संध्या शर्मा का नमस्कार... जाड़ों की सुबह-सुबह सरकाकर सारे पर्दों को, खोलती हूँ दरवाज़ा जो....... मखमली धूप खिड़की की छड़ों से छनकर, हमारी दहलीज को पारकर, कमरे की हर चीज़ को छूने का प्रयास करती हुई, छू लेती है........ बिखेड़ती हुई, अपनी गरिमामय मुस्कुराहट कोने-कोने में....... इस सुनहले स्पर्श के सम्मोहन से खिल उठता है मन-प्राण और आत्मसात कर लेती हूँ इस छुअन को, अगली सुबह तक के लिये...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता......
अरे बाप रे! बंगाल टाइगर की आँखों में मेरा चेहरा..
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थियेटर में घुसने से पहले सर पर एडिडास की उलटी केप लगाए टिकट चेक करने वाले
लड़के ने जब प्लास्टिक का चश्मा थमाया तो जितनी उदासीनता से उसके हाथों ने
थमाया थ..सब बनेंगे अरबपति
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मेरे सभी मित्रो को, मेरे साथ साथ, फोब्स की अगली अरबपतियों की सूची मे शामिल
होने की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
( अरे आपको नहीं मालूम क्या ... ४ लोगो के...
..सब जानती हूँ ...........दिवास्वप्न है ये
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इंतजार की हद पर ठहरा
धूप का टुकड़ा
देख कुम्हलाने लगा है
नमी का ना कोई बायस रहा है
हवाओं में भी तेज़ाब घुला है
ओट दी थी मैंने
अपनी मोहब्बत के टीके की
पर..
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४१वीं कड़ी)
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दसवां अध्याय
(विभूति-योग -१०.१९-२८)
श्री भगवान :
मेरी दिव्य विभूतियाँ जो हैं,
उनका अब करता हूँ वर्णन.
मेरे विस्तार का अंत नहीं है,
जो विशेष कहता ह..पढ़ते पढ़ते लिखना सीखो
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पिछले कई दिनों से पढ़ रहा हूँ, बहुत पढ़ रहा हूँ, कई पुस्तकें पूरी पढ़ी,
कई आधी अधूरी चल रही हैं। रात में बच्चों के सोने के बाद पढ़ना प्रारम्भ करता
हूँ तो.... साथ-साथ
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प्यार करते हो तुम,मुझसे
तुमने अनगिन बार ये
दोहराया है .
मुझमें और तुममें कोई अंतर नहीं
बार-बार यह समझाया है.
पूर्णता के साथ भूलना कैसे संभव है ?
भूलने के ...
बंधकर परिणय-सूत्र में
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* बंधकर परिणय-सूत्र में, सहज हि उपजे प्रीत।*
*रख पाये प्रेम सहेज के, वही है सच्चा मीत।।"*
मनुष्य के सोलह संस्कार...हो तुम जीवन पथ में, मैं अकेला / साथी हो तुम
मंजिल को पाने मैं निकला / साहिल हो तुम
मेरे हृदय में उठती करुणा / आंसू हो तुम
हर शै पर चमकने वाला / सितारा हो तुम .
जीवन और जगत में / चेतना हो तुम
सोच और कल्पना से परे / ऐसा रहस्य हो तुम
सुख और आनंद के बीच / सच्चिदानंद हो तुम
दृश्यमान सत्ता की / वास्तविक सत्ता हो तुम
....मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है....!!
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मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने,
क्या गुनगुना रही है....
खनक-खनक मेरे हाथो में,
याद तुम्हारी दिला रही है.....
मेरी सोच की डायरी के पन्ने
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सालों पहले डायरी लिखने का दिल किया तो,एक डायरी हाथ में आते ही मैंने लिखनी
शुरू कर दी| डायरी में लिखी अपने दिन-प्रतिदिन की सोच को आप सबके साथ साँझा
करने क... भविष्य
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भविष्य
हर दिन सुबह सवेरे
बनाती हूँ जब चाय
देखती हूँ गर्म पानी के इशारे पे नाचती
चाय की पत्ती
उसका दिल जीतने का
हर संभव प्रयास करती
इतराती, इठलाती, बलखाती,..एक सीली रात के बाद की सुबह......
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नर्म लहज़े में
शफ़क ने कहा
उठो
दिन तुम्हारे इंतज़ार में है
और मोहब्बत है तुमसे
इस नारंगी सूरज को....
इसका गुनगुना लम्स
तुम्हें देगा जीने की एक वजह
सिर्फ तुम्हा...
सूचना प्रौद्योगिकी की सियासत
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सूचना प्रौद्योगिकी ने भले ही पूरी धरती को एक गाँव बना दिया हो और हम सूचना
समाज की ओर बढ़ चले हों पर भारत के गाँव बदलाव की इस बयार का सुख नहीं ले पाए
हैं| ..कांग्रेसियों कि एक और कारगुजारी
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घोटालो से घिरे कांग्रेसियों कि एक और कारगुजारी सामने आयी है सरकार ने देश के
पहले स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की कर्मभूमि रहे अंडमान तथा निकोबार के
‘वाइपर ...
राष्ट्र संरक्षण के लिए नहीं राष्ट्र भक्षण के लिए आरक्षण चाहिए
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"इस सदी के दूसरे दशक के शुरुआती दौर में हम ठगे से खड़े हैं ...एक महास्वप्न
का मध्यांतर है ....देश के संरक्षण के लिए किसी आरक्षण की जरूरत ही नहीं है
यहाँ तो...
साहेब, इंडिया ले चलो
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"जब आप मीरपुर खास के भिटाई कस्बे में पहुंचेंगे तो चौराहे के ठीक बीच में एक
तम्बूरा आपका स्वागत करेगा। तंबूरे की विशाल प्रतिमा वाली इस जगह का नाम भी
...हम असली गांधी वादी हैं
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हम असली गांधी वादी हैं
हमें तो कोई भी लात मार जाए हम पैर पकड़ लेते हैं गुस्सा नहीं करते नरेन्द्र
मोदी की तरह .हम शांत रहतें हैं .
पाकिस्तान के गृह मंत्री...
पाक, मलिक और हम
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कहने को दोस्ती का पैग़ाम लेकर भारत आये
पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने जिस तरह से सामान्य कूटनीतिक शिष्टाचार
को कई...
" भिखारी कौन..........."*
**लगभग एक घंटे की लम्बी लाइन में लगे रहने के पश्चात 'खाटू श्याम मंदिर'
,सीकर ,राजस्थान में दर्शन मिलने का नंबर आया | बहुत अच्छे दर्शन हुए प्रभु के
| यह मंदिर बहुत सिद्ध मंदिर माना जाता है | इसके बाद हमने दर्शन किये
,'सालासर,बाला जी ,चुरू,राजस्थान ,मंदिर में बाला जी के ...लड़खड़ाते पांव मेरे - जबकि मैं पीता नहीं याद में तेरी जिऊँ, मैं आज में जीता नहीं,
लड़खड़ाते पांव मेरे, जबकि मैं पीता नहीं,
नाज़ नखरे रख रखें हैं, आज भी संभाल के,
मैं नहीं इतिहास फिरभी, सार या गीता नहीं,
तोलना है तोल लो तुम, नापना है नाप लो,
प्यार मेरा है समंदर.. माँ ... तेरे जाने के बाद ... सब कह रहे हैं
तू इस लोक से
परलोक की यात्रा पर अग्रसर है
कर्म-कांड भी इस निमित् हो रहे हैं
पिंड से पिंड का मिलान
साल भर रौशनी के लिए दीपक
तीन सो पैंसठ नीम के दातुन
ओर भी क्या क्या ...
आज के लिए इतना ही, इजाज़त दीजिये नमस्कार...
9 टिप्पणियाँ:
सुदर वार्ता ..
बेहतरीन लिंक्स संयोजन ...
आभार
बड़े ही पठनीय सूत्र।
सुंदर लिंक्स
बढिया वार्ता
दीदी बहुत ही सुन्दर वार्ता है, पाठन हेतु अच्छे -2 लिंक्स मिले हैं हार्दिक आभार, मेरी रचना को स्थान दिया तहे दिल शुक्रिया.
बहुत बढ़िया वार्ता प्रस्तुति ..आभार
www.ehsasmyfeelings.blogspot.in
बहुत रोचक लिंक्स...सुन्दर वार्ता
सर्वप्रथम वार्ता मे "बन्धकर परिणय सूत्र में" को स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ……प्रारम्भ करते हैं अब पढ़ना पूरी वार्ता ……पुनः शुक्रिया ……
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