉक्टर सारी दवाएं बंद कर देते हैं और बुखार उतर जाता है। इसे हम ड्रग फीवर कहते हैं।
कुछ ऐसा ही हो रहा है गैंग रेप के विरुद्ध आन्दोलन में। गुंडागर्दी के विरुद्ध आक्रोश का प्रदर्शन करते करते कहीं न कहीं हम स्वयं ही पथ भ्रष्ट हो गए हैं।
आदमी यों ही बड़ा नहीं बनता है, उसके बड़प्पन या महानता के पीछे उसकी लगन, सच्चाई औए अध्यवसाय होता है. दुनिया भर में मानव जाति की सेवा करने वाले मनीषियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने चिरंतन कर्मों के द्वारा महत्ता प्राप्त की है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, जिसे B.H.U. के नाम से भी जाना जाता है, के वर्तमान विराट स्वरुप को देख कर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि इसके संस्थापक पण्डित मदन मोहन मालवीय जी थे,
युवा शक्ति को नमन! दामिनी/निर्भया को सलाम और उस बच्ची की सलामती की दुआ के साथ आज की प्रस्तुति -
कुहासा है या
घनीभूत हो गई है पीर
या शर्मसार हो रवि
छिप गया है घन के चीर
क्या देख कर
मुस्कुरा रही हो
जाने क्या सोच रही हो
सभी को लुभा रही हो |
ऐसा क्यों होता है, किसी भी सफ़र में ख़ामोशी की दीवार जब टूटती है तो, तो बीच का अटपटापन बाकी नहीं रहता। बातें, मौसम, देश की राजनीति से होती हुई, व्यक्तिगत बातों तक आ जातीं हैं। बातों के प्रवाह में, गजब की गति आ जाती है। सहयात्री की फ़िक्र तक हो जाती है, उसका साथ यूँ लगता है, जैसे अब कभी छूटने वाला ही नहीं है, लेकिन मंजिल तक पहुँचते ही, रास्ते जुदा हो जाते हैं
प्राचीन राजधानी श्रीपुर के अवशेषों को देखने पर्यटक आते हैं, जरा चर्चा वर्तमान सिरपुर गाँव की भी कर ली जाए। प्राचीन राजधानी के वैभव को तो मैने देखा नहीं परन्तु उसके खंडहरों को देखकर उसके वैभव एवं महत्ता को महसूस किया है। वर्तमान में सिरपुर ग्लोब पर 21.40’51.13 उत्तर एवं 82.10’54.07 पूर्व में रायपुर से 81 किलोमीटर की दूरी पर महासमुंद तहसील, जनपद एवं जिलान्तर्गत आता है।
सेंटा !
सुना है
तुम बिना मांगे
अपनी झोली से निकाल कर
खुशियाँ बांटते हो
मुस्कुराहटें बांटते हो
आज मुझसे किसी ने कहा कि वह अपनी बर्थडे विश मेरे ब्लॉग पर ही स्वीकार करेंगी...मैं उनके लिए कुछ लिखूँ...तो मंजु जी आपकी इच्छा शिरोधार्य है...
सबसे अच्छी बात है कि आज क्रिसमस भी है...सबको क्रिसमस की बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ !!
पहला रंग इश्क का--- नीला-नीला......
वो सर्दी की इक शाम थी. वो ट्रेन से उतरता है, टैक्सी लेकर सीधे बताये पते पर.
' आ गये तुम?' वो देखकर उससे पूछती है.
'चैम्प, मैं तुझे एक घंटे से ढूंढ रहा हूँ.'
'अरे शादी बाले घर में आया है, लड़की इतनी जल्दी थोड़ी न दिखेगी.'
मुझे माफ कर दो,
दोस्तों
कल रात नई दिल्ली में
मैं सोनिया के घर
कुछ बलात्कारी जबरन
घुस गए
ऐसा कभी नहीं हो सकता
कि मन के प्लेटफॉर्म पर
तुम्हारी यादों से भरी
धीरे धीरे चलने वाली
मालगाड़ी न आये .
तुम्हारे नीचे पूरी धरती बिछी थी
जिसे तुमने रौंदा
वह सिर्फ़ स्त्री नहीं थी
एक समूचा संसार था फूलों और तितलियों से भरा
रिश्तों और संभावनाओं से सजा
खड्ग ले जीना होगा
सदियों से रिसी है
अंतस् में ये पीड़ा
स्त्री संपत्ति
पुरुष पति
हारा जुए में
हरा सभा में चीर
बेटी हुं मै मांगती हूं..... जीने का अधिकार
क्या मां तुम मुझे इस दूनिया में आने न दोगी ?
यह दीन दशा अब देख देश की,
रोती प्याला, रोती हाला।
चहु ओर व्यथा है, औ' विषाद है,
थर-थर काँपे मन-साक़ी बाला।
बचपन कौन भूलता है भला .... धूल सने हाथ पांव,खिलखिलाती हंसी - माँ की गोद में बेपरवाह छुप जाती है . माँ का आँचल साफ़ होने के लिए सबसे ख़ास अनमोल होता है और माँ के आँचल में बच्चे के आंसू हीरे जवाहरात बन जाते हैं . लड़ना-झगड़ना,चौकलेट चुराना, इधर-उधर से सीखी गलियाँ धड़ल्ले से बोलना .... कान उमेठे जाने पर भी दांत पिसना ..... बचपन की पोटली की अमीरी सबसे जुदा होती है .
दिल्ली की घटना के बाद से पुलिस दवाब में है। इसी संदर्भ में हमने एसपी संतोष चालके से बात की। हमनेउनसे पूछा,दिल्ली की घटना के बाद पुलिस पर कितना दवाब है? दवाब पर ज़ोर देते हुए एसपी बोले,दवाब शब्द उचित नहीं है। महिलाओं की गरिमा,आत्म सम्मान के बारे में पुलिस को संवेदनशील होना ही चाहिए
मेरे लिए खुशी का दिन
ओर तुम्हारे लिए ...
सालों बाद जब पहली बार घर की देहरी से बाहर निकला
समझ नहीं पाया था तुम्हारी उदासी का कारण
जब मैं छोटा था तब ज़्यादातर औरों के उतारे हुए कपड़े पहना करता। पड़ोसियों का बेटा मुझसे साल-दो साल बड़ा था और लगभग मेरी ही साइज़ का था और उसकी उतारी हुई कमीज़ें और पतलूनें मुझे मिलतीं। दादी या मेरी माँ उन्हें छोटा-बड़ा कर देती
अंधकार में जो बैठे थे
ज्योति उन्हें जगाने आई,
मृत्यु की छाया थी जिन पर
जीवन सरिता थी लहराई !
जब क्रिसमस त्यौहार है आता,
खुशियाँ छा जाती हैं मन में.
जगमग करता है घर सारा,
क्रिसमस ट्री सजता आँगन में.
हम तो थे परिंदा
हमारी हर उड़ान के साथ
अपने लोग भी हमें
अपने दिलों से
उड़ाते गये
दिल्ली में घटी उस शर्मनाक घटना पर फेसबुक मेरी त्वरित प्रतिक्रिया थी,
"दिल्ली में वहशीपन की इस घटना पर सबका खून खौल रहा है .पर सिर्फ खून खौलने की नहीं, खून का ये उबाल बनाए रखने की जरूरत है, जब तक ऐसी घटनाएं बंद न हो जाएँ;.
दोषियों को सजा न मिल जाए और लडकियां अपने आप को सुरक्षित न महसूस करने लगें।
ये नहीं कि कुछ दिनों में हम इसे भूल जाएँ और फिर किसी अगली खबर का इंतज़ार हो। "
अरे वो अधर्मी,
शरमा रही अब
तुझसे बेशर्मी,
कड़क सर्दी में,
ताप रहा देश,
आज़ादी के बाद देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है ।
लोकतन्त्र के साये में कुल का आकार बढ़ा है॥
भारत भ्रष्टाचार राशि दोनों की एक रही है ।
काँग्रेस के साथ करप्शनका भी हाल यही है॥
वर्ष 2012 ने जाते-जाते देश को हिला देने वाली दो घटनाओं से परिचित करवा दिया। दिल्ली में हुई गैंग रेप की बर्बर घटना और उस घटना के बाद देशव्यापी-विशेष रूप से दिल्ली के युवाओं का स्वस्फूर्त रूप से बलात्कार की घटनाओं के विरोध में सड़कों पर उतर आना अपने आपमें वे दो घटनायें हैं जिनको आसानी से भुलाया नहीं जाना चाहिए।
आँख नम है
न्याय की माँग में
जुल्म देख
...
पीड़ा के क्षण
मन का संताप ये
किससे कहें
पिछले कुछ दिनों से युवा छात्र-छात्राओं पर चल रहे सरकारी दमनचक्र के दृश्य देख बार-बार आँखें नम हो रही हैं। एक ओर से प्रदर्शनकारी खदेड़े जा रहे हैं तो दूसरी ओर से फिर आ डटते हैं। लगातार आँसू गैस के गोले छोड़े जा रहे थे लेकिन नौजवान थे कि डटे रहे। पूरी ताकत से लाठी भांजते पुलिसिये तड़-तड़ लाठी बरसाते रहे
कोई विदेशी वायलिन की धुन थी. शाम के ताने बाने से मेरे लिए दुशाला तैयार कर रही थी.
घुसपैठिया...डाकू...जाने मन के किस किस कोने पैठ गयी थी उसकी याद...सुबह कब नींद खुली याद नहीं बस ये याद था कि सपने में उसे देखा है,
चलो मिल कर ज़िंदगी को मीठे केक सा कर जाए:) आओ सिखाएं आपको इस केक को बनाना इसके लिए जरा यह सब सामान तो ले के आना एक कप प्यार , में १०० ग्राम दयालुता , ५०० ग्राम दुआ [प्रार्थना ] मिला के इसको नरम बनने तक हिलाना फ़िर इस में १५० ग्राम भावना त्याग की , और १०० चम्मच मदद सबके लिए ५ मिनट तक रख जाना अब इस में १०० बूंदे मुस्कराहट की १ चम्मच सहन शक्ति के साथ अच्छे से इन सबको मिला के फ़िर इसको पकाना
और अंत में---
आज के लिए बस इतना ही ..... फिर मिलते हैं ... नमस्कार
संध्या शर्मा का नमस्कार....ज़रा सोचिये ! बलात्कारियों के लिए कौनसी सजा उचित है या होनी चाहिए ये तो देश के बुद्धिजीवी और प्रबुद्ध व्यक्ति तय कर ही लेंगे मगर कुछ और भी हैं, जो कुछ इस तरह से हैं- - १. कोई भी व्यक्ति इस ओर ध्यान क्यूँ नहीं दे रहा कि चाहे वो आदमी हो या फिर औरत उस पर समाज का सीधा सीधा असर पड़ता है. वो रोजमर्रा की छोटी छोटी घटनाओं से प्रभावित होता है. क्या, कहीं हमारे समाज में ही तो दोष नहीं आ गया है. यहाँ ये गौर करने लायक है कि समाज भी बिगडता है.. और सुधरता है.....तभी तो समय समय पर 'समाज सुधारकों' का उदय होता आया है. - २. क्यों नहीं हम व्यक्ति के निर्माण पर जोर देते.....लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता...
संध्या शर्मा का नमस्कार.... आज के दिन भी ब्लॉग जगत में दिल्ली की घटना पर दुःख, आक्रोश ही दिखाई दिया, जो बहुत सी रचनाओं में साफ दिखाई दे रहा है. लोगो की सोच मानसिकता, नजरिया क्यों नहीं बदलता??? क्यों उनके लिए कोई भी रिश्ता हवस के सामने मायने नहीं रखता...??? ओह... पता नहीं कब बदलेगा ये इंसान जो इंसान कहलाने लायक भी नहीं रह गया... आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर.......