बुधवार, 19 दिसंबर 2012

बेशर्मी की हद है .. (कु)सभ्‍यता .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी


आप सबों को संगीता पुरी का नमसकार , क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने रेपो रेट और सीआरआर में कोई कटौती नहीं की है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने से आम आदमी के कर्ज पर ईएमआई कम नहीं होगी। जिससे लोगों को सस्ते कर्ज के लिए थोड़ा और इंतजार करना पडेंगा! आरबीआई के कदम के बाद देश के 3 बड़े बैंकों स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक ने साफ संकेत दिए हैं कि अभी वो कर्ज सस्ता नहीं करेंगे। बैंकों का कहना है कि अभी कॉस्ट ऑफ फंड काफी ज्यादा है। साथ ही बैंकों को नहीं लगता कि लोन ग्रोथ आने वाले समय में जोरदार रहेगी। इस खबर के बाद चलते हैं ब्‍लॉग जगत के चुने हुए पोस्‍टों पर , जहां सारे ब्‍लॉगर गुस्‍से में लाल पीले हो रहे हैं ।

बेशर्मी की हद है ... - *मैं इस पोस्ट को यहाँ शेअर न भी करूँ तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता ... जनता जानती है यह कोंग्रेसी सरकार, इसके मंत्री और इन सब के सहयोगी कितने संजीदा है इतने गंभ...(कु)सभ्यता - *दिल्ली कभी हमरे सपना का सहर नहीं था. नौकरी के सिलसिला में दू-एक बार हमसे पूछा भी गया दिल्ली जाने के लिए, त हम मना कर दिए. मगर जब २००५ में हम दिल्ली आये,...प्रलय-....बाकी है ?? - सुना है 21 दिसंबर को प्रलय आने वाली है ..पर क्या प्रलय आने में कुछ बाकी बचा है ?.भौतिकता इस कदर हावी है की मानवता गर्त में चली गई है, बची ही कहाँ है इंसान...भेड़िये - दिन में ही अब घूमते भेड़िये तलाश में शिकार की और करते शिकार खुले आम, भयभीत हैं सभी लगाते गुहार मदद की पर जंगल का राजा शेर अपना पेट भरने के बाद सोया है ग...


बस देह भर - पुनरावृति हताशा की एक मौन अपने होने पर एक पीड़ा नारी होने की वही अंतहीन अरण्य रुदन बस देह भर ये अस्तित्व छिद्रान्वेषण पुन: पुन: चरित्र हनन या वस्त्...मर्जी के मालिक हो गए,अब यहाँ के सब कारिंदे है। - * * * * * * * * * * * * * * * * * * *आबरू के खातिर कुछ मर गये, तो कुछ जिंदे है,* *हर दरख़्त की शाख पे बैठे, डरे-डरे सब परिंदे है**।* *खौफजदा नजर आता है, ....रेप रेप रेप, अब ब्रेक -दिल्‍ली से केरल तक रेप की ख़बरें। भारतीय संस्‍कृति ऐसी तो नहीं। फिर क्‍यूं अपने घर में, देश की राजधानी में सेव नहीं गर्ल। लड़कियां कल का भविष्‍य हैं, कहकर....नफ़स-नफ़स कदम-कदम -नफ़स-नफ़स कदम-कदम बस एक फिक्र दम-ब-दम घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए! जवाब दर सवाल है कि इंकलाब चाहिए! इंकलाब जिन्दाबाद! जिन्दाबाद इंकलाब! जहां अवाम के ...


हिन्दी ब्लॉगर्स फिर जुटेंगें - शनिवार, 29 दिसम्बर 2012 को सांपला में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। कवि सम्मेलन शाम 7:30 बजे से आरम्भ होगा। आप सबका स्वागत है। सांपला एक छोटा...एक गीत -सूरज लगा सोने पहाड़ों में - चित्र गूगल से साभार एक गीत -सुबह अब देर तक सूरज लगा सोने पहाड़ों में सुबह अब देर तक सूरज लगा सोने पहाड़ों में | हमें भी आलसी, मौसम बना देता है जाड़ों म...चिड़िया उड़ाते थे... - पुरानी कहावत है कि पुरुष के भाग्य का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. इस कहानी के नायक रूपचंद मौर्य गोरखपुर के पास एक साधनहीन, पिछड़े गाँव के मूल निवासी ...कन्या भ्रूण हत्या मजबूरी है !!!:( - (अपवाद होते हैं) -सिसकियों ने मेरा जीना दूभर कर दिया है माँ रेsssssssssssssss ............ मैं सो नहीं पाती आखों के आगे आती है वह लड़की जिसके चेहरे पर थी एक दो दिन में .


अलकरहा के घाव अउ ससुर के बैदी - छत्तीसगढ़ी में कई ऐसे मजेदार शब्द हैं जिसका प्रयोग छत्तीसगढ़ के हिन्दी भाषी लोग भी कभी कभी करते हैं और उस शब्द का आनंद लेते हैं. इनमें से कुछ को इनका अर...आरोग्य प्रहरी -आरोग्य प्रहरी (1)हरी मटर की फलियाँ खेत से तोडके खाइये मिल जाएँ तो .इनमें रहता है एक Carotenoid substance ,Lutein पता चला है इसका सेवन सफ़ेद मोतिया (Catar...आरटीआई का दुरूपयोग -महाराष्ट्र के ठाणे में जिस तरह से एक तथाकथित आरटीआई एक्टिविस्ट को पिछले हफ्ते पुलिस ने लोगों को ब्लैकमेल करके धन वसूलते र...



यूँ आया ऊँट पहाड़ के नीचे --- - हम नास्तिक तो नहीं हैं लेकिन आर्य समाजी विचारधारा के रहते मूर्ति पूजा में बिल्कुल विश्वास नहीं रखते। ऐसे में जब किसी ऐसे कार्यक्रम के लिए निमंत्रण आ जाता ...यादों के आइने में कवि बच्चन... - [समापन क़िस्त] बाद के वर्षों में पत्राचार और संवाद शिथिल होता गया। बच्चनजी अस्वस्थ रहने लगे थे और पढ़ना-लिखना उनके लिए कठिनतर होता गया था। दिन पर दिन बीतते...यहाँ शहीद आपस में बतिया रहे हैं -*यहाँ शहीद आपस में बतिया रहे हैं* - आशीष दशोत्तर ‘‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।’’ शहीदों की शहादत...एक कहानी दो सहेलियों की - *आज वाणी गीत जी के ब्लॉग ज्ञानवाणी से एक कहानी दो सहेलियों की * *शीर्षक है - "रूठना कोई खेल नहीं"*

कार्टून :- सन 2052 का भारतीय क्रि‍केट








9 टिप्पणियाँ:

सुन्दर संयोजित सूत्र.वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

कठोर दंड के आभाव में समाज में अपराध बढ़ते जा रहे हैं, अंग भंग का दंड मिलना जिस दिन शुरू हो जायेगा. उस दिन शायद बलात्कार की घटनाओं में कमी आये........

आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई, शतायु हों.

कमी है हमारे समाज में, संस्कार में जो इन घटनाओं को जन्म देती हैं, मानसिकता में बदलाव की जरुरत है ....

जन्‍म दिन की हार्दिक - हार्दिक शुभकामनाएं संगीताजी...

संध्‍या जी की बात से सहमत हूँ ... सच तो यही है
बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने
सादर

आपको जन्म दिन की शुभकामनाएं.

अच्‍छे सूत्र दिए हैं आपने। मुझे शामिल करने के लिए कोटिश: धन्‍यवाद।

बहुत सुन्दर लिंक्स..आभार

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